स्वागत है आपका मेरे youtube4 दिसंबर 1999 शाम का वक्त इंडियन एयरलाइंस फ्लाइट आई 814 जो काठमांडू से दिल्ली जाने वाली 176 पैसेंजर्स और क्रू मेंबर्स के साथ अपना सफर शुरू करती है सबको लग रहा था कि यह एक रूटीन फ्लाइट है पर कुछ ही घंटों में यह फ्लाइट एक नाइटमेयर बन जाएगी किसने सोचा था और भारत का एक ऐसा इतिहास लिखा जाएगा जिसे हम आज भी नहीं भूल पाए लेकिन जब प्लेन ने काठमांडू से उड़ान भरी तब किसी को यह पता नहीं था कि बस 40 मिनट के बाद इस प्लेन को पांच हैवी नीट आर्म टेररिस्ट हाईजैक कर लेंगे यह टेररिस्ट ग्रुप पाकिस्तान बेस्ड हरकत उल मुजाहिदीन का था और उन्होंने सभी पैसेंजर्स और क्रू मेंबर्स को हॉस्टेस बना लिया टेरिस की पहली डिमांड थी प्लेन को लाहौर डायवर्ट करना उन्होंने पाकिस्तानी लाहौर और फिर दुबई जाने के लिए फोर्स किया मौलाना मसू दर जो बाद में जयश मोहम्मद नाम का एक टेरर ग्रुप बनाएगा भारत के लिए सबसे डेंजरस टेरिस्ट में से एक था उसने भारत में कई बड़े अटैक की प्लानिंग की जिसमें 2001 का पार्लियामेंट अटैक और 2019 का पुलवामा अटैक भी शामिल था भारत के लिए यह एक बहुत बड़ी डिप्लोमेटिक क्राइसिस बन गई थी प्लेन पहले लाहौर गया फिर दुबई और फिर फाइनली तालिबान कंट्रोल का अंधार अफगानिस्तान में उतारा गया हर घड़ी गुजर रही थी और हॉस्टेस के परिवार डर और टेंशन में जी रहे थे सरकार के पास वक्त कम था और हर डिसीजन क्रिटिकल था भारत ने तालिबान से संपर्क किया लेकिन यह क्राइसिस आसान नहीं थी हाईजैकर्स ने प्लेन को ब्लास्ट कर देने की धमकी दी थी अगर उनकी डिमांड्स पूरे नहीं किए गए 31 दिसंबर 1999 7 दिन की टेस्ट नेगोशिएशन के बाद भारत की सरकार ने एक बहुत बड़ी सैक्रिफाइस की तीन डेंजरस टेरेस्ट को छोड़ना पड़ा जिसमें मौलाना मसूद अजर ताक जरगर और अहमद उमार साहिद सेख शामिल थे भले ही होस्टेजेस सेफ घर आ गए हो लेकिन यह डिसीजन काफी कंट्रोवर्शियल रहा कई लोगों ने सरकार को क्रिटिसाइज किया कि भारत ने टेररिस्ट की डिमांड्स को मान लिया और उनके आगे झुक गए और इस डिसीजन का इंपैक्ट फ्यूचर में और भी बड़े टेररिस्ट अटैक्स में दिखाई दिया आई 814 के हाईजैक के बाद भारत को टेररिज्म के अंगेस्ट अपने अप्रोच को कंप्लीट रिथिंग करना पड़ा मसूद अजर और उनके साथियों को ने का असर सिर्फ भारत को नहीं दुनिया को महसूस हुआ यह एक कड़वी सच्चाई थी कि टेररिस्ट को रिलीज करना काफी महंगा पड़ता है आईसी 814 हाईजैकिंग ने सिर्फ भारत का दिल नहीं दौड़ा बल्कि एक ऐसे चैलेंज को सामने लाया जहां नेशनल सिक्योरिटी और ह्यूमन लाइव्स के बीच एक चॉइस बन गई थी भारत ने ऑस्ट्रेस को सेव वापस लाने का डिसीजन तो लिया लेकिन यह डिसीजन हमारे लिए एक लॉन्ग टर्म पेन बन गया अगर आप उस वक्त के पीएम होते तो आप क्या करते