The Rise and Fall Of Saddam Hussein _ Biography: 1080p

Published: Sep 13, 2024 Duration: 00:28:10 Category: People & Blogs

Trending searches: saddam hussein
बात छोटी सी थी 1979 में ईरान में इस्लामिक रेवोल्यूशन हुआ था और वहां के राजा मोहम्मद रजा पहलवी को ओवरथ्रोन करके आयतुल्लाह रूहुल्लाह खुमैनी की लीडरशिप में ईरान इस्लामिक रिपब्लिक बन गया था ईरान में मेनली शिया लोग थे और इसके पड़ोसी अरब देशों में अधिकतर सुन्नी मुसलमानों का बसेरा था इराक कुवैत और सऊदी अरब जैसे देश ईरान में हुए इस इस्लामिक रेवोल्यूशन से डर गए और सबने मिलकर ईरान पर धावा बोलने का फैसला लिया ऐसे में इराक के प्रेसिडेंट सद्दाम हुसैन आगे बढ़े और उन्होंने बाकी के अरब देशों के सपोर्ट से ईरान के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया लेकिन यह युद्ध ठ सालों तक बिना किसी कंक्लूजन के चलता रहा और फाइनली यूएन के इंटरवेंशन के बाद 1988 में सीस फायर के साथ खत्म हुआ आठ सालों तक चली इस लंबी वॉर में इराक को बड़ा फाइनेंशियल लॉस हुआ और इराक की इकोनॉमी तबाह हो गई इस वॉर के कारण इराक के फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व्स खत्म हो गए और करीब 40 बिलियन डॉलर्स का फॉरेन डेट इराक पर चढ़ गया जिसमें ज्यादातर डेट कुवैत और सऊदी बबिया ने इराक को दिया था लेकिन कुछ समय बाद सिचुएशन ऐसी बनी कि कल तक इराक के साथ खड़े रहने वाले कुवैत और सऊदी अरेबिया अब इराक को ही आंखें दिखाने लगे और अपने पैसों के लिए इराक पर प्रेशर बनाने लगे जिस कारण जल्दी ही इराक और कुवैत के बीच जंग छिड़ गई जंग भी ऐसी जिसमें एक दो नहीं बल्कि 35 देशों ने मिलकर एक साथ इराक को खदेड़ दिया और यहीं से सद्दाम हुसैन के बुरे वक्त की शुरुआत भी हो गई आखिर कौन था सद्दाम हुसैन क्यों सद्दाम हुसैन के साथ खड़े रहने वाले कुवैत और सऊदी अरेबिया ने उसका साथ छोड़ दिया था कैसे सद्दाम हुसैन के राज में इराक एक बड़े क्राइसिस का शिकार बन गया और कैसे सद्दाम हुसैन की एक छोटी सी गलती की वजह से पूरा इराक एक गहरे संकट में चला गया 28 अप्रैल 1937 में तिखत में मौजूद अवजा नाम के गांव में सद्दाम हुसैन का जन्म हुआ जन्म से पहले ही इनके पिता अब्दल माजिद की कैंसर से मौत हो गई थी वहीं दूसरी ओर मात्र 12 साल की उम्र में ही इनकी के बड़े भाई भी कैंसर की वजह से चल बसे थे इन दोनों ही हादसों के दौरान सद्दाम हुसैन अपनी मां सुबह तुलफा अल मुसल्लत के पेट में थे अपने हालात से परेशान होकर इनकी मां ने अबॉर्शन करके सुसाइड करने की कोशिश की लेकिन यह इस कोशिश में सक्सेसफुल नहीं रही वही जब सद्दाम का जन्म हुआ तो इनके दिमाग से सुसाइड के सभी थॉट्स निकल गए और इनका मन बदल गया हालांकि अभी भी खराब फाइनेंशियल कंडीशन के कारण यह अपने बच्चे को लंबे समय तक अपने पास रख नहीं पाई जिस कारण उन्होंने सद्दाम को के मामा खैर अल्ला तलफ को सौंप दिया इनके मामा एक रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर थे और तिकरित में इराकी नेशनलिस्ट पार्टी के लिए काम करते थे लेकिन कुछ सालों बाद ही सद्दाम के मामा को इराक की प्रो ब्रिटिश गवर्नमेंट को कू करके ओवरथ्रो करने के आरोप में अरेस्ट कर जेल में डाल दिया गया इसी कारण सद्दाम को वापस अपनी मां के पास जाना पड़ा इन सब घटनाओं के बीच सद्दाम की मां ने दूसरी शादी इब्राहिम अल हसन से कर ली और इनके तीन बच्चे भी हुए अपनी मां के पास रहते वक्त सद्दाम के सौतेले पिता ने सद्दाम को काफी टॉर्चर भी किया जिसकी वजह से सद्दाम बचपन से ही एक अड़ियल और गुस्सेल प्रवृति का व्यक्ति बनने लगा था 10 साल की उम्र में सद्दाम को पता चला कि उसके मामा खैर अल्ला तलफ को जेल से रिहा कर दिया गया है जिसके बाद सद्दाम अपने सौतेले बाप से परेशान होकर तिकरित वापस चला गया जहां उसने नेशनलिस्टिक हाई स्कूल में पढ़ाई की उम्र के साथ-साथ सद्दाम का अग्रेशन और उसकी रेवोल्यूशन सोच काफी बढ़ती चली गई वहीं बड़े होने के साथ ही सद्दाम ने अरब सोशलिस्ट पार्टी को सपोर्ट करना शुरू कर दिया जिस कारण 1957 में सिर्फ 20 साल की उम्र में सद्दाम को इराकी लॉ स्कूल से बाहर निकाल दिया गया बात पार्टी उस समय इराक की मोस्ट रेडिकल नेशनलिस्ट पार्टी थी जिसका गोल एंटायस करके एक सिंगल अरब स्टेट बनाने का था स्कूल से निकाले जाने के बाद भी सद्दाम के मामा ने उसका साथ दिया और सद्दाम के पॉलिटिकल इंटरेस्ट को एक उड़ान दी देखा जाए तो सद्दाम का पॉलिटिक्स में आना और पूरे इराक पर राज करना इन सब का कारण सद्दाम के मामा ही थे हालांकि आगे चलकर मामा भांजे का य रिश्ता काफी खराब हो गया और पावर में आने के बाद सद्दाम हुसैन ने अपने मामा खैर अल्ला तलफ को अपने खिलाफ साजिश रचने के आरोप में जेल भिजवा दिया जिसके बाद 1958 में सद्दाम ने अपने मामा की ही बेटी सजदा खैर अल्ला तलफ से शादी कर ली इस शादी से सद्दाम के पांच बच्चे हुए 1950 तक पूरे मिडिल ईस्ट में क्रांति की लहर छाई हुई थी इस क्रांति में इराक भी शामिल था इस समय इराक के सोशलिस्ट ने हाय रैंक पॉलिटिकल पर्सनेलिटीज और एलीट क्लास के खिलाफ लोगों को खड़ा करना शुरू कर दिया था इसी दौरान गमा अब्दुल नासिर इजिप्शियन रेवोल्यूशन और स्विस क्राइसिस के कारण मिडिल ईस्ट कंट्रीज के रेवोल्यूशन के लिए एक इंस्पिरेशन बन गए थे जिसमें सद्दाम हुसैन भी शामिल थे अब सद्दाम हुसैन के जीवन में एक नया मोड़ आने वाला था अरब सोशलिस्ट बात पार्टी ने नासिर के यूनाइटेड अरब रिपब्लिक के साथ जुड़ने का फैसला लिया लेकिन उन दिनों इराक पर प्राइम मिनिस्टर अब्दुल करीम कासिम का राज था उन्होंने 14th जुलाई 1958 को अपने साथी अब्दुल सलाम आरिफ के साथ मिलिट्री क करके इराक के राजा फैजल टू की सत्ता को ओवरथ्रो करके खुद प्राइम मिनिस्टर बन गए और आरिफ को कमांडर इन चीफ एंड डेप्युटी प्राइम मिनिस्टर बना दिया गया इस मिलिट्री क को 14 जुलाई रेवोल्यूशन के नाम से जाना गया लेकिन प्राइम मिनिस्टर कासिम ने बात पार्टी के इस फैसले को निरस्त कर दिया इसके बाद बात पार्टी में इस बात को लेकर मतभेद होने लगा जिसके बाद कासिम इराकी कम्युनिस्ट पार्टी से मिल गए जिसकी वजह से पार्टी के लोग कासिम के खिलाफ हो गए और इनके मर्डर का प्लान बनाने लगे लेकिन इस पार्टी में ज्यादातर लोग या तो पढ़े-लिखे प्रोफेशनल लोग थे या फिर स्टूडेंट्स थे जिसके कारण यह तय करना मुश्किल हो रहा था कि कासिम के एसिनेट के लिए किन लोगों को चुना जाए तभी सद्दाम ने ये काम अपने हाथों में ले लिया और असस के लिए ग्रुप को तैयार कर ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी कुछ दिनों बाद ही कासिम के मर्डर के लिए प्लान बनाया जा चुका था जिसके मुताबिक सेवंथ अक्टूबर 1959 को जब कासिम अल रशीद स्ट्रीट से गुजरता तो उस पर गोली चलाकर अटैक करना था सद्दाम ने प्लान को एग्जीक्यूट करने के लिए पूरी तैयारी की हुई थी लेकिन जब कासिम अल रशीद स्ट्रीट से गुजरा तो गोली तो चली पर कासिम बच गया सद्दाम ने कासिम को मारने के लिए जो गोली चलाई थी व कासिम के ड्राइवर को लग गई जिससे ड्राइवर की मौत हो गई और कासिम बच गया हालांकि गोलीबारी के बीच कासिम के शोल्डर और आम पर गोली लग गई थी पर वह भागने में सफल रहा वहीं दूसरी ओर अटैक के समय सद्दाम के पैर में भी गोली लग गई थी जिससे सद्दाम भी घायल हो गया था हालांकि सद्दाम के साथी मौके पर पहुंच गए और सद्दाम को फौरन वहां से ले गए इस अटैक के बाद एक तरफ जहां सद्दाम लोगों के लिए एक बड़ा रेवोल्यूशन था तो वही कासिम के लिए गुनहगार जिस कारण सद्दाम और उसके साथियों की खोज की जाने लगी असस प्लान में शामिल सद्दाम के सभी साथियों को पकड़कर एग्जीक्यूट कर दिया गया लेकिन सद्दाम देश से भागने में सफल हो गया वह पहले सीरिया और फिर इजिप्ट पहुंचकर वहीं रहने लगा इजिप्ट में सद्दाम ने 1962 से लेकर 1963 तक पहले कायरो लॉ स्कूल में अपनी पढ़ाई पूरी की जिसके बाद 8थ फरवरी 1963 को इराक में एक और मिलिट्री कु होता है और अब्दुल करीम कासिम को सत्ता से ओवरथ्रो करके अब्दुल सलाम आरिफ को प्रेसिडेंट और अहमद हसन हल बक्र को प्राइम मिनिस्टर बना दिया जाता है इस क को रामदान रेवोल्यूशन के नाम से जाना जाता है अब्दुल सलाम आरिफ के प्रेसिडेंट बनते ही सद्दाम हुसैन वापस इराक चला आता है और बगदाद लॉ कॉलेज में एडमिशन ले लेकर अपनी पढ़ाई को कंटिन्यू रखता है हालांकि इराक वापस लौटने के बाद सद्दाम ने एक और एसासिनेशन में पाट लिया जिसके बाद सद्दाम को फिर से वांटेड घोषित कर दिया गया पर इस बार सद्दाम भागने में असफल रहा और 1964 में फाइनली सलाखों के पीछे डाल दिया गया जेल जाने के बाद भी सद्दाम शांत नहीं बैठा व जेल में भी पार्टी पॉलिटिक्स में एक्टिव रहा यही नहीं जेल में सद्दाम अपना अधिकतर वक्त अपने पसंदीदा लीडर्स को पढ़ने में लगा था जिसमें हिटलर और स्टालिन जैसे तानाशाह शामिल थे जेल में करीब 2 साल बिताने के बाद सद्दाम जेल से भागने में सफल रहा और दोबारा से पार्टी के कामों में जुट गया सद्दाम के लगातार एफर्ट्स को देखते हुए इस बार बात पार्टी ने 1966 में सद्दाम को रीजनल कमांड का डेप्युटी सेक्रेटरी बना दिया डेप्युटी सेक्रेटरी बनते ही सितंबर 1966 को सद्दाम ने बात सिक्योरिटी सर्विस की शुरुआत की जिसका मेन मकसद सिर्फ अपने विरोधियों और अपोजिशन को सजा देना था इस वक्त पार्टी रक्षा के नाम पर सद्दाम ने ोने ्सअप आए जैसे नाखून उखाड़ना आंखों में सिगरेट डालना और उल्टा लटका कर मारना यह टॉर्चर इस हद तक किए जाते थे कि विरोधी यह सब सहते सहते ही मर जाते थे जुलाई 1968 में सद्दाम ने एक ब्लडलेस क में हिस्सा लिया जिसके कारण अब्दुल सलाम आरिफ को सत्ता से हटाकर अहमद हसन अल बक्र को सत्ता में बिठाया गया जो कि रिश्ते में सद्दाम के कजिन लगते थे अहमद हसन अल बक्र इराक के राष्ट्रपति बनते हैं और सद्दाम को को पार्टी का डेप्युटी चेयरमैन और वाइस प्रेसिडेंट घोषित कर दिया जाता है 1960 से लेकर 1970 के दशक में सद्दाम एक सक्सेसफुल नेता के तौर पर पूरे इराक में लोगों के बीच जाने गए इसी समय सद्दाम देश की कई अंदरूनी परेशानियों को भी ठीक करने में लगे रहे साथ ही पार्टी रेपुटेशन को बढ़ाने में भी काफी मेहनत की वहीं दूसरी ओर पूरे देश में कई मुद्दों को लेकर लोगों के बीच काफी तनाव का माहौल चल रहा था एक तरफ शिया की सुन्नी से अरब की कुर्द से नोमेड्स की एजेंट से और ट्राइबल चीफ की अर्बन मर्चेंट से लड़ाई चल रही थी जिसे रोकने के लिए और हालत को सुधारने के लिए सद्दाम हुसैन ने काफी कठोर कदम उठाए इसके साथ ही सद्दाम ने अपने देश को मजबूत करने की भी लगातार कोशिशें की 1 जून 1972 को सद्दाम ने इराकी ऑयल इंडस्ट्रीज को डेवलप करना शुरू किया और ठीक एक साल बाद ही 1973 के ऑयल क्राइसिस के कारण इंटरनेशनल मार्केट में ऑयल की कीमत बढ़ गई और इराक की इकोनॉमी को इसका काफी फायदा पहुंचा जिसके कारण इराक मिडिल ईस्ट में मौजूद सबसे ताकतवर देश के तौर पर उभरने लगा सद्दाम हुसैन ने अपने देश को डेवलप करने के लिए कई पॉलिसीज बनाई जिसमें इराकी लोगों के लिए मुफ्त पढ़ाई इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट इराकी सोल्जर्स और उनके फैमिली को हर तरह से सपोर्ट किया जाने लगा इन सबके अलावा सद्दाम ने एग्रीकल्चर सेक्टर और हॉस्पिटल्स पर भी ध्यान दिया जिस कारण इन दोनों ही सेक्टर को अच्छा बूस्ट मिला इराक में लगातार डेवलपमेंट करने के कारण उस समय यूनेस्को ने सद्दाम हुसैन को अवार्ड से भी समा सम्मानित किया था वहीं 1970 से लेकर 1980 तक इराक में मौजूद ऑयल इंडस्ट्रीज के रेवेन्यू एंड डेवलपमेंट के कारण से इराक को काफी फायदा हो रहा था डेवलपमेंट को देखते हुए इराक के लोगों का भी अपनी सरकार पर भरोसा बढ़ने लगा था लोग सद्दाम के किए गए कामों को सरा रहे थे लेकिन उन्हें इस बात की खबर नहीं थी कि इस ऑयल इंडस्ट्री से जनरेट होने वाले रेवेन्यू को सद्दाम वेपंस एंड आर्मी पर खर्च कर रहा था एक तरफ सद्दाम इराक को डेवलप कर रहा था तो वहीं दूसरी ओर लाखों लोगों को मौत के घाट उतार रहा था देखा जाए तो इसने एक नहीं कई जेनोसाइड अटेम्प्ट्स किए जिस कारण लोग आज भी इसे हिटलर से कंपेयर करते हैं आपको जानकर हैरानी होगी कि सद्दाम ने ना केवल जुर्म करने वालों को बल्कि अपने खिलाफ खड़े हर इंसान को चुनचुन कर मरवाना शुरू कर दिया था 27th जनवरी 1969 को इराक अथॉरिटीज ने 14 इराकी को ईरान का स्पाय बताकर फांसी पर चढ़ा दिया फांसी पर चढ़ाए गए 14 लोगों में नौ जूस तीन मुस्लिम्स और दो क्रिश्चियंस थे सद्दाम इस फैसले के पीछे इराक की मेजर पॉपुलेशन का सपोर्ट लेना था जो उन्हें आगे चलकर मिला भी 1982 में सद्दाम हुसैन ने इराक के शाई टाउन ऑफ डु जल के करीब 160 लोगों को मरवा दिया था उसे लगता था कि इन लोगों ने ही उस पर एसिनेट अटेम्प्ट्स किए हैं ये सभी क्राइम तो फिर भी सद्दाम के बाकी क्राइम्स के आगे छोटे थे क्योंकि सद्दाम ने कुर्द लोगों के साथ जो किया वो वाकई दिल दहला देने वाला था सद्दाम ने 1986 से लेकर 1989 तक नॉर्थ इराक में कुर्द लोगों के खिलाफ एक जनोसाइडल कैंपेन में करीब 182000 कुर्द लोगों को या तो पॉइजन गैस देखकर मरवा दिया या गायब करवा दिया साथ ही करीब 3 लाख कुर्स को ईरान डिपोर्ट करवा दिया गया इसके साथ ही ईरान इराक वॉर के समय जब इराकी बेस कुर्दिस्तान डेमोक्रेटिक पार्टी ने ईरान के साथ एलाइज बना ली थी तो सद्दाम ने क्लान और उसके लीडर मसूद बर्जानी को पनिश करने की साजिश रची जिसमें करीब 5000 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया मरने वाले में कई बच्चे 10 साल के भी नहीं थे लेकिन सद्दाम को इन सब से कोई फर्क नहीं पड़ा सद्दाम के किए गए डेवलपमेंट्स के कारण अब पूरे देश की जनता अहमद हसन अल बक्र के नाम की माला जपने की जगह सद्दाम हुसैन के नाम की माला जप रही थी और इस वजह से अल बक्र को सद्दाम से परेशानी होने लगी जिस कारण उसने जनता की नजरों में सद्दाम हुसैन को नीचे गिराने के लिए सीरिया से हाथ मिला लिया लेकिन सद्दाम हुसैन ने यह चाल उल्टी कर दी और अल बक्र को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी जिसके बाद 16th जुलाई 1979 को सद्दाम हुसैन इराक के प्रेसिडेंट बन जाते हैं और इराक सद्दाम हुसैन की मुट्ठी में आ जाता है राष्ट्रपति बनने के एक हफ्ते के अंदर ही सद्दाम ने बात पार्टी की एक कॉन्फ्रेंस रखी जहां उसने क्रूरता का सबसे पहला उदाहरण पब्लिक के सामने पेश किया इस कॉन्फ्रेंस को अटेंड करने आए 250 पार्टी मेंबर्स में से 68 अपोनेंट्स को गद्दार बताकर पार्टी से बाहर निकलवा दिया और 22 लोगों को मरवा दिया गया अगस्त 1979 तक सद्दाम ने अपने सभी विरोधियों को या तो जान से मरवा दिया या फिर उन्हें जेल में डलवा दिया सद्दाम के इस तरह के फैसलों को देखकर जो जनता उसे हीरो समझ रही थी अब वही लोग इसे जल्लाद समझने लगे लगातार सद्दाम के ब्रूटल स्टेप्स के कारण उसे अपनी सिक्योरिटी का भी खास ख्याल रखना पड़ा सद्दाम की सिक्योरिटी के लिए एक से बढ़कर एक इंतजाम किए गए कई रूल्स बनाए गए जिनमें एक रूल ऐसा भी था कि सद्दाम का जनरल जब भी उससे मिलने के लिए आता तो सबसे पहले जनरल की फुल प्रूफ चेकिंग होती जिसमें उस के कपड़े उतरवाकर चेक किए जाते और फिर उन्हीं कपड़ों को वॉश करने के बाद जनरल को सद्दाम से मिलने की परमिशन दी जाती यही नहीं सद्दाम के खाने पीने का भी खास ख्याल रखा जाता था सद्दाम को डर था कि कहीं कोई उसके खाने में पॉइजन ना मिला दे इस कारण सद्दाम के खाना खाने से पहले शेफ का बेटा खाने को चखा करता था यही नहीं सद्दाम की सिक्योरिटी इतनी जबरदस्त थी कि सद्दाम के रहने के लिए एक नहीं बल्कि कई पैलेस बनाए गए जिनमें सद्दाम के बॉडी डबल्स रहा करते थे इन बॉडी डबल्स को भी सद्दाम की तरह ही स्पेशल ट्रीटमेंट दिया जाता था जिससे कोई पता ना लगा सके कि असल में असली सद्दाम कौन है 1979 वह वक्त था जब खाड़ी देशों में आपसी युद्ध की स्थिति बन गई थी इन्हीं दिनों ईरान में हो रहे इस्लामिक रेवोल्यूशन की वजह से 25 साल से राज कर रहे वहां के राजा मोहम्मद रिजा पहलवी को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी और आयतुल्लाह रोहला खुमैनी की लीडरशिप में ईरान इस्लामिक रिपब्लिक बन गया ईरान में में हुए इस इस्लामिक रेवोल्यूशन के कारण ईरान के पड़ोसी देश जैसे कुवैत सऊदी अरेबिया और इराक डर गए क्योंकि ईरान में शिया कम्युनिटी के लोग ज्यादा थे जिनकी तादाद बाकी की अरब कंट्रीज में कम थी इन कंट्रीज को ऐसा लगने लगा था कि इस रेवोल्यूशन के कारण उनके देश की शिया कम्युनिटी कहीं भड़क ना जाए और उनकी सत्ता खतरे में ना आ जाए ऐसे में सद्दाम को कई देशों ने प्रोवोक किया जिसमें सबसे आगे कुवैत और सऊदी अरेबिया खड़े थे सद्दाम हुसैन को भी ऐसा लगने लगा था कि शायद वह ईरान पर हमला करके 1975 में एलजीएस एग्रीमेंट के कारण खोई हुई अपनी जमीन को वापस अपने कब्जे में कर सकता है इसी सोच के साथ सद्दाम हुसैन ने कुवैत और सऊदी के सपोर्ट से ईरान पर हमला कर दिया वॉर के शुरू होने के कुछ दिन पहले ही सद्दाम ने अपने देश की शिया कम्युनिटी के बड़े मिनिस्टर्स को मरवा दिया था जिनसे उन्हें इस इस्लामिक रेवोल्यूशन में खतरा था सद्दाम ने सोचा था कि अभी अभी हुए इस्लामिक रेवोल्यूशन से ईरान इतना मजबूत नहीं होगा कि वह इराकी सेना का मुकाबला कर सके और इस वजह से इराक युद्ध आसानी से जीत जाएगा इसके अलावा उन दिनों इराक विश्व की चौथी सबसे बड़ी सेना थी शायद इसी वजह से सद्दाम हुसैन ने इराक में अपनी आसान जीत की उम्मीद लगा ली थी लेकिन हुआ इसका उल्टा आयतुल्लाह रूह अल्ला खुमैनी के कहने पर ईरान का हर एक व्यक्ति इस युद्ध में भाग लेने सड़कों पर उतर पड़ा जिस युद्ध को सद्दाम ने कुछ हफ्तों की लड़ाई समझा था वो अब खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी ईरान इराक की ये लड़ाई लगभग आठ सालों तक चली जिसमें इराक को ईरान की 1 इंच जमीन भी नहीं मिली बल्कि इराक पर करोड़ों का कर्जा हो गया दरअसल जब इराक ने इस युद्ध की शुरुआत की थी तब सऊदी और कुवैत ने खुले हाथों से इराक को कर्ज के रूप में मदद पहुंचाई थी कर्ज लेते समय इराक ने यही सोचा था कि एक बार ईरान पर वॉर जीतने के बाद उनके पास पैसों की कोई कमी नहीं होगी लेकिन जो हुआ उसने इराक में एक नई इकोनॉमिक क्राइसिस को जन्म दे दिया जिसके बाद इराक को समझ आ गया कि वॉर को कंटिन्यू रखना उनके लिए पॉसिबल नहीं है जिसके बाद इराक ने वॉर से अपने कदम पीछे ले लिए और इराक ने जो वॉर सितंबर 2 1980 को शुरू किया था वो फाइनली 20th अगस्त 1988 को पूरे 7 साल 11 महीनों के बाद सीज फायर के साथ खत्म हुआ सद्दाम हुसैन इस वॉर को इसलिए भी नहीं जीत पाया क्योंकि ईरान के पास फोर्सेस के अलावा उस समय उनके लोग भी खड़े थे जो इराक से किसी भी हाल में हार नहीं मान रहे थे इस वॉर में अमेरिका भी इराक को वेपंस प्रोवाइड करने में मदद कर रहा था वहीं कुवैत और सऊदी अरेबिया इराक की जीत के लिए फाइनेंशियलीईएक्सप्रेस [संगीत] 10000 के आसपास लोग मारे गए और जो बचे वह जिंदगी भर के लिए अपाहिज हो गए सद्दाम के इस तरह के व्यवहार के कारण जब यूएन ने सद्दाम से सवाल जवाब किए तो अपनी सफाई में सद्दाम ने साफ कर दिया कि मारे गए सभी लोग इराक के खिलाफ ईरान के लिए जासूसी कर रहे थे जिस कारण उन्हें ऐसा कदम उठाना पड़ा सद्दाम के स्टेटमेंट से ईरान और इराक के बीच बात और भी बिगड़ती गई ईरान के साथ वॉर खत्म होने के बाद इराक पर भारी कर्जा था इराक में लोगों के पास ना खाने के लिए खाना था ना मेडिकल सुविधाएं थी और ना ही उनके पास रहने के लिए घर बचा था वॉर के एंड तक इराक में आर्थिक संकट अपनी चरम सीमा पर पहुंच गया था 8 साल के इस युद्ध के दौरान इराक की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई थी और उन्हें अपने देश को वापस से ट्रैक पर लाना था जिसके लिए इराक ने अपने सभी पड़ोसी देशों से कर्जा माफी की गुहार की थी साथ ही सद्दाम हुसैन ने कुवैत और सऊदी जैसे देशों से अपील की कि वो लोग कच्चे तेल को एक निश्चित मात्रा में प्रोड्यूस करें जिससे कि इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल की कीमत बढ़े और इस तरह इराक दोबारा से अपनी इकोनॉमी को फिर से पटरी पर ला सके इसके साथ ही इराक ने कुवैत को खासकर कहा कि उनके सीमावर्ती इलाकों में कुवैत इराक के तेल के कुओं से ऑइल प्रोड्यूस करना बंद कर दे लेकिन कुवैत ने जब इराक की बात नहीं मानी तो सद्दाम हुसैन काफी नाराज हो गए और उन्होंने इराकी नेशनल टीवी पर कहा कि अगर कुवैती लोग उनकी बातें नहीं मानेंगे तो इराक को अपनी स्थिति सुधारने के लिए जरूरी कदम उठाने पड़ेंगे वहीं इराक का कुवैत की तरफ बदलता रवैया कुवैत को रास नहीं आया जिस कारण कुवैत ने इराक पर उसका सारा उधार चुकाने के लिए प्रेशर बनाना शुरू कर दिया वॉर के कारण इराक की हालत अच्छी नहीं थी जिस कारण वह कुवैत का कर्ज नहीं चुका पा रहा था हालांकि बात को पटरी पर लाने के लिए जब सद्दाम ने कुवैत से कर्जा लौटाने के लिए थोड़ा समय मांगा तो कुवैत ने समय देने से साफ इंकार कर दिया यही नहीं कुवैत ने इराक पर और प्रेशर बनाने के लिए इराक के सीमावर्ती कुछ ऑयल रिजर्व्स पर कब्जा करना शुरू कर दिया कुवैत का साफ कहना था कि या तो पैसा लौटा दो या अपने ऑयल रिजर्व से हाथ धो बैठो कुवैत के लगातार ऑयल रिजर्व्स पर कब्जे के कारण सद्दाम ने बातचीत से सब ठीक करने की कोशिश की लेकिन इससे भी कोई फायदा नहीं हुआ जिसके बाद फाइनली सद्दाम ने स्ट्रिक्ट कदम उठाते हुए सेकंड अगस्त 1990 को कुवैत पर हमला कर दिया इन सभी रीजंस के अलावा भी सद्दाम हुसैन का कुवैत पर हमला करने के कई कारण थे जैसे इराक लगातार इस बात का दावा करता था कि कु उसकी टेरिटरी है चूंकि दोनों ही देश ओटोमन एंपायर के टाइम से बासर प्रोविंसेस में आते थे पर कुवैत इराक की इस बात से सहमत नहीं था कुवैत की रूलिंग डायनेस्टी अलसबा फैमिली ने 18990 एग्रीमेंट को फाइनलाइज किया था जिसके हिसाब से कुवैत के फॉरेन अफेयर्स की जिम्मेदारी यूनाइटेड किंगडम को दे दी गई थी जिसके बाद यूके ने 1922 में कुवैत और इराक के बीच एक बाउंड्री बना दी जिससे इराक कंप्लीट लैंडलॉक्ड हो गया इस बाउंड्री के बाद भी इराक हमेशा से कुवैत पर अपना दावा करता था इसके अलावा कुवैत के पास भारी मात्रा में ऑयल रिजर्व्स थे जिन पर सद्दाम की काफी पहले से नजर थी उसे लगता था कि अगर उसने कुवैत को जीत लिया तो सारे ऑयल रिजर्व्स उसके हो जाएंगे और वह फिर आराम से उन रिजर्व्स की मदद से ज्यादा रेवेन्यू जनरेट करके अपने सारे डेट को चुका देगा इसके बाद इराकी सेना कुवैत की तरफ बढ़े देखते ही देखते इराकी सैनिक अपने 300 टैंक्स और 1 लाख सैनिकों के साथ कुवैत में लाशें बिछाने लगे 1 लाख से अधिक इराकी सैनिक के सामने कुवैती आर्मी ने ना के बराबर रेजिस्टेंस दिखाई और सरेंडर कर दिया इराकी सैनिकों को सद्दाम की ओर से आदेश था कि वह सीधे कुवैत सिटी को कैप्चर करें और वहां की रॉयल फैमिली को बंदी बना ले लेकिन इसके पहले कि इराकी सैनिक वहां पहुंचते कुवत की रॉयल फैमिली और उनके मिनिस्टर्स सऊदी अरब में भागकर शरण ले चुके थे इराकी आर्मी के हाथों में रॉयल फैमिली तो नहीं आई लेकिन कुवैत के अमीर किंग जबर अल अहमद अल जबर अल सभा के छोटे भाई फहद अल अहमद अल जबर सभा अपने कुछ आर्मी मैन के साथ इस इनवेजन में मारे गए देखते ही देखते रा की आर्मी ने पूरे कुवैत को अपने कंट्रोल में ले लिया और सद्दाम हुसैन ने अपने चचेरे भाई अली हसन अल मजद को कुवैत का गवर्नर बना दिया कुवैत पर जबरदस्ती कब्जा करना अमेरिकन प्रेसिडेंट जॉर्ज एच डब्ल्यू बुश यूके के प्राइम मिनिस्टर मार्गरेट थैचर और सऊदी अरेबिया समेत कई गल्फ कंट्रीज को पसंद नहीं आया जिस कारण इन सभी ने मिलकर 35 देशों की एक कोलिशन फोर्स को तैयार किया और इराक के खिलाफ युद्ध घोष घोषित कर दिया इस कोलिशन फोर्स को अमेरिका लीड कर रहा था 6th अगस्त 1990 को यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल रेजोल्यूशन 661 पास करता है और इराक के साथ सभी ट्रेड को बैन कर देता है इसके साथ ही यूएन ने अपने सभी मेंबर कंट्रीज से कुवैत की एसेट्स एंड लेजिटिमेसी इससे इराक को कुछ खास फर्क नहीं पड़ता जिसके रिस्पांस में अमेरिका ने 7थ अगस्त 1990 को ऑपरेशन डेजर्ट शील्ड लॉन्च कर अमेरिकन आर्मी नेटो और अरब कंट्रीज के हजारों सैनिक सऊदी अरेबिया पहुंचकर मिलिट्री बिल्ड अप करना शुरू कर देते हैं देखते ही देखते सऊदी में 1 लाख सैनिक पहुंच जाते हैं इस दौरान भी ज्यादा कुछ नहीं बदलता है और इराक कुवैत से विड्रॉ नहीं करता है 177th जनवरी 1991 को कोलिशन फोर्सेस की ओर से ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म लॉन्च किया जाता है और एयर बमिंग करके इराक की सभी बड़ी सिटीज बिजनेस सेंटर्स सड़कें ब्रिजे सबको बर्बाद कर देता है इस हमले के दौरान इराक के हजारों मासूमों की जान चली गई और इराक की बची हुई इकोनॉमी पूरी तरह से तहस-नहस हो जाती है 177th जनवरी 1991 से लेकर 28 फरवरी 1991 तक चले इस ऑपरेशन में इराक पूरी तरह बर्बाद हो गया और कुवैत से विड्रॉ करने के लिए राजी हो गया हालांकि यह विड्रॉल अब इराक के लिए काफी मुश्किलें लेकर आने वाला था कुवैत से निकलते हुए इराकी सैनिकों ने कुवैत के 950 से ज्यादा तेल के कुव में आग लगा दी और उनके सैकड़ों ऑयल स्टोरेज यूनिट्स को भी बर्बाद कर दिया इस युद्ध के बाद कई देशों ने इराक से अपने सारे रिलेशंस खत्म कर लिए और इराक घुटनों के बल गिर गया कुवैत पर अटैक करना इराक को काफी भारी पड़ा इराक फिर से दोबारा युद्ध ना करे इसके लिए अमेरिका ने इराक के सारे बेसेस वेपंस और वॉर रिसोर्सेस को जलाकर खत्म कर दिया यहां के एटम रिसर्च सेंटर को भी उड़ा दिया गया कुल मिलाकर करीब 2 63000 इराकी सोल्जर्स इस वॉर के चलते बैड अफेक्ट हुए सोल्जर्स के अलावा सिविल को भी इस वॉर ने काफी इफेक्ट किया कई लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी कई जिंदगी भर के लिए अपाहिज हो गए तो वहीं कई लोगों को प्रिजनर्स ऑफ वॉर के तौर पर बंदी बना लिया गया इस वॉर में करीब 11 मिलियन बैरल ऑयल गल्फ में स्प्लिट हो गया जिस कारण मरीन लाइफ और वाइल्ड लाइफ को काफी नुकसान झेलना पड़ा करीब 80 ऑयल टैंकर्स और शिप्स भी गल्फ के समंदर में डूब गए जिससे गल्फ इकोसिस्टम में भारी पोल्यूशन फैल गया साथ ही इराक ने पीछे हटते समय कुवैत के करीब 600 ऑयल वेल्स में आग लगा दी जिससे ग्लोबली एनवायरमेंट को काफी नुकसान पहुंचा हालांकि फिर भी सद्दाम इराक के तानाशाह बने रहे और इराक को दोबारा से खड़ा करने की कोशिश में लगे रहे कुछ समय बाद अमेरिकन प्रेसिडेंट जॉर्ज डब्ल्यू बुश सद्दाम हुसैन के ऊपर वेपंस ऑफ मास डिस्ट्रक्शन का इल्जाम लगाकर इराक को इवेडर हैं इस फैसले से इराकी जनता भी काफी खुश थी क्योंकि कहीं ना कहीं यह लोग भी सद्दाम हुसैन की तानाशाही से से परेशान हो चुके थे इस बीच सद्दाम हुसैन दुनिया की नजरों से छुपकर अंडरग्राउंड हो गया लाख कोशिशों के बाद भी सद्दाम अब तक यूएस आर्मी के हाथ नहीं लगा था जिस कारण इराक के अद दवार टाउन में आखिरी कोशिश करने के बाद अमेरिकन आर्मी ने इराक से रवाना होने का प्लान बना लिया था जिसके लिए हेलीकॉप्टर सारे सोल्जर्स को वहां से ले जाने आया लेकिन तभी यूएस के एक सैनिक ने कुछ महसूस किया उसे लगा कि जिस फर्श पर वो और बाकी के सोल्जर्स खड़े हैं वो फर्श अंदर से शायद खोखली है और उस का यह शक यकीन में तब बदल गया जब उसने जमीन पर पड़ी लकड़ियों के टुकड़ों को लात मारकर एक छोटे से छेद को देखा तो उसने पाया कि वह एक बंकर के ऊपर खड़ा है जिसमें सद्दाम जैसी शक्ल का एक आदमी हाथ में बंदूक लेकर खड़ा है और उसका निशाना बाहर की ओर है यह देखकर तुरंत ही उस सैनिक ने अपने बाकी के सोल्जर्स को खबर दी जिसके बाद सभी सोल्जर्स ने इकट्ठा होकर उस बंकर को खोला बंकर खोलकर जब सबने अंदर देखा तो उसे सद्दाम हुसैन काफी खराब हालत में खड़ा दिखाई दिया अमरकी सोल्जर्स ने सद्दाम को बाहर निकाला एक वक्त पर काफी वेल ड्रेस्ड और शाही तरीके से रहने वाला सद्दाम किसी लावारिस की तरह दिख रहा था उसने महीनों से शेव नहीं की थी और काफी कमजोर और थका हुआ भी था सद्दाम को गिरफ्तार कर सीधे यूएस बेस में ट्रांसफर कर दिया गया जहां वो 30th जून 2004 तक रहा इसके बाद सद्दाम को ट्रायल्स के लिए ऑफिशियल इंटरम इराकी गवर्नमेंट को सौप दिया गया जिसके बाद सद्दाम पर लगातार हियरिंग्स हुई और फाइनली सद्दाम को सजा सुनाई गई कई इल्जाम को ध्यान में रखते हुए सद्दाम को कोर्ट ने सेंटेंस टू डेथ की सजा सुनाई और 30th दिसंबर 2006 को सद्दाम हुसैन को फांसी पर लटका दिया गया इस तरह 25 सालों तक इराक पर राज करने वाले तानाशाह का अंत हुआ हालांकि फांसी को लेकर दुनिया भर के लोगों की अलग-अलग राय थी कोई सद्दाम को एक हीरो तो कोई विलन के तौर पर देखता था किसी के लिए सद्दाम का दुनिया से जाना एक खुशखबरी थी तो कोई सद्दाम के ना रहने का मातम मना रहा था वैसे इराक की जनता की राय ली जाए तो उनके हिसाब से 1970 के टाइम पर सद्दाम हुसैन ने जो कुछ भी इराक और उसकी जनता के लिए किया वह यादगार है सद्दाम ने इस समय इराक के डेवलपमेंट के लिए काफी मेहनत की जिस कारण 1970 का समय इराक के लिए एक गोल्डन पीरियड था लेकिन इसके बाद सद्दाम का जो रूप देखने को मिला वह खतरनाक था कुल मिलाकर सद्दाम हुसैन को पावर की भूख ने गलत बना दिया था वर्ना इराक के लोगों के अनुसार सद्दाम हुसैन कई मामलों में बाकी के आए हुए सभी राष्ट्रपति से बह था

Share your thoughts