शता रजी बिस्मिल्ला रहमान रहीम ला मनबी या आमन स अ वसम तस्लीमा अला सल्ला मुहम्मद वाले महम्मद अल्लाहु सल्ले अला मोहम्मद अल्लाहु सल्ले अला मोहम्मद बमला रहमान रहीम जाब अब्दुल्लाह सारी फरा सलाम इ रसूला कातो फाली रसूला बाया सलाम अले के फ सलाम कालानी बदनी बताया फमा मानी तलाल क बद फलते तमाम व [संगीत] कमाले बला सलाम अले कीया सलाम दीला या उमानी केतो बत कारा ज रसूला नाम इ ज काता साए फल के साए सलाम अले काया जदा या रसूल [संगीत] अल्लाला काला वाले सलाम या लदी वया साब के साए [संगीत] मोहला सलाम अले सलाम या लदी वया सबद कालीया केत का रसूला ज काल के साए सनावल के साए सलाम अले जदा अस सलाम वालेक मलाला मा को माल साए वाले सलाम या लया उमती का फ मा के साए [संगीत] ता सलाम अले ब रसूला सलाम याने यार मोनी या फ रातो बत का रसूला माली सला रला माए सलाम याया वसीली फती सावाल का [संगीत] फली सलाम अले याता या रसूलल्लाह ला वाले सलाम या बतीया बल केतोल साए सरसला मा समाला बती तीती मनीना मन फ सलवा का बरकात का ते काने राह या मला सती इनी मा ला मुर ला शम मुत ला फ ला ला फसरी इला फ महत लान जिबल या र साला [संगीत] लते फ बाहा बन स या र लामी जिब सला अले या रसल अल्लाला जलाली मा समा ला कमर मर ला ला फय दर ला ला फया रस अल्लाला रसूल अला वालेक सलाम याला फला जि बराना [संगीत] साला मा [संगीत] [संगीत] रीला रला जलू सेहा के साए म फला नबी सल्लल्लाह अले वा ी बानी माक जनाना इला मला ला सलाला फना वफना रल काबा काला बरसला सल्लल्लाह अले वा याली माज केरा ब में व जमा मनाना लाला ला लानिया र काह [संगीत] मोहम्मद वा आले मोहम्मद सला मोहम्मद वा आले मोहम्मद पर मोहम्मद वाले मोहम्मद [संगीत] सलात महम्मद जब मुझे आपके कातिल ने है मारा बाबा जब मुझे आपके कातिल ने हमारा बाबा हर तमाचे पे सकीना ने हर तमाचे पे सकीना ने पुकारा बाबा जब मुझे आपके कातिल ने मारा [संगीत] बाबा जब मुझे आपके कातिल ने है मारा बाबा मुझे बालों से पकड़ कर है तमाचे मारे मुझे बलों से पकड़ कर है तमाचे मारे मैंने सर शेम से मांगा जो तुम्हारा बाबा जब मुझे आपके कातिल ने है हमारा बाबा जब मुझे आपके कातिल ने हमारा बाबा आपके सीने पे आराम से सोने वाली आपके सी सीने पे आराम से सोने वाली हाय सो के अब हाक पे करती है गुजारा बाबा जब मुझे आ के कातिल ने है मारा बाबा जब मुझे आपके कातिल ने हैरा बाबा वो जो दुरहा अपने तोहफे में मुझे बते वो जो दुनिया अपने तोहफे में मुझे बाचे ते उनको बेदर्दी से जालिम ने पुकारा बाबा जब मुझे आपके कातिल ने हमारा बाबा जब मुझे आपके कातिल ने हमारा बाबा नौ के नेज पे उसे देखू तो देखू कैसे नौ के नेज पे उसे देखू तो देखू कैसे मेरा असगर ता मुझे जान से भी प्यारा बाबा जब मुझे आपके कातिल ने है हमारा बाबा जब मुझे आपके कातिल ने हमारा बाबा साथ रहवा रो के दोराया गया है मुझको साथ रहवा के दो राया गया है मुझको चूरे जमों से बदन मेरा है सारा बाबा जब मुझे आपके कातिल ने हमारा बाबा जब मुझे आपके कातिल ने हमारा बाबा माशाल्लाह माशाल्लाह बहुत अच्छा प शबा सलामत र मोहम्मद ल मोहम्मद [संगीत] सवात सहद मह बमला रहमान रहीम बयान करने को यूं तो दुनिया बयान करने को यूं तो दुनिया शरफ बया करती है सभी के मगर जो अकले सली रखता है जानता है सिवा नबी के नहीं है कोई अली से बहतर कोई नहीं है कोई नहीं सेवा नबी के अली से [संगीत] बेहतर नैनो बदरो से पूछो अमल के दो नीम सर से पूछो अली की दो उंगलियों की ताकत है क्या ये खैबर के दर से पूछो कसम खुदा की मिसाल हैदर कोई नहीं है कोई नहीं सिवा नबी के अली से बहतर गदर से जब के मैंने पूछा गदर से जब के मैंने पूछा है तुझको मालूम सारा किसा सिवाली के है और कोई बनाया जिसको नबी ने मौला तड़ा के बोला ये खू का मेंबर कोई नहीं है कोई [संगीत] नहीं सिवा नबी के अली से [संगीत] बेहतर हजार रुतबे बढ़ाए दुनिया हजार सर पर चढ़ा दुनिया मोहम्मद मुस्तफा की मसन जिसको जाए बिठाए दुनिया सवार दोश नबी का हमसर कोई नहीं है कोई नहीं सिवा नबी के अली से बेहतर अरे अली अली की तलवार चल रही है अली की तलवार चल रही है नबी का चेहरा दमक रहा है कोई दता है ओहद में कोई नजर बचाकर सरक रहा है नबी के पास सब सिवाए हैदर कोई नहीं है कोई नहीं सिवा नबी के अली से [संगीत] बेहतर कोई नहीं है कोई नहीं नारे हैदरी या माशाल्लाह माशाल्लाह माशाल्लाह माशाला सुभान अल्लाह सुभान अल्लाह नारा [संगीत] सलवा महद मोहम्मद बना स [संगीत] [संगीत] मोहम्मद जिंदगी का भरोसा [संगीत] नहीं जिक्र हैदर किया कीजिए जिंदगी का भरोसा [संगीत] नहीं जिक्र हैदर किया कीजिए आखरत भी सवर [संगीत] जाएगी ये फरीज अदा कीजिए [संगीत] लाख सजदे किए [संगीत] जाइए फिर भी बख्श ना हो पाएगी लाख सजदे किए जाइए फिर भी बख्श ना हो पाएगी मोहम्मद का फरमान है इनके घर से वफा कीजिए जिंदगी का भरोसा नहीं जिक्र हैदर किया [संगीत] कीजिए सुभान अल्लाह सुभान अल्लाह न मोहम्मद मोहम्मद सवा सगर बा आवाज बुलंद आरहे सला सला मोहम्मद मोहम्मद [संगीत] फूले फले इस बजम में [संगीत] आने वाले फूले फले इस बाम में [संगीत] आने वाले खुशहाल रहे [संगीत] फर्श [संगीत] बिछाने वाले खुशहाल रहे [संगीत] फर्श [संगीत] बिछाने वाले या रब रहे वो बाग जहां में आबा या रब रहे वो बाग जहां में आबाद सरवर पे है जो [संगीत] आश [संगीत] बहाने वाले फूले फले इस बाम [संगीत] में मोहम्मद ले मोहम्मद सला [संगीत] [संगीत] तू अपने एक जाम पे नाजा है साकिया [संगीत] अपने एक जाम पे नाजा है [संगीत] साकिया 14 पिलाने वाले हैं [प्रशंसा] परवा है मुझको क्या 14 पिलाने वाले है परवाह है मुझ को क्या बतलाए देता हूं तुझे मैं खानों का पता बत हाओ का मैनो खुरासान सामरा खुर्शीद मदा मेरा [संगीत] बुर्ज शरफ में है खुर्शीद मदा मेरा बुर्ज शरफ में है एक कर्बला में एक मेरा साकी नजा में [संगीत] है तू अपने जाम पे [संगीत] अला सल्ले अला मोहम्मद वाले [संगीत] मोहम्मद दीगर बा आवाज बुलंद आर सवात [संगीत] है अ से गे सुए रुख अकबर कहां है अ से गे [संगीत] सुए रुख अकबर कहां कहां सुमुल कहां कहां है गुले तर कहां कहां सुमुल कहां कहां है गुले तर कहां कहां है अ से गे सुए रुख अकबर कहा कहां अरे खुर्शीद में कमर में सितारों में बर्क में है नूर आफताब [संगीत] पयंबर कहां कहां है अ से गे सुए [संगीत] रुख [संगीत] अकबर कहा कहा गुलजार में जिना में तन में तदार में फैली है निकहत गले हैदर कहां कहां और सिफीन में जमल में उ हद में ताबुक में तन्हा लड़े हैं फात है खैबर कहां कहां है आ से गे सुए रुख अकबर कहां कहां दुनिया में आखिरत में सफर में बहिश्त [संगीत] में है [संगीत] खतियान सफदर कहां कहां और कफे में कर्बला में बकिया में तू उस में अरे मद फून है बुतुल के दिलबर कहा कहां है अ से ग सुए रुख [संगीत] अकबर कहा कहा और बगदाद में इरा में खैबर में शाम में थे जम कतले शहर को सितमगर कहां कहां और यस रब में नैनवा में यमन में मदीने में था कतले शय का शै वनो महशर कहां कहां दरबार में खराबे में [संगीत] जंगल में शहर में दरदा आ गई हुसैन की खहर कहां कहा और बस्ती में [संगीत] जंगलों में [संगीत] तराई में कोह में शह को लिए फिरा है [संगीत] मुकदर कहां कहां है दरिया में कत्ल गा में नास्ता में चाह में दरिया में कादल गा में नास्ता में चाहा में हजरत ने ढूंढा लाशए अकबर कहां कहां है अ से गे सुए [संगीत] रुख अकबर कहां कहां मकतल में खै मगा में जिंदा मेरा में रोए पदर को [हंसी] आबिद मुस्तर कहां कहां है अ से गे सुए रुख अकबर कहा कहा गुरबत में घर में काब में महशर में [संगीत] [प्रशंसा] [संगीत] दबी गुरबत में घर में काब में महशर में अदब आए मदद को साकी कौसर कहां कहां है आ से गे सुए [संगीत] रुख अकबर कहां कहां सुन अला फातिहा मोहद मोहम्मद सवा अल्लाहु सले अला मोहम्मद महम्मद शहादत इमाम हसन अकरी भी है और आयाम अजा का बिल्कुल ताम भी है आप हुकम कीजिए कि किस सिलसिले में मर्जिया पढ़ा जाए पर मोहम्मद वाले मोहम्मद [संगीत] सलात कोशिश करते हैं मोहम्मद वाले मोहम्मद सवात बार दीगर बा आवाज बुलंद नारा सवात एक बार और नारा सवात अल्लाहुम्मा सहद महम्मद [संगीत] शोरा जहान में हसन [संगीत] आस्करी का है शहरा जहान में हसन अस्क का है नश ये अर्श की अंग गुस्तर का है कौ नैन में ये गुल चमन हैदरी का है दुर्र यतीम मादन पैगंबर का है दुर्र यतीम मादन पे गम बरी का है मजलूम अत मिसाले जनाबे हुसैन है और दबदबे में फात है बद रो होनन है और दबदबे में फात है बदरो हुनैन है पर मतम निहाय खहर क्या मुसीबत पर मतम ने कहर किया क्या मुसी बता ऐसे वली को जहर दिया वा मुसी बता ईमा के घर को लूट लिया वा मुसे बता खूने जिगर हरम ने पिया वा मुसी बता खून जिगर हरम ने पिया वा मुसी बता फड़ा कफन नबी ने अली नंगे सर हुए बचपन में मेहदी दीन बे पदर हुए बचपन में हाए मेहदी दीन बे पेदर हुए अरवाह पंजेतन को सताया हजार है और जन्नत में मुस्तफा को रुलाया हजार है तुरबत से [संगीत] फातिमा को उठा या हजार है कब्र शह नजफ को हिलाया हजार है कबरे शह नजफ को हिलाया हजार है गुल सामर में होता था जिस वक्त बह का या कर्बला में हिलता था मर कद हुसैन का या कर्बला में हिलता था मर कद हुसैन का है राथे जरान हुसैनी के क्या है आज क्यों जलजले में कब्र शह कर्बला है आज और महशर में आने गंज शही द बापा है आज आती है ये सदा हमें सदमा बड़ा है आज आती है ये सदा हमें सदमा बड़ा है आज जखमी बदन को मेरे अ दू ने हिला दिया अरे पोते को मेरे जहर लाहिर पला दिया पोते को मेरे जहर ला हिल पिला दिया पोते को मेरे जहर हिला हिल पला दिया और हैरत है क्यों जमी पे ना अर्श उला गिरा इस जुल्म से अमामा मो मुश्किल कुशा गिरा अब्बासिया पे क्यों ना फलक जा बजा गिरा बाला ए खाक ताज रसूले खुदा गिरा बालाएगे रसूल खुदा गरा सर अपना खोले सोग में आले [संगीत] रसूल जन्नत में सर से फेंक दिचा दरब तोलने सर अपने खोले सोग में आले रसूल ने जन्नत में सर से फेंक दी चा दर ब तोले जन्नत में सर से फेंक दी चा दर बतले और लिखा है जब इमाम हुए आज में जिना एक दफा सामर में कयामत हुए आया दौलत सराए शह से आने लगे फगा लो मोमिनो यतीम हुए साहिबो जमा लो मोमिनो यतीम हुए साहिबो जमा अरे सरगर में जुल्म चारों तरफ बदख साल है और है फै के मेहदी द खुर्द साल है और हैफ के मेहदी दन खुर्द साल है और हैफ के मेहदी दी खुर्द साल है अरे साया ना बाप का ना कोई भाई साथ है सर पर इमाम असर के बस हक की जात है इस बे पेदर की सिमत किसे इते फात है इस बे पदर की सिमत किसे इते फात है मुर्दे के गिर्द शोर जो नोहे का होता है मासूम फूट फूट के बाबा को रोता है मासूम फूट फूट के बाबा को रोता है मासूम फूट फूट के बाबा को रोता है अब इस तरह से अहले खबर करते हैं बया मातम सरा में बीबिया करती थी ये फगा नहला चुके जो लाशए मौ लाए दो जहां कफना या उसके रखत मु कफना या उसको रखत मुताहिर के दरमिया कफना या उसको रखत मुतहर के दरमिया आवाज आई फातिमा के शोरो सैन की सब शिया रोए बे कफनी पर हुसैन की आवाज आई फातिमा के शोर शन की सब शिया रोए बे कफनी पर हुसैन की शहरा जहान में हसन अकरी का [संगीत] सुला सुनोह मोहम्मद [संगीत] सवा बलं सवा अल्ला सलेला मोहम्मद वा जजाकल्लाह डॉक्टर साहब जकला परवरदिगार आपकी तौफ में फरमाए मला आपके मजीद हिम्मत ताकत दे परवरदिगार बतरी माशाल्लाह कलाम आपने पढ़ा बिमला रहमान रहीम सारी तारीफ अल्लाह के लिए और दरूद और सलाम मोहम्मद ले मोहम्मद के लिए मोमन मोमना अंजुमन अब्बास की जानिब से अब्बास में आज की मजलिस शब शहादत हमारे और आपके 11 इमाम हजरत इमाम हसन अकरी अ सलाम के की और किबला काबा जनाब मौलाना इमरान हैदर साकी साहब बस तकरीबन पाच या सात मिनट में तशरीफ ला रहे हैं किबला जाफरी सेंटर में खिताबत फरमा रहे थे और बकुल रास्ते में थोड़ी देर में इंशाल्लाह हमारे सामने वो मौजूद होंगे और अपनी ताब से इंशाल्लाह हमें नवाज उस्ताद वैसे तो साब एक मरसिया के बाद तो कुछ नहीं होता लेकिन अगर आपकी इजाजत हो तो मैं मैं गुजारिश करता हूं जनाब सलीस कामी साहब तशरीफ लाए कोई जरा कलाम पेश कीजिए मोहम्मद वाले मोहम्मद [संगीत] सवात काज साहब जब तक आ रहे मैं आप लोगों को यह बताता चलूं कि कल भी दर अब्बास में मजलिस है और इंशाल्लाह कल की जो मजलिस है व हमेशा की तरह दोपहर में यानी कि आफ्टरनून में होती है की मजलिस ठीक 5 बजे शुरू होगी और उससे भी ताब मलाना इमरान साकी साहब करेंगे और उसके बाद परसों यानी कि जुमे को ईद जहरा का इंशाल्लाह रे बास में जशन मुकद होगा जो कि अपने वक्त के मुताबिक इंशाल्लाह 9 बजे ही होगा मैं गुजारिश करता हूं का साब से तशरीफ लाए और कलाम पेश करें मोहम्मद ले मोहम्मद सवात [संगीत] हबीब खुदा िया नारे [संगीत] सलाह वो खून रोके यह कहता रहा जमाने से वो खून रोके यह [संगीत] कहता रहा जमाने से रिदा नो ना रिदा छीन ना लोगो मेरे घराने से वो खून रोके सवाल आ पे सोने पे उसके रोने पे सवाल आब पे सोने पे उसके रोने पे वो मारते [संगीत] थे वो मारते थे सकीना को हर बहाने से वो खून रोके यह कहता रहा जमाने से बुलाए के इस तरह अब्बास को मदद के लिए बुलाए किस तरह अब्बास को मदद के लिए वो बेरिदा थी झिझक रही बुलाने से सुलाया जाता था बेहोश करके दरों से सुलाया जाता था बेहोश करके दरों से जगाया जाता था जगाया जाता था आबिद को ताज आने से कुछ इस तरह सर करबो बला वो उजड़े थे कुछ इस तरह सर करबो भला वो उजड़े थे के डर रहे हैं के डर रहे हैं अभी तक वो घर बसाने से वो खून रोके ये कहता रहा जमाने से कहा ये गंजे शहीदा में बाप के सर ने कहा ये गंजे शहीदा में बाप के सर ने मुझे [संगीत] सकीना मुझे सकीना बुलाती है कैद खाने से वो खून रो के ये कहता रहा जमाने से रिदा छीन ना रिदा छीन ना लोगो मेरे [संगीत] घराने से वो सहद मोहद जकला जजाकल्लाह का साब जजाकल्लाह किबला तशरीफ ला चुके हैं लेकिन बस किबला की जैसे रीफ लाते हैं उससे पहले मैं गुजारिश करता सा भाई अगर दो चार आप अार सुना दे तो बहुत नवाजिश होगी पर मोहम्मद वाले मोहम्मद सवात [संगीत] मोहम्मद ब मोहम्मद ले मोहम्मद [संगीत] सलाह उस्ताद बिल्कुल नया ही आपको सुनाया है उस दिन शौकत ददा शौकत साहब का लिखा हुआ कलाम के खू का निकलना और माथे का पसीना और है खू का निकलना और माते का पसीना और है जो तहे खंजर किया जाए वो सजदा और है अंबिया से क्या त काबुल मेरा मौला और है और इसीलिए तो ईसा को मेहदी पढ़ाएंगे नमाज के शीरे मरियम और है शीरे जहरा और है क्या क क्या क इसीलिए तो ईसा को मेहदी पढ़ाएंगे नमाज कि शीरे मरियम और है शीरे जहरा और उस्ताद ये पुराना कलाम था उन्होंने ये तीन शेर उसमें ऐड किए वो आपकी समात ग और खुसूस क्या खूबसूरत शेर के शीरे जहरा और है शीरे मरियम और है शीरे जहरा और शीरे मरियम और है शीरे जहरा और हसनैन भी चूम अब्बास का कुर्ता हसनैन भी चूमेंग अब्बास का कुर्ता के जन्नत का सिला और है जहरा का सिला और सवात पढे सारे मिलके मोहम्मद और आले मोहम्मद पर अल्ला स प मौलाना इमरान साकी साहब फिर से एक मर्तबा सवात पढ़े सारे मिल के मोहम्मद सरकार आपकी समात की नजर करने लगा हूं के खू का निकलना और है माथे का पसीना और जो तहे खंजर किया जाए वो सजदा और अंबिया से क्या तकाबबलअल्लाहू जरा का सिला और जन्नत से रोटिया लेने आएंगे फरिश्ते के जन्नत का बका और है फिज का बका और जन्नत से रोटिया लेने को आएंगे फरिश्ते के जन्नत का पका और है फिजा का पका और जन्नत का पका और है फिजा का पका और शब्बीर हर एक मोमिन से महशर में मिलेंगे शब्बीर हर एक मोमिन से महशर में मिलेंगे सजदों का सिलार है मातम का सलार सुन का वा जजाकल्लाह साजिद भाई जजाकल्लाह माशाल्लाह मोमन मोमना जैसा कि मैंने अ की थी के य दो मजलिस और एक जशन जो कि आज से शुरू हो रहा है इससे हमारी खुशनसीबी है कि हर साल की तरह इस साल भी किबला काबा जनाब मौलाना इमरान हैदर साकी साहब माशाल्लाह वर्जिनिया से तशरीफ लाए हैं किबला में एहसास है कि आप अभी मजलिस पढ़कर रहे हैं और बहुत ही हम आगे ममन मुत शकर है कि फौरन आप वहां से बिल्कुल मजलिस को मुसर करके तशरीफ लाए और परवरदिगार आपकी तौफीक में बहुत इजाफा फरमाए और कोई गम ना दे सिवाय गम मोहम्मद वाले मोहम्मद के बस वो एक मुजाहिद भाई वो आपने एक शेर भेजा था वही मैं पढ़ के मौलाना को जहमत फिक्र देता हूं और वो है कि अल्लाह की अमानत है हैदर की विलायत अल्लाह की अमानत है यह हैदर की विलायत और अल्लाह की अमानत में खयानत नहीं होती अल्लाह की अमानत में खयानत नहीं होती करर के दुश्मन से तालुक ना रखना इस जुर्म में मुजरिम की जमानत नहीं होती इस जम में मुजरिम की जमानत नहीं होती इन शार के साथ मैं मुलम हूं किबला काबा जनाब मौलाना इमरान हैदर साकी साहब से हुसैनिया जिंदाबाद हुसैनिया जिंदाबाद यजद दियत मुर्दाबाद यजद दियत मुर्दाबाद मोहम्मद आले मोहम्मद दुश्मन से लानत महद आ मोहम्मद सवा द मोहम्मद ले मुहम्मद बिल्लाह समी अलीम मिन शैतान रजी बिस्मिल्लाह रहमान रहीम हीनन हु नासन रली सदरी यरली अमरी म सानी कोली अल हमदुलिल्ला अदल मुताल सलवाला इबाद मुखता अना बला रा अ अम्मा बाद फकत काल हक बिस्मिल्लाह रहमान रहीम या अय तोहन नसल मुतमइन रजाई इला रब राजयत मया दरूद पर मोहम्मद ला बते मोहम्मद सहद आह साहिब जमान के जहूर में ताजल और सरकार की सलामती के लिए दरूद पाक कादिया [संगीत] बार तमाम मोमिनीन की शरी हाजत की कबूलियत बीमारों की शिफा याबी रिस्क में बरकत के लिए दरूद पाक कादिया बारगाह [संगीत] का फज्र कुरान का फजर है सरकारे सादिक आले मोहम्मद अ सलातो सलाम अक्सर अपने असबे कराम को फरमाया करते थे के इरा फी फराम सूरत अल हुसैन सुभानल्ला फरमाया अपने फराइज में सूरत अल हुसैन को पढ़ा करो फमा फरा सरत हुसैन अपने फरा में सूरतुल हुसैन को पढ़ा करो तो हैरान हो के कहते मौला ऐसा सरा हमने पहले तो नहीं सुना कुरान में ऐसा देखा नहीं फरमाते हैं रे फत सूरत अल फजरे बैत सूरत हुसैन फरमाया हम अहले बैत में सर फजर का नाम ही सूरत हुसैन [संगीत] हैह मोहम्मद और आगाज यही से हुआ है ल फजरे लया आशर कसम है अल फजर की और द रातों की हालाकि अगर बजहर दिन और रात की कसम खानी होती तो असूल बलात यह था कि अगर एक फजर की कसम खाई थी तो रात भी एक का कहता और आसान करता हूं देखिए बलात में कानून यह है के अत दुई पर मुश्त समि होता है यानी अगर 10 सुबह 10 रातें 10 दोपहर तो 10 असर लेकिन यहां फजर एक की कसम खाई और रातें 10 थी और किसी को इमाम हुसैन से रबत हो या ना हो अहले सुन्नत उलमा ने अब मैं यह तो नहीं कहूंगा कि उन्होंने इमाम हुसैन से अकीदत की वजह से यह लिखा उन्होंने अपने अकीदह सुन्नत के उसने भी लिखा के लाया फल मुराद मनना अरता मुहर्रम हरा में यदा व कहते हैं इन 10 रातों से मुराद मुहर्रम की पहली द राते हैं कि जहां से इस्लामी साल का आगाज होता [संगीत] है और हमारे यहां तो एक तवील जो है पूरा कारवान है उलमा मुफ सरीन का जिन्होंने बताया के फजर कौन सी है और यह 10 रातें कौन सी है तो इस सूरत को सूरत अल हुसैन कहा गया है उसी सूरत में तस्करा है या अतो नसल मुतमइन र जाई ला रबिक राजयत मर्जिया इसे रजाई भी पढ़ सकते हैं और रजाई भी पढ़ सकते हैं अब हर जखम पर मजबूरी यह बन गई है कि मैं मरहम खुद लगा के चलूंगा क्योंकि यहां वक लाजिम नहीं और जहां वक लाजिम नहीं है अगर आप मुतमइन पर रुकेंगे तो फिर रजाई पढ़ेंगे और अगर वकू नहीं करेंगे तो रजाई पढ़ेंगे अलिफ साकिन हो जाएगा मुतमइन नफ्स और यह तानी का सीगा है क्योंकि मुतमइन में ताय तानी है ऐ वो नफ्स जो इत्मीनान शुदा है इत्मीनान याफ्ता नहीं है सुभान अल्लाह जो इत्मीनान शुदा है इत्मीनान याफ्ता नहीं है तुर जाई तू पलट आ अपने इला रबिक अपने रब की तरफ और तेरे पलटने की कैफियत यह हो राजतन मर्जिया मफूल मुतलू बन रहा है मैं एक आयत पढ़ूं या 10 मैंने किसी मुतर्जाम पर आयत नहीं पढ़ी क्या क वाह वाह वाह जब तक लुगत में अपनी पूरी तसल्ली ना कर लू तरकीब करता हूं नवी सरफी तद वन करता हूं फिर तर्जुमा करता हूं ताकि जो कहूं यहां और यहां इत्मीनान हो जो कह रहा हूं हक है किसी के त भरोसा नहीं तर्जुमा यही होगा लेकिन मैं लफ्जों की जिम्मेदारी से करने लगा हूं रातन तेरे पलटने की कैफियत यह होनी चाहिए कि तू मसदर रिजा होय मतलब है इसे नस कहते हैं अदब अरबी में न में रातन तू राजी हो मर्जिया और मर या भी हो क्या मतलब यानी रिजा निकले भी तुझ से रिजा लौटे भी तुझ तक अल्लाह अकबर तू अपने रब पे राजी हो तेरा रब तुझसे राजी हो राजयत मर्जिया और यह मर्जिया की जमीर पलट रही है खुद वाली कर्बला की तरफ और राजिया जाते रब्ब की तरफ इशारा है यह इसका मुख्तसर तर्जुमा यकीनन आप सब पहले से भी समात फरमा चुके होंगे ऐ मुतमइन नफ्स पलट अपने रब की तरफ और तेरे पलटने की कैफियत यह हो कि तू भी अपने रब पर राजी हो अल्ला अ और तेरा रब भी तुझ पर राजी हो तू रिजा का मरकज ठहरे वा तू मरकज रिजा इलाही ठहरे कुछ लोगों को गलतफहमी हुई दो साल पहले बहुत क्लिप्स भी चले थे तो एक साहब कह रहे थे के राजयत मर्जिया वाली यही आयत पढ़ के अहले बैत को रजला भी कह सकते हैं और आप अहले बैत को सलाम भी कह सकते हैं और यह जहालत है यानी एक बच्चा जो अनाम बसवाल पढ़ता है ना ना की इबत करता है वह भी जानता है के सनद और तलब में क्या फर्क है सुन अल्ला थोड़ा सा इदा में कुछ पढा हुआ हो ना जी तो उसे इतना शर होता है कि सनद क्या है और तलब क्या है तो जहालत यही थी कहा क्योंकि राजयत मर्जिया में कह दिया गया है तू भी राजी अल्लाह भी राजी तो अब आप इन्ह अल सलाम कह ले या रज अल्ला कह ले बात एक है तो बात एक नहीं है क्या क्योंकि अल सलाम सनद है रज अल्लाह तलब है वाह क्या क्या क अल सलाम हजूर अल सलाम तलब है सनद है और रज अल्ला जिसके पास अले सलाम की सनद हो वो रज अल्लाह की तलब पूरी करता है सुभान अल्लाह मैं मैं मैं और आसान कर देता हूं हजूर मैं और आसान कर देता हूं जल्दी जल्दी एक और आयत पढ़ता हूं पहली हिजरी है मस्जिद अबू सलमा या बनू सुलम अब मैं कितना मोहता हो गया हूं क्योंकि अब एक रिवायत में अबू सलमा है और एक में बनू सुलम है तो मुझे दोनों बतानी पड़ेंगी जला क्योंकि जिसकी नजर एक पे पड़ी वो कहेगा मौलाना ने गलत बताया तो मैं दोनों बता रहा हूं अबू सलमा भी बनू सुलम भी इब्ने असाक दमिश्क ने बनू सुलम लिखा और जलालुद्दीन सूती ने अबू सलमा लिखा तो दो रिवायत हैं मस्जिद अबू सलमा या बनू सुलेम पहली हिजरी जोहर की नमाज और यह चार बातें बताने के लिए मेरे शायद चार साल लगे हो मैंने ढूंढा है कि नमाज कौन सी थी रकत कौन सी थी मस्जिद कौन सी थी वाक आपको आम किताबों में मिल जाएगा जोहर की नमाज पहली हिजरी मस्जिद अबू सलमा या बनू सुलेम सरकार नमाज में थे और बारबार अर्श की जानिब सर उठाकर देख रहे थे आयत उतरी कद नरा तक का समा फन का किबल तर हबीब कद नरा जमा मुत का स हम तेरी तरफ देख रहे हैं कद नरा हबीब हम आपका चेहरा आसमानों में फिरता हुआ देख रहे हैं फ लाय वल्लो मैं मुरादी तर्जुमा नहीं करने लगा वल्ला लोलो इसकी गर्दान है और इसी से निकला है वल्ला जवलो फिर जाना इसी से जमा [संगीत] मुतमरना उधर फेर देंगे जिधर तेरा चेहरा फिर [संगीत] जाएगा दोनों का दोनों का जो है मिस्दा जो है एक ही है फला नवले यना का हम आपका फेर देंगे किबल तन तरहा ये हा की जमीर किबला की जानिब यानी हमारी रिजा भी उधर फिर जाएगी जिधर आपका चेहरा फिरे और हमारा किबला भी उधर फिर जाएगा जिधर आपका वल्ला यलो मैं पूरी जिम्मेदारी से कहने लगा हूं और जो बात मैं कहूं पहले मुझसे पूछे क्या कहने मेरा कुछ नहीं बिगड़ना मैं तो तन्हाई में बैठ के फिर मालिक कोई रो रो के कह रहा होता हूं कि अगर तूने अता कर दिया है समात में भी वो जर्फ अता कर कि जहां तक मैं पहुंचा सकूं मैंने कहा है तो पहले हवाला मुझसे मांगिए मैं हवाला दूं वह हवाला किसी और से रिचेक कीजिए कि हवाला ठीक है इबारत ठीक पढ़ी तर्जुमा ठीक किया सब ठीक कहा फिर आपके जर्फ प छोड़ा माने या ना माने अब कही हुई बात आप पूछ उनसे कि जिनकी सारी जिंदगी के मुताले में 100 किताबों का रैकेट ना टूटा हो तो फिर वो कहां से ढूंढेंगे जो मैं कह रहा हूं वो मैं जिम्मेदार हूं जब तक जिंदा हूं आपके इस मजमे से लेके हजू मशर तक जिम्मेदार हूं जलाला अब इससे आगे किसी ने कोई मुझे सांसे थोड़ी बशी है कि मैं सफाया देता फिरूं मैं तो इतना ही कह सकता हूं हम फेर देंगे आपका किबला जिधर आप जिधर अपनी रिजा जिधर आपका चेहरा फिर जाएगा ईद का दिन था दो शहजादे कंधों प बैठे थे वाकया तो सुना हुआ है मैं वाकया नहीं दोहराने लगा और यह पूरी जिम्मेदारी से कहने लगा हूं जुल्फों को दरमियान में बांटा आधी हसन के हाथ में दी आधी हुसैन के हाथ में दी और मैं रावी को सात सलाम पेश करता हूं के देखिए वहां देखने वाला पूरा मदीना था लेकिन रिवायत सिर्फ एक बंदे से ली गई ताकि किसी के पास इंकार की गुंजाइश ना निकले जानते हैं जिससे ली गई और उने देख के कहा क्या खूबसूरत सवारी है फरमाने लगे यूं कहो नेमल मर काबो सवार कितने हसीन है सवारी तो हसीन है लेकिन सवार कितने हसीन है वाकया आपका सुना हुआ है एक शहजादा दाए मोड़ता रसूल अल्लाह दाए मोड़ जाते हैं एक बाए मोड़ता है रसूल अल्लाह बाए मोड़ जाते हैं और उलमा ने लिखा है कई दफा हसन ने दाए मोड़ा हुसैन ने बाए मोड़ा रसूल ने एक दफा भी टोक के नहीं कहा शहजाद को कि पहले आपस में सलाह कर लो कि मुड़ना किधर है जो जिधर मोड़ता सरकार उधर मुड़ जाते जमाने को बता रहे थे कि अल्लाह की रिजा यह चेहरा है और अल्लाह की रिजा या हसन के कहने पर मुरती है या हुसैन के कहने पती [संगीत] हैरर हैदर हैदर हैदर हैर नारा हैदरी या अली अभी मैं तही दी मराल में हूं याली अभी तब हीदी मरल में अभी तो मैंने कुछ कहना हैन दाए मुड़ते बाए मुड़ते एक जुमला आ गया वो और ये अभी अभी कुछ अरसा पहले मेरी नजर से गुजरा अदब अरबी की कोई किताब थी पढ़ते हुए वहां से सामने नजर में क्या खूबसूरत जुमला था दोनों शहजादे बैठे थे ना कंधों पर मौला हसन ने कहा जद्दा अहिल हसना अर मिनी हसन से ज्यादा मोहब्बत करते हैं मेरी निस्बत फरमाया नहीं तुम दोनों हसनन हो सदन हो सतन हो इमाम हो दोनों बराबर हो सिन का ही बराबर है क लेकि नाना मैंने आपका खुतबा सुना था आपने खुतबा में इंशा फरमाया था कि दाया हिस्सा अफजल होता है बाएं से हां हुसैन हमने कहा था तो फिर नाना इसीलिए तो कहा है कि हसन से ज्यादा मोहब्बत है मुझसे और यह मैं फिर अपनी कही हुई बात दोहरा देता हूं हुज्जत के कबीले में जब बात सवाल जवाब पे आए तो ला इल्मी की बुनियाद पे नहीं इजहार हकीकत की बुनियाद पे होती है वा वाह वाह वाह हां ये बात नहीं होती कि जानते नहीं नहीं इजहार हक होता है सुभान अल्लाह आप बेहतर ज्यादा मोहब्बत करते हैं पढने लगे बराबर हो तो सर रोज हसन को तो दाएं कंधे प बिठाते हैं मुझे बाएं पे तो दाया तो हसन के हिस्से में बोसों की बो छाड़ कर दी फरमाता है नाना की मोहब्बत का इम्तिहान ना लिया कर क्या हुआ जो हसन मेरे दाएं कंधे पे बैठता है मेरा दिल बाई तरफ है [संगीत] [संगीत] [प्रशंसा] या अली मेरा दिल बाई तरफ है और और पता नहीं आपने कभी सोचा या नहीं मैंने तो बारहा सोचा बखुदा मेंबर पर बैठा हूं मैं हस्पताल में था मेरे वालिद हस्पताल में थे चंद दिनों के मेहमान थे उस बुरी वक्त में भी मेंबर पर बैठ के कह रहा हूं मैं हस्पताल भी बैठ के मेरी एक रात मुझ पर हराम हो जब मैंने दो घंटे पढ़ा ना हो तो वो मैं अपने लिए नहीं आपके लिए है ताकि चरबाहल बाई तरफ है और जब मैंने भाई सोचा तो मुझे पता चला शहीद अली भी है शहीद हसन भी है लेकिन कुरान सिर्फ हुसैन ने नेजे पर पढ़ा जब मैंने सोचा तो चकरा गया इसलिए हुसैन ने पढ़ा क्योंकि कुरान उ रा था मोहम्मद के दिल पे और दिल था हुसैन के डॉक्टर साहब हिस्से में जी क्योंकि हुसैन पे उतरा हुसैन के हिस्से में दिल था इसलिए जिंदगी और शहादत के बाद भी कब्जा दिल पे हुसैन का रहा मोहम्मद के दिल प जो हुकूमत करे उसे हुसैन कहते हैं वा तम नफ्स तू पलट आ यह दिल याद रहे एक दिल होता है एक नफ्स होता है एक होता है दिल एक नफ्स दिल होता ही इत्मीनान के लिए है इंसानी जहान में यह जो जहान इंसानी है मौला फरमाते एक आलम है इंसान के अंदर तो ये इस आलम में दिल जो होता है ना हजूर वो होता है इत्मीनान के लिए यकीन के लिए नफ्स वसवसे के लिए य वस फनास है ये नफ्स जो होता है वसवसे के लिए शक के लिए तरदूत के लिए वहम के लिए गुमान के लिए जागिए दिल है इत्मीनान और यही वजह है कुरान मोहम्मद मुस्तफा के नफ्स प नहीं उतरा वाह दिल पे उतरा है क्योंकि दिल इत्मीनान के लिए है तस्दीक के लिए है तस्दीक ब बिल कल्ब तो यह तो है ही तस्दीक के लिए और नफ्स है शक के लिए हजरत इब्राहीम अल सलाम रब्बे अरनी कैफा तोल मौता उधार रही ये आयत कभी इस आयत को बकायदा उनवान करार दिया जाए पालने वाले मुझे दिखा तू मुर्दे जिंदा कैसे करता है कहा अ ईमान नहीं काला बला पालने वाले ईमान तो है तो फिर क्यों देखना चाहता है काला ले कल भी ताकि दिल मुतमइन हो जाए मैं बिल्कुल करीब आता जा रहा हूं जो मैंने कहना है लेमना कल भी ताकि दिल मुतमइन हो जाए किसका जो पहले बेटा अल्लाह की राह में बच गया उसका कर्म इब्राहिम ने अता कर दिया शरी रख दी तो कुर्बानी हो गई जो बेटा दे चुका है वो कह रहा है मेरा दिल मुतमइन कर इब्राहिम दिल का इत्मीनान मांगता है हुसैन का नफ्स मुतमइन है सुभान अल्लाह जी जी जी हैदर हैदर हैदर हैदर हैदर हैदर हैदर हैदरी याली हजूर इब्राहिम तो तसवर करो जिसका नफ्स मुतमइन है उसका दिल क्या होगा तो इब्राहिम में से इम्तिहान में तो अफजल होना चाहिए मैं अभी तो थोड़ा थोड़ा तैयार हो रहा हूं पढ़ने के लिए तो मिजाज बन रहे हैं हजूर जिसका हैदरी या जिसका देख कहने को तो इतना कुछ है सांसें थम सकती है जिक्र आले मोहम्मद खत्म नहीं हो सकता ये अभी मैं पढ़ के आ रहा हूं और जो पढ़ के आ रहा हूं उसमें क ताहिर भाई भी थे अजीज असद भी थे एक लफ्ज नहीं दोहराने लगा जजाकल्लाह जकला दिल नफ्स हुसैन का दिल मुतमइन और इतना मुतमइन के इत्मीनान शश दर है नफ्स मुतमइन इतना मुतमइन के नफ्स दिल को देखे दिल नफ्स को देखे एक गैर मुस्लिम आलिम गुजरे नहीं है गुजर गया मरे हुए बंदे से मंसूब करना आसान होता है जिंदा लोग से बात मंसूब करना मुश्किल होता है अर अंत बारा याद रहेगा मैं इस मेंबर से आपको आपको पहले भी शायद कभी हवाला दे चुका हूं डॉक्टर अंत बारा लुबनान के रहने वाले हैं इनकी शोरा फा किताब है य आप गगल करेंगे तो आपको मिल जाएगी अल हुसैन फी फिक्र मसीही ठीक है और ये तकरीबन 6 700 सफात पर मनी किताब है हजूर और यह सारी किताब एक ईसाई आलम ने इमाम हुसैन पर लिखी हैला अ किताब का उनवान क्या है अल हुसैन मसीही हुसैन ईसाइयों की फिक्र में क्या कह और इसने मुझे इसका जो अगर कभी आप क्योंकि ये इंग्लिश में भी ट्रांसलेट हो चुकी है तो क अगर किसी दोस्त का पढ़ने को दिल हो तो मेरा उसमें पसंदीदा बाब जो है वह ममा सेलत है जहां उसने ममा सेलत कायम की है ना हजरत ईसा की इमाम हुसैन से वो जरूर पढ़िए उसका एक जुमला मैं हदियाना हो जाए मसलत करते करते ईसाई ने एक जुमला लिखा है व फरमाते फल फर को बना होमा जाग खुदा के लिए ईई लिख रहा है कमास कर रहा है मुवाना करर इमाम हुसैन का और हजरत ईसा का और एक ईसाई मुवाना करते करते कहते फल फर को बहुमा कानल मसी मरियामा बत जमने मा मादा मत बल उल हुसैन व कते दोनों में फर्क य है एक मरियम का बेटा है एक जहरा का बेटा है दोनों की माओ में बस फर्क यह है मरियम शादी के बिना बत थी जहरा के बावजूद मल थी सुभान अल्लाह कहते हैं पहली का पहली का कोफ था नहीं और दूसरी शहजादी का कोफ अली जैसा इमाम था और कमाल यह था के दूसरी शहजादी अली से अद के बावजूद शहजाद की मां बनने के बावजूद बदल रही तो अंत बारा ने सरकार को खिराज अकीदत पेश किया है और भी बहुत कुछ है लेकिन मैं इस पर दो चार जुमले अर्ज करना चाह रहा हूं वक्त मैंने पूरा गौर नहीं किया था शुरू हो गया है ये 2006 या सात की बात है छ और सात के दरमियान में अश्र की बात है जाम तो दमस्क डस्क शाम सूर्या जिसे आप कहते हैं डमाइज है मुस्तक मुह आलम अरब में य शोहरत है इनकी मुह वो मुह जो अपने पसंदीदा दीन के इलावा दूसरे अदियानूठू [संगीत] [संगीत] [प्रशंसा] [संगीत] या [संगीत] अली 2006 सा में मोहर्रम से पहले इमाम हुसैन की अजमत प कान्फ्रेंस हुई थी यहां तो उसमें अंत बारा ने जो खिताब किया था वही मैंने आपको चंद कले मात अदिया करने हैं तवील खिताब है इसका बहुत तवील खिताब है उसके चंद चंद दरमियान में से जुमले में कुछ ना कुछ आपकी खिदमत में क्योंकि हजूर मैं अगर पूरा कहूं तो वो फिर अशरा चाहिए उसमें से चंद जुमले मैंने आपकी खिदमत में अर्ज करने हैं और अच्छा मेरा इसके बारे में तजिया ये था इस महफिल का मैं खुद शाहिद हूं मैं इसमें मौजूद था मेरा जमाना तालिब इल्मी था हजर अगर मुझसे कोई मेरा तजिया ये था उस वक्त कि अंत बरा सिर्फ पहला जुमला कह देता बात तमाम कर देता बहुत था वाह वो जो पहला जुमला बोला था उन्होंने इमाम हुसैन के शान में वो एक जुमला कहते इसके बाद कुछ ना कहते वही काफी था बाकी नाफला है नाफला में अब आपके चेहरों को देख के सुनाऊंगा आगाज देखिए अरबी का लुफ लीजिए जो लुफ अरबी में है व तर्जुमे में फिर कोई भी असली लैंग्वेज हो लुगत हो उसका अपना लुफ होता है उन्होंने आगाज यहीं से किया बिस्म रब्बिल हुसैन मैं मजलिस में मेरे ख्याल में ये 15 मिनट का फासला आया है हजूर ये वहां की मजलिस और यहां में 15 मिनट का फासला आया है तो मेरी ये वहां भी सवा घंटा पड़ा यह दूसरी है आपकी तो पहली है ना तो मुझसे ज्यादा आपके चेहरों पर कम से कम ताजगी नजर आनी चाहिए बसम रब्बिल हुसैन ल हमदुलिल्ला मन लहु व सलाम अला जही अबीला उही मोहम्मद अबला लरा कोरयाला मोहम्मद अबला रसूला नबीला लाला रातो कितारा माने ला [संगीत] याली मैंने कलमा इत्मीनान के लिए ये उनका पूरा कलाम पढ़ा बाकी नाफला है वा क्योंकि मैं आगा से छोड़ के एकदम नहीं जा सकता था कहते है बिस्म रब्बिल हुसैन मैं हुसैन के रब के नाम से शुरू करता [संगीत] हूं बिस्म रब हुसैन सुनिए मैं हुसैन के कौन कह रहा है ई मैं हुसैन के रब के नाम से मैंने कहा य एक जुमला काफी था क र बिस्म र हुसैन मैं हुसैन के यह जनों में रहे ईसाई कह रहा है मुसलमान नहीं है शिया सुनी तो दूर की बात है एक ईसाई कह रहा है और आपको इतने करवात नजर आएंगे हुसैन के इस ईसाई के कलाम में कहते के रब के नाम से मैं रब को नहीं जानता था मैं ना उसे जानता था मैं तो उसे इनला ईसा इनला की हैसियत से जानता था और कते ना मैं उसे वैसे पहचानता था ना मैं उसे कभी सजदा किया बल्कि मैं मुसलमानों के सजदों पर हसता था यह कौन सी इबादत है पहले रकू करते फिर गिर पड़ते हैं यह तो इंसानी तोहीन है माथे के बल रोज गिरे हुए होते हैं कहते फिर जब मैंने हुसैन की जिंदगी पढ़ी मुझे यकीन हो गया कोई है जिसका सजदा वाजिब है जी हुसैन की हयात पढ़ने के बाद हुसैन की जिंदगी पढ़ने के बाद मुझे यकीन हो गया कि कोई तो ऐसा है जिसका सजदा वाजिब क्यों कहते जब मैंने हुसैन की जिंदगी पढ़ी मैंने देखा हुसैन नाहक में हाथ नहीं देता तो मैं दर अब्बास प कुछ कहने लगा हूं हुसैन हक के बिना किसी को हाथ नहीं देता जिसे हुसैन सजदा कर रहा है उसका सजदा वाजिब है लैक या हुसैन लैक या हुसैन लब्बैक या हुसैन या हुसैन ना हैदरी याली वो हुसैन वो हुसैन के जो किसी को हाथ ना दे अगर वो किसी को सर दे रहा है हुसैन के एक सजदे ने जमाने को बता दिया कोई है जिसका सजदा वाजिब है जिसके सजदे के बिना हुसैन का चारा नहीं और ये खुद वाली कर्बला फरमा करते थे फरमाया करते थे इलाही लता जो लेफ बे इबादत पालने वाले मैं तेरा मोहताज मफत नहीं हूं कि मफत के लिए तेरा सजदा कर रहा हूं बल इनी आरफ का लिबास के दो मैं तुझे जानता हूं इसलिए सजदा कर रहा [संगीत] हूं यहां एक बहुत बड़ा मैं अब क्या करूं मेरी मजबूरी ये है मेरा मौजू और है बमला अल्लाह को सजदा करके जानने वाले और हैं [संगीत] जी उसे जान के सजदा करने वाले सिवाय हुसैन के कोई नहीं जुमला अच्छा लुफ लीजिएगा हमारे किबला काबा अला उनके दरजा बुलंद करे अल्लामा वजीर हैदर नफीला मकाबला फरमाया करते थे के जो बंदा पढ़ते हुए किताब खुद सरूर नहीं ले सकता ना फजल अहले बैत के असरार अहले बैत के गमज अहले बैत के वो किसी को मसरूर नहीं कर सकता मैंने तो लुत्फ लिए हैं मुझे नहीं पता आप कहां तक इस वादी इरफान में मेरे साथ चलेंगे कहते वल हमदुलिल्ला लजी मन लहु काश फु सहाए अरब होते तो मुझे पढ़ने का लुत्फ आता उन्हें सुनने का लुफ आता वाह कहता है वल हमदुलिल्ला लजी मन लहु अब मैं आसानी के लिए बता देता हूं यहां मन मसूला है जहां सिला वाजिब हो जाता है मजबूरी यह है कि मैंने एक एक चीज की शराह कर नहीं सकता कहते है और उसकी हमद वाजिब हो जाती है जो हुसैन जैसे खल्क [संगीत] करे सुभान अल्लाह क्या क कहते और उसकी हमद वाजिब हो जाती है अल हमदुलिल्ला रब्बिल आलमीन सुन के कहना और है सुभान अल्लाह उसकी मखलूक की कोई सूरत सामने हो और फिर उसकी हमद की जाए कहते है और हमद है उसकी जो हुसैन जैसों का खालिक है व सलाम अब ये मैं जल्दी कर रहा हूं नाफला के तौर पर क्योंकि मैंने जाना अगले हिस्से तक है कहते और सलाम हो हुसैन के नाना पे सलाम हो हुसैन के बाबा पे सलाम हो हुसैन की पाक अम्मा पे सलाम हो हुसैन के भाई पे सलाम हो हुसैन की बहन पे क्या क क्या कहने वाह वा वा सलाम हो हुसैन के नाना पे सलाम हो हुसैन के बाबा सलाम हो हुसैन के भाई पर पाक अम्मा पर पाक बहन पर आप सुन लीजिए मैंने भी सुना जहां जब यहां तक पढ़ा नातन बारा ने कहा कि हुसैन के नाना पर सलाम कुछ शेरों प वो होती है मुद बराना मुस्कुराहट तदब से मुस्कुराहट उने कहा मैं देख रहा हूं आप लोगों के चेहरे मैं जानता हूं अन ब ने कहा मैं देख रहा हूं मुझे पता है तुम्हारे चेहरे तुम मेरा मजाक उड़ा रहे हो जानते हो क्यों क्योंकि यह होता है बाज औकात आप गैरों की महफिल में हो ना तो गैरों को खुश करने के लिए बहुत से अपने गैरों वाली हरकतें करते हैं सुन अल्लाह सुन गैरों की महफिल में बहुत से अपने गैरों को खुश करने के लिए होता है जी ऐसा सोसाइटी में होते अपने हैं उनके यहां अक्त में गए करते हैं जी तो उन्होने कहा मैं जानता हूं तुम ये जेरों में सच सोच इसलिए रहे हो शक कर रहे हो हंस रहे हो कि मैं मोहम्मद की नबूवत पर तो ईमान रखता नहीं तो तुम सोच रहे हो कि शायद यह मुनाफिक है यह हमें खुश करने के लिए मुसलमानों को यह हुसैन के नाना हुसैन के बाबा हुसैन की पाक अम्मा हुसैन के भाई और हुसैन के अहले बैत के लिए अच्छा पहली एक बात तो याद रखिए अजीजो ईसाई को भी पता है कि जो हुसैन के रिश्तेदार हो ना वो अल सलाम होते हैं अ हो जी उने कहा सोच रहा हूं मैं समझिए अजीम जुमला कहने लगा हूं आपकी समां के हवाले करने लगा हूं हदियाना लगा हूं वो कह मैं जानता हूं तुम लोग सोच रहे होंग कि शायद हमें खुश करने के लिए उन्होने कहा पहली बात ये मुझे काफिर कह लो मुनाफिक ना कहो अल्लाह अकला मुझे काफिर कह लो मैं तुम्हें खुश करने के लिए यह कुछ नहीं कह रहा तो कह क्यों रहा हूं कहते काना मोहम्मद अब्दल्ला कहते हैं मोहम्मद अब यहां बरीक सा तब्दीली आएगी य खत तब्दील करेगा खत पैटर्न ठीक है यूं खत बदलेगा यूं बदलेगा बाद सबा की तरह यूं गुजर जाएगा कहते है मोहम्मद बिन अब्दुल्लाह ने अपने जमाने में दावा नबूवत किया था अब यहां रिसालत का तस्करा नहीं है कहते मोहम्मद बिन अब्दुल्ला ने अपने जमाने में अगर तो मैं यह जैसे मैं चाहता हूं पहुंचा हं वैसे पहुंचा पाया तो यूं समझिए कि छह सात अशरे आपने सुन लिए रह गया तो फिर उसमें मेरी कजी मेरी कोताही मेरी जबान की कोई ना कोई नक्श कोई ना कोई उसमें कारगर होगा कोशिश है पहुंचा हूं कहता है कि मोहम्मद बिन अब्दुल्ला ने अब एक लमहे के लिए मैं यही गुजारिश कर कि पलके ना झपके मोहम्मद बिन अब्दुल्ला ने अपने जमाने में दावा नबूवत किया था लोग झुठला थे मैं भी झुट ता था कि ये दावा नबूवत माज अल्लाह झूठा है कहते फिर मुझे इत्तफाक हुआ हुसैन की सीरत पढ़ने का जागिए कहते फिर मुझे इत्तफाक हुआ हुसैन की सीरत पढ़ने का मैंने फिर मोहम्मद रसूल अल्लाह के दावे को झुठला छोड़ दिया [संगीत] सुभान अल्लाह कहते है मैंने फिर क्या किया मोहम्मद आपने पता नहीं लुत्फ लिया या नहीं मैंने तो लिया है वाह वा जी जो दो लफ्जों के फासले से इब्ने अब्दुल्लाह को रसूल अल्लाह मन वाले गैर से उसे हुसैन कहते हैं सिर्फ दो लफ्जों के हुजूर उस्ताद दो लफ्जों के बेशक बेशक कहते है मोहम्मद बिन अब्दुल्ला ने अा मैंने तो जो कहा ना कि छह अशरे साहब वह अगला जुमला है मैं उसमें कोई खिताबत नहीं दिखाने लगा बस सुनाने लगा हूं और मैं खुद जरूर की वादियों में हूं मेरे अंदर कैफियत क्या है वो मैं जानता हूं क्या कहते हैं मोहम्मद बिन मोहम्मद बिन अब्दुल्ला ने दावे नबूवत किया लोग झुठला थे मैंने भी झुठला फिर जब मैंने हुसैन की जिंदगी का मुताल किया मैंने मोहम्मद रसूल अल्लाह के दावे को झुट बंद कर दिया क्यों य मुमकिन ही नहीं जिसकी गोद में हुसैन पले वो झूठ बोले सुन [प्रशंसा] [संगीत] अररर वो कहता हैय नत का फूल है हैदर की इसम जान है तूल है आले नबी का प्यार है ईमान की जिंदगी इनसे नहीं है प्यार तो सब कुछ फजूल है दुनिया में और कौन है शब्बीर के बगैर ऐसा सवार जिसकी सवारी ू गुजरा जहां जहां से भी गुजरा जहां जहां से नवासा रसूल का अब तक वहां खुदा के कम का ल [संगीत] ना या अली हजूर कहते है ला यजूज लो यरो कहते यह बात इमकान से बाहर है कि जिस गोद में हुसैन पले सुभान अल्लाह कोई तारुफ हुआ आप तो मोमिनीन यहां है लाइव चल रही है दुनिया के हर मकतब फिक्र के लोग सुन रहे हैं तो मैं जमाने को बताना चाहता हूं एक जुमला हुसैन क्या है जो दुश्मन से अपने नाना को सिद्दीक को अमीन बनवाले वो हुसैन होता है सुभान अल्लाह सलामत रहिए हजूर कहते जब वक्त है ना बमला अ मैंने यहां से शुरू किया है यहां से यहां तक जब आएगा फरमाते हैं जिसकी गोद में हुसैन पले वो झूठ नहीं बोल सकता कहता दुनिया वालों तुम में से कौन है ऐसा जिसने रसूल अल्लाह की हदीस नहीं सुनी मैंने तुम्हारी किताबों में पढ़ा मुझे हिदायत मिल गई तुम्हे ना मिली अल्ला अतु अनबी इल हुसैन हुदा सीजा सुनहला ईसाई कह रहा है कह क्या तुमने अपने नबी की यह हदीस नहीं सुनी के हुसैन हिदायत का चिराग है और निजात की कश्ती है कहते बद नसीबों मोहम्मद जैसे सादे को अमीन ने जो कह दिया हुसैन निजात की कश्ती है बड़े शौक से उतर रहे हो इस कश्ती से पहले मोहम्मद को सिद्दीक कहा अमीन कहा सादिक कहा बी मूर है इल हुसन मिस हुदा व सफीन निजा और एक दूसरी हदीस भी है फरमाते हैं मस बती कमस सफीन मनर जान तवला सुनत की किताबों में भी है फते की मसल कश्ती ए नूह की है जो इसम सवार हुआ वो और जिसने इससे रुख मोड़ा फतला हो जिसने मुंह फेरा तो क्या हुआ फगरा का अल्लाह अक अा मैंने गलती से ना ये मैं आप मुझे मबर प बखुदा यह रिलाइज हो रहा है कि शायद मेरी गलतियां थी मैंने गलती से इल्म तजना भी पढ़ा हुआ था व अब पता चलर गलती ही थी तो मैंने तजना की रू से जब हदीस को जांचा ना तो मुझे तो बड़ा लुत्फ आया फिर सुन लीजिए जो इस पर सवार हुआ जिसने मुंह फेरा मतलब क्या नहीं नहीं जरा डॉक्टर साब इसका लुत्फ तो लीजिए रसूल फरमा रहे हैं जो स्पेस सवार हुआ वो जिसने मुंह फेरा वो गर्क हो गया मतलब अगर कोई जिंदा भी है और इस कश्ती में बैठा है वो जिंदा निजात याफ्ता है और अगर किसी ने इस कश्ती से मुंह मोड़ लिया है वो जिंदा भी है तो जिंदा का बेड़ा गर्क है इसे कहते हैं बेड़ा गर्क [संगीत] होना जी लेकिन लेकिन जरा जरा रुकिए और सुनिए फरमाते हैं मेरी अहले बैत कश्ती निजात हुसैन छठे इमाम के सामने अ अबू सलमा सहाबी है सरकार के रवाते अदीस में से हैं छठे इमाम की बारगाह में बैठे हुए हैं अबू सलमा हलबी तो उसने कहा फरजंद रसूल एक बात समझ में नहीं आई क्या समझ में नहीं आई अबू सलमा उसने कहा आका जब पूरी अहले बैत को कश्ती निजात कह दिया हुसैन भी तो अहले बैत में है क्या जरत फिर अलग से कहने की जरूरत क्या बात है क्या बात अब यहां तीन हदीस हैं एक मैं अ अपने अंदर रखने लगा हूं वो इतना जर्फ है मेरा कि मैं ना भी सुनाऊं तो मेरे अंदर वो रहेगी एक मैं भी रोकने लगा हूं उसका अभी वक्त ही नहीं आया और शायद अग 1015 साल जो रोकने लगा हूं वो भी ऐसे हक है जैसे अल्लाह हक है वाह ना मुझे उसकी इबारत में शक ना रिवायत में शक लेकिन जरू पे इतना यकीन नहीं दो बताने लगा हूं बो फिर जब वो भी थे जुदा से क्यों कहा पहली बात तो मेरे छठे फरमाते फरमाते न निजा लक सफत हुसैन असरा मिना फरमाते हम तेरा भी निजात की कश्ती है लेकिन हुसैन की कश्ती बड़ी तेज हैर हुसैन की कश्ती बे और कश्ती तो नूह की भी थी कश्ती हुसैन की भी है लेकिन फर्क बहुत से हैं हजरत नूह नजी उल्लाह थे हजरत नूह का अपना मकाम हजरत नूह पहले साहिबे शरीयत नबी है जानते हैं यह शरीयत हजरत नूह से शुरू हुई हजरत आदम से हजरत नूह तक बशरी अभी बालिग नहीं हुई थी क्या कहने क्या कहने तो क्योंकि नूह के जमाने में आके बाकी तरबियत हो चुकी तो अब श शत शुरू हुई पहले खाना पीना उठना बैठना सोना रिश्तों का एहतराम यह कुछ सिखाया जा रहा था नूह तक सीख चुके फिर शरीयत शुरू हुई लेकिन नूह की कश्ती और हुसैन की कश्ती में इतना फर्क है जितना अर्श और फर्श में जानते हैं क्यों मैं आपको मिसाल देता दो तीन फर्क बताता हूं रास्ता बन जाएगा फिर ढूंढते रहिएगा चेहरे में देख रहा अब मेरी घड़ी आपके चेहरे हैं नूह की कश्ती मुकत थी हुसैन की दामी है क्या मतलब हजरत नूह ने कश्ती बनाई जब तक कश्ती नजरों के सामने थी लोग बैठने के काबिल थे हजरत नूह ने कहा थानास लला सफीन र के लोगों कश्ती तैयार है सवार हो जाओ चल पड़ी तो फिर मौका रुकी कश्ती में बैठा जी जो रुकी कश्ती में बैठा वो तो निजात पा गया कश्ती चल पड़ी किसी को बैठने की हुसैन कहते तुम जमाने जिस में हो जहां दुनिया के जिस कोने में हो बस मुझे मान लो मेरी कश्ती खुद चल के आ जाएगी लैक या हु लैक या हुसैन लब्बैक या हुसैन लब्बैक या हुसैन लब्बैक या हुसैन लब्बैक या हुसैन लब्बैक या हुसैन लब्बैक या हुसैन हैदरी चले एक और फर्क आपने सुना मेरा दिल खुश हुआ मुझे हजूर मुझे मुझे मुझे लुत्फ आया आपकी समात का एक जुमला और कहने लगा हूं नूह की कश्ती में जो जैसा बैठा [संगीत] वैसा उतरान बमला ूर नूह की कश्ती में जोर हैदर हैदर हैदर हैदर हैदर हैदर [संगीत] हैदर हजरत नूह की कशी में या हजरत नूह की कश्ती में इंसान थे हैवान थे हलाल जानवर भी थे हराम जानवर भी थे सूअर का एक जोड़ा भी था ये जितने भी जानवर बच गए तूफान नूह के बाद ये वही है जो हजरत नूह की कश्ती में बैठे हजरत नूह की जो ड्यूटी थी वो यह थी इस किनारे से बस पहुंचाना मोमिन बैठा उतरा तो मोमिन था मुनाफिक बैठा उतरा तो मुनाफिक था मुशरिक बैठा उतरा तो मुशरिक था कुत्ता बैठा सूअर बैठा सूअर उतरा सफीना रहमत इलाही फरजंद रसूल तेरी सखावत के क्या कहने की कश्ती वो कश्ती है इस पर गुनाहगार बैठता है अ सलाम बन के उतरता है बैठे [संगीत] तो बैठे तो गुनाहगार को कैसे कह रज अल्ला उस न को कैसे कैसे कहू रज अल्लाह जो अपने हुर को अल सलाम नारे या अली ये ये कमाल हुसैन में है वा कभी झूले से बीमार को शिफा दे देता है कभी कश्ती में बिठा के गुनाहगार को अल सलाम कर देता है सिर्फ अल सलाम नहीं र रश के अंबिया कर देता है तो बात याद है अरे सुभान अल्लाह और अल सलाम भी ऐसा किया के रुमाल सैयदा हक में आया वो अल सलाम किया कि हजरत सैयदा का रूमाल क्या कहने पेशानी प बांधा गया मालिक आपकी तौफीक में इजाफा करे दो चार जुमले और मुझ पे मेहरबान थे दार के वाली वा और वो चाहते थे कि जन्नत मेरे रास्ते में खड़ी हो बा था रुमाल इसलिए शबीर का दिल था कि मुजरिम जो बड़ा है तो सिफ सुभान अल्लाह या अली सुभान अल्लाह एक जुमला और कह दूं बम मैं अंत बराही की बात आगे करने वो कहते हैं ऐसा जो नफ से मुतमइन लेकिन कहते जमाने वालो हुसैन की मेराज यह नहीं कि व खुद मुतमइन है हुसैन वो है जिसके दिल में बसता है उसे भी मुतमइन कर देता है जागा जो एक जुमला कहा है ना इसने बखुदा यूं रूहल कुद दिल पर अपने हाथ से जैसे लिख जाए वैसा जुमला है कहते मुझे इत्तफाक हुआ कर्बला इराक जाने कार फ तो हुना मैं कर्बला गया इराक तो मुझे जो वहां का इत्तफाक हुआ सीखने का व यह रा तो ना का अनास यत बरना लम मन कर्बला गया और मैंने वहां लोगों को त तबीर तब सर पर कमा करने को कहते हैं कते मैंने वहा लोग के चेहर को गौर से देखा जो भी शख्स खुद पर कमा चला रहा था उसके चेहरे पर झरझर भी नहीं देखी फिर मैंने कहा हुसैन कमाल है तेरे इत्मीनान के खुद भी मतम तू खुद भी मतम जी मिल मिल हाथ को उ [संगीत] बेटा या अली कहते हैं सिर्फ सिर्फ खुद मुतमइन नहीं जिसके दिल में ये बस जाए वाली कर्बला के सरकार खत्म रसल अपने सहाबा से बता रहे थे वाली कर्बला के साथ क्या क्या होगा सरकार की फजीलत फिर सरकार के सहाबियों की फजीलत तो उनमें की एक फजीलत सुनाने लगा हूं सरकार शोहदा कर्बला की फजीलत रसूल अल्लाह ने बताई फरमाते हैं न जाग खुदा के लिए रो अलाज साम हदीद ला सफा फरमाते और जो हुसैन के सहाबी होंगे मददगार होंगे तलवार और लो के बने हुए नेजे उनके जिस्म पर लगेंगे तो सही असर नहीं करेंगे अल्ला जखम करेंगे अल्ला जखम अल्ला अला हुसैन के नासिर कौन है कि जिनके जिस्म पे लोहा चलेगा तो सही जखम भी करेगा और असर किसके जिस्म पे हुसैन का नासिर है अब मुसलमानों को डूब के मर जाना चाहिए एक ईसाई दलील क्या दे रहा है कहते लोगों अगर तुम्हारी समझ में नहीं आया तो अपने कुरान की सूर यूसुफ पढ़ो अंत बा अंत बा ईसाई कह रहे कि अगर तुम्हारी समझ में नहीं आया अपनी कुरान की सूर यूसुफ पढ़ो के जब मिस्र की औरतों के सामने से यूसुफ गुजरा आंखों के सामने यूसुफ था हाथ कट गए असर नहीं हुआ उने कहा कहां मोहम्मद का पसीना कहां मोहम्मद का खून यूसुफ यूसुफ मोहम्मद का पसीना हुसैन मोहम्मद का खून जिंदाबाद अगर कोई तमाशबीन हो उसपे अल्लाह और अहले बैत की लानत लेकिन जंजीर जनी करते हुए कमज नहीं करते हुए जिसका चेहरा मुतमइन देखो समझ जाना इसके सामने हुसैन खड़ा है हैदर इतना हैदर हैदर हैदर हैदर हैदर हैदर हैदर हैदर हैदर हैदर हैदर हैदर हैदर हैदर [संगीत] हैदर सलामत रहिए याली बस मालिक आपकी तौफीक में इजाफा करे ये मजलिस की रूहानियत की इससे बड़ी दलील नहीं फइल में आंखे छलक पड़े यह दुआ है हजरत सैयदा निसा आलमीन है अजीजो कर्बला वाले क्या वो बशरी तकाज से तना बुलंद हो गए थे रूहानी तौर पर ये वो अजीम मखलूक थी अल्लाह की जो अपने जख्मों को खुद चूमते थे ऐसे जमाने में मिलेंगे कोई देखिए यह लाइव जहां जहां तक जा रहा है जमाना अगर सुन रहा है मां के लिए औलाद सबसे अजीज होती है और छोटे बच्चे अगर हो तो मां की सांसे चलती हैं उन बच्चों के साथ सांसे रुकती हैं किसी दो चार साल के 8 साल के 10 12 साल के बच्चे को मां के लिए तो वह बच्चा होता है कहीं कोई जखम आ जाए ना वह सो भी जाए मां तड़पती रहती है तो जमाने को खबर नहीं आई कि हजरत जैनब की कनीज वो अजीम माए है जो अपने बे के जखम दे कह अल्हम्दुलिल्लाह हुसैन की मां ने पुरसा कबूल किया यह इत्मीनान कर्बला का बांटा हुआ है यह इत्मीनान नफ्स मुतमइन का अता करदा है जहां माए बेटों के जखम देख के शुक्र अदा करें ऐसी जमाने में माए ना मिलेंगी ये सब्र यह शुजात सिर्फ कनीज ह ह जैनब में हैला सुभान अल्लाह और कहीं ये शुजात नहीं है और अजीजो यह तो हसरत है य जो मातमी इसे तासी कहते हैं फिक इस्लाह में हम कमा करते हैं जंजीर चलाते हैं शायद मेरे सज्जाद मौला को यहां जखम आए हो शायद अली इने हुसैन को यहां आए हो मेरे किबला के लफ है अल्लाह उनके दरजा बुलंद करे शाम में हजरत सैयदा जैनब सलवा के हरम में मेरे किबला ने पढ़े थे सारी रात रोते हुए गुजरी उन्होंने कहा था कौन सज्जाद कहा था कहने में सज्जाद है देखने में जख्मों का कुरान है अजर को मिन अल्ला जो कब्र में रोया अजीजो कल इंशाल्लाह तवील मसाब होंगे आज कुछ सुन लीजिए कल आखिरी दिन बचा है और आज आखिरी रात बची है फिर उसके बाद अपनी से हमने रोना है मैंने कभी जाकिर बन के मसाब नहीं पढ़ा मैं आपको पुरसा देने के लिए चार जुमले कहने लगा हूं सारा साल अपनी मर्जी से रोना है यह जो आखरी रात रह गई है ना मुझे नहीं पता हम में से कितने अगले साल जिंदा रहे किस के मुकद्दर में अगले आयाम अजा है किसके मुकद्दर में नहीं इतना एक छोटा सा तारीख का जुमला है कि रिहा हो चुकी अली की बेटी मुख्तसर सा जुमला है यह रिहाई इतनी आसान ना थी अजीजो जब आके कासर ने कहा ना अली इब्ने हुसैन यजद ने रिहाई का परवाना जारी कर दिया है हजरत अली इब्ने हुसैन ने अपनी फुफी को देखा सज्जाद हम फाते हैं यजीद को कहे हमें यह फैसला मंजूर नहीं हमारी कुछ शर्त हैं मानेगा तो यह कबूल करेंगे अम्मा क्या शर्त उसे कहे शोहदा के सर वापस करे कर्बला का लूटा हुआ सामान लौटाए और हमें तीन दिन तक शाम में कोई खाली घर दे मैं शाम में बता के जाना चाहती हूं मेरा भाई बागी नहीं था सजदे में शहीद हुआ अजीजो सर मिले शोहदा के जो मोमिनीन आप में शाम की जियारत कर चुके हैं वह तस्दीक करेंगे यह कब्रस्तान जिसे अरब लोग बाबो सगीर कहते हैं और बड़े सगीर पाको हिंद के मोमिनीन उसे मुसाफिरों वाला कब्रिस्तान कहते हैं इसके सामने एक छोटी हवेली है जहां मकाम रस शोहदा शोहदा के सर दफन है जहां इसे उस वक्त दारुल हजारा कहा जाता था पत्थरों का घर यह घर दिया गया अहले बैत को यहां काफला रुका शोहदा के सर आए मैंने ज्यादा तवील आज नहीं पढ़ना मैं दो जुमले मसाब के पढ़ने लगा हूं मुद्दतों बाद खबर हुई मां बेटे से मिलेगी बहन भाई से मिलेगी जौजा शौहर से मिलेगी शेख अब्दुल हमीद महाज मुझे य कुछ दिन पहले मैंने उनका जुमला सुना लाइव मजलिस चल रही थी कर्बला से एक जुमला उन्होंने पढ़ा मेरे जिगर को छलनी कर गया है वो कह रहे थे तारीख इंसानियत की पहली मजलूम बहन है हजरत जैनब उनका जुमला सुनिए पहली मजलूम है हजरत जैनब जो एक साल के बाद भाई की कब्र पर गई तोहफे में भाई का सर लेके गई कितना आसान है कह देना वोह मजलूम है हजरत जैनब कुबरा जो शाम से कर्बला तक भाई का सर खुद उठा के गई तीन चार जुमले अजीजो ऐलान हुआ शोहदा कर्बला के सर आ गए तवील रिवायत है हजरत जैनब ने फरमाया बीबियों जिसका जिससे जो रिश्ता हो वह वैसे सर उठाए मात मियों उम्मे लैला के हाथों पर अकबर का सर हजरत उम्मे फरवा के हाथों पर हजरत कासिम का सर एक जुमला कह के फिर मातम करते रहिएगा अजीजो तमाम शोहदा के सराए शेख महाज ने लिखा है हजरत अब्बास का सर पहले उठाया बीबी ने फिर हुसैन का सर उठाया एक नोहा पढ़ा एक जुमला कहा पहले तो शब्बीर के सर को देख के कहती है हुसैन सकीना मर गई है फिर देखा हजरत अब्बास उसके सर को काफी देर देखती रही फिर हजरत सज्जाद को देख के कहती है सज्जाद मेरे अब्बास का लकब क्या थाप कमरे बनी हाशिम बीवी रो के कहती है मेरे चांद को गहन लग गया है जरा मेरे अब्बास के रुखसार देख इसके होठ कटे हुए देख मातम हुसैन [संगीत] या हुसैन या हुसैन या हुसैन हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन ले गई रदा जैनब दी गाजी भी ले गया ले गई रदा जैनब दी गाजी भी ले गया ले गई तेरे द जैनब द काजी भी ल गया है गई ला जैनब दज भी ल गया ले गई रदा जैनब द गाजी भी ले गया ले गई रदा जैनब दी गाजी भी ले गया ले गई रदा जैनब द गाजी भी ल गया ल गई रदा जनब जीज भी रह गया शम दे सफरा लई दुखियारी बीब द एक आबिद बाकी रह गया ले गई रदा जैनब दी गाजी भी ले गया ल गई रदा जैनब द काजी भी ले गया य श्याम दे सफरा ल दुखियारी बीबी द एक आबिद बाकी रह गया ले गई रदा जैनब दी गाजी भी ले गया गई मेरे द जैनब ले गया नूर देवेरे चि जरी नूरी बुर्खा पाके कदी टुर दी नहीं सी हैय बाज भरावा दे पथरा देरा उन पैदल टोरना प गया ले गई रदा जैनब द गाजी भी ले गया फरदा जैनब ले गया नूर देवेरे च जरी बरखा पाके कदी टुर दी नहीं स है बाज बरावा दे पथरा ते राते उन पैदल टोरना पै गया ले गई रदा जैनब दी काजी भी ले गया ग रेदा जैनब जी काज भी ले गया ले गई ता जैनब की गाजी भी ले गई य शाम दे सफरा लई दुखियारी बीबी दा एक आबिद बाकी रह गया लह गई रदा जैनब दी गाजी भी ले गया गई रे द जैनब द ले गया ले गई रदा जैनब द ी भी ले गया जीन अकबर तो भी पहले अली अ दी तरह पाल दी रही जैनब ओ वीर जुदा होया फिर जू जैनब लई एक हसरत बन के रह गया ले गई रदा जैनब दी काजी भी ले गया ले गई रे द जैनब द काजी भी ले गया ले गई रदा जैनब भी ले गया अपनी कदले जैनब एक बरी जीना रो सकी कैदा विच हर बार रोदी रही ती रान जड़े अखिया विच गाजी स गया ले गई रदा जैनब दी गाजी भी ले गया ले गई रदा जैनब द गाजी भी ले गया ले गई रदा जैनब द हाजरी ले गया जीनू अकबर तो भी पहले अली अकबर द तरह पाल दी रही जैना ओ वीर जुदा होया फिर जू जैनब लई एक हसरत बन के रह गया ले गई फरदा जैनब गाजी भी ले गया ले गई फिरदा जैनब द गाजी भी ले गया ले गई फरदा जैनब ले गया य शाम दे सफरा ल दुखियारी बीवी दा एक आबिद र गया ल गई [संगीत] रदा ल गया नूर देवेरे च जेरी नूरी बुर्खा पाके कदी टुर दी नहीं स हैय बाज भरावा दे पथरा दे राते न पैदल रना पै गया ले गई रदा जैनब दी गाजी भी ले गया ज जनली काज भी ले गया ले गई रि ज कीजी भी लह गया र [संगीत] गई या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन हुसैन हया अला खैर अमल हया अला खैर अमल हया अला खैर अमल हया अला खैर अमल या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या आले मोहम्मद के घराने वाले लुट गए आले मोहम्मद के घराने वाले लुट गए आले मोहम्मद के घराने वाले रुट गए आले मोहम्मद के घराने वालेर से पानी को जो कौसर के लुटाने वाले फिर से पानी को जो कौसर के लुटाने वाले लुट गए आले मोहम्मद के घराने वाले लुट गए आले मोहम्मद के घराने वाले लुट गए आप आले मोहम्मद के घराने वाले रुट गए आले मोहमद के घराने वाले हो गई शामने शाम के बाजारों में हो गई शामने शाम के बाजारों में एक बीमार को ला खों है सताने वाले ट गए आले मोहम्मद के घराने वाले लट गए आले मोहम्मद के घराने वाले ट गए आले मोहम्मद के घराने वाले लुट गए आले मोहम्मद के घराने वाले लुट गए आले मोहम्मद के घराने वाले हो गई शामने शाम के बाजारों में हो गई शामने शाम के बाजारों में एक बीमार को लाखों है सताने वाले उ गए आले मोहम्मद के घराने वाले उठ गए आले मोहम्मद के घराने वाले जुट गए आले मोहम्मद के घराने वाले तर से पानी को जो कौसर के लुटाने वाले तरर से पानी को जो कौसर के लुटाने वाले लुट गए आले मोहम्मद के घराने वाले लुट गए आले मोहम्मद के घराने वाले जहरा कहती बकवा दूंगी उन्हें महशर में कहती बख्श वा दूंगी उन्हें मशर में वो मेरे लार पे आंसू है बहाने वाले लट गए आले मोहम्मद के घराने वाले लुट गए आले मोहम्मद के घराने वाले लुट गए आले मोह मोमद के घराने वाले लुट गए आले मोहम्मद के घराने वाले बोली जैनब जोगरी खाक में तसवीर रसूल बोली जैना जोगरी खक पे तसवीर रसूल चल बसे याद बिना ना की लाने वाले ठ गए आले मोहम्मद के घराने वाले लुट गए आले मोहम्मद के घराने वाले लुट गए आले मोहम्मद के घराने वाले लुट गए आले मोहम्मद के घराने ने वाले लुट गए आले मोहम्मद के घराने वाले रोके कहती थी सकीना मेरे चाचा हो कहां रोके कहती थी सकीना मेरे चाचा ओ कहां लौट कर आए नहीं पानी पिलाने वाले ल गए आले मोहम्मद के घराने वाले लुट गए आले मोहम्मद के घराने वाले जुट गए आले मोहम्मद के घराने वाले लुट गए आले मोहम्मद के घराने वाले दर से पानी को जो कौसर के लुटाने वाले दर से पानी को जो कौसर के लुटाने वाले लुट गए आले मोहमद के घराने वाले जहरा कहती बक्श वा दूंगी उन्हे मशर में सारा कहती बसवा दू दूंगी उन्हें मशर में जो मेरे लाल पे आंसू है बहाने वाले लुट गए आले मोहम्मद के घराने वाले ु गए आले मोहम्मद के घराने वाले लुट गए आले मोहम्मद के घराने वाले लुट गए आले मोहम्मद के घराने वाले बोली फिजा ना इन्ह मारो जरा शर्म करो बोली फिजा ना इन्ह मारो जरा शर्म करो ये तो नबियों की भी है शान बढ़ाने वाले लुट गए आले मोहम्मद के घराने वाले लुट गए आले मोहम्मद के घराने वाले दर से पानी को जो कौसर के लुटाने वाले दर से पानी को जो कौसर के लुटाने वाले लुट गए आले मोहम्मद के घराने वाले रोके कहती थी सकीना मेरे चाचा हो कहां रोके कह द थी सकीना मेरे चाचा हो कहां लौट कर आए नहीं पानी पिलाने वाले ट गए आले मोहम्मद के घराने वालेल मोहम्मद के घराने वाले लुट गए आले मोहम्मद के घर गए आले मोहम्मद के घराने वाले या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसैन या हुसन रेदा श्याम चली हूं भैया हाय अब्बास उठो बरदा शाम चली हूं भैया हाय अब्बास उठो री द श्याम चली ह भैया हाय अब्बास उठो बरदा शाम चली हूं भैया आय अब्बास उठो बरदा शाम चली हूं भैया हाय अब्बास उठो बरदा जाम चली हूं भैया आए अब्बास उठो आके बन जाओ बहन का पर्दा हाय अब्बास उठो हाय अब्बास उठो हाय अब्बास उठो बेरिदा शाम चली हूं भैया हाय अब्बास उठो फिरदा शाम चली हूं [संगीत] भया अब्बास उठो देरे द शाम चली हूं भैया अब्बास उठो तुम ही जामिन थे मेरी चादर के सर बाजार चलूंगी कैसे सर बाजार चलू क आओ जैनब को सिखा दो चलना हाय अब्बास उठो हाय अब्बास उठो हाय अब्बास उठो मेरे दा नाम चली हू भैया हाय अब्बास उठो रदा शा में चली हूं भैया आय अब्बास उठो एक रस्सी में बंधे 12 गले और खाती है सकीना दुर्रे और खाती मैं सकीना हर सितम पर वो ये कहती है चचा हाय अब्बास उठो अब्बास उठो हाय अब्बास उठो मेदा श्याम चली ह भैया भाय अब्बास उठो बरता श चली हूं भैया हाय अब्बास उठो एक रस्सी में बंधे 12 गले और खाती है सकीना दुर्रे और ती है सकीना दुर्रे हर सितम पर वो ये कहती है चाचा अब्बास उठो हाय अब्बास उठो हाय अब्बास उठो गरदा शाम चली हूं भैया अब्बास उठो बरदा शाम चली हू मैया हाय अब्बास उठो लो से किया है परदा हमको अगियार ने जिस दम लुटा हमको गियार ने जिम लुटा हो गया दस में ये शोर बपा य अब्बास उठो अब्बास उठो अब्बास उठो रदा श चली हूं भैया आय अब्बास उठो रदा शाम चली हूं भैया हाय अब्बास उठो तुम ही जामिन थे मेरी चादर के सर बाजार चलूंगी कैसे रे बाजार चलूंगी कैसे आओ जैनब को सिखा दो चलना आए अब्बास उठो आए अब्बास उठो अब्बास ठ तेरे दाश चली ह भैया आए अब्बास उठो रे शाम चली भैया आय अब्बास उठो मेरे दशा भैया आस सुनो तेरे दशा में चली मु भैया आय अब्बास मोहम्द मोहम्मद सवात [संगीत] अ सल्लल्लाह अलक याबा अब्दल्ला अस्सलाम अलक रसूलल्लाह अस्सलाम अलक अमीर मोमिनीन अस्सलाम अलक सद अस्सलाम अले अस्सलाम [संगीत] अले म जमी सलाला ला मरत को अस्सलाम अला हुसैन वाला अली बने हुसन ला लाद हुसैन ला असब न अस्सलाम अले या स लालीन मोहम्मद बने अली जाफर बने मोहम्मद व मूसा बने जाफर अस्सलाम अलक या गरीब सलाम अले या सुलतान हसन अस्सलाम अलक याबी मासूमा फातिमा अस्सलाम अलक या सैयदी व मौलाई मोहम्मद इने अलीली इने मोहम्मद वल हसन इब्ने अली अस्सलाम अलक या मौलाना या साब अस जमान अल अमान अल अमान अल अमान मिन फित जमान अस्सलाम अलक या खलीफ रहमान अस्सलाम अलेका या शरीक कुरान अस्सलाम अलेका या इमाम वल जान अल अल्ला ताला फरला ला म इंशाल्लाह रहमतुल्ला व बरका बल्ला तुझे वास्ता है मोहम्मद ले मोहम्मद का झे वास्ता है और बर गुजी हस्तियों का कि जिनके वास्ते तूने इस कायनात को खल्क किया हमारी इस कलील इबादत को कबूल फरमा सदके मोहम्मद और आले मोहम्मद के हाजरी मजलिस और मुंतज मन मजलिस की हाजत को पूरा फरमा जहां जहां कहीं पर भी मोमिनीन और मोमिना आबाद है उनकी जान माल इज्जत आबरू की हिफाजत फरमा तमाम मोमिनीन जो परेशान हाल है उनकी परेशानी को दूर फरमा जो मोमिनीन बेरोजगार को रोज हलाल अता फरमा जो मोमिनीन ब रोजगार रोजी में बरकत कुदगी तरकी अता फरमा जो मोमिनीन यहां आबाद है और इमीग्रेशन के मसाइल का शिकार है खुसूसी तौर से हमारे साबिर शाह भाई को उनके बेटे को उनके मसाइल में कामयाबी और कामरा नसीब फरमा बारे लाह वास्ता है मोहम्मद और आले मोहम्मद का तमाम मोमिनीन मोमिना जो बीमार है खासतौर से हमारे शमी जैदी भाई को अभी जैसा कि हमारे जुलफ काजमी भाई ने मुझे इत्तला दी है कि अफरोज आगा भाई जो कि शायर अले बैत है और भी यहां आकर पढ़कर भी गए उनको अचानक हार्ट अटैक हुआ है और कल सुबह उनकी बाईपास या हार्ट की सर्जरी है परवरदिगार आलम हमारे अफरोज आगा भाई शायर अहले बैत को उसके अलावा मेरी भाभी की कल हार्ड बायपास है पाकिस्तान में नसरीन रिजवी उनको उसके अलावा हुसैन रजा रजवी अती को हमारे अबू मोहम्मद भाई को और जुमला मोमिनीन मोमिना जहां-जहां कहीं पर भी बीमार है परवरदिगार आलम तू उन नामों से वाकिफ है उन सबको जल्द अस जल्द सेहत कुल्ली कामला और आला नसीब फरमा आमीन जहूर कायम आले मोहम्मद में ताजल फरमा आमी और हमारी नस्लों को उनके अनुसार और आवान में शुमार फरमा रना मरहम यामीन एक मर्तबा सूर हमद तीन मर्तबा सरा इखलास पढ़कर जुमला मोमिनीन मोमिना के अरवा को खास तौर से वो मोमिनीन मोमिना जिनका कोई फातिहा पढ़ने वाला नहीं उनके अरवा को उसके अलावा अपने अपने आबा अपने अपने मिलने जल वाले अफराद आबा अजदाद तमाम उलमा करम मम जाक बत बैत कसीदा हजरात न हजरात जो जो इंतकाल कर चुके हैं सबके अरवा को और आज की नियाज जावेद मोमिन भाई की जानिब से जावेद मोमिन भाई के अजदाद में उनकी अहलिया के अजदाद में जो जो इंतकाल कर चुके हैं उन सबको अपने जहन में रखते हुए एक मर्तबा सूर हमद और तीन मर्तबा सूर इखलास पढ़ ले मम दम ह ह क्या बा [संगीत] याली काउ डाउन नारे याम दम अली अलीम दम अली अलीम दम अली अली हर दम अलीली हर दम अलीली हर दम अलीली हर दम अलीली नक या हुसैन लक या हुसैन लबैक या हुसैन लबैक या हुसैन लबक या हुसैन लैक या हुसैन लबक या हुसैन लक यान नारा हादरी याली ना हैदरी या अली दम दम अली अली दम दम अली अली है दम अली अली है दम अली अली नारे सलवान अल्लाहु सलाह दम दम अली अली दम दम अली अली हदम अली अली हदम अली अली लब्बैक या हुसैन लब्बैक या हुसैन लब्बैक या हुसैन लब्बैक या हुसैन नारे हैदरी या अली या अली या अली मदद हक है नारे [संगीत] हैदरी दम दम अली अली आर दम अली अली आर दम अली अली आर दम अली अली आर दम अलीम अली अम हरी [संगीत] हरी माशाला हुसैन प लाना और