Starliner Earth पर आया | Boeing Capsule की वापसी | Spacecraft News

[संगीत] स्टार लाइनर स्पेस कैप्सूल सफलता पूर्वक धरती पर लैंड करके दोस्तों साबित किया कि वह जहां एस्ट्रोनॉट्स को सफलता पूर्वक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में ले जाने में सक्षम है वहीं दूसरी तरफ आईएसएस से पृथ्वी पर सफलता पूर्वक ले आने में भी सक्षम है वह हालांकि दूसरे तरफ आप ऐसा कह सकते हैं कि बगैर अंतरिक्ष यात्री के वोह पृथ्वी पर लैंड किया मगर उन्होंने यह साबित किया दोस्तों साबित किया यह वही स्पेस कैप्सूल है जो नासा के अंतरिक्ष यात्री वच विलमोर और सुनीता विलियम्स को 5 जून को आईएसएस ले गए थे और यह किसी चमत्कार से कम नहीं और वह सफलता पूर्वक लैंड करके दिखाया उन्होंने अर्थ पे भविष्य में एस्ट्रोनॉट्स को अर्थ से आईएसएस ले जाने और आईएसएस से अर्थ पर सफलता पूर्वक ले आने में सक्षम है बोइंग का स्टार लाइनर आप फर के माध्यम से भी देख सकते हैं और दोस्तों गुजारिश है मेरी आपसे कृपया चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें दोस्तों यदि स्टार लाइनर की जैसा कि कुछ तकनीकी खामियां हुई थी ठीक है तकनीकी खामियां होते रहती है दोस्तों मगर अब सवाल उठता है कि नासा के यह दो वैज्ञानिक जो हैं व मौजूद कहां है दोस्तों घबराने की बिल्कुल ऐसी कोई बात है ही नहीं बिल्कुल बात नहीं है क्योंकि वो स्पेस स्टेशन पर सफल फलता पूर्वक अपने अपने इनोवेशंस को इनोवेशंस पे काम कर रही है क्योंकि वहां पहले से मौजूद है दोस्तों सात एस्ट्रोनॉट्स पहले से मौजूद है और उनके साथ वो कदम से कदम मिलाकर काम कर रही है अब सवाल उठता है कि क्या स्पेस स्टेशन कितना बड़ा है दोस्तों वो किसी छह बेडरूम के कंपार्टमेंट से कम नहीं है उससे भी बड़ा है स्पेस स्टेशन तो दोस्तों मैं इस स्पेस स्टेशन के बारे में विस्तार से चर्चा करूं कि आखिर स्पेस स्टेशन कितना बड़ा है जैसा कि आप लोग जानते हैं कि स्टार लाइनर में कुछ तकनीकी खामियां हुई थी उसके हीलियम रिसाव हुए थे और थ्रस्ट में गड़बड़ी आई थी और उसी हीलियम रिसाव के कारण नासा को सुरक्षा मानकों पर खड़े ना उतरने के कारण रिक्स कोई भी हालांकि नहीं लेगा दोस्तों क्यों ले आखिर क्योंकि जीवन और मरण एक ही बार मिलता है दोस्तों तो कहीं ना कहीं रिक्स तो नहीं लेना चाहिए और नासा ने भी वही और हमें लगता है कि कोई भी वही करेगा क्योंकि जहां तक इंजन में गड़बड़ की गड़बड़ का सवाल है तो था गड़बड़ तो थी दोस्तों उसमें मगर स्टार लाइनर और बोइंग ने हमेशा से उन्होंने यह चीजें हमेशा से वोह कहते आ रहे हैं कि हम एस्ट्रोनॉट्स के साथ वापस पृथ्वी पे सफलता पूर्वक लैंड करेंगे हालांकि वो एस्ट्रोनॉट्स के साथ लैंड नहीं किए मगर उन्होंने एस्ट्रोनॉट्स के बगैर सफलता पूर्वक लैंड करके उन्होंने दिखाया और साबित किया अब दोस्तों आखिर सवाल उठता है सुनीता विलियम्स और चच विलमोर जैसा कि मैंने आपको बताया कि एक्सपीडिशन 7172 क्रू के हिस्से के रूप में अपना काम जारी रखे हुए हैं वह दोनों फरवरी 2025 में स्पेस एक्स के ड्रैगन कैप्सूल पर सवार होकर पृथ्वी पर लौटेगी और यह ड्रैगन कैप्सूल स्पेस एक्स के जो ड्रैगन कैप्सूल है ये एनल एलोन मस्क की मच अवेटेड स्पेस क्राफ्ट है दोस्तों जिससे दोनों अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी पर वापस आएंगे फरवरी में अब दोस्तों सवाल उठता है कि एक्सपीडिशन 7172 क्या है तो दोस्तों 7172 एक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्पेस स्टेशन के लिए 71 और 72 लंबी एक लंबी अवधि का एक मिशन है और इस मिशन का मुख्य उद्देश्य विभिन्न वैज्ञानिक अनुसंधान करना जिसमें न्यूरो डिजनरेटिव बीमारियां अंतरिक्ष वनस्पति अंतरिक्ष यात्रा के कारण होने वाले तरल पदार्थों के बदलाव और सैलाब आधारित शैवाल आधारित जीवन समर्थन प्रणाली शामिल है दोस्तों इन सब चीजों पर वहां पर वैज्ञानिक रिसर्च करते हैं और आईएसएस स्पेस स्टेशन पे रूस अमेरिका जापान यूरोप कनाडा के अंतरिक्ष एस्ट्रोनॉट्स पहले से मौजूद तो ऐसी कोई घबराने वाली ऐसी कोई बात नहीं है कि सुनीता विलियम्स और वुच विलमोर कहां है और किस हालत में है ऑलरेडी वहां पर सात वैज्ञानिक मौजूद है और वह सारे जो आईएसएस स्पेस स्टेशन है वो और वहां के अलग-अलग देशों के जो एस्ट्रोनॉट्स रूस जापान यूरोप कनाडा से मौजूद है पहले से अलग-अलग इनोवेशंस को अंजाम दे रहे हैं उनके साथ डेली मीटिंग और अलग-अलग चीजों पर सर्च और उससे डिस्कशंस डे टू डे होती र वहां एक नहीं सात से नौ लोग मौजूद हैं स्पेस स्टेशन पे तो दोस्तों यदि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए थोड़ा सा यदि मैं आपको बताऊं तो आईएसएस का निर्माण यानी इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन का निर्माण जो है वो 1998 में शुरू हुआ था और यह 2011 तक पूरा कर लिया गया था और इसका आकार जैसा कि मैंने आपको बताया ये छह बेडरूम वाले घर से भी बड़ा है जिसमें दो बाथरूम और एक जीम और 360 डिग्री वाली विंडो मौजूद है आप तस्वीर के माध्यम से भी स्पेस स्टेशन के अंदर की तस्वीर आप देख सकते हैं आईएसएस पृथ्वी से लगभग 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर परिक्रमा करता है और इसकी औसतन गति 2724 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है हालांकि यह आपके लिए एक शॉकिंग होगा कि 28000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार है ना दिलचस्प 27000 तो 27000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से यदि कोई इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पृथ्वी के चारों ओर पृथ्वी के चक्कर लगा रही है तो यहां पर बहुत सारे सवाल उठते हैं और उस सवाल के बारे में भी दोस्तों हम चर्चा करेंगे आखिर वह कौन-कौन से सवाल हैं जैसे कि एस्ट्रोनॉट्स को चक्कर आना आखिर इतनी गति पे एस्ट्रोनॉट्स को चक्कर क्यों नहीं आते स्पेस स्टेशन जल क्यों नहीं जाता यह बहुत ही इंपोर्टेंट सवाल है है ना दिलचस्प वहां का तापमान क्या है जहां पर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन मौजूद है स्पेस स्टेशन मौजूद है वहां पे मान क्या है अंतरिक्ष यान की गति क्या होती है अंतरिक्ष यान की गति और आईएसएस की गति दोनों बराबर ही होती है दोस्तों वो 28000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से घूमती है वहां का टेंपरेचर क्या है आखिर निचली गति क्या है यह भी बहुत सारे सवाल है निचली गति क्या है पृथ्वी की निचली कक्षा क्या है जिसको दोस्तों आपने अलग-अलग मीडिया अलग-अलग न्यूज़ में आपने पढ़ा होगा लो ऑर्बिट लियो क्या है तो आईएसएस के बारे में दोस्तों और तो दोस्तों जो लियो ऑर्बिट जो है जो निचली कक्षा है उसके बारे में भी हम आपको जरूर बताएंगे और आईएसएस का मुख उद्देश अंतरिक्ष में लंबी अवधि की खोज को सक्षम बनाना और पृथ्वी के लोगों को लाभ प्रदान करना है यहां सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण यानी माइक्रो ग्रेविटी और अंतरिक्ष पर्यावरण अनुसंधान जीवन सक्षम प्रणाली और विकरण पर्यावरण में महत्वपूर्ण अनुसंधान किया जाता है अब सवाल उठता है यहां पर एक टर्म और आता है दोस्तों विकिरण पर्यावरण आपको पता है दोस्तों जहां पर स्पेस स्टेशन मौजूद है वहां की टेंपरेचर 150 डिग्री 120 डिग्री सेल्सियस अधिकतम तापमान और मिनिमम तापमान - 120 डिग्री से कम नहीं है वहां पर तापमान 120 डिग्री सेल्सियस का दोस्तों मतलब होता है कि यदि हम पानी गर्म करें तो ऐसा कहते हैं कि 100 डिग्री टेंपरेचर पे हमारा पानी गर्म होता है तो आप अंदाजा लगा सकते हैं वहां का तापमान कितना होगा और मिनिमम तापमान यदि 0 डिग्री सेल्सियस हो यदि आप एसी एसी का तापमान को दोस्तों य आप एसी के तापमान को 18 डिग्री सेल्सियस करते हैं तो आपको ठंड महसूस होती है और वहां पे और 0 डिग्री सेल्सियस पे बर्फ जम जाता है पानी बर्फ बन जाता है तो यहां पे यह भी सवाल उठता है कि आखिर - 120° सेल्सियस पे स्पेस स्टेशन तो बर्फ बन जाएगा मगर दोस्तों बर्फ क्यों बनेगा वहां तो हवा मौजूद ही नहीं है बर्फ बनने के लिए पानी और हवा की जरूरत पड़ती है जो दोनों मौजूद नहीं है वहां पे इसलिए वहां पर बर्फ नहीं है इसलिए वहां पर बर्फ नहीं जमता और और भी बहुत सारे सवाल है आखिर इतनी गति से स्पेस स्टेशन यदि मूव कर रहा है 18000 किलोमीटर प्रति घंटे से स्पेस स्टेशन और स्पेस कैप्सूल अंतरिक्ष यान मूव कर रहा है तो वहां पर अंतरिक्ष यात्री को चक्कर क्यों नहीं आते यह भी सवाल है तो दोस्तों दोनों अंतरिक्ष यात्री मूव तो करते हैं ले लेकिन उन्हें महसूस नहीं होता क्योंकि वहां पर जीरो ग्रेविटी है उन्हें महसूस ही नहीं होता क्योंकि सभी वहां पर मूव कर रहे हैं और समान गति से मूव कर रहे हैं स्पेस स्टेशन भी समान गति से मूव करता है और अंतरिक्ष यान भी समान गति से मूव करता है दोस्तों यहां पे अंतरिक्ष यान और स्पेस स्टेशन दो अलग-अलग चीजें हैं अंतरिक्ष यान स्पेस स्टेशन में जाके डक हो जाता है यानी उसके साथ जुड़ जाता है और स्पेस स्टेशन पहले से मौजूद है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन अलग-अलग देशों के एस्ट्रोनॉट वहां पे रिसर्च कर रहे हैं अब दोस्तों यहां पे मैं आपको एक अलग चीज बोलूंगा क्या कि पृथ्वी की निचली कक्षा क्या है तो दोस्तों पृथ्वी के चारों ओर जो निचली कक्षा होती है वह पृथ्वी की सतह से लगभग 160 किलोमीटर से लेकर 2000 किलोमीटर की ऊंचाई तक फैली होती है और यह कक्षा में उपग्रह अंतरिक्ष स्टेशन जैसे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन आईएसएस और अन्य अंतरिक्ष यान घूमते हैं निचली कक्षा में वस्तुएं पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से जुड़ी रहती है और बड़ी गति से चलती है और जो मैंने बताया यह गति 188000 किमी होती है ताकि यह पृथ्वी पे ना गिरे इसलिए दोस्तों इतनी गति रखना जरूरी है यदि इतनी गति ना रखें तो माइक्रो ग्रेविटी मैंने जीरो ग्रेविटी नहीं बोला माइक्रो ग्रेविटी वहां पे है तो 188000 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से या यूं बोले कि इतनी गति होनी आवश्यक है यह कक्षा अंतरिक्ष अभियानों के लिए महत्त्वपूर्ण होता है क्योंकि यहां से संचार उपग्रह मौसम उपग्रह और अंतरिक्ष यात्री के मिशन संचालित होते हैं दोस्तों और दूसरा सवाल है कि यदि स्पेस स्टेशन इतनी 188000 किमी प्रति घंटा से घूम रही है तो आखिर वह जलता क्यों नहीं दोस्तों यह इसलिए नहीं जलता क्योंकि वहां पे वायु का घनत्व कम है वहां पे हवा है ही नहीं हवा में मौजूद पार्टिकल्स जो आपस में घर्षण करते हैं जिसके कारण वहां पर जल वर्ण होता है मगर वहां पर जब हवा ही नहीं है तो वह तो जलेगा नहीं और अंतरिक्ष यात्री और अंतरिक्ष यान अंतरिक्ष यात्री को गति महसूस नहीं होती इतनी गति से मूव करने के बाद भी यहां पे सापेक्ष गति का अनुभव होता है यानी बिल्कुल ही जैसे आप अर्थ पे बैठे हैं उसको वैसा ही महसूस होता है मगर वहां पर माइक्रो ग्रेविटी होने के कारण वो तैरते रहते हैं हवा में आप तस्वीर के माध्यम से भी देख सकते हैं कि एक एस्ट्रोनॉट्स किस तरीके से अंतरिक्ष यान में चलते हैं और एक जगह से दूसरे जगह मूव करते हैं और भी दोस्तों इसमें बहुत कुछ है एक विशेष वीडियो में आपके पास लेक आऊंगा कि इंटरनल व्यू स्पेस स्टेशन का इनसाइड व्यू कैसा है वहां पर किस तरीके से एस्ट्रोनॉट्स काम करते हैं किस तरीके से एक बेडरूम से दूसरे बेडरूम और एक जगह से एक कमरे से दूसरे कमरे या एक जगह से दूसरे जगह कि कि तरीके से मूव करते हैं कैसे खाते हैं कैसे पानी पीते हैं उन तमाम बातों के बारे में दोस्तों मैं दूसरे वीडियो में आपके सामने और भी विस्तार से कुछ अलग-अलग चीजें मैं आपके सामने लेकर आऊंगा जैसे कि स्पेस सूट आखिर स्पेस सूट एस्ट्रोनॉट्स किस तरीके से वकिंग करते हैं स्पेस में बहुत सारे सवाल है दोस्तों आखिर जब अंतरिक्ष यान वायुमंडल में पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं तो उसकी क्या होती है क्यों यह गति र क्यों एंगल महत्त्वपूर्ण हो जाता है इनके बारे में भी बहुत ही विस्तार से हम चर्चा करेंगे आने वाले वीडियो में तो दोस्तों यह कैसा लगा आप हमें जरूर बताइएगा हालांकि बहुत सारे सवाल जो आपके मन में होंगे और आपके दिमाग में चल रहे होंगे शायद कहीं ना कहीं आपको उन सवाल के जवाब जरूर मिले होंगे और दोस्तों कमेंट जरूर कीजिएगा और हमें कमेंट करके बताइएगा कि आखिर आपको कुछ सवाल जो थे उसके जवाब आपको मिले या नहीं और दोस्तों गुजारिश है मेरी आपसे कृपया चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें तो तब तक के लिए धन्यवाद दोस्तों जय हिंद आपका दिन शुभ

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