क्या जुडिशरी सच में डेमोक्रेटिक है और क्या यहां पर जजेस का चुनाव एक ट्रांसपेरेंट और ओपन प्रोसेस से होता है इन कुछ हेडलाइंस के अलावा कई जानेमाने चेहरों ने जुडिशरी के कोलेजन सिस्टम के प्रति अपना विरोध व्यक्त किया है और साथ ही उसे काफी बार क्रिटिसाइज भी किया है लेजम सिस्टम इज एलियन टू इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन यू टेल मी अंडर व्हिच प्रोविजन द कॉलेजन सिस्टम हैज बीन प्रिसक्राइब बट बिकॉज़ द सुप्रीम कोर्ट इ इन इट्स ओन विजडम थ्रू ए कोर्ट रूलिंग और थ्रू केस जजमेंट नॉट एस फर्स्ट जजेस केस क्रिएटेडॉक्युमेंट्सफ्रैगमेंट कन इसके पक्ष में इन्हीं कुछ सवालों को लेकर कई सालों से देश में कोलेजन सिस्टम को लेकर काफी बड़ी डिबेट चल रही है एक तरफ है वो लोग जो ये कहते हैं कि जुडिशरी की इंडिपेंडेंस के लिए कोलेजन सिस्टम का होना जरूरी है एज ऑफ नाउ इफ यू आस्क मी माय पर्सनल व्यू देन अकॉर्डिंग टू मी द कॉलेजियम सिस्टम इज द आइडियल सिस्टम वेल यू नो एज अ चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया आई हैव टू टेक द सिस्टम एज इट इज गिवन टू अस टुडे व्हिच इज दैट द कोलेजियम सिस्टम इज द प्रिवेट सिस्टम फॉर अपॉइंट्स दूसरी तरफ है वो लोग जो यह मानते हैं कि कोलेजन सिस्टम अब एक एलीट ग्रुप का राज बन गया है आज हम इस वीडियो में देखेंगे कि कैसे कोलेजन सिस्टम की वजह से जुडिशरी एक छोटी सी छवि बन गया है और साथ ही कि कैसे उपेंद्र खुशवाहा जैसे एक नेता ने इस कॉलेजियम सिस्टम का विरोध व्यक्त किया है क्या हम सच में डेमोक्रेसी का सपना पूरा कर रहे हैं या जुडिशरी अब भी एक क्लोज डोर डिसीजन मेकिंग बॉडी बना हुआ है आपको बता दूं कि राज्यसभा एमपी और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के एक नेता उपेंद्र खुशवाहा ने हमला करते हुए कोलेजन सिस्टम पर काफी बड़े रिमार्क्स पास किए हैं उन्होंने कहा है कि कोलेजन सिस्टम ने बैकवर्ड क्लासेस जैसे कि दलित और ओबीसी के लोगों को इसमें पार्टिसिपेट करने का मौका नहीं दिया है और अब वह इस मुद्दे को पार्लियामेंट में उठाने का वादा भी कर चुके हैं चलिए इस पूरे मुद्दे को डिटेल में समझते हैं और यह देखते हैं कि पिछले कुछ सालों में कोलेजियम सिस्टम को लेकर क्या डिबेट्स और कंट्रोवर्सीज हमारे देश में रही हैं खुशवाहा ने रिसेंटली अटैक करते हुए कहा कि जुडिशरी में डेमोक्रेसी नहीं है और ये बहुत अनफॉर्चूनेटली है कि जुडिशरी जैसे बड़े इंस्टीट्यूशन में डेमोक्रेटिक सिस्टम नहीं है जजेस की अपॉइंटमेंट के लिए साथ ही उन्होंने यह कहा है कि जुडिशरी में वो लोग जजेस बनते हैं जिनके अच्छे कनेक्शंस होते हैं और बैकवर्ड कमेटी से लोगों के जज बनने की संभावनाएं बहुत ज्यादा कम है खुशवाहा के ये स्टेटमेंट्स उनके स्पष्ट रूप से कोलेजन सिस्टम का विरोध व्यक्त करते हैं हम सभी जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में कोलेजियम सिस्टम एक तरीका है जजेस को अपॉइंट्स कोर्ट के सीनियर जजेस इंक्लूडिंग द चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया कुछ नाम सजेस्ट करते हैं और बाद में उन्हें जजेस की पोस्ट पर अपॉइंटमेंट पेरेंसी और अकाउंटेबिलिटी को लेकर हमेशा ही डिबेट चलती आई है कॉलेजियम सिस्टम पर अक्सर ही यह आरोप लगते आए हैं कि इस प्रोसेस के अंडर सिर्फ एलीट क्लास को ही फायदा होता है और मार्जिनलाइज कम्युनिटीज जैसे कि दलित्स और ओबीसी के लोगों का इसमें पार्टिसिपेशन बहुत कम है आपको तो याद ही होगा कि दो 2014 में प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी की सरकार ने एक बिल पास किया था जिसका नाम था एनजेएसी यानी कि नेशनल जुडिशियस मेंट कमीशन इस बिल के जरिए उन्होंने कोलेजन सिस्टम में ट्रांसपेरेंसी लाने की कोशिश की थी एनजेएसी में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दो सीनियर मोस्ट जजेस और दो एमिनेंट पर्सन की मौजूदगी शामिल की गई थी इससे जुडिशरी के अंदर एक ट्रांसपेरेंसी लाने का प्रयास किया गया था लेकिन अक्टूबर 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने इस बिल को अनकंस्टीट्यूशनल डिक्लेयर कर दिया और कोलेजन सिस्टम को वापस से ले आए खुशवाहा ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कोलेजन सिस्टम का विरोध करते हुए एनजेएसी को भी समर्थन दिया है उन्होंने कहा है कि यह मुद्दा अब पार्लियामेंट में उठेगा और बाहर भी हम लोगों को इस मुद्दे पर अवेयर करेंगे खुशवाहा का कहना था कि एनजेएसी एक ऐसा जरिया था जो जुडिशरी में ट्रांसपेरेंसी और इंक्लूजिविटी को प्रमोट करता था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे भी खारिज कर दिया अब इससे जो एक बात याद आती है वो यह है कि 2015 में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने एनजेएसी पर टिप्पणी करते हुए कहा था जुडिशरी की इंडिपेंडेंस को मेंटेन करना जरूरी है और एनजेएसी जुडिशरी की इंडिपेंडेंस को खत्म कर देता है जिसके बाद काफी ज्यादा डिबेट्स हुई और लास्ट में सुप्रीम कोर्ट ने यह डिसाइड किया कि कोलेजियम सिस्टम ही एक बेस्ट अल्टरनेटिव है हालांकि इस सबके बावजूद खुशवाहा का मानना है कि कोलेजियम सिस्टम जुडिशरी में एलीट ग्रुप को फायदा देता है और मार्जिनलाइज कम्युनिटीज को डोमिनेट करता है उन्होंने कहा है यूजुअली पीपल हु आर वेल कनेक्टेड गेट अपॉइंटेड एट जजेस दोज फ्रॉम द दलित एंड बैकवर्ड सेक्टर्स रियली बिकम अ जज यह आरोप कोई पहली बार नहीं सुनाई दिया है पिछले कई सालों से कई सीनियर जजेस लॉयर्स और पॉलिटिशियन ने यह माना है कि कोलेजन सिस्टम सही नहीं है आपको याद होगा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुरम और उनके पहले के प्रेसिडेंट रामनाथ कोविंद ने भी कोलेजन सिस्टम को लेकर काफी निंदा की थी डॉक्टर मुरमू ने कहा था जुडिशरी में डाइवर्सिटी का होना जरूरी है लेकिन कोलेजन सिस्टम इसमें एक बड़ी बाधा बना हुआ है फॉर्मर प्रेसिडेंट रामनाथ कोविन ने भी कुछ ऐसे ही भाव एक्सप्रेस किए थे प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान आपको बता दूं कि उपेंद्र खुशवाहा ने केवल कॉलेजियम सिस्टम पर ही नहीं बल्कि शेड्यूल कास्ट और ओबीसी को क्रीमी लेयर के कांसेप्ट में लाने पर भी अपने भाव एक्सप्रेस किए हैं उन्होंने कहा है देयर शुड बी सब कैटेगरी बट द कांसेप्ट ऑफ क्रीम लयर शुड नॉट बी देयर इवन अमंग ओबीसी द कांसेप्ट ऑफ़ क्रीम लयर इज नॉट राइट आपको तो याद ही होगा कि सुप्रीम कोर्ट की सेवन जज बेंच इंक्लूडिंग द चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने रिसेंटली सब कैटेगरी जशन पर अपना वर्डिक दिया है जिसमें उन्होंने क्रीमी लेयर के कांसेप्ट को एक्सक्लूड करने की बात कही है लेकिन कुशवाहा का मानना है कि क्रीमी लेयर का कांसेप्ट ओबीसी में नहीं होना चाहिए उन्होंने कहा है कि सब कैटेगरी होनी चाहिए लेकिन क्रीमी लियर का कांसेप्ट गलत है क्योंकि यह बैकवर्ड क्लासेस को कोई फायदा नहीं देता है इसके अलावा उन्होंने बिहार के डेवलपमेंट को लेकर भी अपने व्यूज एक्सप्रेस किए हैं उन्होंने कहा है कि इंडिया तब तक डेवलप नहीं हो सकता जब तक बिहार जैसे स्टेट डेवलप नहीं होते उन्होंने बिहार स्टेट में स्पेशल अटेंशन की मांग करते हुए एजुकेशन माइग्रेशन और हेल्थ सेक्टर्स पर लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है बजट एलोकेशन की सराहना करते हुए सरकार को प्रेस करते हुए उन्होंने सरकार से बिहार स्टेट में और ज्यादा अटेंशन की मांग की है अब सोचने वाली बात यह है कि उपेंद्र खुशवाहा केवल एक ऐसी अकेली आवाज नहीं है जो कोलेजन सिस्टम के अगेंस्ट है इससे पहले इकॉनमिको समिक एडवाइजरी काउंसिल के मेंबर संजीप सान्याल ने भी कोलेजन सिस्टम को लेकर अपनी आवाज उठाई थी यहां तक कि उन्होंने जुडिशरी को मॉडर्नाइज करने की बात भी कही थी उन्होंने कोलेजन सिस्टम को लेकर कहा था अगर कोलेजन सिस्टम में रिफॉर्म्स नहीं किए गए तो जुडिशरी हमारे इकोनॉमिक और सोशल प्रोग्रेस के रास्ते में सबसे बड़ा ऑब्स्ट कल बन सकती है सान्याल ने यह भी कहा इन टुडेज कॉलेजिंग सिस्टम द जजेस डिसाइड हु विल बी द नेक्स्ट जज एंड द नेक्स्ट वन विल डू द सेम देन व्हाट विल हैपन इन दैट देयर ओन पीपल विल कंटिन्यू इस तरह उन्होंने जुडिशरी पर लगने वाले नेपोटिज्म के आरोपों को और ज्यादा मजबूती देने की के आर्गुमेंट दिए थे इसके अलावा संजीव सान्याल ने एक और रिफॉर्म की बात की उन्होंने कहा कि वर्ड्स जैसे कि माय लॉर्ड योर लॉर्डशिप का खत्म हो जाना बेटर है क्योंकि उनका मानना था कि ऐसे वर्ड्स ब्रिटिश कॉलोनियल एरा के हैं और इन्हें कोर्ट रूम्स में खत्म कर देने का वक्त आ चुका है उन्होंने जुडिशरी के पुराने तरीके से काम करने की प्रथा पर भी अपनी आपत्ति जताई थी उन्होंने कहा था कि जुडिशरी में तारीख पे तारीख कल्चर को खत्म कर देना चाहिए इन दोनों ही रिनाउन पर्सनेलिटीज ने जो कॉलेजिंग सिस्टम को लेकर बोला है वो कोई पहली बार नहीं है इससे पहले भी कई बड़े सीनियर लॉयर्स और सीनियर पॉलिटिशियन ने कोलेजन सिस्टम पर अपने विरोध जताया था जैसे कि सीनियर एडवोकेट दुषें दवे ने एक बार कहा था द प्रोसेस ऑफ अपॉइंट्स थ्रू द कॉलेजियम सिस्टम लैक्स ट्रांसपेरेंसी एंड अकाउंटेबिलिटी इट हैज बिकम अ क्लोज निट क्लब उनका यह स्टेटमेंट कोलेजन सिस्टम के फ्लॉस को खोल कर रख देता है और जुडिशरी के अंदर बन रहे एक एलीट ग्रुप को सामने लाता है हालांकि आप तो जानते हैं कि हमारे करेंट चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड ने हमेशा से ही कोलेजन सिस्टम का समर्थन किया है उन्होंने कहा है कि इस प्रोसेस के अंदर सब कुछ डिस्क्लोज नहीं किया जा सकता क्योंकि जजेस के अपॉइंटमेंट के प्रोसेस के दौरान उनके कुछ पर्सनल और प्रोफेशनल कॉन्फिडेंशियल्टी विद पीपल्स जजेस अंडर कंसीडरेशन इंटीमेट इंड प्राइवेट एस्पेक्ट्स ऑफ पीपल्स लाइफ वी हैव टू बी कॉन्शियस ऑफ़ द फैक्ट दैट यू कांट इन द प्रोसेस ऑफ सिलेक्शन ओपन अप एवरी एस्पेक्ट ऑफ देयर लाइव्स टू द सोसाइटी एट लार्ज अंत में मैं बस इतना ही कहना चाहूंगी कि उपेंद्र खुशवाहा के क्रिटिसिजम को सुनकर ऐसा लगता है कि बर्सों से चली आ रही कोलेजन सिस्टम पर डिबेट पर रिफॉर्म्स लाने की जरूरत है यह जरूरी है कि जुडिशरी के अंडर इंक्लूजिविटी और मार्जिनलाइज कम्युनिटीज के लोगों की रिप्रेजेंटेशन हो खुशवाहा के इन्हीं क्रिटिसिजम की वजह से एक बार डिबेट फिर खुल चुकी है कि क्या जुडिशरी में डेमोक्रेसी होने की जरूरत है या नहीं और क्या कोलेजन सिस्टम एक ऐसा फ्लड प्रोसेस है जिसमें एलीट क्लास का राज बना हुआ है और सबसे जरूरी ये कि एनजेएसी जैसे अल्टरनेटिव मैकेनिज्म क्या जुडिशरी को बेटर बनाने के लिए सही ऑप्शन रहेंगे या नहीं आप इन सवालों को किस तरह देखते हैं हमें कमेंट सेक्शन में बताइए टिल देन कीप फॉलोइंग लॉ चक्रा एंड कीप सपोर्टिंग अस