THE GOAT - Movie Review In Hindi | Thalapathy Vijay

वेलकम फ्रेंड्स आप सभी का फिर से एक बार स्वागत है क्रेजी फर मूवीज और आज हम बात करने वाले हैं आज थिएटर्स पर रिलीज हुई तड़पति विजय स्टारर तमिल फिल्म यानी कि द गोट के बारे में तो 3 घंटे के रन टाइम के साथ आई और वेंकट प्रभु द्वारा डायरेक्टेड फिल्म द गोट एक एक्शन थ्रिलर फिल्म है जिसको आज जो है तमिल के साथ-साथ तेलुगु और हिंदी भाषा में भी जो है रिलीज किया गया है फिल्म के हिंदी वर्जन का नाम थल बदी इज द गोट रखा गया है पर मैंने फिल्म के तमिल वर्जन को विद सबटाइटल्स देखा हुआ है बात करें इस फिल्म की तो फिल्म के बारे में कहना चाहूंगा कि वैसे तो इस फिल्म के अंदर फ्लॉस काफी है अगर नेगेटिव्स की बात की जाए तो काफी नोटिसेबल नेगेटिव्स जो है आपको फिल्म में देखने को मिल जाते हैं पर फिर भी खत्म होते-होते फिल्म द गोट तड़पति विजय की परफॉर्मेंस क्लाइमैक्स में आने वाले ट्विस्ट रेफरेंसेस कैमियोस इन सभी के साथ कुल मिलाते हुए एक फन टू वच टाइम पास एंटरटेनर साबित होती है जिसको आप एंजॉयमेंट के लिए एक बार डेफिनेटली देख सकते हो पर एक चीज जो मैं शुरू में क्लियर कर देना चाहूंगा वो ये है कि द ग्रेटेस्ट ऑफ ऑल टाइम इस फिल्म के अंदर कहीं पर भी कुछ ग्रेट जैसा आपको नजर नहीं आएगा डेफिनेटली इस बार फिर से वेंकट प्रभु के पास एक बहुत ही इंटरेस्टिंग आईडिया था और कहना चाहूंगा फर्स्ट हाफ में इस आईडिया को बहुत ही अच्छी तरीके से उन्होंने सेट भी किया है कैरेक्टर्स के बीच की हल्की-फुल्की बॉन्डिंग पिता बेटे और मां के बीच के इमोशनल बॉन्डिंग इन सभी चीजों को हल्के-फुल्के तरीके से डेवलप करते हुए एक अच्छा सेटअप जो है यहां पर फर्स्ट हाफ में बिल्ड किया गया है जहां पर फिल्म का इंटरवल जो है एक अच्छे और बहुत ही थ्रिलिंग सेकंड हाफ की जो है उम्मीद छोड़ जाता है डेफिनेटली फर्स्ट हाफ की अगर मैं बात करूं तो यहां पर कॉमेडी जो थी वो कुछ हद तक काम करती है कुछ हद तक फ्लैट चली जाती है और दूसरी तरफ एक चीज कहना चाहूंगा फर्स्ट हाफ का स्क्रीन प्ले काफी हद तक इंगेजिंग है कहीं पर बोर नहीं करता है पर हां अगर आपने फिल्म के ट्रेलर को ठीक से देखा है एक बार दो बार अच्छी तरीके से देखा है तो कह सकता हूं कि यहां पर फिल्म के अंदर जो सरप्राइज मोमेंट्स हैं वो कुछ काम नहीं करते हैं बहुत ही प्रिडिक्टेबल हाईली प्रिडिक्टेबल तरीके से जो है फिल्म का फर्स्ट हाफ आगे बढ़ता जाता है पर बाद में सेकंड हाफ की अगर मैं बात करूं तो जो उम्मीद यहां पर इंटरवल ने छोड़ी थी उस उम्मीद पर कायम रहते हुए फिल्म का सेकंड हाफ जो है काफी अच्छी शुरुआत लेता है जहां पर विजय का ये जो डी एजिंग वाला कैरेक्टर है वो मैं कहूंगा कि काफी बेहतरीन था कैरेक्टर की बात कह लो विजय की वहां पर परफॉर्मेंस कह लो हर एक चीज जो है काफी सॉलिड नजर आती है 3 घंटे इस लंबी फिल्म के अंदर जहां पर हर 10-15 मिनट के अंदर सिर्फ और सिर्फ फैन सर्विस हमें देखने को मिलती है ऐसी एक फिल्म के अंदर विजय हमें इस तरीके के कैरेक्टर में नजर आते हैं यह काफी इंटरेस्टिंग हो जाता है कैरेक्टर कैसा है उसके बारे में मैं बात नहीं कर सकता हूं क्योंकि वो स्पॉयलर में चला जाता है पर फिर भी जो कैरेक्टर वो प्ले कर रहे हैं जिस तरीके से प्ले कर रहे हैं उनकी जो बॉडी लैंग्वेज है हर एक चीज जो है काफी सॉलिड नजर आती है एक पल को आपको लगेगा ही नहीं कि ये वही विजय है जो सामने दूसरे कैरेक्टर को प्ले कर रहे हैं बिल्कुल एक डिफरेंट कैरेक्टर के तौर पर वो नजर आता है और ये चीज मुझे फिल्म में बहुत पसंद आई पर यहां पर सेकंड हाफ के अंदर जो प्रॉब्लम है वो है इसके गाने गाने केवल एवरेज गाने हैं वो केवल मात्र प्रॉब्लम नहीं है गानों को सेकंड हाफ के अंदर बहुत ही जोर जबरदस्ती से यहां पे डाला गया है और बहुत ही खराब जगह पर जो है यहां पर डाला गया है मतलब बहुत ही वियर्ड मतलब इस तरीके की जगह पर डालेगा कोई मतलब सेंसिबल डायरेक्टर डालेगा ये मैं सोच भी नहीं सकता हूं देखिए सेकंड हाफ में जितने भी गाने आते हैं वो सभी एक काइंड ऑफ सेलिब्रेशन है मतलब विजय आ रहे हैं नाच रहे हैं कमाल के स्टेप्स दे रहे हैं उसमें कैमियो आ रहा है ये सभी चीजें देखने में काफी मजेदार थी पर प्रॉब्लम यह है कि वो गाने ऐसे सिचुएशन में आ रहे हैं जहां पर किसी का भी मूड फिल्म देखते समय सेलिब्रेशन का नहीं है वो सिचुएशन ऐसी है वो कैरेक्टर ऐसे एक जोन में है कि किसी का सेलिब्रेट करने का जो है मन नहीं करेगा जिस तरीके से सेकंड हाफ की शुरुआत होती है फिल्म को सेकंड हाफ में क्लाइमैक्स से पहले तक तो एटलीस्ट जो है पूरे एक सीरियस स्टोन में चलना चाहिए था एक इंटेंस थ्रिलर के तौर पर इसे ट्रीट करना चाहिए था क्योंकि विजय का जो डी एजिंग वाला कैरेक्टर है उसमें काफी कुछ था यहां पर स्कोप जिसे एक्सप्लोर किया जा सकता था पर एक बहुत ही सिंगल डायमेंशन कैरेक्टर के तौर पर उसे यहां पर रखा गया और जिस कारण से कह सकते हैं कि जो थ्रिल भी है वो बहुत ज्यादा एक्साइट यहां पर फिल्म में नहीं कर पाता है बैकग्राउंड म्यूजिक की अगर मैं बात करूं तो पहला जो ग्लिम्स आया था वहां पर जो बीजीएम सुनने को मिला था वो मुझे काफी पसंद आया इवन फिल्म के अंदर जिन-जिन जगहों पर प्रॉपर तरीके से यूज किया गया है चीजों को अच्छी तरीके से एलीवेट भी करता है पर आज का एक ऐसा समय है जहां पर जब विजय जैसे बड़े स्टार के साथ आप फिल्म बना रहे हो या फिर कोई भी बड़ी कमर्शियल फिल्म बना रहे हो आपके पास तीन-चार अलग-अलग ट्रैक्स होने चाहिए अलग सिचुएशन अलग कैरेक्टर्स इस तरीके के ट्रैक्स होने चाहिए जो हर एक सिचुएशन के साथ मैच कर जाए पर वो यहां पर युवान शंकर राजा के पास इस फिल्म के लिए एटलीस्ट नहीं था जिस कारण से होता यह है कि कुछ-कुछ जगहों पर जहां पर विजय कि गांधी वाले कैरेक्टर को एलीवेट करना है वो सींस अच्छे से एलीवेट हो रहे हैं पर कुछ ऐसी जगह हैं जहां पर एक्शन हो रहा है कुछ और हो रहा है वो चीजें वो सींस जो है थोड़ा डिफरेंट बीजीएम यहां पर डिमांड करती है पर उन सींस में भी जो है यहां पर उसी बीजीएम को तोड़ मरोड़ के जो है यूज किया जाता है दूसरी तरफ इस पूरी फिल्म की अगर सबसे बड़ी कोई जान है तो वो है विजय का ये डी एजिंग वाला कैरेक्टर पर उस कैरेक्टर के लिए भी जो है एक प्रॉपर बीजीएम यहां पर नहीं रखा गया है बीजीएम के तौर पर आपको बता दूं एक जो यहां पर गाना आपने सुना होगा ये चिन्ना चिन्ना वाला जो गाना है उस गाने के धुन को जो है थोड़ा मॉडिफाई करके उस कैरेक्टर के लिए यूज किया गया है ये क्या डिसीजन है मतलब उस कैरेक्टर को अगर आप देखोगे जिस तरीके से उस कैरेक्टर को लिखा और प्रेजेंट किया गया है वो डिफरेंट एक बीजीएम होना चाहिए था कैसा है क्यों है वो मैं रोक रहा हूं अपने आप को बोलने से क्योंकि वो स्पॉयलर में चला जाएगा पर वो एक डिफरेंट बीजीएम होना चाहिए था इस तरीके का बीजीएम उस कैरेक्टर के साथ जाता ही नहीं है अदर वाइज कहा जा सकता है कि फर्स्ट हाफ के मुकाबले सेकंड हाफ काफी बेटर था वहां पर योगी बाबू के जो सींस हैं वो हंसाते भी हैं वहां पर जो मास एलिवेशन वाले मोमेंट्स हैं वो भी अच्छे काम आते हैं और कहानी के अंदर भी जो है थोड़ा बहुत कुछ इंटरेस्टिंग चल रहा होता है पूरी फिल्म की अगर मैं बात करूं तो पूरी फिल्म में अगर कुछ बहुत ज्यादा सेटिस्फाइंग यहां पर नजर आता है तो वो है फिल्म के आखिरी आखिरी 30-40 मिनट या फिर कहे आखिरी 20 मिनट पकड़ के चलो क्लाइमैक्स जो है फिल्म का अल्टीमेट फन है मतलब ऐसा राइटिंग लेवल पर कुछ नहीं है पर क्लाइमैक्स में आज के समय में जो फार्मूला चल रहे हैं यहां पर कैमियो को डालना रेफरेंसेस को डालना इन सभी चीजों को जिस तरीके से यूज किया गया है और इसके इर्दगिर्द ये दोनों कैरेक्टर्स हमें नजर आते हैं उन्हें देखने में क्लाइमैक्स के दौरान काफी मजा आता है खास करके एक सीन है जहां पर विजय जो है अपनी बेटी से पूछते हैं कि तुम किसकी फैन हो और वहां पर उसकी बेटी का जो रिप्लाई आता है और जो बैकग्राउंड म्यूजिक बचता है वहां पर वो एक्सपीरियंस करने लायक था मतलब वो मूमेंट जो है ना कमाल का था इतना ही नहीं एक और सीन है एक बेस्ट अपीरियंस आपको फिल्म में देखने को मिलता है और उस सीन के साथ वे कह सकते हैं कि तलपती विजय यहां पर इनडायरेक्टली ये हमें बता जाते हैं कि उनकी रिटायरमेंट के बाद यहां पर उनके नजरिए में कौन है जो अगला सुपरस्टार बन सकता है वो डायलॉग आता है जहां पर वो बंदा बोलता है कि आप जाइए आपको कुछ जरूरी काम है आप उसे पूरा कर लीजिए तब तक मैं संभालता हूं तो वो जो डायलॉग है वो मेटा लेवल पर जिस तरीके से काम करता है क्लाइमैक्स के दौरान मजेदार था इतना ही नहीं फिल्म को एक ओपन एंडिंग दी गई है यहां पर पूरे जो है चांसेस खुले छोड़े गए हैं इस फिल्म की कहानी को आगे बढ़ाने के अब विजय तो है रिटायरमेंट लेने वाले हैं अगली फिल्म के बाद पर हां चांसेस यहां पर छोड़े हुए हैं कि हां अगर वेंकट प्रभु चाहे तो और विजय चाहे तो इसका अगला पार्ट जो है आ सकता है दूसरी एक चीज जो ध्यान में रखने वाली चीज है अगर आप इस फिल्म को देखने जा रहे हो जाने की प्लानिंग कर रहे हो वो ये है कि इस फिल्म के अंदर ढेर सारे रेफरेंसेस हैं मतलब ढेर सारे शुरू से लेकर अंत तक आप आपको किसी ना किसी तमिल फिल्म का किसी ना किसी विजय की फिल्म का रेफरेंस जो है यहां पर देखने को मिलता है अब उन चीजों को हिंदी वर्जन में किस तरीके से रखा गया है और क्या आपको थिएटर में वो ऑडियंस मिलती है जिनको आपके साथ-साथ वो रेफरेंसेस समझ आ रहे हैं या नहीं वो एक बहुत बड़ा रोल प्ले कर सकता है आपके फिल्म देखने के एक्सपीरियंस के अंदर हां अगर मेरे एक्सपीरियंस की मैं बात करूं तो देखिए फर्स्ट हाफ के अंदर मुझे पर्सनली थोड़ा सा फील हुआ कि अब बहुत ज्यादा हो रहा है हर 10-15 मिनट के अंदर हर एक लाइन के अंदर गाने के अंदर कहीं ना कहीं जो है रेफरेंस डालने की जो है कोशिश की जा रही है कुछ अच्छे थे कुछ अननेसेसरी से फील होते हैं पर हां अंत होते-होते जो रेफरेंस वगैरह आते हैं वो सही माइनों में काफी मजेदार थे तो ओवरऑल अगर कहा जाए तो वेंकट प्रभु और तलपती विजय का ये कोलैबोरेशन एक जस्ट एक अबोव एवरेज या फिर कहे डिसेंट एंटरटेनर बनके रह जाता है अगर आप एक जनरल ऑडियंस हो तो आपको अपनी एक्सपेक्टेशन को जो है लिमिटेड रखना पड़ेगा पर अगर आप फैन हो तो ये फिल्म आपके लिए एक कंप्लीट पैकेज है तो ये था मेरा ओवरऑल ओपिनियन इस फिल्म को लेकर अगर आपने फिल्म देख ली है तो आपको पर्सनली फिल्म कैसी लगी है अगर आपने हिंदी में देखा है तो आपका हिंदी वर्जन का एक्सपीरियंस कैसा रहा है सभी चीजों को कमेंट सेक्शन में जरूर शेयर कीजिएगा तो दोस्तों बस यहीं तक था आज का हमारा वीडियो उम्मीद करते हैं वीडियो आपको पसंद आया होगा वीडियो शेक जरूर कीजिएगा मिलते हैं हमारे अगले वीडियो में तब तक के लिए बायबाय टेक केयर

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