तकरीबन हफ्ते से जायद हो गया है कि देखें कोई कोई मान ही नहीं रहा कि हमने बंद किया है सिंध हाई कोर्ट तक बात पहुंची है वहां पर मोईज जाफरी वकील मोईज एडवोकेट मोहीज जाफरी साहब ने एक पिटीशन दायर किया और मैं जी मुझे बताना पड़ेगा कि मैं भी उस पिटीशन का हिस्सा था कि जी मैंने भी उसमें दस्तखत किया मैं भी उसमें शामिल हुआ हूं कि जी हमारा काम मुतासिर हो रहा है आप हिदायत दें कि इसको फॉरन खोला जाए और सिंध हाई कोर्ट ने तो हिदायत दे दी लेकिन मसला है कि हिदायत किसको दी जाए कोई मानने ही नहीं जी हमारी पिटीशन में जो पाकिस्तान के अंदर सवाब दीद पर किया गया काम समझा जा सकता है रेगुलेटर यानी पीटीए जो है वह अभी तक सामने आकर उसने कुछ भी नहीं कहा है तरा भी नहीं किया है इंकार भी नहीं किया है हमारी पिटीशन का एक अहम जुज यह भी है कि यह हमें बताया जाए कि किस बुनियाद पर यह हो रहा है करने वाले जिम्मेदारी ले कि वह कर रहे हैं और जवाजी हक राय दही लोगों के हक इजहारे राय के ऊपर इस तरह की कद गन किस तरह लगाई जा सकती है किस बुनियाद पर लगाई गई है और किस उजर पर पे वो अपने एक्शंस को डिफेंड कर सकते हैं कोर्ट ने उनको हुकम दिया है कि अगर तो कोई कानूनी जवाजी अगली तारीख पर और अगर नहीं है तो फिल फॉर इसको आप बहाल करें इसकी सर्विसेस तो अब देखेंगे अगली तारीख पे यह दूसरी पिटीशन जो उमू तौर पे इलेक्शंस के अंदर इंटरनेट की बंदिश के हवाले से थी उनके ऊपर क्योंकि 6 मार्च की तारीख रखी गई थी उसके साथ ही हमें रख दिया गया है लेकिन वो इलेक्शन की पिटिश में पीटीए का जवाब कुछ और था जाहिर है वह 8 फरवरी के हवाले से था हमारी पिटीशन में उनको स्पेसिफिकली