काशीनाथ हमें खुशी हुई तुम्हारी बहादुरी देखकर तुम्हें भी बहुत खुशी होगी यह जानकर कि आज के बाद तुम मेरे गिरह में काम करोगे यह मजदूर का हाथ है कातिया लोहा पिघलाकर उसका आकार बदल देता है यह ताकत खून पसीने से कमाई हुई रोटी की है मुझे किसी के टुकड़ों पर पलने की जरूरत नहीं कीड़े मकोड़ों की तरह गली में रंगने से बेहतर है यहां मर्दों में रहो शेर की तरह पिंजरे में आकर शेर भी कुत्ता बन जाता है कातिया तू चाहता है कि मैं तेरे यहां कुत्ता बनकर रहूं तू कहे तो भोकू तू कहे तो काटू ऐसा ही समझो तो क्या इज्जत होगी तुम्हारी और लोग डरेंगे तुमसे डराकर लोगों को वो जीता है जिसकी हड्डियों में पानी भरा होता है मर्द बनने का इतना शौक है तो कुत्तों का सहारा लेना छोड़ दे कातिया [संगीत]