फाइनली आमिर साहब जो एक खुदान खस्ता हमें नजर आ रहा था कि रेजिस्टेंस होगी और मामलात गड़बड़ भी हो सकते हैं क्योंकि डू और डाय की सिचुएशन हो गई थी आज सडन उन्होंने एनओसी भी जारी कर दिया मेरा ख्याल है अच्छा शगून है ये आज जो हम शुरू कर रहे हैं जी ये पहले भी वैसे तो हुआ है कि इजाजत देने के बाद बिल्कुल लास्ट मोमेंट पे वो इजाजत वापस ले ली जाती है मगर इस दफा उम्मीद की जाती है कि नहीं करेंगे अगर इजाजत दे दी जाती है तो मेरा ख्याल है कि उसके पीछे यह सोच है और होनी चाहिए कि क्या फर्क पड़ता है क्योंकि इस दफा वह बहुत ज्यादा उनके यहां डिस्पेस पाई जाती है उनके यहां इंटरनली एक्सटर्नली हर जगह से जब लास्ट टाइम वो बैकआउट कर गए थे जलसा नहीं किया था तो बहुत ज्यादा तन कीद की गई यहां तक कि हुकूमत ने भी मजाक उड़ाया ास साहब ने यह फरमा दिया कि ये करवा ही नहीं सकते थे इनकी पसली नहीं थी इसलिए नहीं ये दौड़ गए हैं तो इस दफा उनके लिए वो अगर और जो मुल्क के हालात इस सिक्योरिटी के केपी के खासतौर पर बलूचिस्तान में इवन पंजाब के कच्चे में सिंध के कच्चे में तो उसके अंदर कोई भी फायदा उठा सकता है तो क्या फर्क पड़ता है करने दे कोई हर्ज नहीं है तो मैं समझता हूं कि अगर यह हो जाती है तो मुसब्बर ला कर देते तो कोई वो नहीं होगी मगर मैं समझता हूं हम पहले ससी उस पर बात करेंगे पर हम अपनी जो एक्सक्लूसिव स्टोरी एक है और यह बड़ी ही अहम है और इसका नाजर इस खबर जलसे से भी थोड़ा सा जुड़ जाता है आमिर साहब दो तीन आहम चीजें हैं उसके ऊपर बात करेंगे मगर जो मोस्ट इंपोर्टेंट है वो पंजाब के हवाले से है जामत के लिए वॉइस चांसर जो है उनके इंटरव्यूज मम नवाज साहिबा कर रही है जीय एक बहुत बड़ा इशू पंजाब के अंदर बना है कि िक्स को टीचर्स को खासतौर पर सियासत से बलाता किया जाता है तो यह एक वहां पर जिस तरह हमारे ब्यूरोक्रेसी के अंदर ये बड़ी पोलराइजेशन हो गई है कि ये उनका बंदा तो ये उनका बंदा तो लोगों को शक पड़ जाता है कि शायद ऐसा तालीमी धारों में भी किया जा रहा है और हमारे यहां ये मसला रहा है खास तौर पर पंजाब असेंबली के अंदर जो है फॉर एग्जांपल एक पार्टी का ड वो कई दईयो से चलता आ रहा है तो टोटली उन्होंने कंट्रोल तो लोग फिर शक में पड़ जाते हैं कि क्या है गैर कानूनी तौर प तो नहीं है मगर क्योंकि रवायत नहीं रही है कि वाइस चांसलर्स के इंटरव्यूज के अंदर जो है पॉलिटिकल लीडरशिप चीफ मिनिस्टर खासतौर पे उसको इंटरव्यूज करें तो उसपे काफी शोर मचाया गया है एडमिक्स ने मैं डॉक्टर दबल अक साहब का भी देख रहा था उन्होंने कहा जनाब यह वाला नहीं है हकीकत इसका बैकग्राउंड यह है कि इस वक्त तकरीबन जो है 66 के करीब यूनिवर्सिट हैं जिसके अंदर छह के अंदर पूरे पाकिस्तान के अंदर के जिसके अंदर छह में तो कोई भी वाइस चांसलर है ही नहीं और 60 के अंदर एक्टिंग चल रहे थे तो अभी ये इंटरव्यू पंजाब में बताया जा रहा है कि इस खबर में 25 का जिक्र है जो हमारे साथ रियाजुल हक साहब ने एक्चुअली ये स्टोरी की थी जो रियाजुल हक बताएंगे कि एक्चुअली कितनी यूनिवर्सिट थी ब फिलहाल बताया जा रहा है कि उन्होंने साथ के इंटरव्यू के नामों की मंजूरी दे दी है अब इसके अंदर एक जो मैं ज पूछना चाहूंगा कि यह अगर पंजाब में यह सिलसिला हो होता है तो अभी क्योंकि यहां टिट फॉर टैट भी होना शुरू होता है कल को केपी वाले भी उनके यहां भी यह और बाकी सूबों में भी चीफ मिनिस्टर इंटरव्यू करने शुरू कर द तो फिर यह क्या हुआ करेगा कि यह उनकी यूनिवर्सिटी तो ये उनकी यूनिवर्सिटी क्या ऐसा होने का इमकान हो सकता है आमिर साहब एक काफी अर्से से यह चीज बड़ी वो होती थी कि पर्दे के पीछे इस तरह की चीजें होती थी कि चीफ मिनिस्टर इन्फ्लुएंस करते थे चीजों को और असल में जो चांसलर होता है वो गवर्नर होता है जो सूबे की यूनिवर्सिटीज होती हैं तो मोस्टली गवर्नर जो है इन चीजों को थोड़ा बहुत अगेन ऑफ द कफ जो है या ऑफ द कर्टन जो है वो चीजों को देखते हैं और डायरेक्शंस देते हैं इसको कर लें इसको देख लें और लेकिन इस दफा ये पहली बार हुआ है कि एक चीफ मिनिस्टर जो है बाकायदा तौर पे इंटरव्यूज कर रहे हैं ये बड़ा अनयूजुअल है और ये कम से कम 1415 साल से मैं भी एजुकेशन देख रहा हूं मैंने कभी इस तरह नहीं देखा चांसलर्स का रोल सम हाउ इनडायरेक्टली आता है वो भी डायरेक्टली नहीं आता क्योंकि पूरा एक पैनल बनता है नोटिफाई होता है और उसके बाद जो है वो पैनल इंटरव्यू करते है तमाम वीसीज के तो इस दफा तो पंजाब में तो हैरान कुन तौर पे जो है वो बल्कि एक यह बात भी आई थी कि पंजाब में एक साहब जो थे वो पैसे ले रहे थे बकायदा तौर पे लोगों से और वीसीज को कॉल्स कर रहे थे और उनसे पैसे उनके खिलाफ भी एफआईआर भी हो चुकी है तो इस तरह की चीजें जनूबी पंजाब के जो वीसीज थे उनके मुतालिक इस तरह की खबरें आई थी केपी में एक और टसल चल रही है जाहिर है वो गवर्नर और सीएम के दरमियान तो सीएम ने सारे नामों का जो फाइनल हो गया था उनके तक जो पहुंचे वो उन्होंने भेज दिए तो वो कोर्ट ने जो है वो नलीफ आई कर दिए क्योंकि गवर्नर ने ओके नहीं किया कुछ इस तरह का तो 22 यूनिवर्सिटीज जो है वो केपी की जो है वो इस वक्त इस सारे मामले में है सिंध की पांच है और बलूचिस्तान की तीन है तो टोटल 65 66 के करीब यूनिवर्सिटीज है मुल्क की जो बगैर जो है वो परमानेंट जो है वो हेड्स के चल रही है और चार पांच ऐसी हैं जो जो बिल्कुल खाली है वहां पे कोई भी नहीं है सीनियर डीन वगैरह को वो लगा देते हैं तो एक्टिंग इसलिए रखी जाती है कि वो काबू में रहते हैं और ये पाकिस्तान में ब्यूरोक्रेसी में भी बे ताश है काफी मिनिस्ट्री हैं जहां पे एक्टिंग जो है ना 21 ग्रेड के अफसर चल रहे हैं 22 गेड प बैठे हुए हैं मगर उसके पीछे शायद मंत ये होती है कि वो कंट्रोल में रहते हैं और उनको पता है कि जरा इधर से किया तो उनका एक्टिंग चार्ज जा सकता है ये इतने ज्यादा 60 यूनिवर्सिटियोफकालीकट तो कहा ये जाता है जितने भी वीसी 810 से जब मेरी बात हुई तो उनका ये कहना था कि जनाब उनकी ये ख्वाहिश थी कि अगर परमानेंट लगाएंगे दोबारा सारा कुछ होगा एक्टिंग को लगाते हैं और एक्टिंग को जो है वो ऑर्डर्स देना उनको चीजों पे अमल रामत करवाना असजा को आगे पीछे करना वो आसान हो जाता है प्रोफेसर्स वगैरह को किसी दूधराज इलाके में जाना सियासी तौर पर ताना कियां करना लेकिन एक परमानेंट हैड आता है बकायदा तो उसके लिए ऐसे मसाइल होते हैं कि वो बाकायदा कई दफा वो कोर्ट चले जाते हैं कि जी हमें कहा जा रहा है कि जी आप ये ताना कियां कर ले या इतनी जगहों पे ये कर ले तो जो एक्टिंग होता है तो ये बड़ा आसान हो जाता है ये जिसके पास एडिशनल चार्ज हो जाए तो उनको हैंडल करना आसान होता है जिस तर आपने ब्यूरोक्रेट्स वगैरह का भी जिक्र किया ज परमानेंट हेड आ जाए तो ये बहुत बड़ा चैलेंज हो जाता है क्योंकि यूनिवर्सिटीज जो है वो ऑटोनोमस हैं जब ऑटोनोमस है तो बकायदा तौर पे अगर किसी किस्म की कोई अ छोटी मोटी तो चीजें होती रहती है लेकिन बहुत ज्यादा चीजों में इवन डिग्रीज के हवाले से थीसिस के हवाले से भी चांसलर जो हैं और चीफ मिनिस्टर जो है वो इन्फ्लुएंस करते हैं लेकिन एक परमानेंट आ जाए तो वो एक बहुत बड़ा इशू बन जाता रहमान साहब से याद आया कि उन के ऊपर बहावलपुर क लोगों को भूल गया है वहां पे एक बच्चियों को रासा करने का बहुत एक स्कैंडल आया था और उन परे सवाल आए थे कि वहां कैसे ये वसी साहब लगाए गए और बहुत ज्यादा वहां प जो तफ्तीश की गई तो बुरे हालात थे इसलिए भी ये बड़ा अहम है कि ये जो वाइस चांसलर्स लगाए जाए ये बड़े सोच विचार के लगाए जाए और एक पूरी कमेटी और ये प्रोफेसरों की डॉक्टर नजमल का मैं देख रहा था वो कह रहे हैं वैसे भी बेजती है कि उनका एक जो जाहिर है वा चास का कैंडिडेट है वो पीएचडी मोस्टली होता है तो वो इस लेवल पे 30 साल की सर्विस के बाद जाके अगर वो जवाब दे हो अपने आप को जस्टिफाई कर रहा हो तो एकेडमिक्स एक दूसरे के साथ कर सकते हैं पॉलिटिकल लीडरशिप के पास जाके इंटरव्यू देना बच्चों की तरह वो एक बेज्जती का एलिमेंट भी आ जाता है इसमें बिल्कुल ऐसा ही है और हमने देखा कि पिछले कुछ अरसे में ऐसी कुछ यूनिवर्सिटी पंजाब में थी जहां पे आपने इस्लामी यूनिवर्सिटी जो है वो ब भालपुर का जिक्र किया तो हमारे पास एक रिपोर्ट भी मौजूद है वो हायर एजुकेशन कमीशन ने तैयार की बलीर रहमान साहब गवर्नर थे उसमें बेइंतहा करप्शन ताई नातियां से लेकर डिग्रियां जो दी गई और जो थीसिस पास हुए उन सब पे बड़ी तफसील से जिक्र है लेकिन लिगर रहमान साहब ने क्योंकि वो खुद भी भावल फुर के हैं उस सारे मामले पे जो है वो मुबीना तौर पे जो सारे करप्शन के मामलात थे उस रिपोर्ट पे किसी किस्म का कोई कान नहीं धरा इसी तरह बलूचिस्तान की कुछ ऐसी यूनिवर्सिटीज हैं जिसमें सारा जो है जो मामलात हैं उसको बिल्कुल खामोशी से अंडर द रक कर दिया गया तो ये बड़ी अफसोस नाक सूरते हाल है कि एक जो जो वाइस चांसलर का जो कैंडिडेट है इवन जो वाइस चांसलर भी है उसको ताब बनाया जा रहा है एक सियासी उसके जिसका एकेडमिक किसी किस्म का कोई ताल्लुक नहीं है अगर इवन अगर कोई डॉक्टर भी कोई सीएम हो तो मेरा ख्याल है कि इस चीज को उससे अलहदा रखा जाए तो बेहतर है तो ये ट्रेंड जो मुतालिक करवाया जा रहा है ये इंतहा खतरनाक है और हर दफा अब ये होगा कि वो मरहून मिन्नत होंगे उन सियासी लोगों के