ऐसे 19 श्लोक हैं गोपी गीत के भागवत में और अगर यह 19 श्लोक में पूरे गा दूं तो पंडाल में से 50 प्रतित सो जाएंगे क्यों क्योंकि यह गोपी गीत गोपियों के गीत नहीं है ब्रह की दशा है जो हृदय से निकल रही है और जब ब्रह की दशा हृदय से निकलती है तो आपने देखा होगा कि जब कोई व्यक्ति दुखी होता है और अपने मन की बात जैसे जैसे सामने वाले से कहता चलता है वैसे वैसे उसके मन में शांति आती जाती है यह शांति वाला प्रकरण है भागवत में तो वर्णन नहीं है पर रास पंचा अध्याय में वर्णन है कि परमात्मा एक गोपी को लेकर अंतरध्यान हुए थे और वह एक गोपी कोई और नहीं परमात्मा से विशेष प्रेम करने वाली राधा [संगीत] [प्रशंसा] है राधा है अच्छा राधा को लेकर भगवान अंतरध्यान हुए भागवत में राधा का नाम नहीं [संगीत] है और लोग तो पता नहीं राधा को ब नाम करने में लगे [संगीत] हैं राधा जैसा प्रेम किसी का नहीं आज तक देखने को मिला आज जो गाने बनाए जाते हैं जिसमें राधा कृष्ण के प्रेम को इस प्रकार दर्शाया जाता यह प्रेम नहीं था प्रेम तो वो था कैसा प्रेम है मालूम है सीता जी ने हनुमान जी से हनुमान जी ने सीता जी से कहा था कि प्रभु का संदेश तत्व प्रेम कर मम और तोरा जानत प्रिया एक मन मोरा यह वाला प्रेम राधा का कृष्ण का प्रेम है आज का प्रेम शरीर तक संबंधित है सीमित है आत्मा का आत्मा से प्रेम नहीं है पर राधा कृष्ण एक ही आत्मा के दो शरीर हैं राधा रानी को लेकर प्रभु अंतर ध्यान हो गए आगे चले जा रहे हैं राधा रानी धीरे से बोली लाल [संगीत] [प्रशंसा] जू राधा रानी बोली लाल जू भगवान बोले का चाहो राधे तुम लाल [संगीत] जू अब तो मेरी मेरे पांव दूख लग [संगीत] गए भगवान ने की राधा तू का चाहे हंसकर बोली कि मुझे अपने कंधों पर बिठा लो देखिए भगवान की लीला बड़ी प्यारी है और वाह मेरे ठाकुर जी राधा रानी के चरण दुखे तो राधा के आगे बैठ गए राधा तू मेरे कंदन पर बैठ जा और राधा रानी को कंधों पर बिठाकर प्रभु आगे बढ़ गए और जब प्रभु आगे चले हैं ना तो एक पेड़ की डाली दिखाई दी राधा ने मन में विचार किया कि इस पेड़ की डाली को मैं पकड़ लूंगी तो कन्हैया आगे बढ़ जाएंगे और मैं पेड़ पर लटकी रह जाऊंगी भैया [संगीत] यह ग्राउंड और बढ़ाओ थोड़ा सा पेड़ पर लटकी रह जाऊंगी राधा रानी ने उस डाली को पकड़ा और जैसे ही डाली को पकड़ा है परमात्मा का नियम है कि अगर कोई मेरे ऊपर आश्रित है और मेरे ऊपर आश्रित होकर किसी अन्य का सहारा ले ले तो मैं उसे छोड़ देता हूं राधा रानी ने डाली पकड़ी और प्रभु अंतर ध्यान हो [संगीत] गए सारी गोपियां जंगल में जब ढूंढने कृष्ण को गई तो राधा रानी भी मिल गई पर कृष्ण नहीं मिले सब गोपियां रोने लगी एक गोपी बोली मैंने सुना है कि लीला करते हैं तो वो चला आता है एक गोपी कृष्ण बन गई इतना सा बड़ा पत्थर हाथ पर उठा लिया आओ ब्रजवासी मेरी शरण में आ [प्रशंसा] जाओ चार गोपी गाय बन गई एक गोपी डंडा तोड़कर मुंह पर लगाकर मैं कृष्ण गौ चारण एक गोपी वस्त्र लेकर पेड़ पर चढ़ गई मैं वस्त्र नहीं दूंगा चीर हरण लीला हो रही है सारी लीलाएं हुई परंतु परमात्मा नहीं [संगीत] आया एक गोपी बोली मैंने मैंने