बिना शक्ति के बढ़ोतरी कैसे हवा का बल आकर्ष की यह नई ताकत देखने के बाद चंद्रिका गुरुकुल की इंदु की आंखें बिल्कुल स्थिर हो गई थोड़ी देर पहले जब रजत ने उससे कहा था कि आकर्ष उससे ज्यादा शक्तिशाली है तो वह इस बात को स्वीकार करने को बिल्कुल भी तैयार नहीं थी लेकिन अब आकर्ष के हवा के बल की ताकत को देखने के बाद उसे समझ में आया था कि उसने आकर्ष की ताकत पर संदेह करके सभी के सामने अपने खुद का मजाक बना दिया है ऐसा कैसे हो सकता है एक ब्रह्मा मंडल के चौथे स्तर के योद्धा के पास पूर्ण रूप के हवा के बल की ताकत कैसे हो सकती है इंदु का मस्तिष्क अब धीरे-धीरे करके काम करना बंद करने लगा एक पल के लिए तो उदय की भांति उसे भी यही लगने लगा कि शायद यह सब एक ब्रम है और कुछ नहीं तो क्या हुआ अगर इसके पास पूर्ण रूप का बल है यह अभी सिर्फ ब्रह्मा मंडल के चौथे स्तर में है और रफ्तार में यह ब्रह्मा मंडल के छठे स्तर के योद्धा का मुकाबला तो कभी भी नहीं कर सकता है इसके अला जादुई हथियार भी तो है जादुई हथियार सिर्फ शारीरिक शक्ति में वृद्धि कर सकता है हवा के बल जैसी ऊर्जा में किसी भी प्रकार की वृद्धि नहीं करेगा इसलिए अभी भी यह मुझसे कमजोर ही है इंदु ने अपने आप को सांत्वना देते हुए कहा कहते हैं जब इंसान अपने आप को बहुत ही ज्यादा हताश महसूस करने लगता है तो वह जानबूझकर अपने आप को कुछ ऐसी आशाएं देने लगता है जिससे उसकी हिम्मत बनी रहे इंदू भी यही कर रही थी इधर अखाड़े के अंदर तो तुम बल के आरंभिक स्तर में पहुंच चुके हो अच्छा ही है कम से कम अब तुम्हारे साथ मुकाबला करने में थोड़ा मजा तो आएगा रजत ने हल्का मुस्कुराते हुए कहा और फिर अगले ही पल अपने छठे स्तर के जादुई हथियार का आहवान किया उसके जादुई हथियार के आते ही रजत के सिर के ऊपर हाथियों की परछाइयां बढ़कर 1100 तक पहुंच गई अपनी ताकत में वृद्धि करने के बाद अब रजत आकर्ष की तरफ किसी चील की भांती देखने लगा उसकी आंखों में इस समय चंचलता साफ नजर आ रही थी जैसे आकर्ष कोई शिकार हो और वह उसका शिकारी स्वूश रजत की ताकत में वृद्धि होने के बाद भी आकर्ष के चेहरे के भाव में कोई परिवर्तन नहीं आया था उसने एक पल के लिए तो उन 1100 हाथियों की परछाइयों की तरफ देखा और फिर अपने हाथ को हवा में उठाया उसके ऐसा करते ही उसके छठे स्तर का जादुई हथियार भी प्रकट हो गया जैसे ही उसने अपनी आंतरिक ऊर्जा का प्रवाह अपने जादुई हथियार में किया तो उसके सिर के ऊपर भी हाथियों की परछाई बढ़कर 800 तक पहुंच गई यह आकर्ष की अधिकतम शक्ति थी जो वह अपने शारीरिक शरीर के साथ उत्पन्न कर सकता था वैसे तो हवा का बल भी उसकी पूरी ताकत का एक हिस्सा था मगर उसकी शारीरिक शक्ति में नहीं गिना जा सकता था वह एक अलग प्रकार की ऊर्जा थी इधर आकर्ष की ताकत देखने के बाद अब रजत एक बार फिर से आकर्ष पर प्रहार करने आगे बढ़ा उसकी तलवार एक बार फिर से चमकने लगी थी और वह नई आभा उसमें दिखाई देने लगी थी रजत को आगे बढ़ते देख अब आकर्ष भी उससे सीधा लड़ने आगे बढ़ा इस मामले में दोनों ही योद्धा एक जैसे थे दोनों की क्रिया प्रतिक्रिया एक ही समय पर हो रही थी आगे बढ़ते हुए ही एक बार फिर से आकर्ष के पैरों में आंतरिक ऊर्जा का प्रवाह होने लगा तब तक रजत की तलवार आकर्ष के चेहरे के बिल्कुल सामने पहुंच चुकी थी यह एक जानलेवा प्रहार था जिसे रोकने का समय आकर्ष के पास नहीं था अभी के समय वह सिर्फ इस प्रहार से अपना बचाव ही कर सकता था इसलिए उसने ब ही निपुणता के साथ अपने शरीर को पीछे की तरफ झुकाया तलवार कुछ ही दूरी से होते हुए उसके सिर के एकदम ऊपर से निकल गई रजत का यह प्रहार बहुत ही ज्यादा तेज था उसने इस प्रहार में कितनी ज्यादा ताकत का इस्तेमाल किया था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता था कि जब आकर्ष ने उस तलवार से अपना बचाव किया था तो वह तलवार आगे जाते हुए जमीन पर एक गहरा निशान छोड़कर गई थी यह निशान इतना बड़ा था कि इसके अंदर तीन-चार योद्धा एक साथ छुप सकते थे सिर्फ इतना ही नहीं आंतरिक ऊर्जा का इस्तेमाल करने के कारण हवा में भी उसकी तलवार की कुछ ऊर्जा खर्च हुई थी जो आगे जाकर पास के एक बड़े से पत्थर से जा टकराई टक्कर होते ही वह पत्थर एक ही पल में टूटकर पूरा चकनाचूर हो गया रजत ने इस प्रहार में पूरे 1100 हाथियों की ताकत का इस्तेमाल किया था इसलिए ऐसा होना तो स्वाभाविक था आम इस प्रहार से बचने के बाद अब आकर्ष दूसरे प्रहार के लिए खुद को तैयार करने लगा लेकिन इस बार वह अपना बचाव नहीं करने वाला था उसने पहले ही अपने हवा के बल का प्रयोग किया जिस कारण एक बार फिर से उसके सिर के ऊपर 200 अतिरिक्त हाथियों की परछाइयां दिखाई देने लगी इस प्रकार अब उसके पास 1000 हाथियों की ताकत हो चुकी थी शीष तलवार उसके पास तलवारबाजी की जो सबसे श्रेष्ठ युद्ध कला थी उसने उसका प्रयोग किया और अब रजत पर प्रहार करने के लिए आगे बढ़ा उसके इस प्रहार में पूरे 1000 हाथियों की ताकत थी जो कि रजत की 1000 100 हाथियों की ताकत से अभी भी कम थी ऐसा इसलिए था क्योंकि उसका जादुई हथियार हवा के बल जैसी अलग प्रकार की ऊर्जा में किसी भी प्रकार की बढ़ोतरी नहीं कर सकता था जादुई हथियार जब भी किसी योद्धा की ताकत में बढ़ोतरी करते थे तो उनकी प्राथमिकता हमेशा योद्धा की शारीरिक ताकत होती थी भले ही ताकत कम थी लेकिन फिर भी आकर्ष ने अपनी तलवारबाजी का बहुत ही उत्तम प्रदर्शन करने की कोशिश की उसने अपने हवा के बल का प्रयोग करके अपनी तलवारबाजी की युद्ध ला को और भी ज्यादा तेज किया ताकि उसके द्वारा किया जाने वाला प्रहार और भी ज्यादा खतरनाक हो जाए हवा की सबसे बड़ी ताकत ही यह थी कि यह रफ्तार बहुत तेज कर सकती थी पहले से ही उसकी शीर्ष तलवार अपनी तेज गति के लिए जानी जाती थी और अब हवा के बल की ताकत साथ में होने के कारण उसका प्रहार इतना ज्यादा तेज हो गया था कि अगर एक ब्रह्मा मंडल के सातवें स्तर का योद्धा भी सामने आ जाता तो उसके लिए भी इस प्रहार का सामना करना मुश्किल था वैसे यहां सिर्फ तलवारबाजी की बात हो रही थी संपूर्ण ताकत की नहीं स्वूश इधर जैसे ही रजत ने देखा कि आकर्ष उसके प्रहार से बच गया है तो उसके चेहरे के भाव थोड़े कठोर हो गए उसने तुरंत ही अपनी गमय श्रेणी की युद्ध कला का प्रयोग किया और फिर से आकर्ष पर प्रहार करने के लिए आगे बढ़ा जिस समय उसने यह प्रतिक्रिया दी थी उस समय तक आकर्ष ने अपना प्रहार नहीं किया था जब तक उसने अपने प्रहार को तेज किया तब तक रजत भी आधा रास्ता पार कर चुका था इस बार के प्रहार पर आकर्ष को पूरा विश्वास था इसलिए उसने बिना किसी हिचकिचाहट के सीधे ही अपने प्रहार को आगे जाने दिया आकर्ष का यह प्रहार इतना ज्यादा तेज था कि आसपास मौजूद योद्धाओं में सिर्फ पांचों गुरुकुल के गुरुकुल प्रमुख और एल्डर ही उसके प्रहार को स्पष्ट रूप से देख पा रहे थे गुरुकुल के शिष्यों के लिए तो उसका प्रहार एक प्रकार से अदृश्य हो चुका था सभी योद्धा बड़े ही एकाग्र मन के साथ अखाड़े की तरफ देख रहे थे लेकिन फिर भी उनमें से कोई भी इस बात का अंदाजा नहीं लग पा रहा था कि आकर्ष किस जगह पर प्रहार करने वाला है इसका एक कारण यह भी था कि अभी तक जितने भी योद्धाओं ने आकर्ष की तलवारबाजी का सामना किया था उन्हें आकर्ष के प्रहार समझ में नहीं आए थे और जिन्हें समझ में आए थे वह अब इस दुनिया में नहीं थे स्विश एक ही क्षण बाद एक बहुत ही स्पष्ट आवाज सभी को सुनाई पड़ी जब दोनों योद्धा एक दूसरे के करीब से होते हुए दूसरी तरफ निकले केवल तब जाकर सभी को समझ में आया था कि वह स्पष्ट आवाज क्या थी हालांकि रजत की रफ्तार काफी ज्यादा तेज थी उसके पास 1100 हाथियों की ताकत थी लेकिन आकर्ष के इस नए प्रहार ने फिर भी रजत के कुछ बालों को बड़ी ही निपुणता के साथ काट दिया था यह किस प्रकार की तलवारबाजी है क्या यह भी किसी युद्ध कला का हिस्सा है गिंज गुरुकुल के गुरुकुल प्रमुख ने एक आश्चर्य से भरे स्वर में अपने आप से पूछा उनकी आंखों में इस समय एक अलग ही प्रकार की चमक आ चुकी थी जो अभी तक किसी ने भी नहीं देखी थी बहुत अच्छे आकर्ष लेकिन अभी मुकाबला खत्म नहीं हुआ है अब इसका सामना करो रजत ने एक जोशीले स्वर में कहा और फिर से आकर्ष पर प्रहार करने की तैयारी करने लगा स्वूश उसकी रफ्तार इस समय पहले की तुलना में थोड़ी और तेज हो गई थी आगे बढ़ते हुए वह ऐसा लग रहा था जैसे कोई तेंदुआ बड़ी ही तेजी से पहाड़ से नीचे उतर रहा हो उसकी तलवार में एक बार फिर से वह नई आभा दिखाई देने लगी साथ में उसके सिर के ऊपर 70 अतिरिक्त हाथियों की परछाइयां भी प्रकट हो गई थी जो इस और इशारा कर रही थी कि रजत अब अपने तलवार के बल के आंशिक रूप का प्रयोग कर रहा है आम आम आम आम देखते ही देखते रजत के हाथ में मौजूद उस छठे स्तर के जादुई हथियार में से कुछ और परछाइयां बाहर निकलने लगी और उन्होंने भी तलवार का रूप ले लिया अब यह सारी परछाइयां मिलकर आपस में जुड़ने लगी और एक और नई आकृति का रूप लेने लगी कुछ ही देर में वह सारी आकृतियां मिलकर एक बहुत ही विशालकाय कमल में बदल गई इस बार रजत आकर्ष के करीब नहीं गया बल्कि उसने दूर से ही इस कमलन मा आकृति से आकर्ष पर प्रहार करने की कोशिश की वह अभी जिस तकनीक का प्रयोग कर रहा था यह उसके आसुरी कमलादुगू कला भी संपूर्ण नहीं थी यह मुख्य कमला तकनीक का बस एक छोटा सा हिस्सा था अगर स्तर की तुलना की जाए तो यह मुख्य कमला तकनीक सप्त शौरी गुरुकुल की सबसे शक्तिशाली युद्ध कला के जितनी ही शक्तिशाली थी दोनों ही समान स्तर की युद्ध कलाएं थी अम रजत की यह युद्ध कला देखने के बाद अब आकर्ष के चेहरे के भाव थोड़े से बदलने लगे इस मुकाबले को लेकर अब वह थोड़ा गंभीर होने लगा लक्ष्य के अनुभव के साथ वह यह साफ देख पा रहा था कि रजत की इस युद्ध कला की वजह से उसकी तलवारबाजी भी काफी ज्यादा तेज हो चुकी है रफ्तार के मामले में वह बिल्कुल उसकी शीर्ष तलवार के बराबर पहुंच चुकी है सिर्फ इतना ही नहीं उसकी आध्यात्मिक शक्ति में भी अब थोड़ी सी हलचल होने लगी थी जो इस बात की ओर इशारा कर रही थी कि अब उस पर जो प्रहार होने वाला है उससे उसे बहुत ज्यादा खतरा हैयां गति खतरे का आभास होते ही आकर्ष ने अपनी पूरी रफ्तार का इस्तेमाल किया और जितना हो सके रजत से दूर जाने की कोशिश की रजत की इस युद्ध कला का सामना वह पहली बार कर रहा था इसलिए अभी तक उसे पता नहीं था कि जो कमल की आकृति आसमान में प्रकट हुई है वह किस प्रकार से प्रहार कर सकती है जब प्रहार के बारे में कुछ भी पता ना हो तो सबसे उचित कदम यही होता है कि उससे जितना हो सके दूर जाएं आकर्ष को लग रहा था कि इस प्रकार से दूर जाने के बाद वह इस प्रहार से बच सकता है लेकिन ऐसा नहीं था जिस दिशा में आकर्ष जा रहा था वह कमल भी उसी दिशा में आ रहा था ऐसा लग रहा था जैसे उस कमल के पास अपने शत्रु को पहचानने और उसका पीछा करने की क्षमता हो यह ठीक नहीं है अगर ऐसा ही चलता रहा तो बहुत जल्द यह कमल मेरे पास पहुंच जाएगा अभी तक मुझे यह भी पता नहीं है कि यह कमल किस प्रकार से प्रहार कर सकता है आकर्ष अलग-अलग दिशाओं में भागते हुए अपने आप को बचाने का कोई तरीका सोचने लगा वैसे इसकी उम्मीद उसने बिल्कुल भी नहीं की थी कि रजत आखिरी समय के लिए अपना इतना शक्तिशाली प्रहार अलग से बचा कर रखेगा जितना भाग सकते हो भागो आकर्ष पर तुम इस कमल से बच नहीं पाओगे आसुरी कमलादुगू नागेश ने एक उत्साह स्वर में अपने आप से कहा इसके बाद उन्होंने गुरुकुल प्रमुख वर्धमान सिंह राठौर की तरफ देखा और कहना शुरू किया गुरुकुल प्रमुख वर्धमान सिंह मानना पड़ेगा कि तुम्हारे गुरुकुल का यह शिष्य आकर्ष है तो बहुत ही ज्यादा प्रतिभाशाली ब्रह्मा मंडल में होते हुए भी इसने हवा के बल के पूर्ण रूप को नियंत्रण में कर लिया है प्रतिभाशाली योद्धा एक अच्छा तलवारबाज और एक बहुत ही शातिर इंसान तुम्हारे इस शिष्य में लगभग वह सभी गुण है जो एक अच्छे योद्धा में में होने चाहिए मगर अफसोस अच्छे योद्धाओं का जीवन ज्यादा लंबा नहीं होता उम्मीद करता हूं कि आकर्ष इस मुकाबले के अंत तक जिंदा बचा रहे गुरुकुल प्रमुख नागेश अभी तक मुकाबला खत्म नहीं हुआ है इसलिए इतनी जल्दी परिणाम तक पहुंचना आपको नहीं लगता कि आप कुछ ज्यादा ही जल्दबाजी दिखा रहे हैं वर्धमान सिंह राठौड़ को पता था कि नागेश उनके हौसले को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं इसलिए उन्होंने बिल्कुल ही शांत स्वर में जवाब दिया क्या वर्धमान सिंह कहीं तुम्हें यह तो नहीं लग रहा है कि तुम्हारे गुरुकुल का यह शिष्य आकर्ष हमारे गुरुकुल की नई पीढ़ी के सबसे शक्तिशाली योद्धा रजत को हरा सकता है तुम्हें लगता है कि तुम्हारे इस शिष्य आकर्ष के पास हमारे गुरुकुल की सबसे शक्तिशाली युद्ध कला कमला तकनीक का कोई तोड़ होगा गुरुकुल प्रमुख नागेश ने थोड़ा नाखुश होते हुए कहा और फिर वापस से अखाड़े की तरफ देखने लगे जैसे ही उनका ध्यान अखाड़े की तरफ गया उन्होंने कुछ ऐसा देखा जिस कारण एक ही पल में उनके चेहरे पर से सारी मुस्कुराहट गायब हो गई पता नहीं कैसे पर आकर्ष की रफ्तार में अब धीरे-धीरे बढ़ोतरी हो रही थी और उस विशालकाय कमल व आकर्ष के बीच की दूरी भी धीरे-धीरे करके बढ़ रही थी ऐसा कैसे हो सकता है इसकी रफ्तार में अचानक से यह बढ़ोतरी कैसे हुई है आसुरी कमलादुगू प्रमुख नागेश ने एक आश्चर्य से भरे स्वर में अपने आप से पूछा वह अभी भी देख पा रहे थे कि आकर्ष की शारीरिक शक्ति जो कि 811 हाथियों की ताकत थी उनमें किसी भी प्रकार की बढ़ोतरी नहीं हुई है वह इस बारे में जितना ज्यादा सोच रहे थे उनकी उलझन उतनी ही ज्यादा बढ़ रही थी उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि बिना शारीरिक शक्ति में बढ़ोतरी के कोई योद्धा अपनी रफ्तार में बढ़ोतरी कैसे कर सकता है जब तक वह इस बारे में सोच रहे थे तब तक आकर्ष की रफ्तार इतनी ज्यादा बढ़ चुकी थी कि ऐसा लग रहा था जैसे उसके ऊर्जा स्तर में एक स्तर की बढ़ोतरी हो गई है जिस गुरुकुल प्रमुख नागेश ने अपना आधा जीवन देने के बाद भी सिर्फ अथर्व मंडल में प्रवेश किया था वह अपनी इतनी छोटी सी समझ के साथ कैसे अंदाजा लगा सकता था कि आकर्ष के पास आंतरिक ऊर्जा को बदलने की क्षमता भी है उसके पास आवृत्ति ऊर्जा भी है जो बिना किसी की पकड़ में आए भी अपना प्रभाव दिखा सकती है आकर्ष ने अपनी आवृत्ति ऊर्जा को अपने पैरों में प्रवाहित किया था जिस वजह से उसकी रफ्तार में बढ़ोतरी हो गई थी उसकी आवृत्ति ऊर्जा के पास 100 हाथियों की ताकत थी जो कि एक ब्रह्मा मंडल के ऊर्जा स्तर को भरने के लिए पर्याप्त थी वाया श गति आकर्ष इस समय अपनी सभी योग्यताओं और क्षमताओं का एक साथ प्रयोग कर रहा था इस वजह से कुछ ही देर में उसने उस बड़े से कमल को बहुत पीछे छोड़ दिया लगता है इस रजत को हराने के लिए अब मुझे अपनी बाकी क्षमताओं के साथ अपनी आवृत्ति ऊर्जा का प्रयोग भी करना पड़ेगा उस बड़े कमल से दूर जाने के बाद आकर्ष में मन ही मन सोचा और फिर रजत की तरफ देखने लगा रजत दूर खड़े होकर अपनी तलवार से उस बड़े से कमल को इस समय नियंत्रित कर रहा था आकर्ष ने तुरंत ही अब अपनी दिशा एक बार फिर से बदली और अपनी आवृत्ति ऊर्जा का प्रयोग अपने पैरों में करते हुए तेजी से रजत की तरफ बढ़ने लगा रजत ने जब देखा कि आकर्ष उसकी तरफ आ रहा है तो उसके चेहरे के भाव तुरंत बदल गए जल्दबाजी में उसने उस विशालकाय कमल पर से अपना नियंत्रण हटाया और अपने जादुई हथियार के साथ आकर्ष का सामना करने के लिए तैयार हो गया जैसे ही उसका ध्यान उस कमल पर से हटा वह कमल तुरंत ही कुछ ऊर्जांचल वार एक पलक झपक से भी कम समय में आकर्ष रजत के बिल्कुल करीब पहुंच चुका था पर इस बार उसने हमेशा की भांति सीधा प्रहार नहीं किया बल्कि वह किसी सांप की भांति बार-बार टेरा मेरा चलने लगा उसकी यह अजीब सी गति देखने के बाद रजत थोड़ा उलझन में पड़ गया क्योंकि अब उसके लिए अंदाजा लगा पाना काफी मुश्किल हो गया था कि आकर्ष किस दिशा से और कहां पर प्रहार करने वाला है यह क्या हो रहा है इतनी जल्दी इसमें इतने परिवर्तन कैसे आ गए हैं रजत ने गुस्से में दांत पीसते हुए अपने आप से पूछ अपने पिता कीं उ भी यह बात अंदर ही अंदर खाई जा ही थी कि बिना अपनी शारीरिक शक्ति में बढ़ोतरी के आकर्ष की संपूर्ण ताकत में बढ़ोतरी कैसे हो गई है आकर्ष के सिर के ऊप जो हाथियों की परछा थी उमें किसी भी प्रकार की बढ़ोतरी नहीं जिस मत र् ने नहीं कि था फिर अचानक से उसकी शक्ति में यह परिवर्तन कैसे आ गए थे आकर्ष की आवृत्ति ऊर्जा असल में उसकी आंतरिक ऊर्जा का ही एक उतराव रूप था इसलिए जिस प्रकार आंतरिक ऊर्जा का किसी भी अंग किसी भी हथियार किसी भी मंत्र अभिलेख और किसी भी युद्ध कला के साथ प्रयोग किया जा सकता था ठीक उसी प्रकार वह अपनी आवृत्ति ऊर्जा को भी इन सभी के साथ अच्छे से मिलाकर प्रयोग कर सकता था सीच 397 एक प्रहार के साथ जीत हार का फैसला प पिछली बार तो बच गए लेकिन इस बार मैं तुम्हें बचने का मौका नहीं दूंगा रजत को उलझन में देख आकर्ष के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कुराहट आ गई अपने दुश्मन पर प्रहार करने का सबसे अच्छा मौका तब होता था जब आपका दुश्मन आपके द्वारा किए जाने वाले प्रहार को लेकर उलझन में हो आकर्ष इस समय अपनी पांचों योग्यताओं का एक साथ इस्तेमाल कर रहा था उसकी वायाजार उसकी आंतरिक ऊर्जा उसका हवा का बल और उसकी आवृत्ति ऊर्जा वृत्ति ऊर्जा और सांप की भांति गति करने के कारण आगे बढ़ते हुए उसकी कई परछाइयां बनने लगी थी अचानक से एक बिंदु ऐसा आया जब आकर्ष पूरी तरह से सभी की आंखों के सामने से ओझल हो गया वह कहां गया इंदु ने एक आश्चर्य से भरे स्वर में अपने आप से पूछा अखाड़े के बाहर खड़े शिष्यों में इस समय उसका ऊर्जा स्तर सबसे ज्यादा उच्च था लेकिन वह भी इस समय यह नहीं देख पा रही थी कि आकर्ष आखिर कहां गायब हुआ है यह आकर्ष की खुद की रफ्तार तो नहीं हो सकती है जरूर इसने किसी और शक्ति का सहारा लिया है सिर्फ 800 हाथियों की ताकत के साथ किसी योद्धा की रफ्तार इतनी ज्यादा तेज कैसे हो सकती है कि वह सामान्य शिष्यों की आंखों के सामने से ओजल हो जाए इस लड़के के साथ कुछ तो गड़बड़ है चंद्रिका गुरुकुल के गुरुकुल प्रमुख ने एक आश्चर्य से भरे स्वर में कहा यह लड़का आखिरकार है कौन किस वंश का अंश इसकी रगों में इस समय दौड़ रहा है आसुरी कमलादुगू नागेश ने भी एक अजीब से भाव के साथ अखाड़े की तरफ देखते हुए कहा रफ्तार तो उनके खुद के बेटे रजत की भी बहुत तेज थी लेकिन इतनी तेज नहीं थी कि अपनी उम्र के बाकी योद्धाओं के सामने से पूरी तरह ओझल हो जाए भले ही ताकत में उनका बेटा अभी भी आकर्ष से ज्यादा शक्तिशाली दिख रहा था लेकिन रफ्तार जो कि एक योद्धा के लिए सबसे ज्यादा जरूरी होती थी इसमें आकर्ष ने उनके बेटे रजत को पछाड़ दिया था इसमें भी सबसे अजीब बात यह थी कि आकर्ष को लड़ते देख उन्हें किसी की याद आ गई थी कोई ऐसा जिसके बारे में सोचकर ही उनके चेहरे पर पसीना आने लगा था अब यह इंसान कौन था इसका जवाब तो सिर्फ गुरुकुल प्रमुख नागेश ही जानते थे अचानक से उनकी आंखों के सामने कुछ दृश्य घूमने लगे इनमें एक दृश्य वह भी था जिसमें आकर्ष ने गिरिगित को हराया था उस मुकाबले में भी गुरुकुल प्रमुख नागेश को यह बात बहुत ज्यादा अजीब लगी थी कि आकर्ष ने अपने से शक्तिशाली योद्धाओं को बहुत ही सरलता से हरा दिया था उस समय आकर्ष और उसके प्रतिद्वंदी के बीच में 77 हाथियों की ताकत का अंतर था लेकिन फिर भी उसको आकर्ष के हाथों हारना पड़ा गुरुकुल प्रमुख नागेश को अच्छे से याद था कि उस समय आकर्ष ने अपने हवा के बल का प्रयोग नहीं किया था अगर उसने हवा के बल का प्रयोग किया होता तो गिरगिर कब का मृत्यु को प्राप्त हो चुका होता बिना हवा के बल के सिर्फ अपनी शारीरिक शक्ति के साथ ऊर्जा स्तर के अंतर को भरने की क्षमता यह सब उन्हें अतीत में घटी कुछ घटनाओं की याद दिला रहा था बहुत अच्छे आकर्ष बाकी चारों गुरुकुल के सदस्यों के विपरीत सप्त शौरी गुरुकुल के दोनों विभाग प्रमुख और वर्धमान सिंह राठौड़ इस समय चाहकर भी अपने उत्साह पर नियंत्रण नहीं रख पा रहे थे आज आकर्ष जो कर रहा था उसे करने का सपना वह काफी समय पहले से देख रहे थे यहां आने से पहले वह बस एक ही उम्मीद कर रहे थे कि 3 साल बाद होने वाले मुकाबले में आकर्ष प्रथम स्थान प्राप्त करें लेकिन आकर्ष की वास्तविक शक्ति देखने के बाद उनके मन में एक उम्मीद जाग उठी थी कि प्रथम स्थान प्राप्त करने के लिए उन्हें अब 3 साल तक का इंतजार नहीं करना होगा अपनी क्षमताओं के साथ शायद वह लोग इस साल के प्रथम स्थान को ही हासिल कर ले इधर अखाड़े के अंदर स्वूश आकर्ष रजत के बिल्कुल करीब पहुंच चुका था खुद रजत को भी अब डर लगने लगा था क्योंकि उसे अभी तक पता नहीं चला था कि प्रहार कहां से होने वाला है रजत हमें मुकाबला लंबा खींचने की कोई जरूरत नहीं है तुम चाहो तो हम एक ही प्रहार से फैसला कर सकते हैं कि हम दोनों में से विजेता कौन है आकर्ष रजत के चारों तरफ अलग-अलग जगह पर थोड़ी-थोड़ी देर के लिए प्रकट होने लगा और इसी दौरान उसने यह बात रजत से कही उसकी आवाज ज्यादा तेज तो नहीं थी मगर फिर भी सभी लोग उसकी आवाज स्पष्ट रूप से सुन पा रहे थे आकर्ष के अलग-अलग जगह पर प्रकट होने के कारण अब रजत और भी ज्यादा उलझन में पड़ गया था वह अपने मन को शांत रखने की पूरी कोशिश कर रहा था और पूरी एकाग्रता के साथ अंदाजा लगाने की कोशिश भी कर रहा था कि प्रहार कहां से हो सकता है अब वह आकर्ष को बिल्कुल भी हल्के में नहीं ले रहा था क्योंकि उसे भी पता चल चुका था कि आकर्ष की रफ्तार अब उससे कहीं आगे निकल गई है अगर यहां पर उसने थोड़ी सी भी लापरवाही दिखाई तो उसका जख्मी होना निश्चित है धक धक धक धक चारों तरफ इतनी ज्यादा शांति हो चुकी थी कि रजत अपने खुद के हृदय की गति भी सुन पा रहा था इस समय अपने हृदय की गति के अलावा उसके कानों में सिर्फ एक ही आवाज गूंज रही थी जो कि किसी हवा के झोके की भांती लग रही थी रजत पूरी एकाग्रता के साथ पता लगाने की कोशिश कर रहा था कि यह हवा का झोंका किस तरफ से उसके करीब आने की कोशिश कर रहा है मैं शुरुआत से जानता था कि तुमने अभी तक अपनी वास्तविक शक्ति प्रदर्शित नहीं की है आकर्ष लेकिन मुझे यह पता नहीं था कि तुम अपनी ताकत को इतनी गहराई से छुपाकर रखे हुए हो रजत ने मन ही मन में अपने आप से कहा जब आकर्ष और गिंज गुरुकुल के उस शिष्य का मुकाबला हुआ था रजत को उसी समय पता चल गया था कि आकर्ष ने अपनी वास्तविक शक्ति प्रदर्शित नहीं की है विशेषकर जब गिंज गुरुकुल के उस शिष्य के हाथ से उसकी तलवार छूटकर दूर गिरी थी इसी से उसे अंदाजा लग गया था कि आकर्ष कितना ज्यादा खतरनाक है पांचों गुरुकु के गुरुकुल प्रमुखों के सामने अपनी शक्ति का प्रदर्शन करना और उन्हें भी इस बात की भनक ना लगने देना कि उसने किस शक्ति का प्रयोग किया है यह कोई आम योद्धा तो नहीं कर सकता था ठीक है अगर तुम ऐसा ही चाहते हो तो मुझे यह स्वीकार है लेकिन इसके लिए पहले तुम्हें मेरे सामने आना होगा और हमें फिर से मुकाबला शुरू करना होगा मुझे अपने आप को तैयार करने के लिए थोड़ा समय चाहिए रजत ने एक शांत स्वर में कहा इतना तो उसे भी पता था कि अगर आकर्ष ने अभी उस पर प्रहार किया तो उसका हारना निश्चित है अब इतनी बड़ी पहचान के साथ वह सभी के सामने बिना प्रहार किए हार कैसे मान सकता था इसलिए उसने आकर्ष के सामने यह शर्त रखी ताकि वह अपनी पूरी ताकत को फिर से इस्तेमाल कर पाए असल में अभी तक आकर्ष की सिर्फ रफ्तार तेज हुई थी उसकी शक्ति अभी भी रजत से कम थी हालांकि वह रजत पर प्रहार तो कर सकता था और उसके जीतने की संभावना भी थी लेकिन साथ में जख्मी होने की भी संभावना थी इसलिए उसने अपनी तेज रफ्तार का इस्तेमाल करके गायब होना ही ठीक समझा और छुपकर प्रहार करने के लिए कोई सही मौका ढूंढने लगा पर इसी समय रजत ने उसके सामने यह शर्त रख दी रजत को अभी तक यह बात पता नहीं थी अगर उसे पता होता तो वह आकर्ष के सामने ऐसी शर्त कभी नहीं रखता आकर्ष ने शुरुआत से ही ऐसा दिखाया था कि वह कभी भी रजत पर प्रहार कर सकता है इस वजह से रजत को थोड़ी घबराहट महसूस हुई और वह और भी ज्यादा उलझन में गिरता गया कई बार अपने प्रतिद्वंद्वी को हराने के लिए शारीरिक शक्ति से ज्यादा मानसिक शक्ति की जरूरत पड़ती है ऐसा ही आकर्ष ने किया उसने पहले तो रजत को डरने पर मजबूर किया और फिर पीछे हटने पर रजत की शर्त सुनने के बाद आकर्ष ने अपनी रफ्तार थोड़ी धीमी की और रजत से थोड़ा दूर जाकर खड़ा हो गया दोनों योद्धा अब एक दूसरे का सीधा सामना करने के लिए तैयार थे मैं प्रहार कर रहा हूं अगर रोक सकते हो तो रोको रजत ने एक चेतावनी देते हुए कहा और फिर अपनी पूरी ताकत के साथ आकर्ष पर प्रहार करने उसकी तरफ बढ़ा एक बार फिर से उसकी तलवार से कुछ आकृतियां बाहर निकलने लगी और एक दूसरे से जुड़कर उस बड़े और विशालकाय कमल का निर्माण करने लगी रजत के पास प्रहार करने का एक ही मौका था इसलिए वह इस एक ही प्रहार में आकर्ष को खत्म कर देना चाहता था अगर आकर्ष ने इस प्रहार को सहन कर लिया या इसे रोक लिया तो जीत आकर्ष की होने वाली थी और अगर वह ऐसा करने में असफल हुआ तो जीत रजत की होने वाली थी प्रहार करने से पहले रजत ने आकर्ष को चेतावनी इसलिए दी थी क्योंकि वह सभी के सामने यह प्रदर्शित करना चाहता था कि वह प्रतिभाशाली योद्धाओं को बहुत ही ज्यादा महत्व देता है वह अपनी छवि को सुधारना चाहता था इधर फिर से उस बड़े से कमल को देख आकर्ष के चेहरे के भाव गंभीर हो गए वैसे वह चाहता तो पिछली बार की भांति इस बार भी अपनी तेज रफ्तार का इस्तेमाल करके उस बड़े से कमल से बच सकता था लेकिन ऐसा करने का कोई फायदा नहीं होता क्योंकि शर्त यह थी कि दोनों योद्धाओं को एक ही प्रहार में जीत और हार का फैसला करना है ना कि प्रहार से दूर भागना है बश एक बार फिर से उसके जादुई हथियार में आंतरिक ऊर्जा का प्रवाह होने लगा और हवा के बल की आभा उसके शरीर में दिखाई देने लगी अचानक से उसके जादुई हथियार में हल्के कंपन होने लगे और धीरे-धीरे करके इन कंपन की आवृत्ति भी बढ़ने लगी वह अपनी आवृत्ति ऊर्जा का इस्तेमाल कर रहा था जो कि इस समय तक अपने चरम पर पहुंच चुकी थी रजत अभी तक का पहला योद्धा था जिसने आकर्ष को ब्रह्मा मंडल में पहुंचने के बाद अपनी पूरी ताकत इस्तेमाल करने पर मजबूर किया था पूरे 1043 हाथियों की ताकत इनमें से 611 हाथियों की ताकत तो उसकी शारीरिक शक्ति का हिस्सा थी 200 हाथियों की ताकत उसके हवा के बल से आई थी और पीछे जो 232 हाथियों की ताकत शेष बची थी यह उसके जादुई हथियार के द्वारा शक्ति में की गई वृद्धि थी इन सबके साथ वह अपने गुस्से को भी थोड़ा बढ़ने का मौका दे रहा था ताकि उसके प्रहार में और ज्यादा उग्रता आए वह फिर से उस पुराने वाले आकर्ष के अवतार में आ गया था जिसे सिर्फ मारना आता था जो खून का प्यासा रहता था और अपने दुश्मनों पर बिल्कुल भी दया नहीं दिखाता था चल आकर्ष दिखा दे सबको कि तू क्या है आकर्ष की अंतर आत्मा से एक आवाज सुनाई पड़ी उधर रजत के द्वारा निर्मित किया गया वह विशालकाय कमल आकर्ष के काफी करीब पहुंच चुका था रजत के सिर पर इस समय अनिश्चित हाथियों की परछाइयां दिखाई दे रही थी जो 1450 से 1180 के बीच में कम ज्यादा हो रही थी ऐसा इसलिए हो रहा था क्योंकि अभी तक उसके तलवार के बल ने एक पूर्ण रूप नहीं लिया था लेकिन 1100 हाथियों की ताकत एक निश्चित रूप में उसके पास थी इसके तलवार के बल ने अभी तक पूर्ण रूप नहीं लिया और इसकी वजह से इसके हाथियों की ताकत कम ज्यादा हो रही है ऐसी स्थिति में मैं सिर्फ एक ही प्रहार कर सकता हूं जिसमें मेरे जीतने की संभावना अधिक है अगर मैंने दूसरा प्रहार किया तो मेरी आवृत्ति ऊर्जा अपना असर नहीं दिखा पाएगी इसलिए जो कुछ करना है मुझे एक ही प्रहार में करना होगा आकर्ष ने उस विशालकाय कमल के फूल की तरफ देखते हुए अपने आप से कहा अगर दोनों योद्धाओं के बीच शक्ति के अंतर की बात की जाए तो यह लगभग 100 हाथियों की ताकत का अंतर था आकर्ष के पास 1043 हाथियों की ताकत थी वहीं दूसरी तरफ रजत के पास 1150 से 1180 हाथियों की ताकत अगर वह अपनी आवृत्ति ऊर्जा का प्रयोग करता है तो उसके साथ वह ज्यादा से ज्यादा 1150 हाथियों की ताकत तक पहुंच सकता था यानी कि उसके पास एक ही मौका था सारी स्थिति का अंदाजा लगाने के बाद अब आकर्ष ने अपनी आध्यात्मिक शक्ति का प्रयोग किया और उस विशालकाय कमल का जल्दबाजी में निरीक्षण करने लगा पैंग उसके ऐसा करते ही एक उस कमल के फूल से एक ऊर्जा निकली और वह आकर्ष पर दबाव डालने लगी यह दबाव बहुत ही ज्यादा अजीब था आकर्ष को ऐसा महसूस हो रहा था कि उसके शरीर पर दबाव लग रहा है लेकिन वास्तविकता में इस प्रकार का कोई भी दबाव वहां पर नहीं था अब स्थिति आकर्ष के लिए उलझन भरी हो गई थी इसलिए वह धीरे-धीरे करके अपने कदम पीछे बढ़ाने लगा ताकि और भी अच्छे तरीके से उस कमल के फूल का निरीक्षण कर सके अभी आकर्ष ने खुद कहा था कि एक ही प्रहार में जीत और हार का फैसला करते हैं अब जब सच में उस पर प्रहार किया जा रहा है तो ऐसे समय में यह पीछे हट रहा है ऐसा नहीं लग रहा जैसे यह अपने ही कहे शब्दों का मजाक उड़ा रहा है बाहर खड़े कुछ शिष्यों ने आकर्ष पर तंस कर ते हुए कहा तो यह बात है अचानक से आकर्ष की आध्यात्मिक शक्ति ने कुछ महसूस किया जिसके बाद आकर्ष के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कुराहट आ गई वाया गति शीर्ष तलवार एकदम से उसने अपने पांव जमीन पर स्थिर किए और अगले ही पल आगे की तरफ प्रहार करने बढ़ा अबकी बार उसका निशान वह विशालकाय कमल का फूल था लेकिन वह उसके पंखुड़िया की तरफ नहीं बल्कि उसके तने की तरफ बढ़ रहा था असल में आकर्ष ने अपनी आध्यात्मिक शक्ति के साथ यह महसूस कर लिया था कि जिस तलवार के बल के साथ अपनी तलवार का प्रयोग करके रजत ने उस कमल के फूल का निर्माण किया है उसके हाथियों की ताकत में हो रही वृद्धि और गिरावट का असर उस कमल की ताकत पर भी पड़ रहा है यानी कि उस कमल के फूल की ताकत भी निश्चित नहीं थी और क्योंकि उस कमल के फूल को बनाने के लिए उसके तने का निर्माण सबसे पहले किया गया था तो आकर्ष ने उसके तने को ही अपना निशाना बनाया उसने बहुत ही सोच समझकर प्रहार किया था वह पहले ही गणना कर चुका था कि अगली बार उस फूल की ताकत कब कम होगी जैसे ही ताकत कम हुई उसने उस फूल के तने पर अपनी आवृत्ति ऊर्जा के साथ प्रहार कर दिया पैंग एक भयंकर गर्जना के साथ उस विशालकाय कमल के फूल में कंपन होने लगे और क्योंकि यह कमल का फूल रजत की तलवार के साथ जुड़ा हुआ था तो परिणाम स्वरूप उसकी तलवार भी जोरों से कंपन करने लगी क्लंग देखते ही देखते कंपन इतने बढ़ गए कि मजबूरी में रजत को अपनी तलवार दूर फेंक पड़ी रजत को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि अचानक से उसकी तलवार में कंपन क्यों होने लगे हैं जब तक वह इस बारे में ज्यादा कुछ सोच पाता एक मुक्का सीधा आकर उसके सीने पर लगा ब यह मुक्का आकर्ष ने मारा था जिसके प्रभाव में रजत किसी गेंद की भांती उड़ता हुआ दूर जा गिरा हवा में उड़ते हुए भी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि उसके साथ अचानक से यह सब कुछ क्या हो रहा है प्लीज सब्सक्राइब टू आवर चैनल कहानी संगर थैंक्स फॉर वाचिंग