Countdown Started For Justice Qazi Faez isa in Supreme court | IHC 6 Judges Stood with Jhangiri

अस्सलाम वालेकुम मैं हूं आबिद इन दिलीप नाजरीन काजी फाइज ईसा साहब की उल्टी गिनती शुरू हो गई है इस्लामाबाद के अंदर एक से बढ़कर एक सरप्राइज काजी साहब को मिल रहा है और काजी साहब की लीगेसी का बिल्कुल सत्यानाश होता चला जा रहा है 55 दिन है काजी साहब के और इन 55 दिनों में बहुत बड़ा झुल फिरने वाला है या बहुत बड़ी नहुसत आने वाली है लेकिन उसके साथ-साथ जो इस्लामाबाद हाई कोर्ट के जजेस हैं दीगर जजेस हैं वो ऐलाने बगावत करने जा रहे हैं बड़ी खबर यह है कि तारक महमूद जहांगीरी साहब जिनके ऊपर वार किया गया उनकी डिग्री को जाली करार देकर अब उनको हाई कोर्ट से फारिग करने का जो मंसूबा है और बाकी जजेस को जो पैगाम देने का मंसूबा है कि हम कुछ भी कर सकते हैं या यहां पे कुछ भी हो सकता है तो वह उल्टा पढ़ने जा रहा है तारक महमूद जांगी साहब के साथ इस्लामाबाद हाई कोर्ट के छह जजेस सीसा पिलाई हुई दीवार बनके उनके साथ खड़े होने जा रहे हैं कुछ वकला उनके साथ खड़े होने जा रहे हैं और कोई यह अगर सोचता है कि इतना आसानी से तारक महमूद गरी साहब को निकालना निकाल लेगा कोई या उनको बतरस कर लेगा तो अब मुझे लगता है कि यह मामला उल्टा पड़ने जा रहा है तारक महमूद जहांगीरी लोहे का चन्ना बनने जा रहे हैं मैं आपके सामने कुछ डिटेल्स रखता हूं एक तो काजी फाइज ईसा साहब जो हैं आखिरी 55 दिन है और आखिरी 55 दिन में आप यह समझें कि काजी साहब ने सर धड़ की बाजी लगानी है पूरा जोर लगाना है एक्सटेंशन के ऊपर लेकिन एक्सटेंशन मिलती हुई नजर नहीं आ रही काजी साहब इस पूरे 55 दिन में आप देखेंगे कि बहुत बड़े बड़े-बड़े चमत्कार करेंगे बहुत बड़े-बड़े सरप्राइज देंगे लेकिन अगर एक्सटेंशन की ऊपर बात आएगी तो काजी साहब बिल्कुल हैंड्स अप हो जाएंगे क्योंकि मख सूस सीटों का फैसला अभी आने में बड़ा वक्त है और इस हिकमत अमली के साथ वो फैसला आएगा कि कम से कम उसका रिव्यू जो है वो काजी साहब के अद में ना लगे और फिर जो ये एफर्ट की जा रही है कि कुछ जजेस को रिव्यू के अंदर मैनेज कर लिया जाएगा वो भी फिल वक्त राय गांव होता हुआ य नजर आ रहा है काजी साहब क्या-क्या कर सकते हैं आपको बताएंगे लेकिन पहले ता महमूद जहांगीरी साहब के ऊपर बात कर लेते हैं एक बात आपको याद होगी जब काजी फाइ जीसा साहब के ऊपर एक रेफरेंस बना तो उस वक्त काजी साहब ने सिर्फ एक दलील का सबसे ज्यादा सहारा लिया उनके जो वकील थे मुनीर मलिक साहब वो जब उन्होंने सुप्रीम जुडिशियस कांसिल की कारवाई को चैलेंज किया और उसके बाद मामला ओपन कोर्ट के अंदर आ गया 10 जजेस जब बैठे तो एक ही लॉजिक थी काजी फाइज ईसा साहब की कि किसी भी जज के खिलाफ कोई तहकीकात और जज के खिलाफ तहकीकात करने का सिर्फ और सिर्फ एक ही फॉर्म है और वह फॉर्म है सुप्रीम जुडिशियस कांसिल और उस वक्त जो एसेट रिकवरी यूनिट था उसको भी गलत करार दिया जा रहा था उसके खिलाफ दलाल दिए जा रहे थे और यह एक बहुत ज्यादा फोकस जिस दलील प किया जा रहा था वो सिर्फ यह थी कि किसी भी जज के खिलाफ कोई कारवाई करने का अगर मिजाज इदारापल्ले है और सुप्रीम जुडिशियस अगर किसी इदार से कोई हेल्प ले लेना चाहे तो वह ले सकती है अदर वाइज कोई इदारापल्ली नहीं कर सकता यह बहुत बड़ी बड़ा आर्गुमेंट था तकरीबन तीन चार माह मुसलसल काजी साहब के वकला इवन खुद काजी फाइज ईसा साहब अदालत के अंदर आकर दलाल देते थे और इस बात को लेकर उन्होंने अपने रेफरेंस को मैनेज किया और वह वहां से बच गए अब तारक महमूद जहांगीरी साहब के साथ क्या हुआ तारक महमूद जहांगीरी साहब की डिग्री को डिग्री को गलत करार नहीं दिया जा रहा यह बात समझने की है सिर्फ यह इशू है कि तारक महमूद जहांगीरी साहब की डिग्री लेने में कोई उस वक्त कोई मामलात जो है वो बड़े कोई अनफेयर मीन यूज हुए यानी उनको एक दफा यूनिवर्सिटी ने फारिग किया यह सिर्फ वो मौक है जो यूनिवर्सिटी दे रही है यह वह मौक है जो कुछ टाउट हाफी दे रहे हैं अभी तक तारक महमूद जहांगीरी साहब का कोई इसके ऊपर मौक नहीं आया कोई इंडिपेंडेंट गायक इस पर किसी ने अभी तक मालूम नहीं किए लेकिन जो दस्तयाब मालूमात आ रही है उसमें सिर्फ यह बताया जा रहा है कि डिग्री के अंदर कोई अनफेयर मीन यूज हुए हैं यह नहीं है कि डिग्री जाली है ये नहीं है कि तारक महमूद जहांगीरी साहब ने वहां पर दाखिला नहीं लिया अब यह सारे का सारा जो कसूर है ये तो फिर उस यूनिवर्सिटी के ऊपर उसके गले पड़ना चाहिए कि आपने 91 1991 में एक तालब इलम को एक डिग्री दी तो आपने क्यों उनको गलत डिग्री दी आपने क्यों उनकी गलत इनरोलमेंट की तो यह सवाल पूछा जाना चाहिए था लेकिन उल्टा जज साहब की डिग्री को जाली करार दे दिया यूनिवर्सिटी ने अब बात समझने की जो है वो बहुत बड़ी बात है वो ये है कि कोई इदारापल्ली साहब ने अपने रेफरेंस के अंदर इस असूल को तय किया हुआ है कि कोई भी अगर गलत तरीके से कोई इंफॉर्मेशन किसी जज के खिलाफ अठी की जाएगी अनफेयर मींस के जरिए कोई इंफॉर्मेशन किसी सिटिंग जज के खिलाफ इठी की जाएगी तो अदालत के अंदर उसकी कोई कानूनी हैसियत नहीं होती तो अब होगा क्या एक तो खबर ये है कि तारक महमूद जहांगीरी साहब अकेले नहीं है उनके साथ सुप्रीम हाई कोर्ट के जो जजेस हैं वो बिल्कुल उनके साथ खड़े हैं हाई कोर्ट के तमाम जजेस को इस बात का बहुत पहले से पता है कि तारिक महमूद जहांगीरी साहब को यह पैगाम दिया गया था कि आप इस्लामाबाद के हल्कों के अंदर अपना हाथ हल्का रखें वरना आपको इसके नताइवस्क्रिप्ट आ रही है वो इस्लामाबाद हाई कोर्ट के के अंदर जो खत लिखने वाला जो मामला था उसके ऊपर सजा दी जा रही है जो छह जजेस ने खत लिखा था यह सजा भी उनको दी जा रही है कि उन्होंने इस्लामाबाद के अंदर जो हल्कों के ऊपर काम किया वो बड़ा दबंग अंदाज में किया और यह जजेस को भी पता है कि उस वक्त भी उनको धमकियां दी गई थी बाकी इस्लामाबाद हाई कोर्ट के जजेस आकर बताएंगे कि किस तरह उनको अप्रोच किया जाता था अगर यह मामला चला जाता है सुप्रीम जुडिशियस कांसिल के अंदर और जाहिर है सुप्रीम जुडिशियस काउंसिल में क्या होता है सुप्रीम जुडिशियस काउंसिल में जो कारवाई होती है वो उसमें कोई मीडिया की एक्सेस नहीं होती और वह एक इन कैमरा सेशन होता है वहां पर दलाल होते हैं लेकिन उसके बाद क्या होगा तारक महमूद जहांगीरी साहब उसको चैलेंज करेंगे मामला ओपन कोर्ट के अंदर आएगा और ओपन कोर्ट के अंदर जब मामला आएगा तो फिर बताएंगे तारक महमूद जहांगीरी साहब कि सर उनके साथ क्या-क्या होता रहा फिर एन मुमकिन है दूसरे जजेस भी बताएं और वैसे जो छह जजेस ने खत लिख दिया था उसके बाद बताने की तो कोई ज्यादा जरूरत नहीं है लेकिन जाहिर है साहब भी आगे और नहुसत अभी फैलती चली जाएगी यह 55 दिन कंप्लीट डार्कनेस के दिन है गदर मचने वाला है पाकिस्तान के अंदर इन 55 दिनों को आप लगा ले आप अपने जो टाइमर आप लगा लें आपको नजर आएंगी चीजें किस तरह से आगे चलनी है लेकिन तारक महमूद जहांगीरी साहब हार मानने वाले नहीं है तारक महमूद जहांगीरी साहब के साथ जजस भी खड़े होंगे वकला भी खड़े होंगे और पूरे तहरीक इंसाफ की जितनी लीगल कम्युनिटी है वो उनके साथ खड़ी है इस वक्त और दीगर जितने इंडिपेंडेंट वकला है वो उनके साथ खड़े हैं और वह तमाम लोग इवन हाई कोर्ट के जजेस यह बात समझते हैं कि तारक महमूद जहांगीरी साहब को जो सजा दी जा रही है इसकी बातचीत आज से चार छ माह पहले से शुरू हो गई थी यह सब होना है और यह सिर्फ तारक महमूद जहांगीरी को टारगेट नहीं किया गया आप मोहसिन अख्तर कनी साहब को देख लें आप जस्टिस बाबर सितार साहब को देख लें उनकी फैमिली का डाटा तक लीक किया गया और उसके बाद फिर उसकी गवाही दी खुद जस्टिस अतर मिनला साहब ने सुप्रीम कोर्ट के अंदर बैठकर कि किस तरह जस्टिस बाबर सतार साहब को सुप्रीम कोर्ट में लाया गया और काजी साहब के मुंह पे जस्टिस अतर मिनला साहब ने यह गवाही दी थी कि उस वक्त तारख जब जस्टिस बाबर सत्तार साहब की डिग्री या उनकी सॉरी जो डुअल नेशनलिटी का जो मामला था उसको कंसीडर किया गया था और उसके ऊपर काजी फाइज ईसा साहब को भी इतल दी गई थी वो ऑन बोर्ड थे और उसके बाद अब क्या होगा अगर कोई यह सोचता है कि इतनी आसानी से ये मामला दब जाएगा तो याद रखें कि अतर ला साहब वो जज हैं जिनके दौर में तारक महमूद जहांगीरी साहब और जस्टिस बाबर सतार साहब इस्लामाबाद हाई कोर्ट के जज बने थे और यह चीज भी याद रखें इससे पहले भी मैंने आपको यह बात बताई हुई है कि हमेशा जस्टिस अतिन मिनला साहब इस चीज का क्रेडिट लेते हैं वो कहते हैं कि अगर मैंने कोई काम किया है तो वो सिर्फ एक काम किया है कि मैंने इस्लामाबाद हाई कोर्ट को इंडिपेंडेंट जजेस दिए हैं इस्लामाबाद हाई कोर्ट के अंदर जो इंडिपेंडेंट जजेस हैं वो जस्टिस अतन मिनला साहब का क्रेडिट है और उसका उन्होंने जब जस्टिस बाबर सिदार साहब के ऊपर उंगलियां उठ रही थी तो सिर्फ अतर मिनला साहब थे जो खड़े हुए थे और उन्होंने उस चीज की वजाहत की थी और अब तारिक महमूद जहांगीरी साहब का मामला है तो जाहिर है जब आप एक जज को भर्ती करते हैं उससे पहले वह वकील बनता है वो वकील बनने से से पहले जब हाई कोर्ट का या सुप्रीम कोर्ट का उसको लाइसेंस मिलता है तो उस वक्त भी यह जांच पड़ताल होती है और यह कैसे हो गया कि एक वकील जो है वो आपके जस्टिस सिस्टम को इतना बड़ा चकमा देक वो हाई कोर्ट का जज बन बन गया और फिर इतनी दिलेरी के साथ वो इस्लामाबाद हाई कोर्ट के तीन हलकों को खोलने के लिए बैठ गया और बड़े-बड़े सख्त फैसले देने लग गया तो ये चीज बड़ी वाजे है कि अभी तक तारिक महमूद जहांगीरी साहब का कोई मौक नहीं लिया गया और अगर कोई भी छोटी सी छोटी भी कोई मिस्टेक होती तारक महमूद जहांगीरी साहब के पाट के ऊपर तो वो कभी हाई कोर्ट के जज ना बनते एक बात और दूसरी बात अगर कोई भी इशू होता उनको ये लगता यार ये एक जो है वो एक एरर है या एक गलती है या उनके रिकॉर्ड के ऊपर यह उनको पता होगा इस बात का तो वह फिर कभी भी इतना सख्त मौक इख्तियार ना करते वह कभी भी इस्लामाबाद हाई कोर्ट के हल्के इस्लामाबाद के इलेक्शन ट्रिब्यूनल की सरब आई ना लेते और फिर इतने सख्त हुकम पास ना करते और फिर उनको इस तरह से अप्रोच ना किया जाता कि आप हाथ हल्का रखें वरना आपको नताइएपीजीईटी को अप्रोच किया जाता रहा फिर न मुमकिन है कुछ और जजेस भी बताना शुरू हो जाए तो यह मामला इतना आसान नहीं होगा बरल काजी फाइज ईसा साहब के गिले की हड्डी बनने जा रहा है तारक महमूद जहांगीरी साहब की डिग्री का मामला इजाजत दीजिए अपना ख्याल रखिएगा खुदा हाफिज

Share your thoughts