हम आपको बिहार लेकर चलते हैं जहां वक्फ बोर्ड ने एक गांव की जमीन पर अपना दावा करते हुए इस गांव में रहने वाले लोगों को 30 दिन के अंदर अपने मकान खाली करने का आदेश दिया है इस गांव का नाम है गोविंदपुर जो बिहार के पटना जिले में है इस गांव में रहने वाली 95 प्र आबादी हिंदुओं की है और इस गांव में कई परिवार वर्ष 1910 से रह रहे हैं और इन लोगों के पास लैंड डीड्स के वो तमाम कागजात हैं जिनसे ये पता चलता है कि जमीन पिछले 114 वर्षों से इन्हीं हिंदू परिवारों के पास है लेकिन इसके बावजूद वक्फ बोर्ड ने इस गांव में एक अपना एक बोर्ड लगा दिया और जिस पर लिखा है कि यह जमीन वक्फ बोर्ड की है और इन हिंदू परिवारों को अगले 30 दिन के अंदर इस जमीन को खाली करना पड़ेगा यह वह बोर्ड है जो लगा दिया गया है गांव में वक्फ बोर्ड के इस नोटिस के खिलाफ गांव के लोगों ने पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर की जिस पर अदालत ने वक्फ बोर्ड से यह कहा कि अगर यह जमीन वाकई में वक्फ की है तो उसे हाई कोर्ट में इसके सबूत और बाकी के साक्ष्य पेश करने पड़ेंगे लेकिन वक्फ बोर्ड पटना हाई कोर्ट में ऐसा एक भी सबूत और दस्तावेज पेश नहीं कर पाया जिससे वह इस जमीन को अपनी जमीन साबित कर पाए और इसके बाद पटना हाई कोर्ट ने वक्फ बोर्ड के नोटिस पर रोक लगा दी और इस गांव के लोगों को कहा कि उन्हें इस जमीन को खाली करने की कोई आवश्यकता नहीं है और अदालत ने इस बात को भी माना कि ये जमीन इन्हीं लोगों की है और इनके पास ऐसे सभी दस्तावेज हैं जो पुष्टि करते हैं कि लोग यहां इस गांव में वर्ष 1910 से वाकई में रह रहे हैं और अदालत के फैसले के बाद वक्फ बोर्ड का नोटिस इस गांव से हट जाना चाहिए था लेकिन वक्फ बोर्ड ने हटाया नहीं इस गांव के जिन लोगों को भी वक्फ बोर्ड ने उनके मकान खाली करने के नोटिस दिए व सभी लोग अब अंदर से बड़े डरे हुए हैं और कह रहे हैं कि आखिर इस देश में यह कानून कब और कैसे बना कि वक्फ बोर्ड किसी की भी जमीन को अपनी जमीन घोषित करके उस पर कब्जा कर सकता है तो इन लोगों को हम यह बताना चाहते हैं कि यह कानून कांग्रेस पार्टी की सरकारों के दौरान बने थे जिन्हें यूपीए सरकार ने वर्ष 2013 में और भी ज्यादा सख्त और शक्तिशाली बना दिया था और अभी हमारे देश का वक्फ कानून कहता है कि अगर वक्फ बोर्ड ने आपकी जमीन पर अपना दावा किया है तो आपकी जमीन तब तक वक्फ बोर्ड की मानी जाएगी जब तक आप इसे खुद अपनी जमीन साबित नहीं कर द इस कानून में संशोधन करने के लिए ही मोदी सरकार इस बजट सत्र में एक नया बिल लेकर आई थी जिसका कांग्रेस और विपक्षी दलों ने विरोध किया और अब यह वक्फ बोर्ड बिल जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी के पास चला गया है वहां लंबित है और इसे लंबा समय लगेगा हो सकता है कि इसमें से बहुत सारे जो क्लॉज हैं उन्हें अब हटा दिया जाए आज यह बात तो सब जानते हैं कि देश में भारतीय सेना और भारतीय रेल के बाद सबसे ज्यादा जमीन वक्फ बोर्ड के पास है लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि पिछले 76 वर्षों में सेना की जमीन में सिर्फ 31 पर की वृद्धि हुई जबकि वक्फ बोर्ड की जमीनों में 1700 प्र की वृद्धि हुई है और वक्फ बोर्ड की जमीनों में इतनी वृद्धि कैसे हो रही है आप उसे बिहार से आई इस खबर से समझिए जहां आरोप है कि रातों-रात वक्फ बोर्ड ने गांव के लोगों की जमीनों पर अपना दावा कर दिया और यह भी आरोप है कि इसके पीछे एक बहुत बड़ा माफिया है स्थानीय लोगों का आरोप है कि पूर्व वार्ड पार्षद मोहम्मद बबलू का मकान भी इसी जमीन पर है जिसे वक्फ बोर्ड ने अपनी जमीन बताया है लेकिन मोहम्मद बबलू को वक्फ बोर्ड ने जमीन खाली करने का नोटिस नहीं दिया लेकिन बाकी के हि हिंदू परिवारों को इससे बेदखल किया जा रहा है और आज हमारी टीम ने इस गांव में जाकर इन लोगों से बात की और हमें पता चला कि वक्फ बोर्ड के लोग अब आपकी जमीनों पर अपना दावा करते हैं तो लोगों को वो उर्दू में लिखे नोटिस देते हैं और जब लोग यह कहते हैं कि क्या उन्हें हिंदी में इसकी कॉपी मिल सकती है तो वक्फ बोर्ड इससे भी इंकार कर देता है वह कहता है नोटिस भी आपको उर्दू में ही मिलेगा यानी इस देश में वक्फ बोर्ड की एक अलग ही व्यवस्था और कानून चल रहा है जिसे आप इस रिपोर्ट को देखने के बाद और अच्छी तरह से समझ पाएंगे [संगीत] पटना के फतुआ में स्थानीय नागरिकों और वक्फ बोर्ड के बीच तनातनी का माहौल है आपको बताएं कि यहां एक मार्केट बनाया गया था उम्मत रसूल वक्फ मार्केट आज से 24 साल पहले जिस पर स्थानीय लोगों का दावा है कि यह वक्फ की जमीन हो ही नहीं सकती चूंकि यह सरकारी जमीन है और सड़क का हिस्सा है वहीं दूसरी तरफ वक्फ की संपत्ति अब आगे बढ़ने लगी है और इस तरफ भी अभी ताजा गरा घेराबंदी कराई गई है जिसको लेकर स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश है य 24 वर्ष पहले बना है मार्केट जो आधा अधूरा बन करके केस लगा हुआ है और बहुत से दुकानदारों से पैसा भी वसूला गया है और जो अभी तक लंबित ये सब खाई कमाने का चक्कर है कब्रिस्तान के नाम पर जो है जमीन को एंक्रोचमेंट किया जा रहा है और जमीन तो एंक्रोचमेंट किया जाए एंक्रोचमेंट किया ही जा रहा है और यह लोग जो है भू माफियाओं का ही काम कर रहा है और सिर्फ नाम है बफ बोट का और बफ बुट का अगर है भी तो भाई बफ बोट ये क्लियर फिकेशन करें ना भाई कि आखिर जमीन उनको मिला कैसे फतुआ के गोविंदपुर इलाके में स्थानीय लोगों और वक्फ बोर्ड के बीच में तनातनी का माहौल है आपको बताएं कि यहां दो-तीन ऐसे प्लॉट्स पाए गए जिन पर वक्फ बोर्ड ने एक तरफा दावा ठोक दिया सबसे बड़ी बात यह कि यह जमीन यहां के स्थानीय निवासी बताते हैं कि रैयती है और सबसे बड़ी बात यह कि यहां पुश्तो से उनके परिवार लगातार रहते आ रहे हैं एक नोटिस बोट टांग दिया गया 2022 में 1812 को मैंने हमको नोटिस भेज दिया गया हम लोग का हम लोग का नोटिस भेज दिया गया और नोटिस में कहा गया कि हम लोग बफ का जमीन है या आपका जमीन नहीं है यह मैंने इन्हीं लोग के इनके परदादा के नाम से खतियान है और इनके दादा लग दादा लगेंगे इनका भी इनके नाम से खतियान है जो इन लोग भी बसे हुए हैं उसमें से हम लोग भी बसे हुए हैं बड़ी बात यह कि जिस जमीन को सरकार ने बाजार समिति के लिए खरीदा जिसके हिस्से को खरीदा उस जमीन पर भी वक्फ ने अपना दावा ठोक दिया दादा जी के खरीदी जमीन है आपके दादा ने खरीदी थी य जमी जी अच्छा और उसके बाद से हम बाबू जी है उसके बाद हम हमारा बाल बच्चा है रह रहे हैं किसी तरह का कभी कोई दिक्कत नहीं आया लेकिन इधर 2023 में जनवरी में नोटिस आया कि बफ बोर्ड का जमीन है खाली करके बफ बोर्ड को सपूत कर दो हम लोग को परेशान किया जा रहा है बार-बार कंप्लेंट करें कि जमीन हमारी है पहले तो जमीन बोले कि रहती जमीन है फिर उसके रसी ट्रांसफर करके बग बोर्ड में दे दिया जबक नगर परिषद से हम लोग को पास भी हुआ था य अपने रीजन में को बा कोई काम होने नहीं दे रहा हम लोग का ये जो बबलू मिया जो है 19 प्लट जो बसा हुआ है ब बोट ने इसको 15 को नोटिस दिया है इसको नोटिस क्यों नहीं मिला है यह भी जमीन जो है ब बोट में किया हुआ है नहीं तो यह देखिए खतियान यह दो डिसमिल जमीन खतियान दिखा रही है यह स दो डिसम रस्ट करवा अपनी बीवी के नाम पर य देखिए यह स हैय चोटा तो ब बोर्ड कहां है सो ब बोर्ड है सीओ को एसडीओ को डीएम को सारे लोगों को हमने प्रशासनिक जो मदद होती है मैंने लिया उसके बाद यह मामला आया उन लोगों ने शायद जैसा कि कते है कि हमलो रजिस्ट्री करवा ली है तो वक की जमीन ना ट्रांसफर की जा सकती है ना बेची जा सकती है ना गिफ्ट किया जा सकता है वनस व ऑलवेज ए व एक बार जो वक हो गया व हो तो यह जमीन वक्फ की है बिहार से पहले तमिलनाडु में भी वक्फ बोर्ड ने इसी तरह से पूरे गांव की जमीन पर अपना दावा करके लोगों को अपने मकान खाली करने के आदेश दिए थे और तब भी इस पर बड़ा विवाद हुआ था असल में यह एक बहुत बड़ी समस्या है जिसमें कई बड़े सुधार होने की आवश्यकता है और मोदी सरकार इस संबंध में एक नया बिल लेकर भी आई थी लेकिन यह बिल अभी विपक्षी दलों के विरोध के कारण जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी के पास चला गया यानी अब यह ठंडे बस्ते में है और सोचिए कितनी अजीब बात है कि कुवैत सऊदी अरब कतर तुर्की लेबनान इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे मुस्लिम बहुल देश अपने यहां के वक्फ कानूनों में लगातार सुधार लाने के लिए संशोधन कर रहे हैं लेकिन धर्म निरपेक्ष देश भारत में आज भी ऐसे सुधार करना आसान नहीं है