WHAT IS INSURANCE & WHY HEALTH INSURANCE

Published: Aug 31, 2024 Duration: 00:09:10 Category: People & Blogs

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आज से काफी टाइम पहले जब चाइनीज और बेबिलोनिया लोग आपस में ट्रेड करते थे तो उन्होंने अपने रिस्क को कम करने के लिए एक ऐसा तरीका निकाला जो उससे पहले यूज नहीं होता था और वो आईडिया ऐसा था जिसे हम आज भी यूज करते हैं इनके पूरे ग्रुप ने मिलके यह डिसाइड किया कि हम लोग आपस में कुछ पैसा इकट्ठा कर लेंगे और अगर किसी एक को नुकसान होता है तो वह नुकसान हम आपस में बांट लेंगे इससे फायदा यह होगा कि कम पैसे में सब लोग रिस्क फ्री हो जाएंगे यह जो कांसेप्ट है यह आज भी चला आ रहा है जिसे हम इंश्योरेंस कहते हैं लोगों से पैसा इकट्ठा किया जाता है और उनको रिस्क फ्री कर दिया जाता है अगर यह पैसा कार के रिस्क के लिए इकट्ठा होता है तो उसे हम कार इंश्योरेंस बोल देते हैं अगर प्रॉपर्टी के रिस्क के लिए इकट्ठा होता है तो उसे हम प्रॉपर्टी इंश्योरेंस बोलते हैं ऐसे ही अगर हेल्थ के रिस्क के लिए इकट्ठा होता है तो उसे हम हेल्थ इंश्योरेंस बोल देते हैं अब क्योंकि आज के सिनेरियो में बहुत सारे लोग हैं और ये बहुत ही बड़े लेवल पे होता है तो आप ऐसे किसी पे विश्वास करके पैसा इकट्ठा करके नहीं दे सकते हैं तो इस पूरे प्रोसेस में एंट्री होती है एक ऐसी कंपनी की जो कि रेपुटेड है और गवर्नमेंट के रेगुलेशन फॉलो करती है जिसको हम इंश्योरेंस कंपनी बोलते हैं सब इस कंपनी को ट्रस्ट कर के पैसा जमा करते हैं और ये जो पैसा लोग देते हैं इसको हम प्रीमियम बोलते हैं लेकिन जैसे-जैसे आपके ऊपर जिम्मेदारी आने लगती है आपको इसकी इंपॉर्टेंस समझ में आने लगती है और अगर आप एक ऐसे यंगस्टर हो जिसके ऊपर उसकी फैमिली डिपेंडेंट है तब तो आपको इसके बारे में ज्यादा डिटेल्स पता होनी आदमी है जिसके मां-बाप हैं वाइफ है बच्चे हैं भाई और बहन है और वो अकेला कमाने वाला है तो इतनी बड़ी लाइफ वो इस भरो से नहीं जी सकता कि किसी को कुछ नहीं होगा और प्राइवेट हॉस्पिटल से पाना नहीं पड़ेगा ऐसा सोच के आगे बढ़ना बहुत ही गलत डिसीजन है एक मिडिल क्लास आदमी सिर्फ एक हॉस्पिटल के बिल से दूर रहता है गरीबी रेखा के नीचे आना ने में अब देखिए यहां से दो चीजें हैं या तो आपके पास इतना पैसा हो कि जब ऐसी सिचुएशन आए तो आप पैसा निकाल के इलाज करा लो और दूसरा तरीका सिर्फ यही बचता है कि आप हेल्थ इंश्योरेंस करवाओ आप जितने भी डेवलप देश देखोगे वहां के सारे सिटीजंस कवर्ड रहते हैं हेल्थ इंश्योरेंस से 20 से भी ज्यादा कंट्रीज हैं जहां पे उनकी 100% पॉपुलेशन इंश्योरेंस से कवर्ड है और जिस कंट्री का हेल्थ केयर सिस्टम वीक है वहां के सिटीजंस के लिए हेल्थ इंश्योरेंस मस्ट हैव है लेकिन इंडिया में अभी भी लोग इन सारी चीजों को भगवान के भरोसे छोड़ के या होनी को कौन टाल सकता है वाले कांसेप्ट के साथ अपने फ्यूचर को रिस्क पे डालते हैं जो कि गलत और जिस तेजी से इंफ्लेशन बढ़ रहा है ये चीज और क्रिटिकल हो जा रही है वैसे तो इंफ्लेशन हर जगह है लेकिन मेडिकल फील्ड में इंफ्लेशन की वजह से एक्सपेंस रेट डबल हो गया है एक ही साल में ट्रीटमेंट फीस और मेडिसिन की कॉस्ट हर साल बढ़ रही है और ये जो इंफ्लेशन की मैं बात कर रहा हूं यह भी बहुत बड़ा रीजन है कि हमें हेल्थ इंश्योरेंस लेना चाहिए मार्केट में काफी अलग-अलग तरह की कंपनीज हैं जो इंश्योरेंस ऑफर करती हैं लेकिन आप हर किसी के लिए एक जैसा इंश्योरेंस नहीं ले सकते हो आपको अपनी नीड के हिसाब से बेस्ट हेल्थ इंश्योरेंस लेना होगा ये है कि हेल्थ इंश्योरेंस लेना किसको चाहिए कहीं ऐसा तो नहीं है कि आप बिना मतलब में प्रीमियम भरे जा रहे हैं आपको इसकी जरूरत ही ना हो और ये जो बिल गेट्स है इलन मस्क है क्या ये हेल्थ इंश्योरेंस लेते हैं इनको इस चीज की जरूरत है देखिए इंश्योरेंस लेने से पहले आपको अपने आप से एक क्वेश्चन पूछना होगा कि जिस चीज के लिए आप इंश्योरेंस करवा रहे हैं क्या उस पर्टिकुलर चीज का नुकसान आप झेल सकते हैं अगर उस पर्टिकुलर चीज का नुकसान आप नहीं झेल सकते हैं तो आपको इंश्योरेंस करवाना होगा इलन मस्क या बिल गेट्स के ऊपर अगर कोई मेडिकल का खर्चा आ जाए तो झेल सकते हैं इसलिए वो उस चीज का इंश्योरेंस नहीं करवाएंगे वो उस चीज का इंश्योरेंस करवाएंगे जिसका नुकसान वो नहीं झेल सकते और सेम यही चीज हमें भी देख खनी है जो मिडिल क्लास आदमी है उनके लिए हेल्थ इंश्योरेंस मस्ट हैव है ये जो बचे हुए लोग हैं जिनके पास ना तो पैसा है और ना ही हेल्थ इंश्योरेंस इनके लिए नीति आयोग टाइम टू टाइम रिपोर्ट पब्लिश करती रहती है अक्टूबर 2021 की रिपोर्ट में ये जो बचे हुए लोग थे इनको मिसिंग मिडिल कहा गया क्योंकि सबसे ज्यादा रिस्क पे मिडिल क्लास ही है इस रिपोर्ट में बताया गया कि 40 करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्होंने इंश्योरेंस नहीं लिया और अभी भी रिस्क पे हैं अब ये भी डिस्कस कर लेते हैं कि हेल्थ इंश्योरेंस लेने का सबसे बेस्ट तरीका क्या है और क्या-क्या चीजें ध्यान में रखनी है जब आप हेल्थ इंश्योरेंस ले रहे हैं तो सबसे पहली चीज तो आपको ये देखनी है कि जो आप हेल्थ इंश्योरेंस ले रहे हैं वो कैशलेस है या नहीं क्योंकि अगर कैशलेस नहीं है तो आपको पैसे अरेंज करने होंगे और बाद में वो पैसा आपको कंपनी से मिलेगा और इसमें पेपर वर्क भी ज्यादा होता है तो आपको ट्राई करना है कि कैशलेस हो क्योंकि कैशलेस के केस में आप जिस इंश्योरेंस कंपनी से इंश्योरेंस ले रहे हो आपको बस उनके नेटवर्क हॉस्पिटल देखने होंगे कि जिस एरिया में आप रह रहे हो उसमें उस पर्टिकुलर इंश्योरेंस कंपनी के हॉस्पिटल्स हैं कि नहीं ताकि अगर कुछ इमरजेंसी हो तो आप उस हॉस्पिटल में जाके इलाज करा लो और इंश्योरेंस कंपनी खुद पेमेंट कर देगी डायरेक्ट हॉस्पिटल को दूसरी चीज आपको देखनी होगी कि आपकी पॉलिसी में प्री एंड पोस्ट हॉस्पिटलाइजेशन है कि नहीं अब आपने ट्रीटमेंट करा के इंश्योरेंस कंपनी से पैसा तो जमा करा दिया लेकिन ट्रीटमेंट से पहले और बाद में भी बहुत सारे खर्चे होते हैं कई सारे टेस्ट होते हैं कंसल्टेशन फीस होती है डॉक्टर्स की कुछ केसेस में फिजियोथेरेपी भी रिकमेंड की जाती है एंबुलेंस वगैरह तो ये सारी चीज भी आपको चेक करनी है आपको यह भी देखना है कि आपके इंश्योरेंस में कोपे का ऑप्शन है कि नहीं मान लो आपका ₹1 लाख का खर्चा आया है हॉस्पिटल का और आपके इंश्योरेंस में 5 पर कोपे का क्लॉज डला हुआ है तो उस केस में 5000 आपको देने पड़ जाएंगे आपको कैप ऑन कवरेज ये भी देखना है इंश्योरेंस लेने से पहले कि कहीं कोई लिमिट तो सेट नहीं करी गई है किसी पर्टिकुलर ट्रीटमेंट के लिए मान लीजिए आपको नी सर्जरी करवानी पड़े और जो इंश्योरेंस आपने लिया है उसमें नीज सर्जरी के ऊपर कैप लगा हुआ है 80000 का तो उस केस में 80000 के ऊपर जो भी खर्चा होगा वो आपको देना होगा कैप का मतलब कि लिमिट सेट करी हुई है इसके साथ-साथ जब भी आप पॉलिसी कंपेयर करें तो नो क्लेम बोनस पे भी ध्यान दें अगर आप पूरे साल इंश्योरेंस यूज नहीं करते हैं तो कुछ इंश्योरेंस कंपनी आपको बोनस देती हैं कुछ आपका कवर अमाउंट बढ़ा देती है कुछ चेकअप फ्री कर देती हैं कुछ प्रीमियम में कंसेशन दे देती हैं तो आपको यह भी देखना है देखिए मार्केट में जाके बस जो सबसे सस्ता हेल्थ इंश्योरेंस है जिसका प्रीमियम कम आ रहा है सिर्फ उसको उठा लेने से सारी प्रॉब्लम सॉल्व नहीं हो जाएगी आपको इंश्योरेंस कंपनी की रेपुटेशन और क्लेम सेटलमेंट रेशियो भी देखना है ताकि जब आपको उस इंश्योरेंस की जरूरत पड़े तो उसका क्लेम आपको मिले उसकी जगह पे किसी ना किसी वजह से आपकी एप्लीकेशन पे रिजेक्शन ना मिले क्लेम सेटलमेंट रेशो से आपको पता चलता है कि कंपनी ने कितने लोगों को इंश्योरेंस का क्लेम दिया है और कितनों का रिजेक्ट किया है अगर आपको प्री एग्जिट डिजीज है तो आपको उसके हिसाब से पॉलिसी लेनी होगी और कभी भी आप अपनी प्री एसिस्टिंग डिजीज को छुपाए मत ऐसा करने पे आपकी पॉलिसी टर्मिनेट हो जाती है सर और लेटर उनको पता ही चल जाता है चीजें छुपाने से आपका प्रीमियम तो जाएगा ही और पॉलिसी भी टर्मिनेट हो जाएगी जिस डेट को आप इंश्योरेंस ले रहे हैं उसके 48 मंथ यानी 48 मंथ से पहले तक आपको अगर कोई भी डिजीज है तो वो प्री एक्जिस्टिंग डिजीज मानी जाती है दूसरी चीज आपको बहुत ही ध्यान से समझनी है कि आपने जो इंश्योरेंस लिया है उसमें कोई रूम रेंट कैपिंग है या नहीं और अगर है तो कितनी है मान लीजिए आप किसी हस्प हॉस्पिटल में एडमिट हुए हैं तो हॉस्पिटल में कई तरह के रूम्स होते हैं कहीं पे डीलक्स रूम होते हैं कहीं पे लग्जरी रूम होते हैं अब कभी-कभी तो आप अपनी मर्जी से चूज करते हैं कि कौन सा रूम चाहिए आपको और कभी-कभी आपकी मजबूरी होती है वो लग्जरी रूम लेना क्योंकि बाकी जो रूम होते हैं वो अवेलेबल नहीं होते हैं या फिर हॉस्पिटल हाईफाई होता है अब मान लो आपने लग्जरी रूम ले लिया जिसकी एक दिन की कीमत है ₹1000000 अब अगर आपका इंश्योरेंस बिना कैप वाला है यानी कि कोई लिमिट नहीं है आप कोई सा भी रूम ले सकते हो तो उस केस में तो कोई दिक्कत नहीं है लेकिन अगर आपका इंश्योरेंस कैप वाला है कि उसमें लिमिट सेट है तो आपको पूरे पैसे नहीं मिलेंगे रूम रेंट के अब आप कहोगे कि पूरे नहीं मिलेंगे तो फिर कितने मिलेंगे देखिए इंश्योरेंस कंपनी कहती है कि अगर आपको रूम अच्छा चाहिए ज्यादा पैसे वाला चाहिए तो आपको अपनी पॉलिसी भी ज्यादा की लेनी होगी अगर आपका इंश्योरेंस 5 लाख का है तो 5000 तक का रेंट मिलता है जनरली 1 पर मिलता है टोटल पॉलिसी का अब आप कहोगे कि इसमें तो कोई दिक्कत नहीं है मान लो ₹ लाख का हॉस्पिटल का बिल आया है और रूम रेंट का ₹5000000 [संगीत] कंपनी क्या करती है कि आपके पूरे इंश्योरेंस को लिंक कर देती हैं आपके रूम रेंट से मतलब कि अगर आपने रूम लिया है 10000 का और इंश्योरेंस के हिसाब से रूम रेंट बनता है ₹5000000 या कहीं इंश्योरेंस लेने जब आप जाते हैं तो इसमें दो प्लान होते हैं एक इंडिविजुअल प्लान दूसरा फैमिली फ्लोटर प्लान इंडिविजुअल प्लान तो आप समझते ही होंगे कि इंडिविजुअली आपकी जरूरत के हिसाब से आप अपना प्लान ले सकते हैं फैमिली फ्लोटर में क्या होता है कि आपकी पूरी फैमिली क्लब हो जाती है एक पर्टिकुलर इंश्योरेंस से फॉर एग्जांपल आपने ₹ लाख का फैमिली फ्लोटर का इंश्योरेंस लिया अब आपकी पूरी फैमिली में कोई भी बीमार होगा तो उस 5 लाख को यूज कर लेगा लेकिन एक दिक्कत है कि अगर कोई दूसरा भी बीमार हो गया तो उस केस में और अमाउंट नहीं देगी इंश्योरेंस कंपनी अब आप कहोगे कि ये प्लान तो सबसे बढ़िया है इसको लेना चाहिए क्योंकि पूरी फैमिली एक साथ तो बीमार पड़ेगी नहीं देखिए ये जो इंश्योरेंस कंपनी है ये भी चैरिटी करने तो नहीं आई है ये जो फैमिली फ्लोटर प्लान बनता है ये एज के हिसाब से बनता है अगर आपकी फैमिली में ज्यादा सीनियर लोग हैं तो आपका जो प्रीमियम बनेगा वो ज्यादा जाएगा इंडिविजुअल प्लान के कंपेरटिवली इसलिए जब भी आप फैमिली फ्लोटर प्लान ले तो उस प्लान में आप सीनियर सिटीजंस को ऐड ना करें उनके लिए अलग से इंडिविजुअल इंश्योरेंस ले लें वो ज्यादा फीजिबल रहता है अब लास्ट क्वेश्चन यह है कि हेल्थ इंश्योरेंस लेना कितना चाहिए देखिए इसमें बहुत सारे फैक्टर्स होते हैं कि आपकी ऐज कितनी है फैमिली की कोई मेडिकल हिस्ट्री है कि नहीं प्री एजिस्टिफाई कैसा है आपका उसके हिसाब से इंश्योरेंस प्लान लेना चाहिए आपको लेकिन जनरली यह बोला जाता है कि अगर आपकी एज 30 से कम है तो कम से कम आपको 3 लाख का कवर तो लेना ही चाहिए और अगर आप फैमिली फ्लोटर ले रहे हैं तो कम से कम 5 लाख का कवर तो आप ले ही वैसे मेट्रो सिटीज में अगर आप रहते हो तो वहां पे आपको इससे भी ज्यादा लेना चाहिए क्योंकि वहां पे बिल ज्यादा बनता है कुछ एक्सपर्ट्स ये भी सजेस्ट करते हैं कि आपकी एनुअल इनकम का 50 पर होना चाहिए या फिर आपके एरिया में जो हॉस्पिटल है वहां पे जो हार्ट सर्जरी की जितनी भी कॉस्टिंग है उतना कवर तो आपका कम से कम होना चाहिए एक चीज और है कि आपको टैक्स बेनिफिट भी मिलता है जब आप हेल्थ इंश्योरेंस लेते हैं सेक्शन 80d के अंदर ₹2500000 का टैक्स बेनिफिट मिलता है

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