#BhejaFry #India seeks $26 billion of private nuclear power investments #PMModi

Published: Aug 28, 2024 Duration: 00:20:03 Category: News & Politics

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अस्सलाम वालेकुम नमस्कार सत श्री अकाल एंड गुड इवनिंग मैं हं कासमी और आप देख रहे हैं पॉइंट ऑफ ू हमारे साथ है जी डॉक्टर अभिषेक मिश्रा जी बहुत शुक्रिया सर क्या आए थैंक यू सो मच लवेज प्लेजर जी कि आपने मुझे निमंत्रण दिया इसके लिए बहुत-बहुत आपका धन्यवाद बहुत शुक्रिया सर आज हम आपसे जराय समझना चाहेंगे कि कहा जा रहा है कि इंडिया जो है व 26 बिलियन डॉलर जो है वो इन्वेस्ट करना इन्वेस्ट करना चाह रहा है या इन्वेस्ट करने जा रहा है प्राइवेट सेक्टर में यह क्या है और किस तरह से इसलिए यह भी कहा जा रहा है कि इसको एनर्जी सेक्टर के लिए इस्तेमाल किया जाएगा देखिए हजू जी पहले वो क्या है उससे पहले हम समझ लेते हैं इंडिया की एनर्जी नीड इंडिया एक ग्रोइंग इकॉनमी है और इकोनॉमी के ग्रो करने के लिए पर कैपिटा कंजंक्शंस कंजंक्शंस जनरेशन और इलेक्ट्रिसिटी को ग्रो करना है चाहे वो सर्विस सेक्टर में आईटी वाले हो चाहे वो मैन्युफैक्चरिंग यूनिट हो दोनों में एनर्जी तो चाहिए ही होगी अब यह तो हो गई इंडिया की एनर्जी नीड की बात हमको अगर न पर से ग्रो करना है तो इंडिया कैन नॉट अफोर्ड टू न टू हैव एनर्जी अब चीज य कीज एक सेकंड एक सेकंड आपको रोकूंगी जी डॉक्टर साहब सॉरी वो थोड़ा सा इंटरनेट का इशू था तो इसलिए मैंने आपको रोका आप प्लीज कंटिन्यू कीजिए नहीं कोई बात नहीं सबके पास इंटरनेट के इ है तो मैं वही बता रहा था आपको आरजू जी की देखिए जो एनर्जी नीड है वो डायरेक्ट प्रोपोर्शनली डायरेक्टली प्रोशन है आपकी व्ट य कॉल वि नीड ऑफ इकोनॉमिक ग्रो उसम एनर्जी कंजमेशन हो जाता है गिवन की प्रधानमंत्री मोदी ने जो है वो क्लाइमेट च को बहुत ज्यादा तरजीह दी है व बहुत ज्यादा उसको प्रेफरेंस दिया है व उसके ऊपर बहुत सीरियस काम करते हैं उस पर विश्वास रखते हैं उन्होंने कॉप 22 में पेरिस में और अभी मेरे ख्याल से जो यूएई में जो हुआ था दोनों में उन्होंने वो कहा था कि इंडिया जो है वह अपना फेयर शेयर ऑफ एनवायरमेंट प्रोटेक्शन का काम या क्लाइमेट चेंज को लड़ने का काम जो है व इंडिया करेगा तो उसको देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी न टर्ड्स क्लीन एनर्जी तो यह जो प्राइवेट इस्ट इमेंट बुलाया गया है वो है इन द फील्ड ऑफ क्रिएशन ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी तो प्राइवेट प्लेयर्स को बुलाया इन्होंने जो डिपार्टमेंट ऑफ अटॉमिक एनर्जी है उसे बातचीत करके न्यूजपेपर ने कोट किया है कि ऑल द प्राइवेट प्लेयर्स सो फॉर इंडियन है 13000 मेगावाट की बिजली बनानी है और उसके लिए जो है करीबन 26 बिलियन डॉलर का इन्वेस्टमेंट लगेगा जिन कंपनीज ने बिड किया है या जो कंपनी इंटरेस्टेड है उसमें अडानी पावर रिलायस पावर वेदांता अग्रवाल ग्रुप ऐसे करके यह सारे जो है वो कंपनी सारी इंडियन है दो हु वांट टू इन्वेस्ट इन द न्यूक्लियर एनर्जी क्लीन एनर्जी है ये तो फिर उनको जिम्मेदारियां दी गई है कि अगर वो लोग इन्वेस्ट करेंगे कक अभी कुछ ऑफिशियल नहीं है तो ये अगर आप 13000 मेगावाट की प्रोडक्शन कर रहे हैं तो आप समझ सकती है कि ये छोटी बिजली तो नहीं उस पर डेवलप होगी 13000 मेगावाट जो होता है वो बहुत ज्यादा बिजली होती है ठीक है ना तो अब वही है अब गवर्नमेंट ने बुलाया है यह लोग आएंगे अपना करेंगे इस्ट सो यह जो एक तो यह है कि इन्वेस्टमेंट भी मंगवा रहे हैं और कैपेसिटी को भी यह 2000 मेगावाट की जो अभी हमारी करंट कैपेसिटी है उसको बढ़ा करके 20000 मेगावाट करना चाहती है गवर्नमेंट न्यूक्लियर एनर्जी कंट्रीब्यूशन जो इंडिया में है तो जो कंपनी अभी तक इंटरेस्टेड है जैसे मैंने आपको बताया उम रिलायस इंडस्ट्रीज पावर टाटा पावर अडानी पावर वेदांता यह लोग यह सारी कंपनिया मिलकर 440 बिलियन रुपए यानी कि 5.3 बिलियन ईच यह जो है व इन्वेस्ट कर रही है जो कि सोर्सेस के द्वारा यह बताया गया है तो इसमें जिस कंपनी के थ्रू यह होगा एनपीसीएल न्यूक्लियर कॉरपोरेशन ऑफ न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड जो है वो इनके साथ कई बात राउंड की बातचीत कर चुकी है अब उसमें डेवलपमेंट होगा देखिए क्या गवर्नमेंट इसमें कैसे आ आपके डॉक्टर साहब आपके एनर्जी क्राइसिस है क्या आपके यहां लोड शेडिंग वगैरह होती है कि नहीं हमारे यहां तो खैर बहुत होती है एक जमाने में तो बहुत ही ज्यादा हुआ करती थी अभी थोड़ी सी कम है लेकिन छोटे शहरों में या छोटे इलाकों में जो है वो लोड शेडिंग जो है वो तकरीबन पूरे साल ही चलती रहती है उसमें कुछ इससे लेना देना नहीं होता है कि सर्दी है कि गर्मी है या क्या है तो कई फैक्ट्री पाकिस्तान में इसीलिए बंद हो गई है फैसलाबाद और कई जगह पर एक तो एनर्जी क्राइसिस है फिर एनर्जी के जो रेट्स है इलेक्ट्रिसिटी के वो बहुत ज्यादा हाई है तो आप क्या क्या सूरते हाल है देखिए एनर्जी की जो नीड है वो फ्लकचुएट करती रहती है क्क एनर्जी को दो पार्ट में डिवाइड किया जाता है एक है आपका इंडस्ट्रियल ग्रोथ इंडस्ट्रियल एनर्जी की जो रिक्वायरमेंट होती है दूसरी होती है रेजिडेंशियल तो अब आप अगर समर्स में है तो आपकी नीड बढ़ जाती है क्योंकि लोग एसी चलाते हैं और भी कई तरीके के इक्विपमेंट हो गए कूलर हो गया सबमर्सिबल पानी की जरूरत ज्यादा बढ़ जाती है तो इसको देखते हुए जो है वो नीड जो सर्ज होता है डिमांड में वो हो जाती है अभी मेरे ख्याल से इंडिया पावर डिफिशिएंट तो नहीं है कि जो उसकी नीड है उस नीड को इंडिया खुद ही जो है वो प्रोड्यूस करता है और उसको वो मैच अप कर लेता है तो इट्स नॉट पावर डेफिसिट कंट्री जहां पर की जितनी इलेक्ट्रिसिटी की नीड है वो नीड उससे प्रोडक्शन उससे कम है इसलिए लोड शेडिंग उतनी नहीं होती जो लोड शेडिंग होती है वो दूसरे वजहों से हो सकती है बट लोड शेडिंग इसलिए नहीं की जाती कि पावर का पावर का क्रिएशन जनरेशन उतना नहीं है जितना की पावर के नीड है जैसे मैंने आपको बताया कि आपके पास अगर स्केल अप करने की कैपेसिटी है पावर प्रोडक्शन को तो जब सर्ज आता है डिमांड में इलेक्ट्रिसिटी के तो गवर्नमेंट उसको कोप कर लेती है बट आज के रेट में इंडिया जो है कोल एनर्जी हाइड्रो पावर एनर्जी फिर उसके बाद न्यूक्लियर एनर्जी फिर उसके बाद आपका विंड एनर्जी कई तरीके की एनर्जी है जिस पर इंडिया काम कर रहा है सोलर एनर्जी जिसम जो प्रधानमंत्री मोदी का पेट प्रोजेक्ट है क्योंकि एक इंटरनेशनल सोलर अलायंस भी खोला था प्रधानमंत्री मोदी ने उनका आईडिया यह था कि वन अर्थ वन ग्रेड वाला उसमें यह था कि जो कंट्रीज सन रिच कंट्रीज है जहां पर बहुत ज्यादा सूरज होता है और कई ऐसी कंट्री है जो सन डेफिसिट कंट्री है जहां पर की सूरज एकदम होता ही नहीं है जैसे यूरोप है वहां पर सूरज कम होता है मोस्टली वहां पर बादल रहते हैं लेकिन आप उसके कंपेयर में मिडिल ईस्ट को देख ले या इंडिया को देख ले तो यहां पे साल में न महीने जो है वो आपको अच्छी प्रचुर मात्रा में सूरज मिलता है तो फिर आईडिया ये था कि यहां पर बिजली बने और फिर इन बिजली को आगे जो है वो दुनिया भर में जैसे हर कंट्री का आज के डेट में अपना ग्रिड है अपना पावर सप्लाई है इससे अच्छा है कि इंटरनेशनल ग्रिड हो इंटरनेशनल पावर सप्लाई हो तो हम काफी हद तक पावर की नीड को एनर्जी की नीड को मीट कर पाएंगे ऑन अ वेरी कॉस्टली रेट ऑन अ वेरी कॉस्ट अ जिसे कह लीजिए रीजनेबल कॉस्ट पे हम उसको अफोर्ड कर सकते हैं तो इंडिया में ऐसी कोई डिफिशिएंट नहीं है एनर्जी जितनी जरूरत होती है इंडिया के पास प्रोडक्शन कैपेसिटी है उसको स्केल अप करेंगे और जैसे-जैसे डिमांड बढ़ती जाएगी क्योंकि इंडिया ग्रो करेगा इंडस्ट्रियल आउटपुट बढ़ेगा तो फिर इलेक्ट्रिक इलेक्ट्रिसिटी की कंसंट बढ़ेगी पॉपुलेशन बढ़ेगा तो इलेक्ट्रिसिटी की कंसंट बढ़ेगी घर बनना बढ़ेगा तो इलेक्ट्रिसिटी की कंजमेटिंग न्यूक्लियर जो स्कूटर कार जो कि फॉसिल फ्यूल से चलते हैं अब आजकल वो भी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स आने लगे इंडिया में सो इंडिया की इलेक्ट इंडिया की एनर्जी नीड बहुत ज्यादा है पर अभी डिफिशिएंसी इतनी नहीं है कि इंडिया को कोई वरी करने की जरूरत हो वी हैव इनफ कैपेसिटी टू प्रोड्यूस डिफरेंट फॉर्म्स ऑफ क्लीन एनर्जी इन इंडिया बिल्कुल सर प्राइम मिनिस्टर मोदी जो है वो थर्ड टर्म के लिए जो है प्राइम मिनिस्टर सिलेक्ट हुए और उसके बाद इलेक्ट हुए बोलना चाहिए हमारे सिलेक्ट हम लोगों को आदत पड़ गई हर एक को यही बोलने की तो फर्स्ट टू फेस में तो काफी सारी चीजें उन्होंने की जिसमें इकॉनमी है इंडिपेंडेंट फॉरेन पॉलिसी है थर्ड टर्म में आपको कौन से ऐसी चैलेंज लगते हैं जो कि मोदी जी के सामने होंगे इसलिए कि थर्ड टर्म के जो इलेक्शंस थे वो भी काफी इट थे और काफी जैसे कहते हैं ना कांटे की टक्कर थी तो आपको क्या लग रहा है कि क्या चैलेंज उनके सामने इस वक्त है देखिए चकि मोदी जी एक डिमिनिश्ड पावर के साथ आए हैं एस फार एस पॉलिटिकल पावर इ कंसर्न मगर जो विल पावर है वो उनका डिमनिशमेंट दीजिए मोदी जी को कि उनको ये तो पता था कि आप तो मैं ही रहा हूं ये बहुत बड़ा भाई मैं मैं अपनी मैं अपनी यूनिवर्सिटी में कुछ करना चाहता हूं और वो मैं कर पाऊंगा कि नहीं कर पाऊंगा मुकी 10 पांच लोग हैं वो मेरे बस का नहीं होता है ब द मैन जज इनफ कॉन्फिडेंस की उन्होंने ताल ठोक दी कि आ तो मैं ही रहा हूं जो करना है कर लो तुम जॉर्ज सरोज को बुला लो तुम मंगल से किसी को बुला लो लेकिन आएगा तो मोदी ही तो प्रधानमंत्री मोदी जो है वो मुझे लगता है चोजन वन है उनको विशेष आशीर्वाद है वरना भारत जैसे विविधता भरे देश में 140 करोड़ लोग में वो भी डेमोक्रेसी में फ्रीडम है झूठ सच सब अफवा जो फैलाना है फैलाइला स्ट्रक्चर का तो एक बहुत बड़ा है य अभी आपने देखा होगा कि इंडिया ने 12 या 13 कुछ स्मार्ट सिटी को अनाउंस किया है उसमें ये भी है 70000 जॉब क्रिएट होंगे स्मार्ट सिटी बनाने का मतलब ही यही होता है कि आप उसको पावर जनरेशन बाकी जो सुविधाएं होती है शहरों की उसमें जो जो बेसिक मिनिमम लाइ लाइफ स्टाइल के लिए जो रिक्वायरमेंट होती है उनको पुश देना सो इंफ्रास्ट्रक्चर पुश प्रधानमंत्री मोदी का प्राइम समझ लीजिए एंबिशन रहता है इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर वह बहुत सेंसिटिव है और उनके पिछले 10 साल के कार्यकाल में अमंग अदर थिंग्स जो उनकी विशेष उपलब्धि रही है वो है इंफ्रास्ट्रक्चर का डेवलपमेंट सरकार सड़कों का जो जाल बना है क्वालिटी सड़क बनी है उसके बाद आप देख ले जो इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई है वो मोदी जी के आने के बाद जितनी सुधार हुआ है वो जिसे कह दीजिए अनप्रेसिडेंटेड है तो प्रधानमंत्री मोदी मेरे लगता है सबसे पहला उनका जो प्राइमरी गोल होगा ये आने वाले 5 साल के लिए नंबर वन इंटरनेशनल रिलेशन जिसमें उन्होंने ताल ठोक दी है यूक्रेन में जाकर के कि हम जो है वो विश्व गुरु बनने के लिए तैयार हैं हम दुनिया के प्रॉब्लम को में जिसमें आम कॉन्फ्लेट ना हो जहां पे हमें बंदूकें ना यूज करनी पड़ी हो बाकी सब में हम बैठने के लिए तैयार है उसको सॉल्व करने के लिए हम अपनी दावेदारी पेश करने के लिए तैयार है यूनाइटेड नेशन का सिक्योरिटी काउंसिल का परमानेंट सीट जो है वो मोती जी की प्रायोरिटी होगा एम प्रिटी शर कि वो चाहेंगे कि उनके 5 साल के कार्यकाल में यूनाइटेड नेशन चार्टर को अमेंड किया जाए और जो रिफॉर्म की जरूरत है यूएन चार्टर में वो लाया जाए तीसरा जो उनका है वो मेरे ख्याल से कुछ सोशल रिफॉर्म्स और लीगल रिफॉर्म्स जरूर करेंगे जैसे वक बोर्ड को लेकर उन्होंने ताल ठोक दी है 15 अगस्त में लाल लाल किरे के प्राचीर से खड़े होकर उन्होंने यह भी कह दिया कि हमको यूसीसी की जरूरत है तो ही विल पुश फॉरवर्ड यू उसके बाद जो मेमन सेफ्टी है उसपे उनका बहुत बड़ा योगदान है तो मतलब सर एक चीज यहां पर मैं ऐड करना चाहूंगी कि एक चीज जो मुझे लगता है कि जिसम भारत कोई खास काम नहीं कर रहा वैसे तो हो सकता है हो रहा हो पाकिस्तान में तो खर बिल्कुल ही नहीं हो रहा बहुत ही कम लोग कर रहे हैं वो है क्लाइमेट चेंज या एनवायरमेंट पे हमने देखा कि खासतौर पर दिल्ली जैसी जो जगह हैं या स्टेट्स है जहां पर हमारे बहुत से दोस्त भी रहते हैं तो व की एनवायरमेंट ऐसी है कि कुछ टाइम के बाद जैसे वेदर चेंज होगा वहां पर जो हमें न्यूज आएंगी वो यही होंगी कि लोग सांस नहीं ले पा रहे लोग लोगों को बहुत तकलीफ है उसके ऊपर कुछ किया जा रहा है गवर्नमेंट लेवल पर कि नहीं देखिए एनवायरमेंटल पोल्यूशन और क्लाइमेट चेंज से लड़ना दो अलग अलग चीज तो आपका प स्टेटमेंट इस हद तक तो बिल्कुल सही है कि एनवायरमेंटल पोलूशन में भारत की सरकार और राज्य सरकार चक एक फेडरल स्ट्रक्चर है बहुत कुछ कहने में बहुत कुछ करने में सफल हो रही है लेकिन जो क्लाइमेट चेंज में जो जो गवर्नमेंट ऑफ इंडिया के हाथ में जो पावर है उसमें तो मोदी जी ने बहुत सरानी और प्रशंसनीय काम किया है कि वो क्लीन एनर्जी जैसे ये न्यू जो हमारा आपका टॉपिक है आज कि न्यूक्लियर एनर्जी में प्राइवेट इन्वेस्टमेंट लेकर आ रहे हैं क्योंकि अगर आप 13000 या मेगावाट बिजली बनाने की अगर आप प्रोडक्शन कैपेसिटी क्लीन एनर्जी से कह रहे हैं तो आप क्लाइमेट चेंज को पाट करें जहां तक एनवायरमेंटल पोल्यूशन का सवाल है तो कई वो दोनों चीजें अलग-अलग है हालांकि एनवायरमेंटल पोल्यूशन डू एड अप टू क्लाइमेट चेंज ना मगर वो वो दोनों उसके फाइट के मेजर अलग-अलग है क्लाइमेट चेंज के लिए अगर आपको कई तरीके से क्लाइमेट चेंज को फाइट किया जा सकता है उनमें से एक तरीका है ग्रीन एनर्जी या क्लीन एनर्जी या जिनको हम कहते हैं कि एडॉप्शन ऑफ क्लीन टेक्नोलॉजीज टू क्रिएट सच एनर्जी दूसरा ये होता है कि अभी हमारे यहां तो कई ऐसे प्रैक्टिसेस है जिसकी वजह से एनवायरमेंट को डैमेज होता है जैसे दिल्ली में जो आपने कहा कि इतनी ज्यादा बसेस और सड़कें सड़कों प बस जीप कार मोटर व्हीकल इतने ज्यादा है पॉपुलेशन इतना ज्यादा है उस शहर का कि बिल्कुल आपने सही कहा दिल्ली की हवा टॉक्सिक है जहरीली है दिल्ली की हवा इसमें कोई शक नहीं है बल्कि वहां पर तो वो पीआईएल लगा कर के सीएनजी को इंट्रोड्यूस करवाया गया था वरना ये लेड से जो इम होता था पेट्रोल से उसमें तो लोगों को कैंसर होने की हालत हो गई थी दिल्ली में जमुना का हाल देखें बहुत ही पोलूशन है मगर वो क्लाइमेट चेंज के जो इंडिया कंट्रीब्यूट कर रहा है वो वो प्रस शनी है वो बहुत ज्यादा प्रस लेकिन एनवायरमेंटल पोल्यूशन जो इंडिया की एक एक ग्रोइंग पॉपुलेशन और जो जो अर्बनाइजेशन में एक्सप्लोजन हुआ है वो होना एक अलग चीज है अब सब कोई घर बना रहा है पर घर में सीवे सिस्टम नहीं है फिर वो कहां जाएगा आपके घर का गंदा पानी ट्रीटमेंट प्लांट नहीं है उस तरीके के फिर वो जो जो खुला कचरा होता है अब मैं देख रहा हूं य तरीके के जो मैंने अ ये खरीदा ये कहां जाएगा दिस ल कंट्रीब्यूट टू द एनवायरमेंटल चैलेंस वेस्ट मैनेजमेंट जो है यह सब चीजें एक अलग सिस्टम है लेकिन यह कहना कि इंडिया क्लाइमेट चेंज में कंट्रीब्यूट नहीं करर बल्कि इंडिया बहुत ज्यादा कंट्रीब्यूट कर रहा है इन टर्म्स ऑफ अडॉप्टिंग टू द ग्रीन एनर्जी इंडिया ने हाइड्रोजन पावर की शुरुआत कर दी इंडिया जो है सीएनजी को लेके आया है इंडिया ने लेड रिलेटेड पेट्रोल की उसको जो है वो कम किया है पेट्रोल में एथेनॉल मिलाना शुरू किया है ताकि वो और भी पेट्रोल हमारी फॉसिल फ्यूल प डिपेंडेंस कम हो सो इंडिया हैज डन इनफ बट यस क्लाइमेट चेंज विज अवी द एनवायरमेंटल पोल्यूशन वो एक मैटर ऑफ कंसर्न है और आपने बिल्कुल सही कहा कि भारत की कई शहरों की हवाएं जो हैं वो टॉक्सिक है बिकॉज ऑफ द एनवायरमेंटल पोलूशन मगर उसका क्लाइमेट चेंज में कंट्रीब्यूशन से कोई आ वो नहीं है जैसे अब गाड़ियां है उनका अगर एमिशन है bs4 हमने कहा हुआ है bs4 या bs5 की एमिशन वाली गाड़ियां बेगी बाकी पुरानी यो को हमने फेज आउट कर दिया है जहां तक मेरी नॉलेज है तो वी हैव बीन डूइंग एवरीथिंग पॉसिबल टू अडॉप्ट न्यू टेक्नोलॉजी टू प्रोड्यूस ग्रीन एनर्जी टू रिड्यूस डिपेंडेंस ऑन फॉसिल फ्यूल यह सब जो मेजर है क्लाइमेट चेंज से लड़ने के लिए वो हम कर रहे हैं और जो एनवायरमेंटल पोलूशन है वो एक चैलेंज है बिकॉज ऑफ द अर्बनाइजेशन अर्बन एक्सप्लोजन लोग शहरों की तरफ आ रहे हैं जो रूरल पॉपुलेशन है उसकी एग्रीकल्चर पर डिपेंडेंस ओवर डिपेंडेंस है वो आगे आएगी ही आएगी अर्बनाइजेशन होगा तो ये सब एनवायरमेंटल पोलूशन एनवायरमेंटल प्रॉब्लम्स तो होंगे ही अरजु जी अ पाकिस्तान में भी सर ये प्रॉब्लम बहुत ज्यादा है कि जो लोग गांव में रहते हैं या विलेजेस में रहते हैं वो बड़ी सिटीज में आना चाहते हैं और गांव जो है वो एक तरह से खाली होते चले जा रहे हैं तो अक्सर लोग बात करते हैं कि अगर गवर्नमेंट वहां पर सब चीजें प्रोवाइड कर दे उन लोगों को तो व इस तरफ नहीं आएंगे इसलिए कि यहां पर तो ओवर क्राउडेड जैसे सिटी हो चुकी है नहीं है ना क्यों आपके ख्याल से वही पर जहा लोग रहते हैं वही सब कुछ मिल जाए व र कर क्या रहे वो रहते हैं तो उनकी इकोनॉमी का सोर्स क्या भ एग्रीकल्चर है यह क्रिएट करता है जो मेरी समझ है मैं इकोनॉमिस्ट तो नहीं समता इसको कहते डिमेंट यानी कि वो लोग कहने को तो किसान है मगर एक कट्ठा जमीन पर 202 परिवार खा रहा है तो वो दिखने में आ जाएगा कि भाई एग्रीकल्चर का कंट्रीब्यूशन ये है जैसे इंडिया में 65 पर अगर विलेज है रूरल एरिया है पर क्वेश्चन ये है कि 65 पर पॉपुलेशन का कंट्रीब्यूशन जो है इंडिया में एग्रीकल्चर का जीडीपी में कंट्रीब्यूशन क्या है मुझे नहीं पता 20 25 पर होगा शायद तो अगर आपका 20 मान लेते मैं क्योंकि कई लोग गालियां देने लगेंगे नीचे वो जो डाटा ले आएंगे लेकिन मान लेते कि मान 20 पर अगर इंडिया का जीडीपी में एग्रीकल्चर का कंट्रीब्यूशन है और वो 20 पर जो है वो 65 पर लोग मिलकर के 20 पर कंट्रीब्यूशन करे आप सोच लीजिए कि बाकी का ये ह्यूमन जो आपका कैपिटल है वो तो वेस्टेड है ना तो अर्बनाइजेशन को नहीं रोका जा सकता ये नहीं करना है कि सब इस्लामाबाद उठके आ जाए आपको 10 इस्लामाबाद और बनाने पड़ेंगे इस्लामाबाद आई मीन आपको 10 लाहौर बनाने पड़ेंगे कराची बनाने पड़ेंगे आपको अर्बनाइजेशन करना पड़ेगा ताकि आप इंडस्ट्रियल यूटिलिटी इंडस्ट्रियल इजेशन करें लोगों की नौकरियां लगे उस इंस्टलाइव एक नया शहर बस है ये मेरे कहने का मतलब है मेरे कहने का मतलब नहीं है कि सब उठक चलो दिल्ली वाला मार्च कर दे नहीं वो नहीं है नहीं बिल्कुल ऐसा ही बिल्कुल आप सही कह रहे मैं भी यही कह रही हूं सब लोग उठकर यहां पर आ जाएंगे आ जाते हैं तो उससे भी जो है वो पोलूशन भी बढ़ती है और प्रॉब्लम्स भी क्रिएट होती है बहरहाल इसके ऊपर यकीनन हर गवर्नमेंट को जो है सोचना भी होगा और काम भी करना होगा बहुत शुक्रिया स आज आपने जॉइन

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