INDORE में Ivf से पैदा बच्चे के कंकाल का 3 बार हुआ DNA TEST फिर अमेरिका की टेक्नीक से सुलझी मिस्ट्री

लक्ष्मण पटेल को कोई संतान नहीं हुई तो मुझे उम्मीद थी कि पूरी संपत्ति का मैं अकेला वारिस बनूंगा मगर जयराज का जन्म हुआ तो मेरे मंसूबों पर पानी फिर गया मोटरसाइकिल सिखाने के लिए मैं जयराज को अपने साथ ले गया और खेत में पहुंचकर मैंने जयराज का गला दबाकर हत्या कर दी और खेत में लाश को दबा दिया था यह कहना था उस कातिल का जिस तक पहुंचने में पुलिस को 17 महीने लग गए एक ऐसा कातिल जिसकी वजह से एक कंकाल का डीएनए टेस्ट तीन बार हुआ लेकिन पुलिस ने जिस तरह से इस केस में जांच करी वह सच में काबिले तारीफ है असल में एक 10वीं क्लास में पढ़ने वाला छात्र जो एक दिन अचानक गायब हो जाता है घर वाले हर जगह उसे तलाश करते हैं मगर उसका कुछ पता नहीं चलता फिर एक दिन उन्हें पता चलता है कि उनके खेत से एक इंसान का कंकाल मिला है लक्ष्मण पटेल पुलिस के साथ जब अपने खेत में जाते हैं तो उन्हें कंकाल के पास मिले कपड़े और बेल्ट देखकर पहचान जाते हैं कि यह कंकाल उनके बेटे जयराज का है जो करीब डेढ़ महीने पहले लापता हुआ था मगर इसके बाद जो कहानी पुलिस को पता चलती है और जैसे ही केस पुलिस सुलझा है उसकी कहानी सुनकर यकीन मानिए आप भी हैरान रह जाएंगे असल में मध्य प्रदेश के दमो पुलिस ने दसवीं के छात्र के एक ब्लाइंड मर्डर का पर्दाफाश करते हुए जो आरोपी है उसको 17 महीने के बाद गिरफ्तार किया ये केस इतना पेचीदा और घुमाव था इस केस में कि पुलिस को इसे सुलझाने में 17 महीने लग गए वो तारीख थी 14 मई दिन था रविवार का और साल था 203 जब पुलिस को खेत से एक कंकाल मिलता है पथरिया गांव के रहने वाले लक्ष्मण पटेल और उनकी पत्नी यशोदा ने कपड़े और सामान के आधार पर यह पहचान करी कि शना करी कि वह कंकाल जो था जो उनके खेत से मिला था उनके बेटे जयराज का है हालांकि पुलिस भी पुख्ता सबूत जुटाने के लिए दो बार कंकाल का उन्हो ने डीएनए टेस्ट करवाया और दोनों बार डीएनए टेस्ट मैच नहीं हुआ इसके बाद पुलिस को बाद में पता चला कि जयराज के जन्म आईवीएफ आईवीएफ यानी कि इन्विटो फर्टिलाइजेशन तकनीक से हुआ था इस बीच अधिकारियों के हाथ अमेरिकी पुलिस की एक किताब लगती है इसमें आईवीएफ तकनीक से पैदा होने वाले बच्चों का डीएनए टेस्ट खून की बजाय पसीने और मुंह के लार के सैंपल से किए जाने का जिक्र था अब पुलिस को य जैसे ही पता चला तो पुलिस ने दामो पुलिस ने इसी तरह तकनीक के आधार पर ना केवल उस कंकाल की शनाग जयराज के रूप में करी बल्कि हत्या के आरोपी को भी गिरफ्तार किया दरअसल जयराज के पिता लक्ष्मण पटेल बताते इस इस पूरे मामले पर है कहते हैं कि हमने अपने सतर पर बेटे को ढूंढने की काफी कोशिश की थी उसे ढूंढकर लाने वाले को 5 लाख का इनाम देने का भी ऐलान किया था मगर जिस दिन पुलिस को उनके खेत से कंकाल मिला तो उन्होंने अपनी पत्नी को वो साथ लेकर गए और कंकाल के पास से पैंट टीशर्ट और बेल्ट जो मिली थी जो कपड़े मिले थे वो देखकर पहचान गए कि उनके बेटे के हैं क्योंकि उन्होंने वो कपड़े उसे दिलाए थे जिस दिन वो लापता हुआ था उस दिन उसने वही कपड़े भी पहन रखे थे और पत्नी ने उन कपड़ों को पहचानते हुए पति-पत्नी ने पुलिस को बताया कि यह हमारा बेटा जरारी है इसके बाद मां-बाप ने तो कपड़ों से कंकाल की शराह कर ली लेकिन पुलिस को पुख्ता सबूत चाहिए था इसीलिए पुलिस ने कंकाल को अपने कब्जे में लिया और डीएनए जांच का सहारा लेने के लिए कंकाल को आगे फॉरेंसिक में भेज अब लक्ष्मण और यशोदा के ब्लड और हड्डियों के सैंपल जांच के लिए सागर की फॉरेंसिक लैब में भेजे गए मगर पुलिस तब तक नर कंकाल को सील करके अपनी कस्टडी में रख लेती है कुछ दिनों के बाद रिपोर्ट आती है सागर एफएसएल से अब जब वो रिपोर्ट आती है वो तो देखकर हैरान थे क्योंकि कंकाल जो था वो लक्ष्मण और यशोदा पटेल के डीएनए से मैच नहीं हुआ इसके बाद सागर से रिपोर्ट मिलने के बाद पुलिस ने एक बार फिर से परिवार के सैंपल लिए और इसके बाद इन्हें चंडीगढ़ एफएसएल भिजवा दिया तकनीक के मामले में चंडीगढ़ एफएसएल की गिनती देश की सबसे अच्छी लैब में होती है हालांकि यहां भी डीएनए मैच नहीं हुआ अब पुलिस के सामने इस बात की चुनौती थी कि जो कंकाल मिला वह जयराज का था या किसी और का है अब लक्ष्मण और यशोदा जो मां-बाप थे उन्होंने पुलिस से कंकाल को वापस उन्हें सौंपने की गुहार लगाई ताकि वह अपने बेटे का अंतिम संस्कार कर सके मगर पुलिस ने कानून का हवाला दिया और कंकाल रिश्तेदारों को मां-बाप को सौंपने से इंकार कर दिया रिश्तेदारों का ये इंतजार लंबा होता गया और तकरीबन एक साल का वक्त गुजर गया अब जो पिता थे लक्ष्मण पटेल उन्होंने पुलिस को बताया कि यशोदा से उन की शादी 2004 में हुई थी शादी के 4 साल तक उन्हें कोई बच्चा नहीं हुआ तो दोनों ने इंदौर के एक आईवीएफ सेंटर से मदद ली और साल 2009 में टेस्ट ट्यूब टेक्नीक से यशराज को पैदा करवाया जो बेटा था पुलिस ने इंदौर के इस आईवीएफ सेंटर जाती है और पता लगाने की कोशिश करती है कि स्पम डोनर कौन था लेकिन सेंटर वाले नियमों का हवाला देते हैं और जानकारी नहीं देते हैं इसके बाद जो उस वक्त दमो के ईएसपी थे संदीप मिश्रा उनके सामने जब ये केस आया तो उन्होंने एफएसएल से जुड़ी कुछ किताबें पढ़ी इस दौरान उन्हें अमेरिका में आईवीएफ तकनीक से पैदा हुए बच्चे की चोरी का एक केस पढ़ने को मिला जिसमें कहा था कि अमेरका की पुलिस ने इन बच्चों की शनाग के लिए डीएनए टेस्ट करवाया था इसके लिए जिन पेरेंट्स ने बच्चों पर दावा किया था उनके घरों से बच्चों की वस्तुएं मंगाई गई थी कुछ सामान खिलौने वगैरह मंगाए गए थे ब्रश वगैरह उन सामान पर लार या पसीने के सैंपल की बच्चे के डीएनए से जांच की गई जिन बच्चों का डीएनए मैच हुआ उन के पेरेंट्स को उन्हें सौंप दिया गया पुलिस के गैर जिम्मेदार रवैए को देखते हुए और जब एक साल तक कंकाल नहीं दिया तो पिता लक्ष्मण पटेल ने हाई कोर्ट का दरवाजा घटक और याचिका लगाई कि कंकाल उन्हें सौंप दिया जाए कोर्ट ने पुलिस को भी ऑर्डर दिया कि कंकाल मां-बाप को सौंप दे आदेश दे दिया तब तक दमो एसपी के तौर पर शत श्रुत कीर्ति सोमवंशी चार्ज ले चुके थे अब एसपी सोमवंशी ने इस पूरे मामले में जैसे उन्हे आया तो उन्होंने संज्ञान में जब यह पूरा मामला आया तब उन्होंने तत्कालीन उस वक्त के थाना इंचार्ज सुधीर बोगी से कहा कि लक्ष्मण पटेल को पिता को उनके बेटे के कंकाल सौंप दिया जाए इसके बाद थाना इंचार्ज जो थे वो कंकाल लेकर गांव पहुंचे और जो पिता थे लक्ष्मण पटेल उनको जयराज का जो कंकाल था व सौंप दिया जाता है 13 महीने के बाद 12 मई 2024 को लक्ष्मण ने अपने बेटे का अंतिम संस्कार किया इसके बाद कातिल की गिरफ्तारी के लिए लक्ष्मण पटेल ने सीएम डॉक्टर मोहन यादव से मुलाकात करी जिस दिन जयराज का कंकाल मिला था उसी दिन लक्ष्मण ने हत्या के लिए जिम आरोपियों के नाम भी पुलिस को बताए थे लेकिन पुलिस के पास उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं था साथ ही कंकाल जो था जयराज का है या नहीं यह भी उस वक्त तक वैज्ञानिक तौर पर साबित नहीं हो पाया था इसके बाद सीएम के निर्देश मिले तो उन्होंने जो पुलिस थी एसीपी थे उन्होंने सीएम के निर्देश मिलने के बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू करी दोबारा से और एसीपी संदीप मिश्रा ने जिस किताब के पन्ने के साथ तत्कालीन थाना इंचार्ज को लेटर लिखा था उसी आधार पर नए सिले से डीएनए जांच का फैसला दिया गया पुलिस जो है लक्ष्मण के घर पहुंची और जयराज के बचपन के खिलौने कपड़े ग्लव्स टोपी सीटी स्कूल का आई कार्ड ऐसी ये सब चीजें इकट्ठा करी और ये सभी सामान को चंडीगढ़ की एफएसएल टी एफएसएल को भेज दिया गया पुलिस को उम्मीद थी कि इन सामान से जयराज के शरीर के बाल नाखून या पसीने के सैंपल मिल सकते हैं दरअसल लक्ष्मण ने जयराज के अपहरण और हत्या के लिए अपने सौतेले भाई दशरथ पटेल के बेटे मानवेंद्र पर शक जाहिर किया था गांव के लोगों ने भी आखिरी बार जो जयराज था उसको मानवेंद्र के साथ ही देखा था लक्ष्मण ने पुलिस को बताया था कि वो और दशरथ एक मां के जिनकी जिनकी जो मां है पार्वती उनकी बेटे थे लेकिन उनके दो पिता थे लक्ष्मण पटेल के पिता श्यामलाल पटेल थे और दशरथ पटेल के पिता धनीराम पटेल थे यह भी बात यह भी बताया उन्होंने कि दशरथ और उसके बेटे मानवेंद्र की उनकी संपत्ति पर नजर है अब इसके बाद पुलिस ने लक्ष्मण के शक के आधार पर मान मानवेंद्र जो था दशरत का बेटा उसको हिरासत में लिया और जब उससे पूछताछ हुई तो वह टूट गया और उसने जयरा की हत्या करने की बात कबूल करली पूछताछ में मानवेंद्र ने बताया कि जब लक्ष्मण पटेल को कोई संतान नहीं हुई तो उसे उम्मीद थी कि पूरी संपत्ति का वो अकेला वारिस होगा मगर आईवीएफ तकनीक के जरिए जयराज का जन्म हुआ तो उसके मंसूबों पर पानी फिर गया दरअसल लक्ष्मण पटेल जो था उनकी 100 एकड़ खेती की जमीन है साथ ही दमो में एक फ्लैट और मकान भी है जिसकी कीमत कहते हैं करोड़ों रुपए है इसी प्रॉपर्टी के लालच में मानवेंद्र ने ये पूरी साजिश रची मानवेंद्र जैसे ही बड़ा हुआ वह जयराज को रास्ते से हटाने का प्लान तैयार करने लगा उसने बताया कि पुलिस को कि ये मौका उसे 28 मार्च को मिला दरअसल इसने मोटरसाइकिल सिखाने के लिए दोपहर 12:00 बजे जो मरहूम जयराज था उसे अपने साथ ले गया खेत में पहुंचकर इसने जयराज जो था उसकी गला दबाकर हत्या करी और बाद में खेत खेत में ही लाश को दबा दिया मगर डेढ़ महीने बाद कंकाल जो है पुलिस के हाथ लग जाता है पुलिस ने आरोपी के खिलाफ हत्या का केस दर्ज करके उसे कोर्ट में पेश किया है जहां यहां से उसे 25 अगस्त को जेल भेज दिया गया मगर सोचिए कि 17 महीने लगे इस पूरे केस को सुलझने में पुलिस को कातिल तक पहुंचने में अगर मैं उस किताब की बात करूं जिस किताब से मिले क्लू की वजह से यह पूरा केस सुलझा है उस किताब का नाम है डीएनए टेस्ट इन क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन ट्रायल एंड पैटरनिटी डिस्प्यूट और इसी किताब के पढ़ने के बाद जो उनको क्लू मिला एसपी साहब को उसके बाद जाकर यह पूरा का पूरा मामला सुलझा और 17 महीने के बाद एक मां-बाप को उनके काति उनके बेटे के कातिल को जेल में पहुंचते हुए देख पाए मगर उनके बेटे का तीन बार डीएनए टेस्ट हुआ और तीन बार में से दो बार वो डीएनए टेस्ट में मैच नहीं हुआ लेकिन तीसरी बार में डीएनए टेस्ट मैच हो जाता है आरोपी ने भी अपना जुम कबूल कर लिया है पुलिस ने उसे हिरासत में लेके कोर्ट में पेश किया और अब वो शख्स जेल में है जहां वो सपने सजा रहा था मंसूबे बना रहा था करोड़ों की जमीन हड़पने का संपत्ति को अपने नाम करवाने का आज वो इंसान के जो नसीब में आई है वो आई है जेल की चार दीवार और दो वक्त की जेल की सूखी टू कीी रोटी अपराधी कितना ही शातिर क्यों ना हो गुनाह चाहे वह करने के बाद जमीन में ही सबूत को ना छुपा दे या अपराध को कुछ कहीं भी वो करे चाहे वह खेत में दिन की रोशनी में रात के अंधेरे में मगर कानून तक वो बच नहीं कानून से वो बच नहीं पाता है कानून के हाथ उस तक पहुंच ही जाते हैं जैसा कि इस केस में हुआ 17 महीने का वक्त लगा लेकिन जो कातिल है वो सगा वो चचेरा भाई निकला और उसी शख्स ने अपने हाथों संपत्ति के लिए उस मासूम की दसवीं क्लास के छात्र की बेरहमी से हत्या करी हत्या के बाद उसकी लाश को खेत में दफन कर दिया जरा सोचिए उस मां-बाप पर क्या गुजरी होगी जिनकी 4 साल तक कोई औलाद नहीं थी और फिर आईवीएफ तकनीक के जरिए उनकी एक औलाद होती है और वो भी किसी इंसान ने सिर्फ इसलिए छीन ली क्योंकि उसे प्रॉपर्टी की लालच थी प्रॉपर्टी को अपने नाम करवाना चाहता था इसीलिए उसने उस मासूम को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया इस पूरे केस के ऊपर इस पूरी पुलिस के इन्वेस्टिगेशन के ऊपर किस तरीके से डीएनए सैंपल की मदद से उन्होंने पूरा एक केस ब्लाइंड मर्डर केस को सुलझाया इसके ऊपर आपका क्या कहना है क्या सोचना है हमें कमेंट करके जरूर बताइएगा बाकी देश और दुनिया की क्राइम की खबरों के लिए देखते रहिए क्राम तक

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