जो ऐसे कांसेप्ट पर काम कर लेते हैं मतलब हाईजैक हो गया है और उसके बाद आपको टेररिस्ट से नेगोशिएट करना है समझौता करना है इस बीच किसी की भी जान ना जाए इसका भी आपको ख्याल रखना है वहीं जो फ्लाइट के कैप्टन होते हैं उनके ऊपर कितना प्रेशर रहता है जब बंदूक आपके सर पे हो उस टाइम पे आप हिम्मत के साथ प्लेन उड़ा सकते हैं या नहीं कहीं आप रो तो नहीं देंगे ये सीरीज दिखाती है कि कितना प्रेशर होता है जब एक प्लेन हाईजैक हो जाता है किस बात का प्रेशर मीडिया का प्रेशर कहीं वो उल्ट जलूल छाप ना दे कहीं व ऐसी चीजें ना लिख दे जिसकी वजह से जो है ऑफिशियल को खतरा महसूस हो उनके ऊपर उंगलियां उठ जाए पब्लिक का प्रेशर जिनके परिवार जिनके अपने उस फ्लाइट में फंसे हुए हैं उनसे सही सलामत उनको मिलाना यह बहुत बड़ा प्रेशर होता है पॉलिटिशियन का प्रेशर अपोजिट पार्टियां किस तरह से गंदा खेल खेलती हैं और किस तरह से ब्लेम गेम करती है यह तो बहुत आसानी से देखा जाता है लेकिन सीरीज की बात कर लेते हैं पॉलिटिक कल थोड़ा सा पीछे छोड़ देते हैं आईसी 184 द कांधल हाईजैक बहुत ही जबरदस्त सीरीज है भैया विजय वर्मा इसमें कैप्टन का रोल प्ले कर रहे हैं जो कि पायलट है और प्लेन उड़ा रही हैं इसके अलावा बहुत सारे ऑफिशियल का रोल बहुत सारे दिग्गजों ने किया है आ हा हा मतलब एक सीन में आपको एक ही फ्रेम में नसीर साहब जैसे एक्टर मिल जाएंगे मनोज बावा जैसे एक्टर मिलेंगे आपको पंकज कपूर जी इसके अलावा बम्बे के एक्टर अरविंद स्वामी भी आपको इसमें देखने को मिलेंगे मुकद मुकद नहीं कुमुद मिश्रा वो भी आपको देखने को मिल जाएंगे तो मतलब एक साथ इतने सारे एक्टर्स एक फ्रेम में जब सिगरेट पीते पीते चाय कॉफी पीते-पीते बात कर रहे होते हैं ना कि यार बहुत प्रेशर है मीडिया का एक क्या कहेगी ये क्या होगा वो क्या होगा इतना सुकून मिलता है ना ये देखने में सबसे पहली बात तो सिगरेट ये सभी चीजें हानिकारक होती है सेहत के लिए लेकिन फ्रेम बनाते वक्त ऐसी चीजें बहुत ज्यादा कनेक्ट कर देती है लोगों को क्योंकि वो पीते होंगे भैया खैर छोड़ो लेकिन इतने सारे एक्टर्स जब एक साथ मिलके बात करते हैं ना एक साथ किसी टॉपिक पर डिस्कशन चल रही होती है और प्रेशर बहुत ज्यादा होता है तो यह बनाती है सीरीज को अच्छा आप कोई भी सीरीज ले लीजिए जिस पे जब एक्टर्स सिर्फ बात भी कर रहे होते हैं और वो सीन भी आपको अच्छा लग रहा होता है तो यानी कि उन्होंने अपना काम बहुत बखूबी किया है विजय वर्मा की बात कर ले तो ये भी कोई कम नहीं है इनकी एक्टिंग लाजवाब है मतलब आपके माथे पर बंदूक है और आपको डर लग रहा है ये आपके चेहरे पर कैसे आएगा यह आएगा जब आप एक मंझे हुए एक्टर हो मतलब आपने पकड़ा हुआ है प्लेन का हैंडल और आपको प्लेन उड़ाना है लेकिन आपके डर में जो है पसीने छूट रहे हैं वेल इस सीरीज की स्टोरी क्या है 24 दिसंबर 1999 में एयर इंडिया की एक फ्लाइट आई 184 दिल्ली जा रही थी कामा काठमांडू से दिल्ली जा रही थी और इसी दौरान जो है पांच हाईजैकर्स ने प्लेन को हाईजैक कर लिया इसके बाद उन्होंने इस प्लेन को ले गए अमृतसर ताकि वहां पे फ्यूल ले सके क्योंकि आउट ऑफ फ्यूल हो गया था प्लेन इसके बाद वो पाकिस्तान के शहर लाहौर लेकर के गए वहां फू फ्यूल डलवाया फिर उसके बाद लेकर के जाते हैं दुबई दुबई से फिर वोह कांधल लेकर के चले जाते हैं और इतनी जगह पर रुक रुक के पेट्रोल डलवा डलवा के फ्यूल डलवा डलवा के जो है वो पहुंच जाते हैं सीधा कांधल और यहां पे शुरू होती है असली कहानी क्योंकि यहां से जो है नेगोशिएट करना शुरू होता है मनोज पाहवा जिन्होंने इस सीरीज में नेगोशिएट करने का काम किया है मतलब हाईजैकर से सीधी बातचीत करते हैं तो वह कई तरह से जो है लोगों को भी समझाते हैं हाईजैकर को समझाते हैं कि भैया तुम्हारा इतने में काम नहीं होगा हमें भी देने में थोड़ी दिक्कत होगी क्योंकि वह करोड़ों रुप मांग रहे थे बहुत सारे टेररिस्ट को छुड़ाने की बात कर रहे थे लेकिन लास्ट में तीन टेररिस्ट को छोड़ा जाता है और इसी तरह से जो है बाकी पैसेंजर्स की जान बचाई जाती है इतना ही नहीं दुबई में भी कुछ पैसेंजर्स को उतारा जाता है इस सीरीज की सबसे अच्छी बात मुझे पता है क्या लगी है इस सीरीज में बाइट्स दिखाई गई हैं हकीकत की रियलिटी की जैसे पैसेंजर्स का छूटना हो गया वो बाइट दिखाई गई अटल बिहारी वाजपई जी की बाइट दिखाई गई बहुत अच्छा लगा कि इतनी नई-नई बाइट नई नई तो नहीं बहुत पुरानी है मतलब आपने इतना नया कांसेप्ट निकाला एक तरह से यह सीरीज डॉक्यूमेंट्री की तरह लग रही थी और देखने में बहुत मजा आया क्योंकि आपको फिक्शनल और रियलिटी दोनों फ्रेम देखने को मिल रहे थे आप यह नहीं कह सकते थे कि यार यह शायद आपने ज्यादा कर दिया है जैसे एक बंदे को मार दिया जाता है तो उसकी भी असल में बॉडी दिखाई गई थी दुबई एयरपोर्ट पे तो यह अच्छा लगा ऐसा लग रहा था कि मैं डॉक्यूमेंट्री सीरीज देख रहा हूं जिसमें कई चीजों पर बात की गई है वेल अब कुछ लोग कह सकते हैं कि भाई बीजेपी का इसमें हाथ हो सकता है कि इस वक्त आ करर के उन्होंने सीरीज दिखा दी लेकिन आप पॉलिटिकल एजेंडा हटा कर के ये सीरीज देखें बहुत मजा आएगा बहुत मंझे हुए कलाकार हैं इस सीरीज में और यह सीरीज बहुत अच्छी है