Intro एक नया वायरस पिछले कुछ दिनों से चर्चा में है वायरस का नाम है ओरपोस वायरस इसके चर्चे में रहने की वजह है इससे होने वाली मौतें दरअसल रोपस वायरस से अब तक कोई भी मौत नहीं हुई थी लेकिन जुलाई में ब्राजील में इस वायरस से दो मौतें हुई और मरने वाली दोनों महिलाएं थी हैरानी की बात यह है कि दोनों को पहले से कोई भी हेल्थ की समस्या नहीं थी कोई भी हेल्थ कॉम्प्लिकेशन नहीं था इस वायरस के लक्षण डेंगू से मिलते-जुलते हैं ऐसे में इसके बारे में जानना और भी जरूरी हो जाता है इस इसलिए आज सेहत के इस एपिसोड में हम और पोश वायरस पर बात करेंगे डॉक्टर से जानेंगे कि औरपयारहोगया [संगीत] के टूथपेस्ट फ सेंसिटिव सावधान! फैल रहा है ओरोपोच वायरस टीथ ब्राजील में दो लोगों की जान जाने से आजकल ओरो पाउज वायरस बहुत चर्चा में है यह डेंगू से मिलता जुलता वायरस पेरी बुनिया वेडे फैमिली का एक वायरस है जो मॉस्किटो और मिजेस के काटने से फैलता है क्योंकि यह ट्रेडा एंड टोबैगो में ओरो पाउच रिवर के पास डिस्कवर हुआ था इसलिए इसे ओरो पाउच वायरस कहते हैं यह दक्षिणी अमेरिका में और नॉर्दन अमेरिका में भी काफी प्रवेट है और वहां पर फॉरेस्ट के आसपास मिजेस बहुत होते हैं यह वायरस इन मिजेस के अंदर होता है जिनके थ्रू जब वह व्यक्ति को काटते हैं तो उससे फैलने लगता है पर आदमी की सिक्री से या कफिंग से ह्यूमन टू ह्यूमन नहीं फ ता है इफेक्टेड मरीज को काट के मजज इस वायरस को ग्रहण कर सकते हैं और जब वह दूसरे व्यक्ति को काटते हैं तो यह उसको फैल जाता है ओरो पाउच वायरस के लक्षण है तेज बुखार ठंड लगना सर में दर्द होना रोशनी पड़ने से दिक्कत होना थकान पेट में दर्द डायरिया ये इसके कॉमन लक्षण है ये वायरस के का बॉडी में प्रवेश करने के तीन से सात दिन के बाद आ सकते हैं और पाच सा दिन तक रह सकते हैं इससे कभी-कभी आदमी बहुत थकान में आ जाता है बिस्तर पर लग जाता है पर जब यह वायरस ब्रेन के अंदर फैल जाता है तो दिमागी बुखार या मेनिनजाइटिस कॉज कर सकता है जो कुछ केसेस में व्यक्ति की जान भी ले सकता है पाच सात दिन में अधिकतर लोग इस वायरस से ठीक होने लगते हैं कुछ लोगों में थकान कमजोरी समय तक रह सकती है इसका इलाज है कि मरीज को हाइड्रेटेड रखें पानी की कमी ना होने दे बुखार और दर्द को कम करें स्टमक के सिम्टम्स के लिए दवाई ले और उसको जूसेयो रही पानी की कमी को हम बेटर कर सके एस्पिरिन या नॉन चडल एंटी इफ्लेम ड्रग्स जो नॉर्मल पेन किलर्स होती हैं वो ना दें क्योंकि इसके लक्षण डेंगू से काफी सिमिलर होते हैं और कभी-कभी डेंगू से इसे हम कंफ्यूज भी कर सकते हैं इसकी जांच के लिए हमारे पास आरएनए टेस्टिंग उपलब्ध है जो पहले 5 दिन के अंदर हो सकती है जिससे हम इसका डायग्नोसिस कंफर्म कर सकते हैं क्योंकि वायरस की खुद कोई स्पेसिफिक दवाई नहीं है और अधिकतर केसेस में ये सेल्फ ट लिमिटिंग बीमारी है पर जब यह फैल जाती है और आदमी की इम्युनिटी इसे कंट्रोल नहीं कर पाती तो व व्यक्ति की जान भी ले सकती है इसलिए इससे बचना बेहद जरूरी है तो हम कैसे बच सकते हैं यह वायरस जनरली जंगलों के आसपास फैलता है और जब हम फॉरेस्ट को काटते हैं और इकोलॉजिकल डिस्टरबेंसस क्रिएट करते हैं उसकी वजह से वायरस फैलने के रिस्क बढ़ जाते हैं मच्छर और बजस को ब्रीड ना होने दे अपने पास अच्छी हाइजीन रखें गं को इकट्ठा ना होने दें पानी के ढेर इकट्ठे नहीं होने दें और पूरे कपड़े पहन के रहे ताकि मच्छर को आपको काटने की जगह ना मिले देखिए भारत में अभी तक इस वायरस के मामले सामने नहीं आए हैं इसलिए डरने की कोई भी जरूरत नहीं है लेकिन अगर आपको बुखार है और दूसरे लक्षण भी हैं तो डॉक्टर को जरूर दिखाइए क्योंकि हो सकता है आपको डेंगू हो बुखार को हल्के में बिल्कुल भी भी ना ले अब बढ़ते हैं सेहत के अगले सेगमेंट की तरफ तन की बात माइक्रोबीड्स एक तरह का प्लास्टिक है जो आपकी सेहत बर्बाद कर रहा है और आप इसे रोज इस्तेमाल करते हैं बताते हैं पूरी आप रोज़ इस्तेमाल कर रहे हैं ख़तरनाक माइक्रोबीड्स प्लस्टिक! बात भारत में जितनी जल्दी हो सके माइक्रो बीट्स पर बैन लगना चाहिए यह बात हम नहीं एक जरूरी रिसर्च कह रही है असल में माइक्रो बीट्स एक तरह का माइक्रो प्लास्टिक है यानी जो नॉर्मल प्लास्टिक होता है ये उसी का एक बहुत ही छोटा वर्जन है 5 मिलीमीटर से भी छोटा माइक्रो बीट्स पर नेदर ैंसले जैसे देशों में भी बैन लगा हुआ है लेकिन भारत में इसके प्रोडक्शन पर कोई मनाही नहीं है इसलिए इसका इस्तेमाल पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स में होता है पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स वो चीजें होती हैं जो हम अपने शरीर की देखरेख के लिए इस्तेमाल करते हैं जैसे कि फेस वॉश फेस स्क्रब शा जल और बॉडी स्क्रब कुछ समय पहले कोचन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के रिसर्चस ने रिसर्च की उन्होंने मार्केट में आसानी से मिलने वाले 45 पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स की जांच की पता चला कि इनमें से 45 फीदी प्रोडक्ट्स में माइक्रो बीड्स थे इन्हें प्रोडक्ट्स में डेड स्किन सेल्स हटाने के लिए डाला जा रहा था अब आप पूछेंगे कि इसमें दिक्कत की क्या बात है दरअसल माइक्रो बीड्स बहुत छोटे होते हैं इसलिए यह शरीर पर इस्तेमाल होने के बाद पानी के साथ सीधे ड्रेनेज में चले जाते हैं ड्रेनेज का रूटीन फिल्टरेशन सिस्टम इन्हें छान नहीं पाता फिर यह नदी तालाब और समुद्र में पहुंच जाते हैं वहां मछलियां और दूसरे जलीय जीव इन्हें खाने की चीज समझकर खा जाते हैं यह प्लास्टिक के छोटे-छोटे कण उनके शरीर के लिए बहुत खतरनाक हैं और सिलसिला यहां खत्म नहीं होता है जब इन मछलियों और दूसरे जीवों को बतौर सीफूड खाया जाता है तब यह माइक्रोबीड्स हमारे शरीर में भी पहुंच जाते हैं यह माइक्रोप्लास्टिक अब तक इंसानों के खून यूरिन और दूसरे हिस्सों में शामिल हो चुका है कोचन यूनिवर्सिटी में पीएचडी स्कॉलर और स्टडी की लीड ऑथर रिया एलेक्स ने द गार्जियन से बातचीत की वो कहती हैं कि हमारी सेहत पर इनका प्रभाव क्या होगा हम अभी भी नहीं जानते हैं लेकिन कंज्यूमर्स को इसके बारे में पता होना चाहिए अगर उन्हें माइक्रोबीड्स के हानिकारक प्रभावों का पता होगा तो वह जरूर लेबल चेक करेंगे और ऐसे प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करने से बचेंगे देखिए मार्केट में हर चीज डिमांड और सप्लाई से चलती है अगर डिमांड नहीं होगी तो माइक्रो बीड्स वाले प्रोडक्ट्स की सप्लाई भी नहीं होगी फिर ब्रांड्स को इसके प्राकृतिक विकल्प की ओर जाना होगा इसलिए अगली बार जब आप कोई भी पर्सनल केयर प्रोडक्ट खरीदें तो उसका लेबल जरूर चेक कर लीजिए कि कहीं उनमें माइक्रोबीड्स तो नहीं समझे अब बारी है सेहत के आखरी सेगमेंट की खुराक यानी स हेल्थ टिप डब् एओ ने बताया हेल्दी रहने के लिए रोज क्या WHO ने बताया हेल्दी रहने के लिए क्या खाएं [संगीत] खाएं दुनिया भर की तमाम बीमारियों से हम तभी बचे रह सकते हैं जब हम अच्छी और हेल्दी डाइट ले लेकिन आखिर ये हेल्दी डाइट होती क्या है वो कौन सी चीजें हैं जो हमें खानी चाहिए और आखिर किनसे परहेज करना चाहिए वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन यानी कि डब्ल्यू एओ ने इसी हेल्दी डाइट के बारे में बताया है उनके मुताबिक एक एडल्ट को रोज 400 ग्रा फल और सब्जियां खानी चाहिए हमारी डाइट में दालें बींस मेवे और होल ग्रेंस भी होने चाहिए होल ग्रेन जैसे मक्का मिलेट्स ओट्स गेहूं और ब्राउन राइस वहीं आलू और स्टार्च वाली दूसरी चीजों से थोड़ा परहेज करना चाहिए एक एडल्ट जितनी कैलोरीज खा रहा है उसका 30 पर से कम फैट से मिलना चाहिए हमें ट्रांस फैट और सैचुरेटेड फैट के बजाय अनसैचुरेटेड फैट को तवज्जो देनी चाहिए अनसैचुरेटेड फैट हमारे लिए अच्छा माना जाता है ये मछली एवोकाडो नट्स सनफ्लावर ऑयल सोयाबीन ऑयल और ऑलिव ऑयल में पाया जाता है अगर आप सैचुरेटेड फैट वाली चीजें खाना चाहते हैं जैसे कि फैटी मीट मक्खन कोकोनट ऑयल क्रीम चीज और घी तो ये आपके डाइट में टोटल कैलोरी का केवल 10 पर ही होना चाहिए इनफैक्ट उससे कम होना चाहिए माफ कीजिएगा वहीं अगर आपको ट्रांस फैट खाना हो तो ये टोटल कैलोरी का 1 पर से भी कम होना चाहिए दरअसल ट्रांस फैट हमारे शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है और गुड कोलेस्ट्रॉल का जो लेवल है उसे कम करता है इससे दिल की बीमारियां डायबिटीज और मोटापे का रिस्क बढ़ता है अब आप बोलेंगे जब ट्रांस फैट इतना ही बुरा है तो हम इसे खाएंगे ही क्यों तो आपको बता दें कि जंक फूड जो आपको खाना बहुत पसंद है जिसे आप बहुत चाव से खाते हैं उसमें ट्रांस फैट होता है इसलिए जंक फूड कम से कम खाइए इसके अलावा हमें हर दिन 5 ग्राम से भी कम नमक खाना चाहिए यानी लगभग एक चम्मच के बराबर यह नमक आयोडाइज्ड होना चाहिए देखिए अगर आप कम नमक खाएंगे तो हाइपरटेंशन यानी हाई बीपी से बचे रहेंगे साथ ही दिल की बीमारियों और स्ट्रोक का रिस्क भी घटेगा आज सेहत पर इतना ही अगर आप 09:53- Outro एक डॉक्टर हैं हमसे कुछ शेयर करना चाहते हैं तो जो ईमेल आईडी इस वक्त आपको अपनी स्क्रीन पर दिख रही है उस पर हम एक मेल भेज दीजिए शुक्रिया [संगीत]