जय हिंद देखिए जब से यूक्रेन और रूस की लड़ाई हुई है तब से वेस्टर्न वर्ल्ड ने पूरी कोशिश की है कि रशिया को कैसे-कैसे डैमेज किया जाए चाहे वो सक्शन से डैमेज करें या उसके जो भी पार्टनर्स है उनको दबाव सैंक्शन लगाकर या प्रेशर लगाकर रोका जाए इसी क्रम में उसने इंडिया को भी सोचा था कि इंडिया और रशिया के बीच में जो ट्रेड हो रहा है उसे कम से कम किया जाए लेकिन इसका पूरा असर कोई असर नहीं दिखा बल्कि इंडिया और रशिया का ट्रेड और बढ़ गया और रशिया का भी बढ़ गया एक-एक करके समझते हैं अभी हालिया में हमारे प्रधानमंत्री रशिया दौरा पे गए और रशिया जब दौरा पे गए तो पूरी वेस्टर्न मीडिया उन्हें देख रही थी कि क्या-क्या समझौता होके आता है इसी बी रशिया के जो जो हाईएस्ट सिविलियन अवार्ड होता है जैसे भारत में भारत रत्न होता है वैसे ही वहां पर ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रूज होता है जो नरेंद्र मोदी को दिया गया ये एक किसी भी देश के लिए गर्व की बात होता है कि जो दूसरे देश के देश में हमारे प्रधानमंत्री को ऐसे अवार्ड दिए जाते हैं इसके बाद दोनों के बीच में कई सारे डील होते हैं जिसमें कुछ महत्त्वपूर्ण डील थे जिसमें छह न्यूक्लियर पावर प्लांट लगाने की बात थी न्यूक्लियर प्लांट जो होता है बहुत ज्यादा मात्रा में ऊर्जा दे देता है और यह लगातार इसे बंद करने की भी जरूरत नहीं होती है राजस्थान का रावत भाटा जो था लगातार 2 साल तक चला था उसे बंद भी करने की जरूरत नहीं थी ये न्यूक्लियर पावर प्लांट में सेफ्टी की ज्यादा जरूरत होती है क्योंकि इसका सबसे खतरनाक एरिया इसका कोर होता है जहां यूरेनियम होता है इसकी सेफ्टी के लिए यहां पे इसे बहुत बड़ा कंक्रीट से ढक के रखना पड़ता है इसमें यूरेनियम का यूज किया जाता है यूरेनियम को येलो केक कहा जाता है इसे आशा का धातु भी कहते हैं यूरेनियम दुनिया का सबसे महंगा पदार्थ होता है यूरेनियम इसमें इससे महंगा दुनिया में कोई पदार्थ नहीं होता है इससे एनर्जी ज्यादा निकलती है अब इतनी ज्यादा एनर्जी निकलती है जिस वजह से बिजली बनाया जा सकता है तो रशिया के साथ हमें छह पावर प्लांट की जरूरत है क्योंकि इंडिया डे बाय डे डेवलप करते जा रहा है और हमारे इंडिया में हर चीजें इंफ्रास्ट्रक्चर से लेके आईटी सेक्टर में डेवलपमेंट हो रही है तो बिजली की खपत बहुत ज्यादा हो रही है इसलिए इसकी भी जरूरत है साथ में रशिया ने भारत के साथ बहुत संभवत हो सके तो इस डील को करेगा फ्लोटिंग न्यूक्लियर पावर प्लांट हालांकि रशिया के पास शिपिंग न्यूक्लियर प्लांट की बहुत एक्सपी एक्सपर्टीज है उसके पास परमाणु पंडोब या बहुत ज्यादा है तो ऐसे ही बिजली घर को पानी वाली जहाज में ये लोग फिट कर देते हैं जो न्यूक्लियर रिएक्टर है उसे पानी वाली जहाज में फिट कर देंगे और बाकी उसमें जो भी सिस्टम है लगा देंगे और सिप ऊपर से नॉर्मल दिखेगी अंदर से ऐसा होगा सिप ऐसे दिखेगी बाहर से यहां पे होगा अब इस शिप को किसी भी जगह पे हम मूव करा सकते हैं सपोज कि अगर केरल में बिजली पे अटैक हो गया और केरल की बिजली सप्लाई खत्म हो जाती है तो इस जहाज को केरल के पास जाएंगे और जैसे ये क्रेन लगा है ऐसे ही तार लगा देंगे यहां पे ग्रिड और उसे ग्रिड से जोड़ देंगे एक बार जब कोई भी इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड से जुड़ जाती है तो आपका मन आप जहां मन वहां भेज दीजिए जैसे रेलवे लाइन पूरे देश में बिछा हुआ है वैसे बिजली लाइन पूरे देश में बसा हुआ है जिसे हम लोग ग्रिड बोलते हैं ये ग्रीड से जोड़ सकते हैं तो इसका बहुत फायदा इसकी क्षमता है 800 मेगावाट पटना शहर की औसतन जो बिजली खपत है पूरे पटना की पटना जिला की 800 मेगावाट है औसतन गर्मी में कभी बढ़ जाता है ठंड में थोड़ा सा कम हो जाता है जैसे एसी वगैरह का जरूरत होता है तो एक शहर को ये अकेले बिजली सप्लाई कर सकता है अब मूव करके इधर से उधर चला जाएगा तो रशिया से इसकी भी डील लगभग लगभग तय मानी जा रही है यहां पर और इसी बीच जब जब यहां पे डील हो ही रहा था तो रशिया से दो ट्रेन कोयला को लेकर इंडिया पहुंची अब यहां से कोयला को लेके इंडिया कैसे पहुंची तो इंटरनेशनल नॉर्थ साउथ कॉरिडोर लेके ये ट्रेन रशिया से होते हुए यहां पर कजाकिस्तान ये जो काकेसस पर्वत है इसे पार करके ईरान के चाबहार पोर्ट पर पहुंचती है ईरान के चाबहार पोर्ट के बाद फिर वहां से मुंबई पहुंच जाती है तो यहां से यह इंटरनेशनल नॉर्थ साउथ कॉरिडोर जाता है इसी में यहां पर इंडिया मिडिल ईस्ट इकोनॉमी कॉरिडोर भी जाता है तो इंडिया मिडिल ईस्ट इकोनॉमी कॉरिडोर जो है यह भी यहीं से गुजर सता है तो इंडिया मिडिल ईस्ट इकोनॉमी कॉरिडोर दुबई सऊदी अरब यह होते हुए यहां से निकल सकता है लेकिन इन दोनों इतने बड़े-बड़े ट्रेड रूट के लिए भारत के पास मुंबई बंदरगाह उतना गहरा नहीं है इसलिए मुंबई बंदरगाह से बहुत गहरा बनाने के लिए और वर्ल्ड लेवल का बंदरगाह एयर सी पोर्ट बनाने के लिए वहां पे मुंबई से थोड़ी दूरी पे वाधवन पोर्ट बनाया जा रहा है वाधवन पोर्ट जो है ये टॉप दुनिया के एशिया के जितने बड़े बंदरगाह है उसमें टॉप 10 में ये आएगा इतना बड़ा इसे बनाया जा रहा है इस समुद्र के अंदर 6 किलोमीटर में बनाया जा रहा है ताकि गहराई वहां ज्यादा हो और बड़े से बड़े शिप को लाया जा सके यहां पर तो ट्रेड इतना बेहतरीन बढ़ रहा है यहां पे ये पोर्ट अगर बन जाएगा तो हम लोगों की कोलंबो पोर्ट से निर्भरता घट जाएगी क्योंकि बहुत बड़े जहाज को हमें कोलंबो पोर्ट में भेजना पड़ता था वहां से फिर अनलोड करके मुंबई लाना पड़ता था क्योंकि मुंबई बंदरगाह उतना भी गहरा नहीं है हालांकि कांडला जो है वहां पे नवा सवा जो है नवा सिवा बंदरगाह आधुनिक है लेकिन उससे भी बेटर बनेगा ये वाधवन पोर्ट यहां पर तो अभी ये कोयले से भरी जहाज आ गई हैं इसी बीच हम लोग की डील होती है रशिया के साथ रशिया हमें ऑलरेडी s400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम दे दिया है s400 जो है 400 किमी के दायरे में आने वाले किसी भी एरियल थ्रेट को मार सकता है ये एक किसी भी जहाज या मिसाइल को मारने के लिए काउंटर में दो-दो मिसाइल छोड़ता है ताकि एक से मिस हुआ तो दूसरा उसे मार सके बट इसका रडार जो होता है वह 600 किमी देख सकता है लेकिन 400 किमी के दायरे में आएंगे तो मार के गिरा देगा इतना पावरफुल है दुनिया का सबसे पावरफुल ये जो एयर डिफेंस सिस्टम है s400 है अब भारत के पास ऑलरेडी s400 है लेकिन ऐसा डील हो रहा है कि बहुत जल्दी भारत को र रशिया जो है भारत को s500 भी दे देगा s500 की मार्ग क्षमता 500 किमी है अभी s500 को केवल रशिया यूज़ करता है उसने किसी दूसरे देश को नहीं दिया है ये दुनिया का सबसे खतरनाक एयर डिफेंस सिस्टम है अब आप समझिए कि हम लोग अगर ये एयर डिफेंस s500 मिल जाता है तो अगर हम इसे अमृतसर पे रखते हैं तो पाकिस्तान के अंदर कोई जहाज नहीं उड़ सकता है क्योंकि उतनी अंदर तक वो देख सकता है और वहां पे मिसाइल से हमला कर सकता है चाइना के पास भी ये सिस्टम है लेकिन चाइना के पास केवल s300 है यानी ये केवल 300 किमी मार सकता है और हमारे पास s400 ऑलरेडी है ऑलरेडी है चाइनीज भाई लोग तुम समझो ध्यान से हमारे पास s400 पहले से है s500 आने वाला है है तो इसका मतलब अगर हम लोग सामने सामने की लड़ाई हो तो उसकी एयरफोर्स कितनी भी तगड़ी हो वह मैक्सिमम हमारे अंदर 300 किमी पेनिट्रेट कर सकता है और हम लोग उसके अंदर 500 किमी कर सकते हैं तो यह एक बेहतर डील है भारत और रशिया के बीच में जो दिखाता है कि दोनों देशों के रिश्ते कितने मजबूत हैं क्योंकि s500 केवल और केवल रशिया यूज़ करता है और किसी को नहीं दिया है रशिया ने तुर्की को भी s400 दिया था जिस पे वेस्टर्न मीडिया ने बहुत बबाल मचाया था तो हम दोनों के रिश्ते बहुत बेहतरीन होते जा रहे हैं हालांकि बहुत दबाव बनाया गया रशिया ने अपनी ओर से ऑफर भी किया है एय 15 57 एयू 57 सुखोई का ये विमान है ये बहुत बेहतरीन जहाज है लेकिन स्टिल टेक्नोलॉजी से होता है स्टिल रडार में नहीं आते हैं इसे अमेरिकन जहाज f22 रेप्टर से ना किया जाता है लेकिन ये काफी कॉस्टली है तो भारत इसमें इंटरेस्ट भी दिखा रहा है और नहीं भी उतनी तरह से नहीं कह सकते लेकिन रशिया की ओर से ये खुला ऑफर किया गया है हमारे लिए यहां पे राफेल वगैरह से तो ये तगड़ा है एक्चुअल हर जहाज की अलग-अलग काम होता है जैसे सड़क पे देखते होंगे जो काम टेंपू कर सकता है वो ट्रक नहीं कर सकता है जो काम बाइक करेगा वह कभी बस नहीं कर सकता है तो ऐसे कहिए कि बताइए आप ही से कोई पूछेगा कि मोटरसाइकिल अच्छा फोर व्हीलर अच्छा कार अच्छा कि बस अच्छा आप क्या कहिए भाई जरूरत जिस चीज की है वो है वैसे ही लड़ाकू जहाज में अमूमन ऐसे कॉमन मेंटालिटी क्या होती है जो एडवांस है वही अच्छा है कुछ बमर होते हैं जो बम गिराते हैं कुछ स्ट्राइकर होते हैं जो बम नहीं गिराए तत के मारेंगे स डॉग फाइट के काम में आएंगे कुछ रिकॉन सेंस मिशन में आते हैं दूसरे दश में घुस के निगरानी करने में कुछ दोनों काम कर कर सकते हैं मार भी सकते हैं रिकस भी कर सकते हैं बम भी गिरा सकते हैं मल्टी रोल काम कर सकते हैं जैसे राफेल एक मल्टी रोल जहाज है तो सबका अलग-अलग होता है यहां पे ये एयर सिरिटी के लिए है एकदम स्टिल्ट है स्ट्राइकर जाएगा एकदम कहीं पे भी बम गिरा के आ सकता है लेकिन ये बड़ा कॉस्टली होते हैं इसकी ऑपरेटिंग कॉस्ट भी बहुत ज्यादा होती है तो देखते हैं कि आगे क्या होगा बाकी हमारा तो एचएएल बना रहा है अभी तक तेजस कंप्लीट नहीं कर पाया पता नहीं क्या कर रहे हैं लोग अच्छा भी नहीं लगता है बार-बार बोलने में कि तेजस कंप्लीट नहीं हुआ आज से बन रहा है सो 40 साल से तेज से बन रहा है अभ ये लोग का इंजन पूरी तरह से फाइनलाइज नहीं हुआ तो ये भी एक दर्शाता है हालांकि डिफेंस सेक्टर में प्राइवेटाइजेशन बहुत पहले हो जाना चाहिए प्राइवेटाइजेशन होने से थोड़ा सा कोई भी चीज बड़ा तेजी से एक्टिवली काम करते रहता है देखिए इतना दबाव भारत पे बनाया जा रहा था वेस्टन वेस्ट ने पूरी कोशिश किया दबाव बनाने के बहुत सारी धमकियां दी गई अमेरिका और भारत यूरोप की ओर से कि भारत को सैंक्शन लगाए जाएंगे लेकिन अभी हाल ही में यूएन सिक्योरिटी कांसिल में रशिया जो है वो इसका अध्यक्ष बना है उसने भारत का बचाव किया और कहा है कि वेस्ट मीडिया ने भारत पे बहुत ज्यादा दबाव भी बनाने की कोशिश कर रही है एक्चुअली वेस्टर्न मीडिया का अलग नैरेटिव है वो अपने हिसाब से सोचता है यहां पे अब सोचिए ना ईरान के आत ईरान के मिलिट्री को उसने आतंकवादी घोषित कर रखा है मतलब आतंकवाद का कोई परिभाषा ही नहीं रखा इस हमारा ईरान से अच्छा संबंध है ईरान हमार हमारे भारत के लोगों को और या ईरान और भारत का बहुत अच्छा रिलेशन है हमारा और उसका दोनों का ट्रेड बैलेंस भी अच्छा है पेट्रोलियम लेते हैं अब वहां की जो जो रिवोल्यूशन गार्ड है जोसको बीएसएफ कहता है जैसे हमारे यहां बीएसएफ है उसको आतंकवादी घोषित कर रखा है तो उनको कहना है कि रशिया जो है ना अब ध्यान से समझिए रशिया अगर यूक्रेन पे हमला किया तो कहता है रशियन एग्रेस रशिया ने हमला किया एग्रेस और अमेरिका आके अफगानिस्तान पे मार दिया तो अमेरिकन अग्रेशन नहीं अमेरिकन एक्शन ऑन टेररिज्म बताइए इन लोग की तो गजब गजब की विचारधारा होती है सही है तो इनके गुड टेररिस्ट और बैड टेररिस्ट रशिया ने भारत का हमेशा से बचाव किया है और जरूरत भया भारत ने यूएन सिक्योरिटी कौंसिल में रशिया ने यूएन सिक्योरिटी कौंसिल में भारत के परमानेंट मेंबरशिप की भी वकालत किया है यहां पर तो ये सबकी वजह से कोई दबाव के खास असर ना रशिया के रिलेशन पे पड़ा और ना रशिया के ट्रेड पे पड़ा रशिया ने रशिया के पास बहुत ज्यादा ऑयल भंडार है तो ये ऑयल रिजर्व को हम लोग टैंकर्स में से रख के और भारत तक इसको लेके आ रहे हैं क्योंकि भारत में बहुत ज्यादा खपत है पेट्रोलियम का जनसंख्या बहुत ज्यादा है जब यूक्रेन और रशिया विवाद नहीं हुआ था तो हम लोग रशिया से जो तेल खरीदते थे वो 1 लाख बैरल पर डे खरीदते थे बैरल मतलब कौन ची ड्राम को बैरल बोला जाता है इसमें क्वेश्चन पूछता है कितने लीटर आते हैं 159 159 लीटर को एक बैरल कहते हैं तो हम लोग रशिया से पहले 1 लाख बैरल पर डे तेल खरीदते थे 1 लाख बैरल पर डे तो अब जब विवाद हुआ तो वेस्टर्न मीडिया ने हमारे ऊपर दबाव बनाया वेस्टर्न ने दबाव बनाया कि इतना तेल क्यों खरीद रहे हैं इससे तो फंडिंग होगी यूक्रेन की युद्ध की वहां के लोग मारे जाएंगे तो भारत ने 1 लाख बैरल से बढ़ा के 19 लाख बैरल पर डे कर दिया 19 लाख बैरल पर डे हम कन्वर्ट कर देते हैं 30 करोड़ लीटर प्रति दिन हम लोग रशिया से तेल खरीद रहे हैं ना 30 करोड़ लीटर प्रतिदिन खरीद रहे हैं 30 करोड़ लीटर प्रतिदिन खरीद रहे हैं अब वेस्टर्न पागल है सब वेस्टर्न मीडिया ले या भारत को किया क्या जाए है ना यह अमेरिका का सुन रहा है ना यूरोप का सुन रहा है तो भारत विश्व गुरु है गुरु नहीं सुनता है जल्दी किसी का हम लोग को अपना नेशनल इंटरेस्ट मायने रखता है पहले उसको हम लोग देखते हैं तो इसका बेअसर हो गया यहां पे हालांकि वेस्टर्न लोगों ने यूरोप ने बहुत गलत किया अलग-अलग जगहों पे रूस के एसेट्स थे कुछ यूरोप में थे कुछ अमेरिका में थे उनके जो फॉरेन रिजर्व थे पैसे विदेशी मुद्रा भंडार थे लगभग 300 बिलियन डॉलर ये 300 बिलियन डॉलर को यूरोप और अमेरिका ने फ्रीज कर दिया कहा कि जब युद्ध खत्म होगा तो इस पैसे को निकाल सकते हो इसी के मत्ते नजर रखते हुए भारत ने भी अमेरिका में अपने गोल्ड रिजर्व को वापस लेके आया यहां पर इन पे कभी भरोसा करने लायक नहीं है दे आर एकदम इन लोग के पास अंग्रेजों के पास कोई एथिक्स नाम की चीज नहीं होती है इन्होंने 25 लाख बंगालियों को भूखे मरने दे दिया जब हम गुलाम थे तब इन्होंने छोटे बच्चे को गोली मारा जलिया वाला बाग में और इनको अगर खरोच आ जाएगी ना तो दुनिया पूरी दुनिया खोपड़ी प उठा लेंगे इनके पास कोई एथिक्स नहीं होता है किसी को मार देंगे किसी से कुछ भी कर देंगे इन परे कभी भरोसा नहीं करना चाहिए तो इसका हालांकि इसका बस एक देश ने विरोध किया था किंग सलमान जो सऊदी अरब के हालांकि सारे देशों को इसका का विरोध जताना चाहिए इस तरह से कोई किसी का पैसे हड़प लेगा यहां पे हालांकि लाख विरोध के बावजूद रशिया के व्यापार में कमी नहीं आई क्योंकि रशिया पिछले चार सालों से 4 साल नहीं 2014 से ही रशिया जब क्रीमिया को कब्जा किया था उसी समय से यूक्रेन से लड़ाई के लिए वोह पूरी तरह से कमर कस लिया था इसमें गलती यूक्रेन की भी है अब यूक्रेन को सोचना चाहिए कि अमेरिका जो है रूस का सबसे बड़ा दुश्मन है तो रूस के दुश्मन को आप अमेरका रूस के सिधान बैठाए तो क्या करेगा तो वो पहले से तैयारी में था इस वजह से रशिया में कोई दिक्कत नहीं आई है रशिया का जो ट्रेड है व्यापार है वो वो 8.5 % 8.6 पर के ग्रोथ से जा रहा है जो उसका फाइनेंस सेक्टर है बैंकिंग है इंफ्रा इंश्योरेंस है ये बॉन्ड है वो सब 88.7 पर के ग्रोथ से जा रहा है जीडीपी उसका है 10.9 पर के ग्रोथ से जीडीपी जा रहा है कंस्ट्रक्शन जो वर्क होता है बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन एयरपोर्ट सीपोर्ट जो भी रियल स्टेट के कंस्ट्रक्शन होते हैं 6.6 पर के ग्रोथ से जा रहे हैं तो इससे ये पता चलता है कि रशिया पर इन सैंक्शंस का कोई खास असर नहीं पड़ा और ना ही भारत और रशिया के रिलेशन के बीच में कोई भी इस टाइप का असर पड़ा है क्योंकि ये आंकड़े बताते हैं कि उन परे कोई असर नहीं पड़ा है आई होप समझे होंगे अब यूपीएससी का बैच स्टार्ट हो गया पटना बोरिंग रोड और मुसल्ला पुर ब्रांच दोनों में तो यहां जो बहुत देर से इंतजार था कि यूपीएससी वाला बैच पटना में तो वो भी अब आपका स्टार्ट हो गया है आप लोग आ सकते हैं और बी बीपीएससी का बैच जो है बोरिंग रोड में भी स्टार्ट हो गया है शाम को बोरिंग रोड वाले क्लास में यहां पे और बहुत जल्दी अगस्त में एक न्यू बीपीएससी बैच आएगा जो नए पैटर्न वाले हैं जो इतने नए बच्चे हैं उन लोग के लिए बीपीएससी का बैच आएगा यहां पर और प पॉलिटिकल साइंस जो पॉलिटी है पॉलिटी एंड इंटरनेशनल रिलेशन यह 23 तारीख कल से स्टार्ट है आप लोग का 23 तारीख आज से ही तो यह बैचेज है जो आप कर सकते हैं इलाहाबाद वाले बच्चे आप लोग के पास हम बहुत जल्दी आ रहे हैं आई होप आप पूरे टॉपिक को समझे होंगे मिलेंगे नेक्स्ट क्लास में जय हिंद