क्या बॉलीवुड को भोले और शंकर आतंकी लगते हैं यह सवाल बॉलीवुड से देश का एक बड़ा तबका पूछ रहा है दरअसल 25 साल पुराने कंधार हाईजैक पर एक वेब सीरीज आई है इसी कंधार हाईजैक में भारत को आतंकी मसूद अजर को आजाद करना पड़ा था जिसने सीमा पार से न जाने कितनी नापाक साजिशों को अंजाम दिया 25 साल पुरानी उसी घटना पर 25 साल पुरानी यह तस्वीर खौफ के आठ दिनों की पूरी कहानी है जिसमें पूरा देश सहमा हुआ था वाजपेई सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी आखिरकार 175 लोगों की जिंदगी बचाने के लिए तीन आतंकवादियों को छोड़ा गया था जिसमें मौलाना मसूद अजहर भी शामिल था जब भी आज सीमा पार से आतंकी घटना होती है तो सवाल उठता है क्या भारत कंधार कांड का खामियाजा आज तक उठा रहा है कंधार हाईजैक का सवाल एक बार फिर सुलगा है लेकिन वजह बिल्कुल अलग है कंधार हाईजैक की 25 साल पुरानी घटना को नेफ सीरीज की शक्ल में लेकर आया है और नाम है आईसी 184 द कंधार हाईजैक कितने पैसेंजर डिमांड कोई डिमांड जिस खौफनाक मंजर से 175 लोगों का सामना प्लेन के अंदर हुआ था उससे दुनिया का साक्षात्कार करवाना था लेकिन यह सीरीज विवादों में उलझ गई सोशल मीडिया पर इस सीरीज के बायकॉट का ऐलान हो गया है वजह है हाईजैक करने वाले पाच आतंकियों में से दो के नाम दावा किया जा रहा है कि इस सीरीज में हाईजैक करने वाले एक आतंकी का नाम भोला और दूसरे का नाम शंकर है भोला और शंकर दोनों भगवान शिव के नाम है जैसे ही सीरीज में आतंकियों के यह नाम सुनाई दिए तो संग्राम तेज हो गया सोशल मीडिया पर इस सीरीज को बैन करने की मुहिम तेज हो गई हिंदू धर्म गुरुओं ने भी मोर्चा खोल दिया साथ ही किसी और धर्म के आराध्य के खिलाफ भी फिल्म बनाने की चुनौती महादेव आदिदेव भोले बाबा को आतंकवादी बताया है अगर किसी भी दुनिया में किसी भी पिक्चर बनाने वाले के अंदर दम हो तो सनातन को छोड़कर इस्लाम पर एक टिप्पणी करके देख लो क्या स्थिति होती है हम धर्म गुरुओं के साथ साथ इस विवाद से लोग भी खफा नजर आ रहे हैं ये मुसलमान है हिंदू का नाम रख रहे तो ऐसा हिंदू आंतकवादी लगेगा ना वो मुसलमान कैसे लगेगा ना अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पे ना पूरा का पूरा ना बंटा डार कर रहा है यहां पर इंडिया में एक कौम नहीं है जो चीज मैंने नहीं की उसके लिए मेरे को ब्लेम मेरी जाति को मेरे धर्म को ब्लेम किया जा रहा है वो टोटली मतलब डिफरेंट है और गलत है वह करने से मतलब मैं तो आहत हो ही रहा हूं इस पूरे विवाद पर द न्यूज की टीम ने रॉ के पूर्व अधिकारी से बात की और जानने की कोशिश की कि क्या कंधार हाईजैक में आतंकियों के नाम सच में भोला और शंकर थे जो भी काम होता है ना जैसे हम भी कहीं काम करते हैं या किसी ऑपरेशन का नाम देते हैं फिर जहां पर कंट्री में जाना हो वहां के उसी टाइप के नाम यूज किए जाते हैं मैं कहीं पर अलेक्जेंडर भी था मैं कहीं पर हुसैन भी था तो इनको कोडवर्ड दिए जाते हैं आपस में बातचीत करने के लिए ताकि किसी को शक ना हो इसके बाद हमने अपनी पड़ताल में विदेश मंत्रालय की वेबसाइट खा ली जहां अंधार हाईजैक से जुड़ी प्रेस विज्ञप्ति मिली जो 6 जनवरी साल 2000 की थी जिसमें पांच आतंकियों के नाम बताए गए पांचों आतंकी मुस्लिम थे लेकिन इस हाईजैक को अंजाम देने के लिए उन्होंने कोड वर्ड इस्तेमाल किया एक का कोडवर्ड शेफ दूसरे का डॉक्टर तीसरे का बर्गर चौथे का भोला और पांचवें का शंकर था हाईजैक के दौरान पांचों आतंकी इन्हीं नामों से एक दूसरे को बुला रहे थे यानी सीरीज में वही दिखाया गया जो आतंकियों ने इस्तेमाल किया था लेकिन सवाल आतंकियों ने यह नाम अपनी सहूलियत के लिए इस्तेमाल किए थे क्या सीरीज में इन नामों को इस्तेमाल ना किया जाता तो कहानी पर क्या कोई फर्क पड़ता वैसे भी असल मुद्दों पर बनी फिल्म और सीरीज में कथानक के हिसाब से बदलाव किए जाते हैं तो क्या हिंदुओं की भावनाओं से जुड़े इन नामों का इस्तेमाल जरूरी था कहीं यह सीरीज की पब्लिसिटी के नाम पर नामों को जानबूझ कर तो नहीं रखा गया ब रिपोर्ट z मी z