कंधार में पता नहीं क्या है यार बड़ा लोग कह रहे हैं कि विजय विजय का अच्छा रोल है कुद मिश्रा है नसन शाह है मनोज पावा है देखना है अ देखा है किसीने कल ही रात में निपटाए है गुरु बताते हैं देखना चाहिए एक बारक हो गया अरे यार उसकी रेटिंग बड़ा ठीक ठाक आ रही है हर जगह हम देख रहे हैं हमको टाइम ही नहीं मिल रहा आप कैसे देख ले रहे है हम ऑफिस से जाते हैं नहीं सम समय की कमी तो रहती उपेंद्र लेकिन य वाला जो ये वाली जो सीरीज है जो अनुभव सिन्हा ने बनाई है जिसके बारे में हम लोग बातचीत कर रहे हैं जो कंधार हाईजैक पे छोटी सी सीरीज है और सबसे पहली वजह मेरे हिसाब से जो देखने की है वो यही है कि एक तो सीरीज है और छोटी सी है हालांकि एक सीरीज सात छह या सात एपिसोड है इसके आगे भी नहीं आएगा कोई आने का गुंजाइश नहीं है और एक सीरीज एक घंटे के आसपास की है तो छह सात सीरीज छोटी सी सीरीज मानी जाएगी तो एक दो सेटिंग में आप निपटा सकते हैं मैंने ऐसे ही किया था पहली दूसरी सीरीज मैंने देखी थी दो दिन पहले और कल रात भी मैंने सोने से पहले पूरा निपटा दिया अच्छा हर जगह हमने पढ़ा इनका अपना अलग नजरिया है आप उस आपके नजरिए से क्या आपको दिखा देखो मैं जब हम लोग बात भी कर रहे थे जब मैंने पहला एपिसोड देखा इस सीरीज का तो मैं थोड़ा निराश हुआ और हम लोग डिस्कस भी कर रहे थे कि बहुत बझी लग रही है बहुत ही बनावटी लग रहा है कहानी ढंग से खुल नहीं रही है पता नहीं फिल्म बना रहे हैं कि डॉक्यूमेंट्री बना रहे हैं लेकिन जब कल रात की सीटिंग की मैं बात करू जब मैं दो एपिसोड से आगे बढ़ा जहां पे प्लेन हाईजैक हो गया है आसमान में है और फिर वो हो रहा है कि भाई अमृतसर उतरा है वहां कार्रवाई क्यों नहीं एनएसजी कर पा रही है पंजाब पुलिस के कमांडो तेल भरने वाली गाड़ी के पीछे हैं लेकिन वह नहीं कर पाते और प्लेन वहां से निकल जाती है फिर वह कराची जैसे लैंड करते हैं फिर अंतिम में जब कंधार चले यहां काबुल चले गए हैं जब अफगानिस्तान की राजधानी जब पहुंच गया है गया है प्लेन तो उसके बाद तो व फिर वह आपस की बातचीत शुरू तो दूसरे एपिसोड से मुझे लगता है कि फिल्म जो है एस्टेब्लिश हो करके और आपको अच्छा आपने आपने कल एक बड़ा बेहतरीन चीज बताया था कि शुरुआती एस्टेब्लिश हम जो आपने बताया था सिनेरियो बड़ा बेहतरीन लगा था नहीं वो मैं ये कह रहा था ये अभी जैसे एस्टेब्लिश हो रही है फिल्म शुरू में आपने अपना अनुभव बता वही उस समय उस समय मैं 99 की बात है ये उस समय मैं मुझे लगता है कि नौवी या 10वी में पढ़ रहा था बिहार के गांव में था और हमारे यहां उस समय इंफॉर्मेशन का एक ही केंद्र था रेडियो हम और रेडियो पे देश दुनिया की खबरें सुनने के लिए माध्यम था बीबीसी बीबीसी हिंदी तो मुझे आज भी याद है कि शाम में सा 7:30 बजे का जो रिलीज होता है बीवीसी का जो शो आता था न्यूज़ बुलेटिन वो हम लोग सुन रहे थे गांव के लोग थे सात आठ लोग बैठे थे अंधेरा था एक लालटेन जल रही थी और बीच में रेडियो रखा हुआ था पांच लोग बैठे हुए हैं और वह सबसे पहली ही लाइन जो है न्यूज़ देने वाले जो उस समय थे बीबीसी हिंदी के उन्होंने यही कही कि एयर इंडिया का एक प्लेन जो कि काठमांडू से उड़ा था और वो हाईजैक हो गया है और वो तमाम तो मुझे लगा कि अभी यह फिल्म का जो शुरुआती सीन है पहला सीन जो है वो मुझे जहां तक याद आ रहा है कि वो पार्लियामेंट से शुरू होता है और दिल्ली सेंट्रिक और ये वो हाईजैक हो गया और वो उस अगर वहां से किसी ने शुरू किया होता ना तो एक लाइन में व एस्टेब्लिश हो जाता बकुल और आप एस्टेब्लिश कर देते यह भी कि पूरे मतलब सिर्फ दिल्ली नहीं पूरे देश भर में व बात फैल चुकी है और इसमें एक चीज और मुझे लग रहा है कि थोड़ा सा फिल्म में पता नहीं कैसे दिखाया कि दो दिन बाद मेरे ख्याल से जैसा दिखा रहे हैं को मीडिया में बातचीत आनी शुरू हुई और तमाम चीजें हुई कि हाईजैक हो गया लेकिन बीबीसी पर तो पता चल गया था हां उसी दिन पता चल गया शाम के शो में पता चल गया था तो एक वजह जो मुझे लगता है तुम्हें देखनी चाहिए और पहली फुर्सत से कल इतवार का दिन है और तुम्हारी छुट्टी है तो देख डालो एक तो छोटी सी सीरीज है दूसरी ये है कि इस सीरीज को देख कर के पता चलता है कि 99 के बाद हमारे देश की सुरक्षा व्यवस्था और कैसे कड़ी हुई थोड़ी एनएसजी को लेकर के चीजें बदली छोटे-छोटे जगहो प एनएसजी के सेंटर होने चाहिए जैसे उस समय सबसे बड़ी बात थी अमृतसर में एसजी का उपलब्धता नहीं थी प्लेन उतर गया लेकिन एजी एनएसजी को जाने में डेढ़ घंटे लगेंगे दो घंटे लगेंगे तो एक तो रियल कहानी है और यह जो कहानी है उपेंद्र ये ये 24 दिसंबर 1999 को ये 999 की ये घटना है और एक रियल घटना है भारत की सिक्योरिटी और सुरक्षा पर क्योंकि अभी अ 99 में के बाद कारगिल के बाद ही चीजें घटित हुई थी तो यह अपने आप में एक बड़ी घटना थी और इसपे कई सवाल भी उठे थे इसमें इसमें जी जी बिल्कुल वो उठे थे इसमें जो देवी शरण जो असली पायलट थे उस प्लेन में जिनका रोल अभी जो हमारे कलाकार हैं उनका नाम बो विजय उन्होंने निभाया है बहुत अच्छे से निभाया है उनकी किताब है फ्लाइट इन टू फियर द कैप्टन स्टरी तो उसी किताब पे मेनली ये बेस्ड है और अनुभव सिन्हा ने डायरेक्ट किया है नसरुद्दीन शाह है उसमें पंकज कपूर हैं हां पाहवा है और भी लोग हैं और खास ौर पे मुझे तुम देखोगे तो तुम्हें इंटरेस्टिंग लगेगी जब जब फ्लाइट कंधार में पहुंच गई है और होता है कि भा अब ये तीन चार अधिकारी जाएंगे बारगेन करने के लिए और बारगेन करने का जो सीन है जब पहावा को जिम्मेदारी मिलती है और वो माइक प बैठते हैं और जैसे बातचीत शुरू करते हैं वो मतलब देख कर के मुझे लगा कि हां मतलब वहां मतलब हालांकि वो एंड की तरफ है लेकिन वो देख कर के आपको लगा कि हां यहां पे डायरेक्शन का भी काम हुआ है और एक्टिंग तो है ही शानदार तो दो तीन वज से मुझे लगता है उपेंद्र ये सीरीज देखो बहुत चीज हम देखते रहते हैं समझते र एक तो रियल कहानी प बेस्ड है हुआ है मुझे तो याद ही है हमने तो देखा है तो सुना हम हां हमने तो सुना है देखा है तो देखना चाहिए कि कैसे हुआ था क्या हुआ था दूसरा कि मजे हुए कलाकार हैं अच्छे एक्टिंग अनुभव सीना की डाय अनुभव सीना का डायरेक्शन भी ठीक है यह मुझे लगा फिल्म खत्म हो गई उसके बाद मुझे सीरीज खत्म हो गई माफ कर मुझे लगा थोड़ा और डिटेल में दिखाया जा सकता था है ना लेकिन फिर शायद बत डायरेक्टर अनुभव सिन्हा किसी ड्रामे से बचना चाह रहे होंगे तो उन्होंने सिर्फ उतना ही दिखाया जितना हुआ हुआ है एक आरोप जो इस फिल्म पे लग रहा है माफ करना तुम एक आरोप जो इस फिल्म पे लग रहा है कि ये फिल्म जो है जो टेररिस्ट है जिन्होंने फ्लाइट को कैप्चर किया उसको लेकर बहुत सॉफ्ट है अच्छा कि वो प्लेन में सितार बजा रहे हैं वो अंतरा खेल रहे हैं ऐसा सीन है उसमें लेकिन मैं जब वो जो असली कैप्टन उनकी जो किताब है उसमें इस चीज का जिक्र है वो कहते हैं कि एक जो उसमें था टेररिस्ट उसने मजाक करना शुरू कर दिया था व लोगों से अंदर जब दिन बीतने लगे थे सात दिन लग गए थे ना उसम आ दिन आठ दिन लग गए थे आठ दिन की कहानी है ये तो इसलिए तुम्ह देखना चाहिए बताओ एक आप एक चीज कह रहे थे इसमें चकि हमने देखा नहीं है अब देखने के बाद हम अपना अपनी राय देंगे कि क्या है लेकिन आपने कहा कि जो ये कहानी है एक किताब के बेस्ड प आधारित है जैसा अभी आपने कहा कि अधिकारी जो अधिकारी इवॉल्वमेंट थे थोड़ा रिसर्च की हल्की सी कमी महसूस ये मुझे लगा कि जहां जहां पायलट की किताब से चीजें मिली हैसे के अंदर का दृश्य बहुत अच्छा है तमाम चीजें लेकिन जहां पे अधिकारियों की मीटिंग और उनके अंदर जो हसल चल रहा है तमाम चीजें चल रही है जाहिर तौर पे मतलब बड़ी घटना थी उस समय बहुत कुछ हो रहा होगा बक हो सकता है उस तरफ थोड़ा सा और रिसर्च अगर होता तो मुझे लगता कहानी और वहां से वो वाला पार्ट थोड़ा सा मुझे कमजोर लग रहा है लेकिन मैं यहां पर रिव्यू नहीं कर रहा हूं मैं तुम्हें सिर्फ बता रहा हूं कि ये देखो और देखने की वजह सीधी सधी य है कि या रियल घटना प आधारित है छोटी सी सीरीज है अच्छी बनी है अच्छा काम हुआ है तो देख डालो और देख के बताना तुमको कैसी लगी और आप भी देखिएगा आप भी देखिए चकि रियल घटना क्या अग देखके होंगे और कुछ लोग देख चुके होंगे तो कमेंट भी करके बताएंगे कि मैं सही कह रहा हूं गलत क रल अपनी राय दीजिए कि आखिर है क्या उसमें क्या है और कहां कमी रह गई है ये भी आप बताइए बताइए है ना तो फिलहाल इस वीडियो में इतना ही बाकी और भी अगर अच्छी कोई सीरीज आती है अगर आप देख रहे हो और लोगों को नहीं और लोगों को हमारी बातचीत पसंद आएगी तो हम लोग आगे भी इस तरीके की बातचीत करते रहेंगे शोज प बेस्ड फिल्मों प बेस्ड हमारे और साथी हैं जो जो कह रहे थे हालांकि वभी कैमरे पर नहीं वो कह रहे थे कि कोई भी फिल्म आती है तो मैं चट से निपटा देता हूं 2 एक्स पे तो उनको भी लाएंगे और उनके साथ भी बातचीत करेंगे लोकमत हिंदी है चर्चा करते रहे कैमरे के पीछे हैं सौरभ हमारे साथ विकास इस वीडियो में इतना ही बाकी देश दुनिया की तमाम खबरों के लिए बने रहे लोकमत हिंदी के साथ नमस्कार [संगीत]