[संगीत] है दो जहां के मालिक सुन ले मेरी गुजारिश मेरे जिगर के टुकड़े के वास्ते ये ख्वाहिश वो जहां भी जिस जगह हो तेरा हाथ सर पे रखना हरदम हर घड़ी हां तू फिक्र उसकी करना उसे खैरियत से रखना उसे खैरियत से [संगीत] रखना बस खैरियत से [संगीत] रखना कभ तेज धूप उसका बदन जला ना पाए कभी बारिशे भी उसको बीमार कर ना पाए होली आफ तन पे उसके तेरे हाथों से तू ढकना उसको लगे ना ठोकर इतना कम तू करना उस खैरियत से रखना उसे खैरियत से रखना उसे खैरियत से रखना बस खैरियत से रखना उसे खैरियत से रखना उस खैरियत से रखना उस त से रखना उसे खैरियत से [संगीत] रखना खुदा खैर करे देख रहे हो निगार वैसे सुभान इबादत का शौहर है मगर मन्नत उसकी सलामती के लिए दुआए मांग रही है वाह और वो इबादत वो लड़की पता नहीं कहां है इस वक्त वही ना कितनी अजीब बात है दादी अम्मी बेचारी मन्नत कितना परेशान हो रही है सुभान भाईजान के लिए और इबादत अपी पता नहीं कहां घूम रही है इस टाइम ऐसे नहीं करना चाहिए था ना उनको वेरी सड