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Published: Sep 08, 2024 Duration: 00:13:34 Category: Education

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5च 55 और 95 हर उम्र के लिए यसा मुफीद मफा आमा का आलम बदार जरूर सब्सक्राइब करें लाइक करें शेयर करें और बेल आइकन प्रेस करना ना भूले रबानी द स्कलर चैनल बरल आइए आगे की तरफ मैं चाहूंगा कि इस मौके पर हमारे आज के मालिक बंबई शहर से तशरीफ लाए हुए हमारे बेहतरीन दोस्त दोस्त ही क हालाकि सीनियर है लेकिन हमारे बेहतरीन दोस्त हमारे नामवा साथी ए हाई स्कूल से पढ़े हुए नईम शेख साहब नम आपके सामने है मैं चाहूंगा कि य ला माइक उर पर लाना है आे आप हमारे साथियों से गुजारिश है न भाई को यहां पर ले आए मैं इन अार के साथ जो है नईम भाई को यहां पर आने की दावत देता हूं [संगीत] अश्क बनकर तेरी आंखों में उतर अश्क बनकर तेरी आंखों में उतार आऊंगा नश बनकर तेरे चेहरे पर उभर जाऊंगा और खुद मुसर की निगाह भी रहेगी है ना रंग बनकर तेरी तस्वीर में भर जाऊंगा यही रंग भरने के लिए मुंबई से आए हमारे न शेख साहब आपके सामने [संगीत] शुक्र की प जावे शौकी साहब गुरु गुरु जिन्होने नी खूबसूरत महफिल की और मुझे यहां पर आने की दावत दी और अलुला मैं यहां तक आ सका और सबसे बड़ी खुशी की बात ये है के कुछ असजा यहां पर मौजूद है जिन्होंने मुझे पढ़ाया वो यहां मौजूद है और उनको वर्सों के बाद देखने के बाद बड़ी खुशी मुझे हुई जैसे शकील खान सर अशवाक सर और फरोज सर हमारे जावेद सकी सर है जो हमेशा स्टिक रहे और एंटरटेनमेंट के लिए बड़ी मुश्किल से जला निकाल पाते थे और मेरा टमेंट मार भी ने और थोड़ा अच्छा लग रहा है लोग के बीच में मजूद अस के तालुक से काफी बातें चल रही है सबने अपने लार की बड़ी अ बात मगर मैं मुक्तसर सी बात मेरी शुरू करूंगा ना अहल गैर जिम्मेदार स्टूडेंट जो फायदा नहीं उठाते उम से मैं यह नाह और य नाका स्टूडेंट्स जब आगे बढ़ते हैं और आगे बढ़ने के बाद जब ये दुनियादारी के मैदान में कदम रखते तो वहा इनको किन दिक्कतों का सामना करना पड़ता है उसकी एक जीती जाती मिसाल मा अशफाक पटेल साहब ने हमेशा हमसे कहा कि आप मेरे घर पर आइए मैं आपको मुफ्त में मराठी सिखाऊंगा जैसे मराठी का जिक्र निकला आपने मराठी का जिक्र किया अश पटेल साहब कहते थे मेरे घर मैं आपको मुफत में मराठी सिखाऊंगा यह जुबान आपका जानना बहुत जरूरी है मगर बदकिस्मती हमारी यह रही याय नादानी क हमने उस जुबान को हमारी जुबान से बहुत अलग समझा हम तो उदू पढ़ने वाले हम मराठी जान क्या कर ठीक उसी तरह जब मैं आगे बढ़ सटी कॉलेज में गया तो र व बस सर ने कहा कि हफ्ते में एक बार टाइम ऑफ इंडिया खरीद एक बार उस ल 10 या 15 पैसे में आता और उसको पढ़िए जो मुश्किल अल्फाज है उनको अंडरलाइन कीजिए डिक्शनरी में उनकी मीनिंग देखिए रिवा फॉरवर्ड कीजिए पढ़ते रहिए आपकी अंग्रेजी सुधर जाएगी सम जाएगी हमने ध्यान नहीं दिया क्योंकि अंग्रेजी बोलने के उस का मामला ऐब हम अंग्रेजी कहते थे तो बाकायदा हमारे अपने साथी हमको बड़ी अंग्रेजी झाड़ भैया और शर्मिंदगी का सामना हमें करना पड़ता था तो हम हमारे हसले प हो जाते थे कुछ सीखने के लिए बड़ा अजीब सा मायू से समझा जाता था यह अंग्रेजी कह रहा है मराठी कह रहा है हम तो उर्दू वाले उसकी तकलीफ यह हुई कि मालेगांव से निकलने के बाद बम्बे फिल्म इंडस्ट्री में जब हमने कदम रखा तो हमको इन दिक्कतों का सामना करना पड़ हमारे पास लिखने का जो मुकाल मेंे लिखने का जो हुनर था जो य से ड्रामे करके हमने सीख कर मैं और मेरा दो गए व तो हमारे नरेशन प्रोड्यूसर डायरेक्टर के सामने नॉर्मल नरेशन के जो अभी मैं बात कर रहा हूं किरदार को समझाना कहानी को समझाना मगर बाजी वो राइटर ले गए जो अंग्रेजी सीख जिनको नॉलेज नहीं था मगर वो इतनी फुलट इंग्लिश बोलते थे कि ऐसा लगता था कि राइटिंग यही जानता है और यही सुपरहिट फिल्म बना सकता है उस वक्त मुझे अपनी ना अहली का एहसास हुआ कि पटेल सर ने जो कहा नहीं माना हमारे रियाज सर ने जो कहा हमने नहीं माना और उसका खिया हमें भुगतना पड़ा फिल्म इंडस्ट्री में खैर धीरे धीरे चीजें तो रिकवर हो गई मामला चल पड़ा मगर उस वक्त वहां उस्ताद या क्योंकि इस मैदान से निकल के जब हम उस मैदान में गए व दुनियादारी का मैदान उस मैदान में हमने दे य तो जंग है य तो हमको लड़ना है और हथियार हमारे पास है नहीं हथ टीचर दे रहे हमने नहीं बिना हड़ उस वक्त हम अस या उस उनकी अहमियत का एहसास हुआ उस उनकी वल पता चली और य की वैल्यू उनकी कदर कीमत उस वक्त बड़ी मैं एक वाकया सुनाने जा रहा हूं ये बहुत ही अहम वाकया मेरी जिंदगी का है हम लोग एक फिल्म की शूटिंग करने के लिए उ उजबेक स्तान जो रशिया में उजबेक स्तान के शहर ताशकंद में हम ठहरे हुए थे और जिस इलाके में ठहरे थे उस इलाके का नाम ही शास्त्री है जहा लाल बहादुर शास्त्री की डेथ हुई थी उस इलाके का नाम उन्होने आज आज उज्बेकिस्तान मुल्क ने उसका नाम शास्त्री रखा हुआ है और ता में कुछ दिन शूटिंग करने के बाद हम चले ग समरक जो तास के पास में है बड़ा खूबसूरत समरक भी है तो जिस होटल में ठहरा हुआ था आ मंजिला की इमारत की होटल थी तो मैंने होटल के कमरे से देखा एक मुझे बहुत ही खूबसूरत गुंबद नजर आया तो मुझे लगा शायद य मस्जिद होगी तो पता चला मस्जिद नहीं है य म तो मुझे इस बात की बहुत खुशी हुई इतना करीब आया इतना बड़ा बादशाह इतना नाम हुआ उसका मतलब मुगलो की जहां से शुरुआत हुई व त का मरा मुझे यहां विजिट करना ही चाहिए और मैं वहा पर गया और वहा पर जाने के बाद जो नजारा मैंने देखा वो सुनने के लायक है कई कबरे थी बीच में बहुत ही खूबसूरत कबर ी और बड़ी साइज की और उसके उसके पास में एक और कबर तो मुझे लगा जाहिर है तमर य अच्छा उसको वहा पर अमीर तैमूर कहते तमर जब य का बादशा तो जाहिर य कबर र की होगी गाइड ने बताया य तूर की नहीं उस उसके उस्ताद की कबर है य यह वो उद है जिसने तैमूर को घड़ सवारी सिखाई दनी तालीम दी तैराकी सिखाई दरजी सिखाई तलवार बाजी सिखाई जंग लड़ना सिखाया और यह जो कवर है बाजू में नीचे की तरफ यह तमर की तैमूर ने यह वसीयत की थी जब मैं मरूंगा तो मुझे उस्ताद के कब में उसकी कदम में और उस्ताद के कदम में उस बादशाह की कब उस वाके ने और उस जहां मैंने नजारा देखा वो मैं भुला नहीं भलता हूं आज इस खूबसूरत मौके पर मुझे वाक कहना पड़ा और मैं बहुत पपेस उस से उस्ताद का दर्जा उस्ताद की अहमियत को जिसने समझा उसने पा लिया शायद हम नहीं समझ सके हमद ची नहीं पा सके उर्दू पर हमने फोकस किया उर्दू पर हमने ध्यान दिया हमारे उर्दू के टीचर अता रमान सर थे बड़े अच्छे तरीके से उन्होने उर्दू सिखाई तो उस उर्दू ने हमें वो दर्जा भी दिया राजकुमार परान धर्मेंद्र ये उर्दू जानते हैं इनको हिंदी नहीं आती इनको डायलग उर्दू में लिख देने पड़ते प्रेम चोपड़ा हिंदी नहीं आती इन स्टार के बीच में सस से राजकुमार तने बड़े सुपरस्टार जें रहे अगर हम उनके करीब जा सके तो सिर्फ उर्दू जबान की वज से जो [संगीत] उ बहुत एट किया उने जो चीज हमने सीखी व काम आई जो नहीं सीखी व पछतावा बनकर आज भी हमारे सीने में मू है पस्तावा है और खासर से आज बात कहना चाहूंगा हमारे जो ताली जोभी सीख उनके वादन को चाहिए कि व उस्ताद का मर्तबा अपने बच्चों को समझाए क्योंकि वादन गेट तक बच्चे गेट तक आते हैं और बच्चे को अंदर छोड़ देते हैं गेट के अंदर वादन नहीं आते न की गेट पर है अंदर उस्ताद है इस मैदान में उस्ताद उसके साथ तो न को चाहिए व उस्ताद की कीमत बच्चों को समझा उस्ताद क्या क्योंकि जिंदगी में जब प्रैक्टिकल लाइफ में हम कदम रखते हैं तो उस वक्त वहां जो भी हमारे साथ हालात नुमा होते है जो हमने सीखे हैं वही हमारे काम आते हैं जो नहीं सीखे वो हमारे काम नहीं आते वहां वालदैन का मामला नहीं आता है वहां उस्ताद का मामला वो जिंदगी की उस फीड में हमको उस्ताद जो है वही हमारे काम आता है बहरहाल इस तरह की जो महफिलों का जो एक एक सिलसिला शुरू हुआ है हम हमारे असजा का हक अदा नहीं कर सकते ये हमारी कोशिश है हम उनका हक कभी अदा नहीं कर सकते चाहे हम ये महफिल कितनी भी खूबसूरत से लेकिन ये क्या कम है कि हमारे दिलो दिमाग में बात आई कि हम अपने असा के जो है अप्रिशिएट करें ये क्या काम है हमारे लिए और ये कोशिश इंशाल्लाह हमको जो है एक एक ऐसे दर्जे पर पहुंचाएगी कि जहां खुद असाद महसूस करेंगे के मैंने अपनी जिंदगी में कुछ किया और वो इंशाल्लाह वो मौका आएगा और वो जरूर आएगा असा हम पर फखर करेंगे जैसे हम उन पर फ कर रहे वो हम पर फ कर ब बहुत बहुत शुक्रिया मुझे यहां दावत देने के लिए एक बार फिर से मैं सारे लोगों का शुक्रिया अदा करू खास तौर से एटी इंतजाम जिन्होने कदम कदम पर ड्रामों में हर जगह पर जो है हमारी मदद की मतलब ये मैं नहीं कहू इजम ने मुझे फिल्म इंडस्ट्री में भेज है मतलब लेकिन एक एप्रिसिएशन है उनका और मैं बड़ा इंतजाम का मैं हमेशा से बरसा बर शुक्र गुजार रहा हूं जिनकी बदौलत जो है आज एक छोटी मोटी अल्लाह ताला ने इजत नवाजी जिसकी वजह से मैं यहां पर खड़ा हूं यहां पर मौजूद हूं यहां पर मुझको मदूर किया गया है बहुत बहुत शुक्रिया सलाम 55 55 और 95 हर उम्र के लिए यसा मुफीद मफा आमा का आलम जरूर सब्सक्राइब करें लाइक करें शेयर करें और बेल आइकन प्रेस करना ना भूलें रब्बानी द स्कॉलर [संगीत] youtube0 तिजार मशर इंतजा इंकलाबी तहरकी तहकीकी तकनीकी तफ्तीश तामीरी तालीमी व मालूमात

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