[संगीत] नमस्कार आप देख रहे हैं कैपिटल टीवी का खास शो महाराष्ट्र फायज आपके साथ मैं हूं परवीन शेख हम लेकर हाजिर हुए हैं महाराष्ट्र की पांच बड़ी खबरें जिनका आपसे है सरोकार आपको बताएंगे कैसे मौलानाओं को उम्मीदवार बनाने पर फंसे उद्धव कैसे कांग्रेस ने मुंबई में बढ़ाई ठाकरे की टेंशन पवार ने कैसे राहुल को लगाया ठिकाने पीएम मोदी को लेकर क्या बोले पूर्व सीएम जिस पर मचा है बवाल और कैसे अजीत पवार को सता रही है चाचा शरद पवार की याद इसके अलावा जानेंगे कौन किसे दे रहा है चुनौती और कौन किसकी बढ़ा रहा है टेंशन साथ ही आपको इन सभी खबरों से कराएंगे रूबरू लेकिन तमाम बड़ी खबरों में आगे बढ़ने से पहले एक नजर डालते हैं महाराष्ट्र की टॉप हेडलाइंस महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में उद्धव मुस्लिम उम्मीदवारों पर लगा सकते हैं दाव शिंदी गुट ने कहा शिवसेना यूबीडी का हो चुका है कांग्रेसी करण चुनावों से पहले मुंबई में कांग्रेस नेताओं की सक्रियता से डरे पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे को सता रहा है सांगली पैटर्न काडर महाविकास आघाड़ा है सीट शेयरिंग का मुद्दा मुंबई विधानसभा सीटों को लेकर पवार उद्धव हुए एक कांग्रेस ने भी दिखाए तेवार शिवसेना के मुखपत्र सामना में उद्धव ठाकरे ने पीएम मोदी पर साधा निशाना बोले रूस यूक्रेन के लिए कबूतर उड़ा रहे हैं मणिपुर पर मुंह में दही जमी चुनावों से पहले डिप्टी सीएम कर सकते हैं खेला अजीत पंवार को सता रही है चाचा की याद एक बार फिर हो सकता है हृदय परिवर्तन बीजेपी हुई अलग खबरों में सबसे पहले बात बुरे फंसे उद्धव ठाकरे की उद्धव गुट की शिवसेना ने जब से बीजेपी से अपना नाता तोड़ा है तब से उसकी दिक्कतें राज्य में खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं आने वाले विधानसभा चुनाव में मुस्लिम उम्मीदवारों के उतारने की खबर के बीच सत्ता पर काबिज दलों ने उद्धव ठाकरे पर निशाना साधा है बीजेपी और शिंदे गुट ने उद्धव ठाकरे को घेर हुए कहा है कि उद्धव की शिवसेना का कांग्रेसी करण हो चुका है राज्य सरकार में मंत्री और बीजेपी के सीनियर नेता सुधीर मुनक टवार ने तंज कसते हुए कहा अगर ठाकरे मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारते हैं तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है ठाकरे पिछले 5 साल से कांग्रेस के कदमों पर चल रहे हैं ऐसे में मुस्लिम उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारना उनके लिए कोई नई बात नहीं है दरअसल गुरुवार को ये खबर सामने आई थी जिसमें कहा गया था कि आने वाले विधानसभा चुनावों के लिए उद्धव गुट ने मुस्लिम वोट बैंक को खुश कर करने के लिए एक रणनीति बनाई है जिसके तहत उद्धव गुट एक या दो मुस्लिम उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतार सकता है जिस पर शिंदे गुट के प्रवक्ता कृष्णा हेगड़े ने उद्धव गुट पर कहा है उन्हें एक दो नहीं बल्कि आधे से ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देना चाहिए अगर लोकसभा चुनाव में मुस्लिम उद्धव ठाकरे को वोट नहीं देते तो उनका एक भी उम्मीदवार नहीं जीत पाता मुस्लिमों से प्यार अब उनका धंधा बन गया है विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने कहा है कि हमारी पार्टी धर्म और जातिवाद में भेदभाव नहीं रखती है दानवे ने कहा कि सबका साथ और सबका विकास करने की बात कहने वाली बीजेपी मुस्लिम उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में क्यों नहीं उतारती उन्होंने कहा कि पहले बीजेपी से इस सवाल का जवाब पूछना चाहिए कि उन्होंने कितने मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे दानवे ने आगे कहा कि किस उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारना है इसका फैसला पार्टी के सीनियर नेता मेरिट के आधार पर करेंगे यानी यहां पर मुस्लिम उम्मीदवारों को अगर उद्धव ठाकरे मैदान में उतारते हैं तो यह साफ है कि इस बार उद्धव ठाकरे की दिक्कतें कई गुना बढ़ने वाली हैं खबरों में आगे का रुख करते हैं वैसे उद्धव ठाकरे की दिक्कतें बढ़ाने में कांग्रेस भी पीछे नहीं है महाविकास आघाड़ा कांग्रेस ने भी उद्धव की टेंशन बढ़ा रखी है महाविकास आघाड़ा मिल कांग्रेस और उद्धव ठाकरे के बीच मुंबई पर बादशाहत को लेकर प्रेशर गेम शुरू हो चुका है यहां तक कि पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के घर यानी बांदरा पूर्व विधानसभा क्षेत्र में सांगली पैटर्न की सुगबुगाहट भी तेज हो चुकी है इसी वजह से कांग्रेसी प्रवक्ता सचिन सावंत की क्षेत्र में सक्रियता बढ़ गई है महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की दोबारा मुख्यमंत्री बनने के मंसूबे किसी से छिपे नहीं हैं जिसके लिए वो दिल्ली तक का दौरा कर चुके हैं भले ही कांग्रेस और एनसीपी नेता शरद पंवार ने ज्यादा विधायक की शत लगाकर उनके मंसूबों पर पानी फेरने की कोशिश की है लेकिन उद्धव हार मानने को तैयार नहीं है उद्धव खासकर मुंबई की ज्यादातर सीटें अपने पास रखना चाहते हैं लेकिन उद्धव के गृह क्षेत्र में 2019 में कांग्रेस सी विधायक जीशान सिद्दीकी को मिली जीत को आधार बनाकर कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत और बांदरा पूर्व विधानसभा सीट से तैयारियों में जुटे हैं सचिन सावंत लगातार बांदरा ईस्ट में जाकर लोगों से मिल रहे हैं उनकी दिक्कतों को दूर कर रहे हैं इसी कड़ी में वह लंबित एसआरए प्रोजेक्ट और पीएपी के कारण बेघर हुए झोपड़ा धारकों की समस्या भी उठा रहे हैं वह अपनी सक्रियता से ऐसे संकेत दे रहे हैं कि वह हर कीमत पर यहीं से चुनाव लड़ेंगे जबकि सीट उद्धव ठाकरे अपने पास रखना चाहते हैं जिससे कांग्रेस और उद्धव के बीच तल्खी बढ़ चुकी है कांग्रेस के स्थानीय नेता अर्जुन सिंह भी इस बार बांदरा ईस्ट विधानसभा सीट से टिकट हासिल करने की जुगत लगा रहे हैं जिससे उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका लग सकता है खबरों में आगे बढ़ते हैं महाविकास आघाड़ा का जो मुद्दा है वह काफी पेचीदा हो गया है और टकराव तेज हो चुका है मुंबई की 36 विधानसभा सीटों को लेकर झगड़ा बढ़ता ही जा रहा है मुंबई की 36 सीटों में से उद्धव गुट 20 सीटों की कांग्रेस 18 सीटों की और शरद पंवार सात सीटों की मांग कर रहे हैं कांग्रेस मुंबई की 18 सीटों पर ज्यादा जोर दे रही है जिसमें धारावी चांदीवली मुंबा देवी मलाड पश्चिम सायन कोलीवाड़ा कोलाबा कांदीवली पूर्व और अंधेरी पश्चिम वरसोवा बांदरा पश्चिम घाटकोपर पश्चिम कुरला भाकला जोगेश्वरी पूर्व मालाबार हील और माहिम बोरीवली चार कोप शामिल है इसी बात को लेकर झगड़ा ड़ा बढ़ता जा रहा है खबरों की माने तो शरद पवार ने भी सात सीटें मांगकर बात को बिगाड़ दिया है और शरद पवार उद्धव ठाकरे के समर्थन में भी नजर आ रहे हैं जिससे सीट शेयरिंग को लेकर हुई बैठक में जमकर बवाल मचा कांग्रेस के नेता तो नाराज होकर बैठक छोड़कर बाहर निकल गए यानी सीट शेयरिंग पर विपक्षी गठबंधन में मारधार तेज हो चुकी है और सबसे ज्यादा दिक्कतें मुंबई विधानसभा सीटों को लेकर हो रही है 36 सीटें हैं लेकिन जिस तरह से सीटों की मांग ये दल कर रहे हैं तो इनकी संख्या जो है व 45 पहुंच रही है यानी यहां पर कांग्रेस भी 18 सीटों की मांग पर अड़ गई है और वह भी वही सीटें मांग रही है जो उद्धव ठाकरे जिस पर अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं जिससे उद्धव ठाकरे और कांग्रेस के बीच खींचतान ज्यादा देखने को मिल रही है और ऐसे में शरद पवार का उद्धव गुट के साथ जाना यह दर्शाता है कि कांग्रेस को ठिकाने लगाने की पूरी कोशिश की जा रही है खबरों में आगे बढ़ते हैं एक तरफ तो उद्धव सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस के निशाने पर आ गए हैं तो वहीं मुखपत्र सामना में वो पीएम मोदी पर निशाना साध रहे हैं सामना के 14 सितंबर के संपादकीय में लिखा गया है कि मोदी सरकार रूस यूक्रेन जंग रोकने के लिए कबूतर उड़ा रही है जबकि नॉर्थ ईस्ट के मणिपुर में हिंसा की आग फिर से भड़क उठी है वहां हिंसा पर मोदी सरकार के मुंह में दही जमी है सामना के मुताबिक छात्रों के आक्रोश को देखकर मणिपुर के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य मणिपुर छोड़कर सीधे असम की राजधानी गोवाहाटी पहुंच गए हैं पिछले डेढ़ साल से मयांमार बॉर्डर पर भी राज्य जातीय हिंसा से जूझ रहा है इस आग में अब तक 200 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है केंद्र सरकार ने मणिपुर की जनता को बीजेपी के सीएम वीरेंद्र सिंह और मणिपुर से भागकर असम पहुंचे राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य के हवाले कर दिया है शिवसेना के मुखपत्र में आगे कहा गया है पीएम मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जिम्मेदारी और जवाबदेही से बच नहीं सकते हैं बार-बार हिंसा की आग में जलने वाला मणिपुर केंद्र की मोदी सरकार की लापरवाही का पाप है शिवसेना के मुखपत्र के मुताबिक यह भी कहा जा रहा है कि रूस यूक्रेन जंग रोकने के लिए मोदी सरकार ने रूस को फोर पॉइंट फार्मूला दिया है लेकिन मणिपुर का क्या क्या आपके पास मणिपुर में शांति का कोई फार्मूला नहीं है अगर वह नहीं है तो आग लगा दें अपने फोर पॉइंट फार्मूले को पहले मणिपुर की आग को बुझाओ फिर अपने उस फार्मूले के फायर ब्रिगेड को रूस यूक्रेन ले जाओ अब सामना में लिखे इस लेख से राज्य का सियासी पारा गर्मा गया है बीजेपी ने कहा है कि इसका जवाब चुनावों में महाराष्ट्र की जनता देगी यानी जिस तरह से सामना में पीएम मोदी पर निशाना साधा गया है ऐसे में बीजेपी भी खामोश नहीं रहने वाली है खबरों के आखिर में बात अजीत पंवार की महाराष्ट्र की सियासत में डिप्टी सीएम अजीत पंवार इन दिनों दो वजहों से सुर्खियों में हैं पहली वजह यह है कि अपने गढ़ बारामती से अजीत पंवार चुनाव लड़ेंगे या नहीं यह बड़ा सवाल है हालांकि बारामती के एक मंच से लोगों को संबोधित करते हुए अजीत पवार ने कहा कि कई चुनाव लड़ चुका हूं और अब लड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं है अजीत के सियासी सुर्खियों में रहने की दूसरी वजह एनडीए में सीट शेयरिंग पर जारी सस्पेंस के बीच खुले मंच से उम्मीदवारों के नाम का ऐलान करना भी यहां पर एक बड़ी वजह है अजीत पवार अब तक महाराष्ट्र की दो सीटों पर उम्मीदवारों के नाम घोषित कर चुके हैं दिलचस्प बात यह कि दोनों ही सीटों पर शिंदे गुट की दावेदारी है बड़ा सवाल यही उठ रहा है कि महाराष्ट्र में एनडीए दलों के बीच सीट शेयरिंग पर बात नहीं बनी ऐसे में अजीत पंवार उम्मीदवारों के नाम का ऐलान क्यों कर रहे हैं वो भी तब जब उनकी तरफ से घोषित उम्मीदवार नरहरी वाल के नाम पर सियासी बवाल मचा है जानकारों का कहना है कि अजीत पवार उम्मीदवारों के नाम की घोषणा दो सियासी समीकरण एक साथ साधने की कोशिश में जुटे हैं पहला अजीत पंवार ने जिन सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है वह सभी सीटें एनसीपी की सीटिंग सीटें हैं अजीत उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर गठबंधन के सहयोगी दलों को यह संदेश दे रहे हैं कि सीटिंग सीट के साथ कोई समझौता नहीं होगा 2023 में एनसीपी की बगावत के वक्त 42 विधायक अजीत पंवार के साथ सरकार में शामिल हुए थे उम्मीदवारों के नाम की घोषणा करने की दूसरी वजह अजीत का सियासी संदेश देने की यह भी कोशिश है दरअसल एनसीपी को लेकर महाराष्ट्र के गलियारों में कई तरह की अटकलें एक साथ चल रही हैं जिनमें गठबंधन के भीतर उनकी स्थिति से लेकर सीट शेयरिंग में भूमिका तक शामिल है वहीं चाचा शरद पंवार को लेकर भी उनके जो बयान आ रहे हैं व टेंशन बढ़ा रहे हैं तो क्या एक बार फिर अजीत पंवार खेल कर सकते हैं वैसे इसको लेकर बीजेपी भी अलर्ट नजर आ रही है और अजीत पवार को लेकर भी बीजेपी ने अपना प्लान तैया तैयार कर रखा है लगातार अजीत पंवार पर बीजेपी नजर बनाए हुए हैं ऐसे में क्या आने वाले चुनावों से पहले अजीत पंवार खेला कर सकते हैं इस पर भी सस्पेंस बना हुआ है क्योंकि अजीत पंवार ने अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं लेकिन उनकी बयानबाजी यहां पर गठबंधन का सिरदर्द जरूर बन गई है महाराष्ट्र फाइल्स में फिलहाल के लिए इतना ही आपको हमारे इस वीडियो की खबरें कैसी लगी कमेंट करके अपनी राय जरूर दें वीडियो को लाइक करें शेयर करें और कैपिटल टीवी को सब्सक्राइब जरूर करें नमस्कार [संगीत]