एक ऐसा इंसीडेंट जिसको भारत के इतिहास में सबसे खतरनाक इंसिडेंट माना जाता है यह बात है 1999 कंधार हाईजैक की जिसमें इंडियन एयरलाइंस i8 144 को पांच लोगों के द्वारा हाईजैक किया गया था और इन पैसेंजर्स को रिहा करने के लिए हाई जैगर्स ने 200 मिलियन डॉलर्स की मांग की थी और साथ ही साथ कुछ आतंकवादियों को जेल से रिहा करने के लिए भी मांग की थी जो कि आगे चलकर अमेरिका के 911 और मुंबई के 2611 और 2001 के इंडियन पार्लियामेंट अटैक्स से भी जुड़ा हुआ है तो चलो दोस्तों आपको पूरी कहानी बताता हूं कि एक्चुअली इसकी शुरुआत होती कहां से है आफ ह डि एला पन फर 8 डे मिी हाक ऑफ इंडियन एला पसेंजर पन कंधार हाईजैक मामले में बड़ा खुलासा हुआ तो यह सब शुरू होता है क्रिस्मस ईव 1999 में काठमांडू नेपाल का त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट है इंडियन एयरलाइंस फ्लाइट आई 814 यह प्लेन दिल्ली जाने के लिए तैयार हो रहा था प्लेन के पाइ पाट कैप्टन देवी शरण कॉकपिट में थे और उनके साथ फर्स्ट ऑफिसर राजेंद्र कुमार और फ्लाइट इंजीनियर अनिल कुमार जाग भी थे और एयरपोर्ट की टर्मिनल के अंदर पैसेंजर सिक्योरिटी चेक करने के लिए खड़े हुए थे और उस लाइन में वही पांच आदमी भी थे हाथों में बैग्स लेकर अब इंटरेस्टिंग बात ये है कि जब ये सिक्योरिटी से गुजर रहे थे तो एक साइलेंट नॉड होता है इन आदमियों और एक सिक्योरिटी ऑफिसर के बीच में मतलब सब कुछ सेट था पहले से और इन लोगों के नाम के टिकट्स भी फर्जी थे और पाकिस्तान में बैठे दाऊद इब्राहिम ने एक फोन कॉल किया था उसने काठमांडू में अपने बंदे को बोला कि इन पांच आदमियों को बिना कोई सवाल किए सिक्योरिटी चेक से गुजरने दो यहां तक कि इंडियन इंटेलिजेंस ने भी इस मैसेज को इंटरसेप्ट किया था उन्हें पता चल गया था कि कोई प्लेन हाईजैक होने वाला है लेकिन यह नहीं पता था कि कौन से डेट और कौन से टाइम पे और कौन से प्लेन हाईजैक होने वाली है फिर 4:4 पे i 814 हवा में उड़ती है सब कुछ नॉर्मली लग रहा था लेकिन कुछ देर बाद हाईजैकर्स ने अपना प्लान एक्टिवेट किया पांच हाईजैकर्स पैसेंजर्स और क्रू को गन पॉइंट पे लिया और प्लेन में बहुत ही कॉस भच चुका था चीफ हाईजैकर सीधा कॉक विट में घुसता है और कैप्टन देवी शरण को धमकी देता है कि प्लेन को लाहौर के लिए टर्न मारो अब कप्तान चाहता था कि प्लेन इंडिया के अंदर ही रहे इसलिए उसने हाईजैकर्स को बोला कि फ्यूल बहुत ही कम है और प्लेन को हमें बीच में ही रोकना पड़ेगा लेकिन हाईजैकर्स अपना होमवर्क करके आए थे उन्हें पता था कि लहर तक पहुंचने के लिए इतना फ्यूल काफी है अब प्लेन पाकिस्तान और इंडिया के बॉर्डर के आसपास घूम रहा था कप्तान बार-बार लाहौर के एटीसी से क्लीयरेंस मांग रहा था कि हमें लाहौर के एयरपोर्ट में लैंड करने दो क्योंकि लाहौर के एटीसी ने इस फ्लेम को लैंड करने के लिए साफ-साफ इंकार कर दिया था कि हम आपको यहां लैंड नहीं करने देंगे अमृतसर के एटीसी को भी बुलाया गया था मदद करने के लिए लेकिन उनको हाईजैकिंग हैंडल करने का एक्सपीरियंस नहीं था फाइनल कैप्टन हाईजैकर्स को मना लेते हैं कि हमें प्लेन को अमृतसर में लैंड करना ही होगा प्लेन को रिफ्यूल करने के लिए वरना हम लाहौर नहीं पहुंच पाएंगे तो अब अमृतसर एयरपोर्ट पर प्लेन 7:1 पर लैंड करता है लेकिन यहां इंडियन अथॉरिटीज एक नहीं बल्कि बहुत सारी गलतियां कर बैठते हैं जब प्लेन अमृतसर पर लैंड होता है तब इमीडिएट रिक्वेस्ट की जाती है कि प्लेन को रिफ्यूल किया जाए लेकिन यहां पे इंडियन अथॉरिटीज का कुछ अलग ही प्लान था हाईजैकिंग के बाद एक लोकल कम्युनिटी बनाई जाती है जिसका मकसद होता है कि प्रीम को ज्यादा से ज्यादा देर तक रोका जा सके ताकि कमांडोज को टाइम मिल सके एक स्ट्रेटेजी बिल्ड करने में लेकिन यहां हाईजैकर्स को शौक हो गया था कि प्लेन रिफिलिंग करने में इतना वक्त क्यों लग रहा है और उन्होंने साफ-साफ मना कर दिया था लोकल पुलिस से बात करने के लिए कि हम आपसे नेगोशिएशन नहीं करेंगे हम दिल्ली में बैठे ऑफिशियल से ही बात करेंगे कैप्टन देवी शरण फिर से रिक्वेस्ट करते हैं कि प्लेन को जल्द से जल्द रिफ्यूल किया जाए वरना ये हाईजैकर्स पैसेंजर्स को मारना शुरू कर देंगे और अब धीरे-धीरे 15-20 मिनट गुजर जाते हैं लेकिन कोई भी रिफ्यूलिंग नहीं की जाती और तभी हाईजैकर्स एक पैसेंजर सतन सिंह पर हमला कर देते हैं और कैप्टन देवी शरण तीसरी बार फिर से रिफिलिंग के लिए रिक्वेस्ट करते ते हैं और 745 मिनट पर एटीसी के द्वारा एक प्लान आता है कि हम प्लेन के आगे एक फ्यूल टैंक को खड़ा कर दे ताकि प्लेन टेक ऑफी ना कर पाए लेकिन यह प्लान बहुत ही भारी पड़ता है ड्राइवर रनवे की तरफ जा ही रहा होता है लेकिन उसकी स्पीड नॉर्मल में से बहुत ही ज्यादा तेज होती है और फिर उसे कांटेक्ट किया जाता है कि गाड़ी को तेज मत चलाओ धीरे चलाओ और यही चीज हाईजैकर्स ने देख लिया होता है और उनको शक होने लगता है कि कुछ तो गड़बड़ है तो वो बिना रिफ्यूलिंग के कैप्टन को कहते हैं कि प्लेन को फट से फट टेक ऑफ करो हमें यहां से निक लना है रिफिलिंग की कोई जरूरत नहीं और वो चीज कैप्टन देवी शरणम को मानना पड़ता है तो इसलिए उन्होंने प्लेन को वापस उड़ाने का फैसला किया और वो प्लेन बार-बार उस फील्ड टैंक से टकराने से बचता है और प्लेन 749 पम पर उड़ जाता है और ये वही टाइम था जब एनएसडी के कमांडोज एयरपोर्ट पहुंचते हैं और इन्हें कोई मौका नहीं मिलता और एक बहुत ही बड़ी अपॉर्चुनिटी थी जो कि इंडिया ने खो दी थी अब अमृतसर से प्लेन लाहौर की तरफ उड़ता है अब वहां पे पाकिस्तानी एयर स्पेस तो बंद थी एयरपोर्ट की सारी लाइट्स नेविगेशन लहर एटीसी ने बंद कर रखी थी और उन्होंने साफ-साफ तो मना कर ही दिया था कि ये प्लेन लैंड नहीं होगा और कैप्टन को भी हाईजैकर्स की तरफ से बहुत ही प्रेशर आ रहा था कि प्लेन को कैसे भी करके लाहौर पे लाइन करो ही करो हमें फर्क नहीं पड़ता और फ्लाइट धीरे-धीरे नीचे आती है और अचानक से कैप्टन देवी शरण रियलाइफ करते हैं कि वो एक हाईवे के ऊपर क्रैश लाइन करने जा रहे हैं और ये देख के वो फाइनल रिक्वेस्ट करते हैं लहर एटीसी को कि हमें लैंड करने दो वरना हम हाईवे पर क्रैश लैंडिंग कर जाएंगे तो यह सुनकर फाइनली पाकिस्तान के ट्रैफिक कंट्रोल ने i 814 को लैंड करने के लिए परमिशन दे दी और ये लाहौर पर लैंड करता है 8:7 पर अब इंडिया से पाकिस्तान को नोटिस जाता है कि ये प्लेन को वापस उड़ने मत देना और उनके साथ नेगोशिएट करना और यहां लाहौर एयरपोर्ट में फाइनली प्लेन को रिफ्यूल भी किया जाता है और प्लेन को वापस टेक ऑफ ना होने के लिए एयरपोर्ट की वापस सारी लाइटें स्विच ऑफ की जाती है और पाकिस्तान के कमांडो इस प्लेंग को घेर लेते हैं पाकिस्तान की शायद पूरी कोशिश रहती है कि इनके साथ नेगोशिएट करें लेकिन उनका ये प्लान फेल हो जाता है और ये बातों से हाईजैकर्स बहुत ही ज्यादा फ्रस्ट्रेट हो जाते हैं क्योंकि उनका कोई सलूशन ही नहीं बन रहा था उनके नेगोशिएशन का उनकी कोई डिमांड्स पूरी नहीं की जा रही थी और फिर एक और पैसेंजर रूपिंग कटियाल 25 साल के गुड़गांव के आदमी जो कि अपनी वाइफ के साथ हनीमून से वापिस लौट रहे थे उनको मार दिया जाता है पाकिस्तान का सिर्फ इतना काम था कि वो इंडियन कमिश्नर जीत पात्र सारथी को इस्लामाबाद से लाहौर के लिए हेलीकॉप्टर प्रोवाइड कर सके लेकिन वो इस चीज में 3 घंटे लेट थे और जब तक वो वहां पहुंचते प्लेन टेक ऑफ कर चुका था अब सवाल तो यही आता है कि प्लेन को कमांडोज ने तो घेर रखा था टेक ऑफ कैसे किया अब इसको रोकने के लिए पाकिस्तान गवर्नमेंट ने कितनी कोशिश करी कितनी कोशिश नहीं करी इसमें ज्यादा काफी कॉन्फ्लेट मीडिया रिपोर्ट्स है ज्यादातर मीडिया रिपोर्ट्स यही कहती हैं कि पाकिस्तान चाहता था कि प्लेन जल्द से जल्द उनकी कंट्री से बाहर निकल जाए अब इसके बाद प्लेन डायरेक्ट दुबई की तरफ निकलता है लेकिन दुबई के अथॉरिटीज इसे लैन करने के लिए मना कर देते हैं और वो कहते हैं कि दुबई के पास ही एक एयरबेस है अल मिनाड एयरपोर्ट आप वहां लैंड कीजिए अब इंडिया की पूरी कोशिश रहती है कि यूएई पे प्रेशर दिया जाए और प्लेन को दुबई में ही लैंड किया जाए लेकिन तब के टाइम इंडिया और यूएसए के ज्यादा अच्छे रिलेशन नहीं थे क्योंकि तब के टाइम इंडिया में पोखन टेस्ट हुए थे और उसकी वजह से यूएसए ने इंडिया को साइडलाइन कर दिया था तो इसलिए भारत यूएसए प भी ज्यादा प्रेशर नहीं डाल पाया कि आप यूएई को कुछ बोलिए तो प्लेन को दुबई के पास ही मनाथ एयर बेस पर लैन किया गया और एक यहां पे अच्छी चीज होती है कि करीब यहां पे 26 पैसेंजर्स को रिहा किया जाता है और फिर से यह प्लेन टेक ऑफ करता है और बढ़ता है अफगानिस्तान के कंधार की तरफ जहां पे तालिबान का राज चल रहा था और ये दूसरा दिन था 26 दिसंबर सुबह के 8:00 बज रहे थे यह प्लेन लैंड करता है अफगानिस्तान के कंधार की तरफ और पैसेंजर्स के लिए यह जगह अगले छ दिनों के लिए घर बन चुका था और चौका देने वाली बात यह थी कि तालिबान की अथॉरिटीज ऑफर करते हैं कि वो मिडेट करेंगे हाईजैकर्स और इंडिया के बीच और तब के टाइम भारत और तालिबान के बीच कोई भी डिप्लोमेटिक रिलेशन नहीं था और भारत तालिबान को रिकॉग्नाइज भी नहीं करता था तो इसलिए इंडियन गवर्नमेंट ने पाकिस्तान के इस्लामाबाद से एक हाई कमीशन को भेजा नेगोशिएट करने अब तालिबान ने प्लीन को चारों तरफ से घेर लिया था हथियारों के साथ और तालिबान का कहना था कि हमने इन्हें इसलिए घेरा है ताकि हाई जैकर्स किसी को मारना लेकिन ज्यादातर लोगों का यही मानना है कि इंडियन मिलिट्री ऑपरेशन रोकने के लिए इस प्लेन को चारों तरफ से घेरा गया था ताकि इंडिया कोई प्लान ना कर पाए अब प्लेन में बैठे पैसेंजर्स की हालत बहुत ही खराब हो चुकी थी क्योंकि प्लेन जो कि सिर्फ दो घंटे उड़ने वाला था उस हिसाब से इसमें खाने पीने का सामान टॉयलेट्स का सामान मौजूद था और कंधार आते-आते यहां दो दिन ऑलरेडी हो जाता है और फाइनली हाईजैकर्स अपनी कुछ यहां डिमांड बताते हैं पहला उनका डिमांड होता है 200 मिलियन डॉलर चाहिए और दूसरी डिमांड होती है कि 36 आतंकवादियों को रिहा करने के लिए मांग थी और तीसरी मांग ये थी कि एक और मुर्दा आतंकवादी की बॉडी की डिमांड करते हैं जो कि श्रीनगर में दफनाए हुई थी अब भारत पर बहुत ही प्रेशर बढ़ रहा था और सीनियर मिनिस्टर के आपस में ही बात चल रहा था कि क्या करना चाहिए रिपोर्ट्स के मुताबिक होम मिनिस्टर एल के अडवाण इसके पूरे खिलाफ थे क्योंकि उनको लगता था कि इससे सरकार बिल्कुल कमजोर नजर आएगी क्योंकि सेम 1989 में जो गवर्नमेंट थी उन्होंने भी सेम किया था तो ये चीज हम नहीं कर सकते और ये चीज हमें आगे चलकर बहुत ही नुकसान भी कर सकता है और दूसरी तरफ एक्सटर्नल अफेयर मिनिस्टर जसवंत सिंह उनका कहना था कि आतंकवादी को छोड़ना जरूरी है क्योंकि 1660 लोगों की जान खतरे में है इनकी जान ज्यादा कीमती है बजाय उन आतंकवादियों के फिर दिसंबर 27 इंडिया अपने ऑफिशियल को भेजता है नेगोशिएट करने के लिए और बड़ी नेगोशिएशन के बाद वो पैसा और आतंकवादियों के डिमांड हटा के आखिरी डिमांड रखा जाता है कि तीन आतंकवादियों को छोड़ा जाएगा अब उन तीन आतंकवादियों को छोड़ा गया और उनमें से एक फेमस आतंकवादी था मौलाना मसूद असर जो कि आगे चलकर जश्ने मोहब्बत की स्थापना की जो कि फ्यूचर में भारत के लिए एक बहुत ही बड़ा खतरा बनने वाला था यह आतंकवादी वही था जो कि जश्ने मोहब्बत का फाउंडर था जो कि आगे चलकर 2001 की इंडियन पार्लियामेंट अटैक्स 2008 के मुंबई अटैक्स और 2019 के पुलवामा अटैक्स में इसका हाथ शामिल था और साथ ही साथ इन तीन आतंकवादियों में से जो दूसरा आतंकवादी था अहमद ओमर सईद शेख उसके भी यूएसए के 911 अटैक में हाथ शामिल था और तीसरा आतंकवादी मुस्तक अहमद जरगर जो कि आज भी खुलेआम घूम रहा है वापस आ जाते हैं इस टाइमलाइन पर अब ये तीनों आतंकवादी को भारत के विदेश मंत्री जसवंत सिंह पर्सनली एक प्लेन में दिल्ली से कंधार लेकर जा ते हैं अब डेट दिसंबर 31 आ चुका होता है तीनों आतंकवादियों को कंधार में रिलीज किया जाता है और दूसरी तरफ से भी हाईजैकर्स भी पैसेंजर्स को रिलीज करते हैं अब ये पॉइंट पर इंडिया ने एक्सपेक्ट किया था कि हाईजैकर्स को अरेस्ट कर लिया जाएगा तालिबानियों की तरफ से लेकिन उसका कुछ उल्का ही होता है उन हाईजैकर्स और आतंकवादियों को पाकिस्तान के बॉर्डर की तरफ लेकर जाया जाता है और भारत को समझ आ जाता है कि इसमें सारा हाथ पाकिस्तान का था और बाद में यह कंफर्म किया जाता है कि पांचों पाकिस्तान के ही थे तो ये थी कहानी आईसी 800 14 हाईजैक की कितना बड़ा क्राइसिस था ये हाईजैकर्स ने प्ले को हाईजैक करके कैसे पूरा पॉलिटिकल और डिप्लोमेटिक खेल बना दिया ऐसे केस में हर देश का अपना अलग तरीका होता है इसे हैंडल करने का लेकिन भारत तब शायद तैयार नहीं थी और इस हाईजैकिंग का असर जो कि उन तीन आतंकवादियों को रिलीज किया गया था वो बड़े रीजन बनते हैं 911 के 2611 के और भारत के पार्लियामेंट से भी जुड़ा होता है आपको क्या लगता है दोस्तों भारत को यह टाइम पर क्या करना चाहिए था मिलिटेंट्स को रिलीज करना सही था या गलत कमेंट्स में अपना ओपिनियन जरूर रखिए वीडियो पसंद आए तो वीडियो को 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