29 अगस्त को netfx3 में हुए कंधार हाईजैक पर आधारित है सीरीज को अच्छे रिव्यूज मिले अनुभव सिन्हा इस सीरीज के डायरेक्टर हैं नसरुद्दीन शाह पंकज कपूर विजय वर्मा अरविंद स्वामी और कुमुद मिश्रा जैसे नाम कास्ट का हिस्सा है सभी के काम के हिस्से तारीफें आ रही हैं हालांकि सीरीज के आने के बाद सोशल मीडिया पर एक बवाल भी खड़ा हो गया है लोग उसके चलते कि netflix's से की जड़ वास्तविकता में नहीं है 24 दिसंबर 1999 की को पांच आतंकवादी आई 814 नाम की फ्लाइट में चढ़े थे उनके नाम थे शाहिद अख्तर सईद इब्राहिम अख्तर सनी अहमद काजी मिस्त्री जहूर इब्राहिम और शाकिर उर्फ राजेश गोपाल वर्मा हालांकि अपनी पहचान छुपाने के लिए उन्होंने अपने कुछ कोड नेम रखे थे जैसे चीफ डॉक्टर बर्गर भोला और शंकर भारत सरकार ने इस हाईजैक के संबंध में जो प्रेस रिलीज जारी की थी उसमें भी इस बात का जिक्र है अनुभव सिन्हा की सीरीज में यही बात बताई गई है जिसका लोग विरोध कर रहे हैं कुछ लोग लिख रहे हैं कि मेकर्स ने जानबूझकर सीरीज में आतंकवादियों को मानवीय बनाने की कोशिश की है जैसे कि एक सीन में दिखाया गया है कि वह जो बंधक बनाए गए लोग हैं उनके साथ यह आतंकवादी अंताक्षरी खेल रहे हैं नीलेश मिश्रा ने इस पर मेकर्स का समर्थन किया है उन्होंने इस हाईजैक पर 173 आवर्स इन कैप्ट विटी नाम की एक किताब लिखी है उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बताया कि बंधक लोगों से बात करने पर उन्हें पता चला कि ऐसा हकीकत में भी हुआ था बाकी सीरीज के अंत में मेकर्स ने सभी आतंकियों के नाम बताए हैं साथ ही यह भी बताया है कि जिन आतंकियों को रिहा करवाया गया उन्होंने आगे चलकर कैसे दहशत फैलाई यह सीरीज इस नोट पर ही खत्म होती है कि 25 साल के बाद भी कैसे बंधक हुए लोग उस ट्रॉमा से बाहर नहीं निकल पाए हैं आपको बताते चले कि i 814 नाम की फ्लाइट ने 24 दिसंबर 1999 को काठमांडू से दिल्ली के लिए उड़ान भरी थी इसी शाम को उसे हाईजैक कर लिया गया बदले में मांग की गई मसूद अजहर अहमद उमार सईद शेख और मुश्ताक जरगर नाम के आतंकवादियों को रिहा करने की आतंकियों ने फ्लाइट को दिल्ली में लैंड नहीं होने दिया वो उसे लाहौर ले जाना चाहते थे कैप्टन देवी शरण ने खूब समझाने की कोशिश की कि उनके पास इतना फ्यूल नहीं है आतंकी नहीं माने दूसरी ओर फ्लाइट को लाहौर में लैंड करने की परमिशन भी नहीं मिली इसलिए प्लेन को अमृतसर में लैंड करना पड़ा इसके बाद उसे लाहौर ले जाया गया लाहौर से से टेक ऑफ करने के बाद विमान काबुल होते हुए मस्कट और फिर ओमान तक गया लेकिन कहीं भी लैंड करने की परमिशन नहीं मिली आखिरकार 25 दिसंबर की सुबह करीब 3:00 बजे विमान दुबई में लैंड हुआ यहां फ्यूल भरे जाने के अवज में 26 यात्रियों को रिहा करने पर समझौता हुआ इसके बाद विमान ने अफगानिस्तान में काबुल की तरफ उड़ान भरी लेकिन काबुल एयरपोर्ट की तरफ से विमान को कंधार ले जाए जाने को कहा 26 दिसंबर की सुबह करीब 8 बजे विमान कंधार हवाई अड्डे पर लैंड कर चुका था इस इसके बाद आई 814 विमान पूरे छ दिनों तक यात्रियों की जेल बना रहा 31 दिसंबर को भारत सरकार ने तीनों आतंकियों को हाईजैकर्स को सौंप दिया और उन्होंने बदले में बंधकों को रिहा कर दिया फ्लाइट के कैप्टन देवी शरण ने श्री जॉय चौधरी के साथ मिलकर फ्लाइट इन टू फेयर नाम की एक किताब लिखी है अनुभव सिन्हा की सीरीज उसी किताब पर बेस्ड है इस पूरी खबर पर आपकी जो भी राय है आप हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताइएगा आपके लिए तमाम जानकारी लेकर आ थे हमारे साथ यमन मेरा नाम है विकास वर्मा देखते रहिए द ललन टॉप शुक्रिया [संगीत]