THE ENTIRE DEBATE OF 17TH DECEMBER 2023 ON NUBT CHANNEL, TIME : 11:00 TO 11:30 a.m.
Published: Dec 20, 2023
Duration: 00:23:21
Category: People & Blogs
Trending searches: debate time and channel
जब यह सरकार विपक्ष में थी मैं आपको इतिहास बताता हूं इनका पूरा इतिहास यह तथ्य जानने पब्लिक के लिए बहुत जरूरी है यही सरकार सबसे पहले ईवीएम के विरोध में थी किताब लिखी है डेमोक्रेसी एट द रिस्क जब इनके समय में डेमोक्रेसी रिस्क में थी तो आज डेमोक्रेसी कैसे रिस्क में नहीं हो सकती है किसी अधिकारियों की प्राइवेट व्हीकल्स में उनकी कारों में उनके व्हीकल्स में ईवीएम के मशीन मिले हैं ईवीएम के ऊपर आरटीआई हुई है करीबन 19 लाख के आसपास ईवीएम गायब है ये ईवीएम मशीन तो पूरे ऐसे मतलब असेंबल्ड है पूरे असेंबल किए हुए एक डब्बा है एक कैबिनेट है जब सबूत के साथ सारी बातें मतलब बाहर आ रही है ईवीएम और वीवीपट के मामलों में क्या चुनाव आयोग अब बुरी तरह फस चुका है ये मैं क्यों कह रहा हूं क्योंकि पिछले 4 महीने से 14 ऐसे राजनीतिक दल हैं जो चुनाव आयोग से वक्त मांग रहे हैं ईवीएम के जो डाउट्स है उसको क्लियर करने के लिए लेकिन चुनाव आयोग के पास इतना वक्त नहीं है कि वो समय दे सके और लगातार चुनाव के बाद आपने देखा होगा कि ईवीएम को लेकर कई तरह के सवाल उठते रहे हैं उसको लेकर 14 राजनीतिक दल ऐसे हैं जो चुनाव आयोग को उन्होंने पत्र भेजा या फिर मेल किया कि हमें वक्त चाहिए आपसे बातचीत करने के लिए और लाइव एक बार टेस्ट हो जाए कि किस तरीके से ईवीएम काम करता है किस तरीके से जो हैकिंग की बात की जा रही है उस पर बातचीत हो सके चुनाव आयोग से पुख्ता तौर पे इसका खुलासा किया है दिग्विजय सिंह ने उन्होंने साफ तौर से कहा है कि 14 ऐसे राजनीतिक दल है जो बातचीत करना चाहते हैं ले लेकिन चुनाव आयोग के पास इतना वक्त नहीं है कि वो वक्त दे सके और आपको पता है कि लोकसभा का चुनाव जो है काफी करीब है तो यह तमाम राजनीतिक दल नहीं चाहते कि किसी तरह की फिर से कोई गड़बड़ी हो तो इसको लेकर हमारे साथ सागर साह जी उनसे बातचीत करेंगे ज्यादा जानकारी के साथ यह बैठे हैं बहुत सारी जानकारी लेकर आए हैं तो उनसे बातचीत करेंगे कि कैसे देखते हैं देखिए अगर मैं आज की मौजूदा सरकार की कंडीशन की बात करूं सबसे पहले उस पर एक बात होनी चाहिए क्योंकि 10 साल हो गए हैं इस सरकार को और 10 साल में इस सरकार की यह जवाबदेही है क्योंकि प्रधानमंत्री का हमारे प्रधानमंत्री का एक वीडियो वायरल हुआ था उस वीडियो में उन्होंने ऐसी बॉडी लैंग्वेज के साथ गला खम खाल कर बोला था पूरे देश को कि इस देश का इस देश का छोटे से छोटा बच्चा इस देश का छोटे से छोटा बच्चा मुझे सवाल पूछने के लिए मतलब वो पूछ सकता है और उसका जवाब देना वो मेरी जिम्मेदारी है मैं मतलब उसकी जवाबदेही लेता हूं यह वीडियो उनका इतना वायरल हुआ था और सोचिए कि आज इस सरकार के कानों में ऐसी 14 विपक्षी पार्टियों की आवाज नहीं जा रही है नहीं जा रही है चार महीने हो गए आपने बोला कि चार महीने से लगातार 14 विपक्षी बड़ी-बड़ी पार्टियां जब यह सवाल सरकार पर उठा रही है कि एक हमना सब ब हैम और उस पर लोगों को डाउट हो रहा है और विपक्षी पार्टियों से ज्यादा डाउट पब्लिक को हो रहा है देश की % पब्लिक सोशल मीडिया पर लगातार बोलती है किसी ना किसी बहाने वह सवाल उठाती रहती है कि यह ईवीएम में कुछ तो गड़बड़ी है चाहे हो ना हो इसका कु जैसे आप मुझे आप मैं आपको एक बात बताना चाहता हूं एग्जांपल के तौर पर जैसे अभी इस देश के अंदर सारे यंगस्टर्स को और बहुत सारे लोगों को हार्ट अटैक आ रहा है तो लोग डाउट किस पर कर रहे है किस पर कर रहे है कि हमने जो कोरोना के वक्त जो दो रसिया ली थी वैक्सीन ली थी उसके ऊपर डाउट जा रहा है अभी प्रूव नहीं हुआ है कुछ भी प्रूव नहीं हुआ है लेकिन ये जो देश है देश की पब्लिक को आप रोक नहीं सकते देश की पब्लिक को आप रोक नहीं सकते हैं उनके सवालों के जवाब आपको देने पड़ेंगे और जब कोरोना में दो रसियो को दिया गया और यह दावा किया गया कि पूरे वर्ल्ड में भारत ने सबसे ज्यादा रसी करण किया है वैक्सीनेशन किया है और उसका रिकॉर्ड किया है और उस वैक्सीनेशन में प्रधानमंत्री का फोटो जब रखा जाता था तो आज देश के लोग पूछ रहे हैं कि जो हार्ट अटैक की जो इंटेंसिटी बढ़ रही है बुजुर्ग से लेकर यंगस्टर्स में तो इसका कारण एक वैक्सीनेशन हो हो सकता है तो ऐसे ही चुनाव के अंदर आज इस देश के अंदर 10 साल के बाद भारतीय जनता पार्टी जब हारने की कगार पर होती है फिर भी वो जीत कर आती है तब देश की पब्लिक सवाल करती है कि ईवीएम का कुछ तो लफड़ा है और पहली बार पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने भी ये वर्डिक्ट दिए हैं कि हां हर बार जब अब ईवीएम पर सवाल उठ रहे है तो अब इसके ऊपर जवाब देना पड़ेगा इसके ऊपर जवाब देना पड़ेगा ये सुप्रीम कोर्ट ने खुद कहा है कि इसका कोई ना कोई सोल्यूशन लाना पड़ेगा इसके ऊपर कोई ना कोई निर्णय करना पड़ेगा ताकि ये जोउ हो रहे हैं बारबार लगातार पिछले 10 साल से प्रजा से लेकर पब्लिक से लेकर आवाम से लेकर विपक्षी पार्टियां ये जो डाउट्स कर रही है कि ईवीएम का कुछ तो लफड़ा है तो इस पर कुछ ना कुछ डिसीजन या निर्णय लेना होगा ये आज सरकार कह रही है और उसके ऊपर मुझे एक शेर याद आ रहा है एक शेर याद आ रहा है ये जो मौजूदा सरकार है उसकी कंडीशन पर मैं बोलना चाहूंगा कि जो बंद करने आए थे तवाफ के कोठे जो बंद करने आए थे तवाफ के कोठे मगर सिक्कों की खनक सुनकर ये खुदरी खुद ही मुजरा कर बैठे मतलब आज की जो सरकार है वो कहती थी कि मैं आवाज सुनूंगा छोटे से छोटा बच्चा मुझे सवाल कर सकता है ये मेरी जवाब देही है और आज जब 14 विपक्षी पार्टियां चार महीने से लगातार सवाल कर रही है तो ये खुद मुजरा कर रहे हैं ये खुद सुन नहीं रहे हैं ये कहते थे कि मैं सब सही कर दूंगा सब ठीक कर दूंगा सारी समस्याओं का हल कर दूंगा आज इतनी समस्याएं है कि ये लोग इतना मुजरा कर रहे हैं कि उनके कानों में विपक्षी पार्टी और देश की आवाम जनता का आवाज नहीं जा रही दिग्विजय सिंह हाथ धोकर एक तरीके से नहा धोकर पीछे पड़ गए हैं ईवीएम के और ऐसा कोई दिन नहीं जाता जब ईवीएम को लेकर वह सवाल नहीं उ उठा रहे हैं और वह कह रहे हैं कि अगर दिक्कत नहीं है ईवीएम में तो फिर क्या दिक्कत है चुनाव आयोग को वक्त देने में क्या चुनाव आयोग के पास दो चार छ घंटे या एक दिन का वक्त नहीं है बिल्कुल मैं आपको बताना चाहता हूं अभी तो दिग्विजय स बोल रहे क्योंकि विपक्ष में है अभी तो दिग्विजय सिंह बोल रहे हैं क्योंकि वो विपक्ष में है लेकिन जब यह सरकार विपक्ष में थी मैं आपको इतिहास बताता हूं इनका पूरा इतिहास ये तथ्य जानने पब्लिक के लिए बहुत जरूरी है कि आज लोग ताना मारते हैं विपक्षी पार्टियों को कि जब जीतते तो ईवीएम में कोई गड़बड़ी नहीं होती है लेकिन जब हार जाते हैं तो ईवीएम का सवाल उठाते हैं तो मैं आपको बताना चाहता हूं कि सबसे पहले ईवीएम का विरोध इसी सत्तारूढ़ पार्टी ने किया है जो आज सत्ता में है जब वो विपक्ष में में थी जब 2009 में यूपीए टू सरकार जीती थी तब इसी भारतीय जनता पार्टी की एनडीए की सरकार ने सबसे पहले ईवीएम का विरोध किया था और भारतीय जनता पार्टी के सबसे बड़े नेता आज आप दिग्विजय सिंह की बात कर रहे हो लेकिन उस वक्त के सबसे बड़े नेता लालकृष्ण अडवाणी और सुब्रमण्यम स्वामी ने बड़ी-बड़ी प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी ईवीएम के ऊपर आरोप लगाए थे ईवीएम के ऊपर शक किया था डाउट किया था कि यूपीए टू सरकार कैसे जीत गई जरूर ये यूपीए टू सरकार ईवीएम में कुछ तो लफड़ा करती है जबकि ये इलेक्ट्रॉनिक मशीन जो है ईवीएम वो लाइ खुद कांग्रेस है जब कांग्रेस जीती थी तब यही लोग विपक्ष में बैठकर कांग्रेस पर सवाल करते थे और आज जब कांग्रेस सवाल कर रही है दिग्विजय सिंह जैसे नेता सवाल कर रहे हैं तो ये भूल चुके हैं कि एल के अडवाणी से लेकर सुब्रमण्यम स्वामी ने भी इस ईवीएम का विरोध किया था इस पर शक जताया था प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी और मैं आपको बताऊं सुप्रीम कोर्ट ने तो हाई कोर्ट में केस भी कर दिया था ईवीएम के अगेंस्ट में केस किया था जबकि आज की विपक्षी पार्टियों ने ईवीएम के ऊपर कोई केस नहीं किया है और ये लोग आज बोल रहे हैं कि ईवीएम में कोई लफड़ा नहीं है हैक नहीं होता है कुछ नहीं हो सकता है तो ये लोग सवाल सुन भी नहीं रहे हैं और यही बोल रहे हैं कि सब कुछ सही चल रहा है सब चंगा है सी जैसे चाइना से कोई घुसा नहीं इस देश में ईवीएम से कोई लफड़ा नहीं हुआ है कोई गड़बड़ी नहीं हुई है लेकिन ये लोग भूल चुके मैं आपको और आगे बताना चाहता हूं उस वक्त के तत्कालीन जो इंचार्ज थे भारतीय जनता पार्टी के मुख्तार अब्बास नकवी साहब उन्होंने भी आरा आरोप लगाया था ईवीएम के ऊपर कि ईवीएम में कुछ तो लफड़ा है कुछ तो गड़बड़ी है उस वक्त के बीजेपी के तत्कालीन प्रवक्ता राज्यसभा के एमपी जो रह चुके थे जीवीएल नरसिंहा राव उन्होंने भी ईवीएम के विरुद्ध में एक किताब लिखी थी आप सोचिए इन लोगों ने ईवीएम के विरोध में किताब लिखी है और उस किताब का नाम है डेमोक्रेसी एट द रिस्क मतलब जब वो सत्ता में नहीं थे जब वो विपक्ष में थे जब ईवीएम से चुनाव हो रहा था जब यूपी जीत रही थी लगातार तब ये लोग कहते कहते थे डेमोक्रेसी एट रिस्क और आज कहते जब विपक्ष की पार्टिया के लोकतंत्र खत्म हो चुका है तो बोलते आप तो बोल रहे हो ना कहा लोकतंत्र खत्म हो चुका है आपको बोलने दिया बहुत सारी आप जानकारी दे रहे पब्लिक को शायद इतनी जानकारी अच्छे अच्छे लोगों के पास नहीं होगा मैं आपको बताऊ कि लोग कहते कि लोकतंत्र जिंदा नहीं तो आप बोल कैसे रहे हो तो हम बोल ही रहे आप सुन नहीं रहे हो ना हम चार महीने से बोल रहे हैं हम सिर्फ बोल रहे हैं अब बोलने बोलने तो देंगे ही आप क्या हमारी हर बार मतलब हर बार बोलने पर भी हत्या हो जाएगी बोलने पर भी जन बंद कर दी जाएगी हम बोल रहे हैं लेकिन चार महीने से सरकार सुन नहीं रही है जबकि यही सरकार सबसे पहले ईवीएम के विरोध में थी किताब लिखी है डेमोक्रेसी एट द रिस्क जब इनके समय में डेमोक्रेसी रिस्क में थी तो आज डेमोक्रेसी कैसे रिस्क में नहीं हो सकती है तो और आगे बताना चाहता हूं मैं इलेक्शन कमीशन में प्रूफ के साथ बहुत सारे ऐसे अधिकारी थे पश्चिम बंगाल में जब चुनाव हुए थे मध्य प्रदेश में अभी हाल ही में चुनाव हुए तो ऐसे वीडियो लीक हुए हैं ऐसे वीडियो लीक हुए हैं और सरकारी अधिकारी वहां पर डेट से पहले ईवीएम को तोड़कर वहां पर कुछ ना कुछ गिनतियां कर रहे हैं कुछ काउंटिंग कर रहे हैं पश्चिम बंगाल में अधिकारियों के प्राइवेट वेकल में से ईवीएम मिले हैं कैसे किसी के प्राइवेट वेकल में से ईवीएम मिलते हैं जबक वो 100% सिक्योरिटी में होता है तो किसी अधिकारियों की प्राइवेट व्हीकल्स में उनकी कारों में उनके व्हीकल्स में ईवीएम के मशीन मिले हैं ईवीएम के ऊपर आरटीआई हुई है 19 लाख ईवीएम मशीन जिन्हे वो सप्लाई करती है दो कंपनियां एक बेल और एक दूसरी कंपनी है जो ईवीएम को सप्लाई करती है वो ईवीएम को सप्लाई करने वाली कंपनियां बोल रही है कि हमने इतने ईवीएम सप्लाई किए हैं जबक उतने ईवीएम आरटीआई में नहीं मिले हैं करीबन 19 लाख के आसपास ईवीएम गायब है लेकिन इलेक्शन कमीशन ये कहता है कि ये गलत बोल रहे हैं तो उसके ऊपर जांच क्यों नहीं बिठाते हो तुम लोग अगर गलत है कोरोना में 4 लाख डेथ हुए थे उसके 47 लाख डेथ हो गए कोरोना में 4 लाख डेथ हुए थे जो सरकार ने आंकड़ा जाहिर किया था एक्सपोज किया था वो आंकड़ा 47 लाख तक गया और पूरे विश्व में सबसे ज्यादा कोरोना से डेथ भारत में हुई है ठीक है उसकी वैक्सीनेशन प भी डाउट है तो ईवीएम प डाउट होता है चार महीने से लगातार लोग बोल रहे हैं तो उसकी जांच कमेटी क्यों नहीं बैठ रही है इतने सारे वीडियोस है आरटीआई में बाहर आया है 19 लाख मशीन 15000 कंप्लेंट सिर्फ मध्य प्रदेश इलेक्शन को लेकर चुनाव आयोग को किया गया है और यह मामला पूरा सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा है एक हमारे जानकार है वकील है वो लेकर पहुंचे हैं कैसे देखते हैं इसको देखिए मैं आपको उसके बारे में बताना चाहता हूं 2019 में मध्य प्रदेश में ही जब पिछली चुनाव हुई थी तब पहली बार 2019 में फर्स्ट टाइम फर्स्ट टाइम वीवीपट लगाया गया था ईवीएम के साथ 2019 में मध्य प्रदेश के चुनाव में जब पहली बार ईवीएम मशीन के साथ वीवीपट लगाए गए थे तब जब भी वोटिंग किया जाता था तो सारे वोट्स भाजप को जाते थे और ये बाहर आया था और तब की जो तब के जो अधिकारी थे उन्होंने कलेक्टर को सस्पेंड कर दिया था उस वक्त कलेक्टर को सस्पेंड कर दिया था करना पड़ा था क्योंकि जितने भी वोट डालते थे शुरुआत में वो सारे के सारे वोट्स भारतीय जनता पार्टी को जा रहे थे तो अगर वो गलत नहीं था तो कलेक्टर को सस्पेंड 2019 पिछले ही चुनाव में कैसे कर दिया तो क्यों नहीं आएगी जब सबूत के साथ सारी बातें मतलब बाहर आ रही है पब्लिक में आ रही है पब्लिक डोमेन में आ रही है और पब्लिक आवाज उठा रही है 141 विपक्षी पार्टिया आवाज उठा रही है एक ईवीएम हैकर भी है जो चुनाव आयोग समय मांग रहा है वो कह रहा है कि मैं हैक करके दिखाऊंगा ईवीएम को कैसे हैक होता है उसको भी वक्त नहीं मिल रहा मेरे को नाम अभी दिमाग से निकल गया है मुझे आप बताइए कि सबसे पहले जब इस देश में कांग्रेस एटीएम मशीन लाई थी 1987 के आसपास पहला एटीएम मशीन जब देश में आया था एजेक्ट साल याद नहीं है लेकिन कांग्रेस आई थी पहला एटीएम मशीन ठीक है उसका विरोध भी भारतीय जनता पार्टी और अटल बिहारी बाजपेई जैसे नेताओं ने किया था उसके बाद हमारे देश में हम लोग जब कॉल करते एसटीडी कॉल आपको याद होगा उसमें भी हैकिंग होती थी इस देश में यहां पर इसरो में बैठकर चंद्र पर चंद्रयान को अगर ऑर्डर दिए जा सकते हैं उसको कंट्रोल किया जा सकता है स्पेस में स्पेस में पृथ्वी से लेकर अर्थ से लेकर स्पेस में अगर आप कुछ भी कंट्रोल कर सकते हो कैमरा भेज सकते हो आप चंद्रयान भेज सकते हो वहां की फोटो ले सकते हो तो आप मुझे बताइए आप मुझे बताइए मोबाइल हैक होता है मोबाइल में सॉफ्टवेयर होते है आपको पता है सॉफ्टवेयर होते हैं हम अभी काम कर रहे तो एक सॉफ्टवेयर के थ्रू काम कर रहे हैं एंटीवायरस आता है एंटीवायरस एंटीवायरस अरे वायरस आता है वायरस वो क्या करता है सॉफ्टवेयर को तोड़ देता है तोड़ देता है उसके बाद उसके लिए क्या बनता है एंटीवायरस बनता है बिल्कुल तो अगर मोबाइल के अंदर प्रोग्राम को तोड़ दिया जा सकता है और तोड़ा हुआ प्रोग्राम फिर से जोड़ा जा सकता है हम और ये ये मोबाइल तो जो स्टैंडर्ड कंपनी होती है जैसे बड़ी-बड़ी स्टैंडर्ड ब्रांडेड कंपनी है उसके मोबाइल हम खुद नहीं खोल सकते हम खुद नहीं खोल सकते उसको खोलने के लिए कंपनी में भेजा जाता है आप सोचिए तो ये तो असल मशीन है ये तो असल मशीन है ईवीएम के आप खोल सकते खुद स्क्रू ड्राइवर से हमने खोले हमने खोले चेक करने के लिए न यू कांट ओपन योर ब्रांडेड मोबाइल मशीन ऑन योर ओन यू हैव टू ओपन यू हैव टू सेंड इट टू द कंपनी देन कंपनी विल ओपन इट बट य ई मशीन तो पूरे ऐसे मतलब असेंबल्ड है पूरे असेंबल किए हुए एक डब्बा है एक कैबिनेट है जिसको आप खुद स्क्रू ड्राइवर से खोल सकते हैं उसका प्रोग्रामिंग चेंज कर सकते हैं कैसे नहीं कर सकते सब कुछ कर सकते हैं तो ये सवाल उठ रहे है तो उसका जवाब देना होगा कमटी बिनी होगी जांच करवानी होगी और सबसे पहले मुझे आप ये बात बताइए कि अगर इस सरकार को डर नहीं है किसी भी बात का डर नहीं है आप मुझे बताइए यह सरकार कहती है कि हम जीत रहे बार बार जीत रहे हमारी ताकत प रहे मोदी के चेहरे प जीत रहे ठीक है तो आप मुझे एक बताइए कुछ मेहनत करने की जरूरत नहीं है जब इलेक्शन होता है तब जब हम वोट डालते हैं तो ईवीएम मशीन के अंदर वोट जाता है वीवी पेट में वो चीट जाती है ठीक है तो वो जो चीट है उसको आप काउंट करिए ना साथ में ही उसको आप काउंट करिए ना कि यहां पर जितने वोट पड़े क्या उतने ही वोट यहां पर ईवीएम में पड़े है क्या तो आपको दूसरी कुछ मेहनत करने की जरूरत नहीं सिर्फ आपको रोजगार देना है लोगों को वहां प बिठाना है सवाल तो सवाल तो यही खत्म हो जाता है ना बॉस कि वक्त नहीं मिल रहा है चुनाव आयोग की तरफ से तो अब कहां से काउंटिंग होगी और क्या राजनीतिक पार्टी अपने दम पर थोड़ी काउंट करवा सकते हैं जब तक चुनाव आयोग ना चाहे या फिर कोर्ट की तरफ से कोई फैसला ना हो तो फिर क्या होगा आप मुझे बताइए उसका उसका उसका रिजल्ट क्या होता है उसका मतलब रास्ता क्या है व्हाट इज द वे टू गेट द रीड आउट ऑफ दिस प्रॉब्लम इज ओनली आंदोलन करना पड़ेगा पार्टियों को और क्या आंदोलन करना पड़ेगा करना चाहिए जब सवाल एक नहीं हजारों लोग उठा रहे हैं और उसके जवाब में सरकार जब बोल नहीं रही है मुजरा कर रही है वो सुन नहीं रही है छोटे से छोटे बच्चे से लेकर इतनी बड़ी विपक्षी पार्टियों की आवाज नहीं सुन रही है तो ओबवियसली इसका विरोध कड़ी तरह से होना चाहिए कड़ा विरोध होना चाहिए आंदोलन होना चाहिए और 2024 से पहले जैसे भारत जोड़ो यात्रा एक बहुत बड़ा आंदोलन था मुझे लगता है कि ईवीएम के लिए पट के लिए एक बहुत बड़ा आंदोलन होना चाहिए और ये सरकार मैं अगर बोल दू यह विश्व गुरु खुद को कहते हैं मैं आपको बताना चाहता हूं कि यह सरकार विश्व गुरु नहीं है अगर हमारे देश के प्रधानमंत्री बिना ईवीएम बिना वीवी पट अगर चुनाव जीत कर दिखाते हैं तो मैं मान लूंगा चैनल पर मान लूंगा ओपन डिबेट में मान लूंगा मैं खुद भारतीय जनता पार्टी को वोट करूंगा कि हमारे देश के प्रधानमंत्री मशीन से तो जीतते थे अब मैनली भी जीत रहे हैं हाथों से अगर हम वोट देते तो उससे भी जीत रहे हैं तो ये सही हम विश्व गुरु है अगर विश्व गुरु को कोई डर नहीं है अगर कुछ भी गलत नहीं हो रहा है अगर इलेक्शन कमीशन सही काम कर रहा है अगर लोगों की आवाज झूठी है लोग झूठ बोल रहे हैं विपक्षी पार्टियां झूठ बोल रही तो एक बार हमारे देश के प्रधानमंत्री बिना ईवीएम के जीत कर दिखाए मैं मान लूंगा कि नरेंद्र मोदी इस देश के नहीं विश्व के विश्व गुरु है हम लेकिन तमाम पार्टिया जो है एक साथ आवाज नहीं उठाते ना अब मान लीजिए अखिलेश यादव यूपी में हार गए तो वो उस वक्त आवाज उठा रहे थे अब मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ राजस्थान में कांग्रेस पार्टी हारी है तो व आवाज उठा रहे लेकिन एक साथ एक सुर में आवाज नहीं उठाया जा रहा है आप देखिए आवाज तो उठा रहे हैं लेकिन देश के सुप्रीम कोर्ट के जज को भी यह लोग नहीं सुन रहे हैं आप मुझे बताइए इलेक्शन कमेटी में तीन लोग होते हैं इलेक्शन की जो चुनाव ले आने वाला है हा तो उसमें एक होते हैं प्रधानमंत्री देश के एक होता है लीडर ऑफ अपोजिशन यानी जो सबसे जदा संसद में पार्टी सीट लेकर बैठी है दूसरी जो पार्टी विपक्षी पार्टी उसका एक होता है वि मतलब मैन होय होते जस्टिस चीफ जस्टिस होते तो इन लोगों ने तो एक नया कानून लाकर चीफ जस्टिस को उस कमटी से निकाल दिया है उसका भी तो विरोध हो रहा है अभी कोर्ट में मामला चल रहा है ठीक है बकल जब य सरकार कानून बदल देती है संविधान बदल देती है कमेटी से सीजी को निकाल देती जबकि वही सीजीआई की दूसरी कमिटी है जो सीबीआई के जो आयुक्त होते हैं उसको सिलेक्ट करते हैं तो उसमें भी प्रधानमंत्री होते हैं विपक्ष का नेता होता है और चीफ जस्टिस होता है तो वहां पर उस कमेटी को बरकरार रखा गया है लेकिन चुनाव आयुग चुनाव आयोग की जो कमेटी है उसका जो चन चयन की जो कमेटी है उसमें जो तीन लोग थे उसमें से देश के सबसे बड़े चीफ जस्टिस ये सरकार निकल देती है तो आप मुझे सुनिए कि ये पब्लिक को क्या मतलब पब्लिक को क्या सुनेगी आपको पता है आ है इस तरह के इस बिल में इस तरह की बातें भी है कि जब तक चुनाव आयुक्त जो है अपने पद प रहेगा तब तक उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं हो सकता जिस तरीके चीफ जस्टिस को के खिलाफ नहीं हो सकता उसी तरीके उनके खिलाफ भी नहीं हो सकता यानी कि चीफ जस्टिस के बराबर ही एक पदवी दी गई है उनको भी इस बिल में हा लेकिन ये लोग अभी तो मतलब बोल रहे हैं ना कि चीफ जस्टिस की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि वो लोग कारण दे रहे हैं कि चीफ जस्टिस कानून के जानकार को हो सकते हैं लेकिन जो सचिव होते हैं जो अधिकारी होते हैं जो राज पॉलिटिक्स के अंदर उनकी जो काम करने का तरीका होता है उनकी जो काम करने की पद्धति होती है जरूरी नहीं कि देश के चीफ जस्टिस को उस तरह से काम करने का नॉलेज हो ज्ञान हो या कोई उनको मतलब अनुभव हो तो ये एक छोटा सा मामूली सा कारण देकर ये लोग जब ची हो तो ये भी सकता है ना कि सत्ता पक्ष के जो नेता है उनको भी इस बात की जानकारी ना हो उनको भी तो मेंबर बनाया जा रहा है सत्ता पक्ष में जो अभी लोग मध्य प्रदेश में जीते हैं इस इलेक्शन के अंदर कितने लोग जीते हैं उन लोगों ने भी विरोध किया है आप देखिए उनके नाम आप मैं आपको बता दूं कुछ लोग हैं जिनके नाम जो अभी अभी जो अभी रिसेंटली जो रिजल्ट आया 3 दिसंबर को उसमें लोग जो चुने गए हैं उसमें से कई लोगों के नाम अब मैं आपको बता दूं डॉक्टर हीरालाल अलावा जो मनावर विधायक से मनाय से विधायक है ये कांग्रेस से उसके बाद हां कहीं से भी हो नहीं नहीं मैं उसको लेकर सवाल नहीं उठा रहा हूं मैं कह रहा हूं कि आपने कहा कि इस तरीके से उन्होंने हवाला दिया है कि चीफ जस्टिस जो है वह कानून के जानकार तो हो सकते हैं लेकिन और चीजों के जानकार हो ईवीएम के जानकार हो या फिर चुनाव को लेकर जानकार हो यह ऐसा नहीं हो सकता हो सकता है यह हवाला दिया गया है तो जो सत्ता पक्ष के नेता है जो उसके मेंबर होंगे चुनाव आयुक्त को नियुक्त करने में चुनाव आयोग के जो मेंबर है उसको नियुक्त करने में तो सत्ता पक्ष के नेता को हो सकता है थोड़ी जानकारी हो उसकी पीएचडी थोड़ी लेकर आए हैं सत्ता पक्ष के नेता भी वही तो उनकी तो डिग्री भी डाउटफुल है उनकी तो डिग्री भी डाउटफुल है उनकी डिग्री पर सवाल करो तो जुर्माना हो जाता है तो जिनकी खुद की डिग्रियां डाउटफुल है उनको सारा नॉलेज है उनको सारा ज्ञान है देश चलाने का जबकि वो ना अधिकारी है ना उन्होंने कोई एग्जाम्स दिए है और उस एग्जाम की कोई डिग्रियां भी नहीं है ऑथेंटिक डिग्रियां नहीं है ऑनलाइन तो है लेकिन उस पर भी तो डाउट हो रहा है जैसे ईवीएम प डाउट हो रहा है वैसे उनकी डिग्री पर भी डाउट हो रहा है जब देश के प्रधानमंत्री की डिग्री डाउटफुल है है तो वो चीफ जस्टिस की कार्यवाही पर कैसे सवाल कर सकते मुझे तो यह समझ में नहीं आरहा आप सोचिए ये कितनी बड़ी मतलब आयर है इस देश की कि जिनकी डिग्री पर पूरा देश डाउट कर रहा है वो प्रधानमंत्री है जिनकी डिग्री पर देश डाउट कर रहा है और वो खुद बाहर आकर बोलते नहीं है कि मेरी य डिग्री है छाती ठोक कर और अगर कोई सवाल करे तो उस पर जुर्माना हो जाता है तो उनकी कार्यवाही सही हो सकती है इस देश में लेकिन देश के चीफ जस्टिस की जिसको सारा कानून पता है चीफ जस्टिस क्या होता है कोई एक वकील नहीं होता है वो कानून पढ़ता है उसके बाद कितने अनुभव के बाद वो चीफ जस्टिस बनता है पूरे देश का कानून पूरे संविधान का कानून जिसको पता है उसको यह नहीं पता है कि अधिकारी कैसे काम करते हैं यह कोई रीजन है ये कोई रीजन है कोई भी समझ सकता है आप देखि बहुत बहुत शुक्रिया इतने सारी इंफॉर्मेशन देने के लिए दर्शकों को आगे भी इस तरीके से जुड़ेंगे लेकिन फिलहाल जो है 14 राजनीतिक पार्टी है जो लगातार चार महीने से मुशक्कल कर रहे हैं कोशिश कर रहे हैं कि भाई किसी तरीके से चुनाव आयोग का समय मिल जाए एक बार चुनाव आयोग के दर्शन हो जाए और जो डाउट है वो क्लियर हो जाए लेकिन फिलहाल चुनाव आयोग समय देने के लिए तैयार नहीं है और इसको लेकर लगातार दिग्विजय सिंह सवाल उठा रहे हैं तो फिर से जुड़ेंगे सागर जी साजी आपका भी बहुत-बहुत शुक्रिया और सभी दर्शकों का बहुत बहुत शुक्रिया धन्यवाद