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दोस्तों क्या आप जानते हैं कि पूरी इंसानियत को एक शुगर क्यूब जितनी छोटी जगह में समाया जा सकता है हैरान रह गए ना हमारे शरीर में मौजूद हर परमाणु 99.99% खाली जगह से बना है अगर आप इन परमाणुओं के बीच की सारी खाली जगह हटा दें तो पूरा मानव शरीर बस एक छोटे से बिंदु जितना रह जाएगा अब सोचिए अगर यही प्रक्रिया सभी आठ अरब इंसानों पर लागू हो जाए तो पूरी मानव जाति को एक शुगर क्यूब में समाया जा सकता है यह विज्ञान का जादू है जो हमें दिखाता है कि... Read more
 
            
            Category: Education
आखिर चाइना वालों ने ऐसे क्या किया कि उनकी कार्स ऐसे फूलकर प्रेग्नेंट हो रहे हैं और यह घास बेचकर लुक कैसे करोड़पति बन रहे हैं आइए जानते हैं दुनिया में क्या हो रहा है सबसे पहले चाइना की सभी महंगी कार्स आज ज्यादा गर्म होने की वजह से ऐसे फूल जा रहा है और वहां के सभी लोग गर्मी की वजह से मारे जा रहे हैं चाइना की आज तक की सबसे हाइस्ट टेंपरेचर 41° का भी रिकॉर्ड टूट गया भाई चाइना के लोग 41° में मर रहे हैं और हमारे इंडिया में 60 साल की चाचा भी साइकिल... Read more
 
            
            Category: People & Blogs
क्या आपको मालूम है इसरो अपने 95 रॉकेट आंध्र प्रदेश के श्री हरिकोटा से लंच करता है लेकिन अब आप सोचोगे भारत में इतनी जगह है तो सभी रॉकेट यही से लांच क्यों करते हैं दरअसल इसके पीछे कई वजह है सबसे पहले कि लंचिंग पैड भारत के ईस्ट कोस्ट पर है जो कि इक्वेटर के पास होने की वजह से अर्थ के सेंट क्विगल फोर्स से एक्स्ट्रा बूस्ट मिलता है और दूसरा ये वे ऑफ बंगाल के पास होने की वजह से रोकेट फेल हो जाए तो सीधा समुंद्र में जा गिरेगा तीसरा श्री हरिकोटा की जमीन सॉलिड... Read more
 
            
            Category: Education
यह जो आप कहते हो ना कि मच्छर ने काट लिया बिल्कुल गलत बात है यह मच्छर आपको कभी नहीं काटता है मेरा मतलब मच्छर आपको कभी नहीं काटता बल्कि मच्छर ही आपको काटती है यानी कि मादा मच्छर तो जब मेल मच्छर खून नहीं पीता तो वह क्या खाता है वेल मच्छर जिंदा रहने के लिए नेक्टर यानी कि फूलों का रस और जूस पीते हैं Read more
 
            
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क्या हो अगर इंसान सोते-सोते मर जाए इंसेफलाइटिस लेथार्जिका या कहें स्लीपिंग सिकनेस एक ऐसी बीमारी थी जो इंसानों के दिमाग पर असर करती थी और इस बीमारी से इंसान मूर्ति की तरह बन जाता था जिसमें वह ना तो कुछ बोल पाता था ना ही हिल पाता था यह बीमारी 1915 से 1926 के बीच पूरे दुनिया में फैल गई थी ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि इससे 10 लाख से ज्यादा लोग ग्रसित हुए थे जिनमें से लगभग 5 लाख लोगों की मौत हो गई थी और बचे हुए लोगों में भी ज्यादा लोग पहले की... Read more