[संगीत] अस प्रभु दीन बंधु हरि कारण रहित दयाल तुलसीदास सटते भजो छाण कपट जंजाल अहिल्या सुंदर परमात्मा गौतम ऋषि के साथ में पधार है प्रभु की कृपा से प्रेम से बोलो जय श्री राम जय श्री राम और गौतम ऋषि की पत्नी को गौतम के समर्पित करके प्रभु राघवेंद्र सरकार जो ही आगे बढ़े हैं राम जी के मन में छोभ है कि मुझसे अपराध हुआ है तो जानबूझकर विश्वामित्र जी गंगा जी ले गए और गंगा में राम जी ने स्नान किया और दान करके अपने प्रश्चित किया है और उसके बाद में