Motions in Parliament Explained!(No Confidence, Confidence, Adjournment , Privilege, Censure Motion)

Published: Aug 11, 2024 Duration: 00:05:26 Category: People & Blogs

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हेलो एवरीवन तो आज हम बात करेंगे डिफरेंट टाइप ऑफ मोशंस यूज्ड इन पार्लियामेंट उसमें सबसे पहले जो मोशन है वो है एडजर्नमेंट मोशन देखिए एडजर्नमेंट जो मोशन होता है ना वो कोई भी अगर अर्जेंट पब्लिक इंपॉर्टेंस का मैटर होता है उसको डिस्कस करने के लिए लाया जाता है लेकिन एडजर्नमेंट मोशन को कम से कम 50 लोगों की सहमति होती है तभी उसको लाया जा सकता है और स्पीकर का कंसेंट होना भी जरूरी होता है एक बार अगर एडजस्टमेंट मोशन पार्लियामेंट में आ गया तो उस परे मिनिमम ढाई घंटे तक डिस्कशन होना जरूरी होता है यह रूल बुक में लिखा हुआ है जमन मोशन सिर्फ और सिर्फ लोकसभा में आ सकता है राज्यसभा में एडजें मेंट मोशन को नहीं लाया जाता है और एक बार अगर यह आ गया यह पास हो गया तो नॉर्मल बिजनेस जो लोकसभा का होता है उसका सस्पेंशन हो जाता है क्योंकि इस पे अर्जेंट डिस्कशन की नीड होती है दूसरा इसमें एक और इंपॉर्टेंट प्रोविजन है कि इससे गवर्नमेंट को रिजाइन नहीं करना पड़ता लेकिन ये एक स्ट्रांग सेंसर लगाता है गवर्नमेंट पे सेकंड मोशन है नो कॉन्फिडेंस मोशन नो कॉन्फिडेंस जो मोशन होता है वह जनरली किसी भी मेंबर के द्वारा और मोस्टली जो अपोजिशन होता है उसके द्वारा लाया जाता है जब भी यह मोशन लेके आया जाता है तो जो गवर्नमेंट होती है उसको अपनी मेजॉरिटी को प्रूव करना पड़ता है अगर यह मोशन पास हो जाता है तो सरकार को रिजाइन करना पड़ता है अगर यह मोशन पास नहीं होता है तो वही की वही सरकार बनी रहती है यह मोशन भी सिर्फ और सिर्फ लो लोकसभा में लाया जा सकता है और इसके लिए भी 50 मेंबर को यह मोशन को एक्सेप्ट करना पड़ता है तभी यह आता है स्पीकर होता है वो डेट डिसाइड करता है इस मोशन की कि कब इस पे डिबेट होगा जनरली इसको एक्सेप्ट करने के 10 दिन के अंदर वो डेट को रखना पड़ता है वरना 10 दिन के बाद ये जो मोशन होता है यह लैप्स हो जाता है यानी कि ये खत्म हो जाता है फर्स्ट टाइम नो कॉन्फिडेंस मोशन प्राइम मिनिस्टर जवाहरलाल नेहरू के टाइम पे लाया गया था 1963 में और सबसे ज्यादा जो नो कॉन्फिडेंस मोशन को फेस किया था इंदिरा गांधी ने करीबन 15 बार उनके खिलाफ नो कॉन्फिडेंस मोशन लेके आया गया था हम कह सकते हैं कि नो कॉन्फिडेंस जो मोशन होता है वो सिग्निफिकेंट पॉलिटिकल इवेंट होता है और नो कॉन्फिडेंस मोशन के बारे में एक बात याद रखना जरूरी है कि कॉन्स्टिट्यूशन में यानी कि संविधान में इसका कहीं पे भी जिक्र नहीं है जैसे नो कॉन्फिडेंस मोशन होता है उसको अपोजिशन लीडर या फिर तो कोई भी लीडर के द्वारा गवर्नमेंट की मेजॉरिटी को प्रूफ करने के लिए लाया जाता है है कि सामने वाली गवर्नमेंट के पास में मेजॉरिटी है या नहीं है वैसे ही कॉन्फिडेंस मोशन जो होता है वह गवर्नमेंट खुद से लाती है जब बहुत कम मेजॉरिटी के साथ जब गवर्नमेंट फॉर्म होती है तो प्रेसिडेंट के द्वारा कॉन्फिडेंस मोशन को बुलाया जाता है इसमें प्रूफ करना होता है मेजॉरिटी को हाउस के फ्लोर पे अगर यह पास हो जाता है तो यह इंडिकेट करता है कि गवर्नमेंट जो है वह कंटिन्यू रहेगी और वही गवर्न करेगी नेक्स्ट मोशन है सेंसर मोशन सेंसर मोशन जो होता है ना व गवर्नमेंट को क्रिटिसाइज करने के लिए लाया जाता है या फिर तो गवर्नमेंट की कोई पॉलिसीज होती है उनके कोई एक्शंस होते हैं उसको क्रिटिसाइज करने के लिए सेंसर मोशन को लाया जाता है सेंसर मोशन जो होता है उससे गवर्नमेंट को रिजाइन नहीं करना पड़ता लेकिन सिर्फ एक डिस अपपर्टमेंट मोशन के बीच में क्या डिफरेंस होता है तो जो नो कॉन्फिडेंस मोशन होता है वो एंटायस ऑफ मिनिस्टर के अगेंस्ट लाया जाता है लेकिन सेंसर मोशन होता है किसी इंडिविजुअल के अगेंस्ट भी हो सकता है ग्रुप ऑफ मिनिस्टर के अगेंस्ट भी हो सकता है और काउंसिल ऑफ मिनिस्टर के अगेंस्ट भी हो सकता है सेंसर मोशन जो होता है उससे गवर्नमेंट को डिसक्वालीफाई नहीं किया जा सकता मतलब गवर्नमेंट रिजाइन नहीं करती है लेकिन नो कॉन्फिडेंस मोशन में गवर्नमेंट को अपना पद छोड़ना पड़ता है सेंसर मोशन होता है ना वो किसी पर्टिकुलर पॉलिसीज के अगेंस्ट हो सकता है या फिर तो कोई गवर्नमेंट के एक्शन के अगेंस्ट हो सकता है लेकिन जो नो कॉन्फिडेंस मोशन होता है वो गवर्नमेंट की मेजॉरिटी के अगेंस्ट होता है कि उनकी के पास है या नहीं है तो यह कुछ बेसिक डिफरेंस होते हैं सेंसर मोशन और नो कॉन्फिडेंस मोशन के बीच के नेक्स्ट है कॉलिंग अटेंशन मोशन ये जो मोशन होता है ये मूव्ड किया जाता है मेंबर के द्वारा किसी भी मिनिस्टर का ध्यान किसी स्पेसिफिक टॉपिक के ऊपर या फिर तो पब्लिक इंपॉर्टेंस के ऊपर दिलाने के लिए और उनसे रिप्लाई लेने के लिए इसमें क्या होता है कि कोई भी मैटर होता है ना उसपे इमीडिएट अटेंशन की जरूरत होती है इसीलिए मूव किया जाता है कि किसी मेंबर के द्वारा मिनिस्टर का ध्यान दिलाने के लिए प्रिविलेजेस मोशन इसको पढ़ने से पहले हमें जानना होगा कि पार्लियामेंट्री प्रिविलेज क्या होते हैं तो ये बेसिक राइट्स होती है या फिर तो इम्युनिटी होती है ना जो किसी भी मेंबर को दी जाती है पार्लियामेंट के ताकि वो लोग अपना फंक्शन जो होता है वो इफेक्टिवली कर पाए प्रिविलेज जो मोशन होता है वो पास किया जाता है मेंबर के द्वारा जो ऐसा मानता है कि उनकी प्रिविलेज या फिर तो पूरी के पूरे हाउस की प्रिविलेज वायलेट हो रही है और इसमें जो फर्स्ट स्क्रूटनी की जाती है वो लोकस के स्पीकर के द्वारा या फिर तो राज्यसभा के चेयरमैन के द्वारा की जाती है इसका प्राइमरी एम ही होता है कि एक्सप्रेस करना अपना डिस अप्रूवल या फिर तो क्रिटिसाइज करना रिस्पेक्टिव जो हमारे मिनिस्टर होते हैं उनके एक्शन को जनरली क्या होता है इस टाइप के जो मोशन होते हैं उसको एक्सेप्ट नहीं किया जाता है लेकिन 1978 में इंदिरा गांधी के खिलाफ यह जो मोशन आया था तो उनको हाउस से एक्सपेल्ड किया गया था

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