FPCCI | KCCI | POLITICAL DICTATORSHIP | ZUBAIR OUST FAROOQI | Dr Abdul Jabbar Khan official

बिस्मिल्लाह रहमान रहीम मैं हूं डॉक्टर अब्दुल जबार खान ऑफिशियल य चैनल से आपका मेजबान गुजर्ता रोज पूरे मुल्क में हड़ताल हुई हुकूमत के खिलाफ ताजिर का अदम त माद और उसी दिन मोडी ने माइनर सी आपकी एडजस्टमेंट की रेटिंग में पाकिस्तान के लिए अच्छा ओमन था लेकिन अभी तक आईएमएफ का जो मामला है वह सेटल नहीं हुआ है 7 बिलियन डॉलर पहले भी इन्होंने आईएमएफ से स्टैंड बाय अरेंजमेंट ऐसा क्यों होता है देखिए 20 ब दफा से ज्यादा बार पाकिस्तान आईएमएफ के पास जा चुका है और यह जब होता है जब आपकी इकॉनमी क्लैप्स हो चुकी होती है तो यह होता है स्टैंड बाय अरेंजमेंट और बेल आउट पैकेज बेल आउट पैकेज का मतलब क्या हुआ कि मरीज मर रहा है और उसको आपने ऑक्सीजन लगा दी है या उसको वेंटिलेटर प डाल दिया तो इकोनॉमिक पॉलिसी तक बनाई ही नहीं गई लॉन्ग टर्म बेसिस पर और हर लमहे जो भी हुकूमत आती है नए वजीरे खजाना आ जाते हैं वजीरे खजाना अगर पुराने भी हो पॉलिसी पुरानी होती है यानी एक इनिशिएटिव जो होता है वह नहीं है इनोवेशन नहीं है कहीं पर भी इकोनॉमिक मॉडल पाकिस्तान ने आज तक डेवलप नहीं किया एग्रीकल्चर सेक्टर की बात की है उसके बारे में मैं इंशाल्लाह मैंने बताया आपके ऊपर एक मैं लग करूंगा कि एग्रीकल्चर इनकम टैक्स की जरूरत नहीं है उसके बगैर ही आपके पास इतना रेवेन्यू आएगा और एग्रीकल्चर सेक्टर से क्या चीज निकालनी है वह भी बड़ा क्रिस्टल क्लियर है अंडर द इस्लामिक लॉ आगे चले ताजन की हड़ताल हुई बड़ा बेहतरीन उनका एक यूनिटी नजर आई और उन्होंने हुकूमत की पॉलिसी से अदम एतमाद का इजहार कर दिया और इसके बाद मैं जो आज अहम बात आपकी खिदमत में पेश कर रहा हूं व ट्रेट बॉडी पॉलिटिक्स चेंबर्स की सियासत फेडरेशन की सियासत काश के इनम यूनिटी होती यहां पर माफिया कर रहे फेडरेशन हो या कराची चेंबर हो या दीगर चेंबर्स हो पाकिस्तान के प्रीमियर चेंबर्स में इस्लामाबाद हो लाहौर है फैसलाबाद कराची और फ फेडरेशन पाकिस्तान चेंबर ऑफ कॉमर्स इंडस्ट्री इन कराची उनका फेडरेशन दफ्तर है य पर पिछले पीले पहले पीछे ग्रुप था उसके बाद दूसरा ग्रुप आया दूसरे ग्रुप के बाद अब यह एसे मुनीर के बेटे ने तनवीर यस उन्होंने पिछले ग्रुप को खतम किया शिकस्त दी और अब इस इक्दर्म किया था इन्होंने भी कुछ नहीं परफॉर्म किया नॉट अ सिंगल अचीवमेंट पॉलिसी बोर्ड बनाया उसमें यूनुस ढाका को लेकर आ गए कहते थे जी पैसे खर्च नहीं होते 40 से 50 लाख रप महीना खर्च हो रहा है रिसर्च कुछ भी नहीं है और रिसर्च ओरिएंटेशन इसलिए नहीं हो सकती कि ब्यूरोक्रेट कहां से रिसर्चर हो गए एक बात दूसरा एनर्जी के उनके ऊपर दबे हैं एनर्जी की आईपीपी की कंपनियों को सैंक्शन देने में और अप्रूवल देने में इनके ऊपर सक्शन है जिनको आपने इनके ऊपर इल्जा मात है इनकी शख्सियत पर और इनके किरदार पर और करप्शन के केसेस नब में मौजूद है और सय जो सलमान शाहबाज है इनका नाम भी इन केसेस में आता है अनफॉर्चूनेटली फॉर्चूनेटली कैदी नंबर 804 कहता है ना यह कि यहां पर करप्शन ही का दौर दौरा है तो ट्रेट बॉडी पॉलिटिक्स के हवाले से बात करता चलू कराची च में जब सिराज कासिम तली ने इसको रूल करना इससे पहले बशीर जान और उनके टक्कर पर होते थे हुसैन इब्राहिम जमाल और इनकी फैमिली लतीफ इब्राहिम जमाल और वह एक पॉलिटिक्स चलती रही उस दरमियान में नाइंथ फलोर आ गया मियां मोहम्मद रफी मरहूम ममी दादा भाई और उमर हाजी करीम अर्दश काव जी यह लोग हुआ करते थे जो अनवार टाटा जो इसको उस्ताद एजाज य लेकर चलते थे अपनी पॉलिटिक्स को ट्रेड बॉडी पॉलिटिक्स लोग या तो दुनिया से गुजर गए या उन्होंने इंटरेस्ट लेना छोड़ दिया सराज कासिम तेली साहब आ गए मरहूम पेपसी वाले पाकोला वाले उन्होंने कोशिश की बहुत अच्छे तरीके से चेंबर ऑफ कॉमर्स इंडस्ट्री कराची को चलाने की जो प्रीमियर चेंबर है पायोनियर चेंबर है और उस बिल्डिंग में वाक जहां पर महात्मा गांधी ने इंडियन स्टोन मर्चेंट इंडियन ट्रेडर्स की वो मार्बल की तख्ती भी लगी हुई है तो चेम ऑफ कॉमर्स की पॉलिटिक्स बहुत बड़ा किरदार हो सकता है आधारों ने पहले अदा किया है एक हुकूमत की मदद करने में भी और फिर यूनिटी का एक प्रेशर ग्रुप बनाने में भी जो यह नाकाम रहे सिराज कासिम तेली अल्ला को प्यारे क्या हुए उन्होंने जुबैर मोती वाला को इदार दे दिया ग्रुप ने और अभी कल जो पंजाब का जो ग्रुप था जिसको हारून फारूकी और य अंजुम निसार वग मौजूद थे आपस में लेकर चल रहे थे एक उर्दू ग्रुप था और एक पंजाबी ग्रुप नटी और इसके साथ-साथ मेमन गुजराती य मिलकर चला ट्रेडिशनल है कन्वेंशन है अनरिटन एक एग्रीमेंट सा है और उ हारम फारूकी को जुबैर मोतीवाला ने जिनका कोई किरदार नहीं है एच पाकिस्तान की ट्रेड एंड बॉडी पॉलिटिक्स में और खुद भी कोई बहुत बड़े इंडस्ट्रियलिस्ट ट्रेडर नहीं है वो लेकिन चकि एथनिक बुनियाद पर य फैसले होते हैं मुल्क ही पूरा एथनिक बुनियाद पर तकसीम हो चुका हुआ है यही हाल है ट्रेड बॉडी पॉलिटिक्स का और इसका नतीजा यह होता है कि ट्रेड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन के मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स के जो डीटीओ है या डीजी डीओ है वो फिर रूल करते हैं अभी चेंबर ऑफ कॉमर्स में जो हुआ वो आपके सामने है वोटर्स की लिस्ट पे बात मानने को तैयार नहीं है वो लोग फेडरेशन में भी ये पॉलिटिक्स चलती रही है उसका एडवांटेज कौन उठाता है ब्यूरोक्रेसी और डिसएडवांटेज में कौन जाता है पाकिस्तान एंड ट्रेड बॉडी ट्रेड के लोग इंडस्ट्री के लोग इनकम टैक्स वाले जो मर्जी करें एफबीआर कस्टम्स यही सबसे ज्यादा इनको मसाइल का सामना करना पड़ता है और हर एक की कोशिश होती है कि मैं जाकर चेयरमैन से और मेंबर से जाकर मिल लेता हूं और यही पॉलिटिक्स है इससे बढ़कर कभी भी कराची चेंबर ऑफ फेडरेशन ने इस आगे सोचा ही नहीं है 43 43 यर से तो मैं देख रहा हूं चेंबर ऑफ कॉमर्स की फेडरेशन की पॉलिटिक्स मैं इसका गवा 43 इयर्स इट्स लंग स्पैन और ए जर्नलिस्ट मैं इसको कवर करता रहा हूं देखता रहा हूं बड़े बड़े नाम यहां पर आए और दुनिया से गुजर गए लेकिन इंस्टिट्यूशन बर्बाद होते रहे आज भी एक ग्रुप का यहां पर कब्जा है और जो मौजूद है और व समझते हैं कि हमारी बहुत अच्छी पॉलिटिक्स है और हम अधारे को बेहतर तौर पर चला रहे हैं जिसकी जो बारी होती है एक बार अगर एक कम्युनिटी से प्रेसिडेंट है तो एसवीपी दूसरी कम्युनिटी से और वाइस प्रेसिडेंट तीसरी कम्युनिटी से होता है ये है कराची चेंबर का एक ट्रेडिशनल और फेडरेशन के अंदर जो है जिसका जो ग्रुप आ जाए लेकिन वहां पे गवनमेंट ऑफ पाकिस्तान मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स का एक रोस्टर है जो यह चल रहा होता है प्रेसिडेंट और वाइस प्रेसिडेंट के हवाले से लेकिन होता क्या है इनकी अगर कोई पॉलिसीज बनती है तो वो कोई ट्रेलर मेड टाइप की अजीबो गरीब चीज होती है पॉलिसीज में समझ नहीं आता लॉन्ग टर्म पॉलिसीज नहीं है ट्रेड इंडस्ट्री की रिफ्लेक्शन नहीं होती पॉलिसी में बजट बन जाता है आता है चला जाता है इस मौजूदा बजट में आपने सूरते हाल देखी औरंगजेब साहब ने पेश किया एक भी इनपुट एक भी फेडरेशन और कराची चेंबर और लाहौर चेंबर की जो रेकमेंडेड है इस्लामिक कुछ कुछ नहीं है बता दीजिए मुझे तो उसके नतीजे क्या निकलता है कि यह सिचुएशन पैदा होती है कि जो कल हुई और पूरे पाकिस्तान के ताजिर ने इसमें चेंबर ऑफ कॉमर्स तो मजबूरी आया कराची चबर और दीगर चब ने ऐलान किया फेडरेशन वाले तो खामोश थे शायद उनको सांप सू गया था कि उन्होंने हुकूमत से कहते हैं कि हुकूमत से कन्फेशन नहीं लेनी है ट्रेड बडी ट्रेडर नहीं लेते तो इंडस्ट्रियलिस्ट नहीं लेते उनके लिए एक इनकम टैक्स इंस्पेक्टर काफी होता है या एई बंदा या इनकम टक्स बंदा जाता है कस्टम में जाकर रुल जाते हैं बेचारे परेशान होते हैं पैसे दिए बगर बिल ऑफ एंट्री क्लियर नहीं होती है यह तो क्लियर है ना सारी दुनिया जानती है जितनी भी अप्रेजमेंट के पास टोटल ऑफ टोटल इंपोर्ट्स की वो ले लीजिए अमाउंट ले लीजिए ड्यूटी ले लीजिए और उसके अंदर कितना यानी मिस [संगीत] एप्रोप्रियेट साथ कॉन्फिडेंस होता गवर्नमेंट का तो इनको हड़ताल प जाने की जरूरत ही नहीं थी ट्रेड इंडस्ट्री के लोगों को इसलिए हड़ताल पर ये गए हैं कि लाजन नहीं है दरमियान में फेड इसमें कराची चेंबर हो लाहौर चेंबर हो मुल्तान फैसलाबाद ये बड़े चेंबर जो है वो पि शवर हो कोएटा हो ये सब यहां पे प्रॉक्सीस बैठी होती हैं और अगर मौजूद भी हैं तो उनकी जो अप्रोच है वो पर्सनल गेंस के लिए होती है छोटे तारों ने हड़ताल की उसमें पॉलिटिकल पार्टीज आकर शामिल हो गई पॉलिटिकल पार्टीज की कॉल नहीं थी ये छोटे छोटे ताजिर इन्होंने तो ताजिर दो स्कीम के साथ ही जोड़िया बाजार में मेरिट रोड पर कराची में सदर में लाहौर में बड़ी आजम क्लास मार्केट में बड़ी बड़ी मार्केट में लमी में क्या हुआ था कि उन्होंने बैनर लटका दिए थे सियाह रंग के एतजाज के तौर पर और यह एतजाज क्यों था के हुकूमत पाकिस्तान के जो नए वजीर खजाना साहब आए हैं ही अ बैंकर उसके पास बेचारे के पास तजुर्बा है ट्रेड इंडस्ट्री का और ना ही ए सच फाइनेंस के पोर्टफोलियो का और शाबाज शरी साहब आपके पास तो लाहौर और चेंबर का प्रेसिडेंट होने का तजुर्बा है ना मिडिज में आप चेंबर के प्रेसिडेंट रह चुके हैं लाहौर के आपने भी कोऑर्डिनेशन नहीं किया और नतीजे य है कि आज ऑफेंस का वो है एटीट्यूड है और बिहेवियर जो है बहुत ही इरिटेटिंग है ताजिर हजरात मानने को तैयार नहीं है क्यों के पॉलिसी में य सानियमिर्जा और व यह समझते हैं कि हमारा इते साल हो रहा है एक्सप्लोइटेशन हो रही है किस मसले पर सबसे बड़ा मसला इनकम टैक्स का है और सेल्स टैक्स का है और इसके साथ-साथ बिजली का है य आईपीपी अभी अ लगार साहब ने फरमाया वफा की वजीर बिजली के मीडिया को समझ नहीं है अरे भाई आपको कहां से समझ आ गई आप तो जुम जुमा आ दिन कल बिजली के मिनिस्टर बने इससे पहले मुसद साहब थे सेनेटर मु सदक साहब थे उनको कौन सी समझ है आप तो चलते ही ब्यूरोक्रेट्स में है एजुकेशन में देखले किसी भी मिनि में उठा ले सारा का सारा काम जो है ब्यूरोक्रेट ने करना है वह हरफ मला होते हैं देर जग फल ट्रेड मिनिस्ट्री बदलती रहती है उनके 25 से 30 साल करियर में और वह हर चीज के मास्टर बन जाते हैं ज का फल ट्रेड बन जाते हैं मास्टर ऑफ नन यह कहिए तो नतीजे क्या निकलता है पाकिस्तान सफर करता है पाकिस्तान के आवाम सफर करते हैं जनाब बिजली पे जो एडिशनल टैक्सेस सरचार्ज और यह मुसलसल जो एडिशनल सरचार्ज एक्स्ट्रा सरचार्ज एक्स्ट्रा टैक्स क्या है ये आवाम जो है वह थक गए हैं नाको नाक उनका पानी आ चुका है भर चुके हैं वो सर तक पानी आ गया है उनसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा मैंने अर्ज किया था गुजर्ता रोज के बिजली के बिल कैसे दिए जा रहे हैं एक वर्किंग क्लास का आदमी है गरीब आदमी मुलाजिम आदमी तंखा दार आदमी छोटा कारोबारी आदमी या इवन बड़ा कारोबारी आदमी भी उनके लिए अब अफोर्डेबल नहीं है इसको कोई और करेगा और यह करना होगा नहीं तो फिर फैसला आवाम के इख्तियार में है और फिर आवाम जब फैसला करते हैं बड़ा ही सुथरा बड़ा स्वादी करते हैं बहुत-बहुत शुक्रिया वस्सलाम [संगीत]

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